Maharashtra Board Class 11 Information Technology Practicals Skill Set 1 Daily Computing (Libre Office)

Balbharati Maharashtra State Board Class 11 Information Technology Solutions Practicals Skill Set 1 Daily Computing (Libre Office) Textbook Exercise Questions and Answers.

Maharashtra State Board Class 11 Information Technology Practicals Skill Set 1 Daily Computing (Libre Office)

SOP 1: Create a Resume

  • The resume should contain the following :
  • Title at the center with applicable font and size.
  • It should contain points such as Name, Address, Mobile Number, Date of Birth, Nationality, Caste, Category, Hobbies, etc. Add some extra points.
  • For educational qualifications, a student should insert a table.
  • In the end, students should write a few lines about their aim.

Answer:
Step 1: Click on the LibreOffice Writer icon.

Step 2: Create a New File.
File Menu → New → Text Document

Step 3: Write Title at the center with applicable font size. (Resume).

Step 4: Type Name, Address, Mobile Number, Date of Birth, Nationality, Caste, Category, Hobbies, etc.

Step 5: Write Student educational qualifications (Insert Table).
Choose Table Menu → Insert Table → Select number of rows and columns → Insert.

Step 6: Write some lines about the aim, select the text and make it bold by clicking on the bold option from the formatting toolbar.

After Completing this practical students will learn how to create resumes using LibreOffice, also tab setting and table creation.

Maharashtra Board Class 11 Information Technology Practicals Skill Set 1 Daily Computing (Libre Office)

SOP 2: By using Mail Merge send an invitation for your birthday party.

  • Use the mail merge feature.
  • Send an invitation to at least 5 friends.

Answer:
Choose Tools – Mail Merge Wizard.
Step 1: Select Start from a template, and click the Browse button. You see the New dialog.

Step 2: Select five friends Details in the left list, and then the Invitation letter in the right list.
Click OK to close the Templates dialog, and click Next in the wizard.

Step 3: Select Letter and click Next.

Step 4: On the next step of the wizard, click the Select Address List button to check that you are using the correct address list. If you want to use an address block, select an address block type, match the data fields if necessary, and click Next.

Step 5: Next follows the Create a salutation step. Deselect the Insert personalized salutation box. Under General salutation, select the salutation that you want on top of all letters.

Step 6: If you want to place mail merge fields anywhere else in the Invitation document select the corresponding column in your address data source and then drag and drop the column header into the invitation document where you would like the field to be. Be sure to select the entire column.

Step 7: Click Next and finally Finish creating the mail merge.

SOP 3: Create a mark list. The mark list should display:

  • Fields as Name, Math, Physics, Chemistry, Biology, Total, Percentage.
  • Below each subject find out the lowest marks and highest marks.
  • Enter a minimum of 10 records.
  • Declare the first three ranker students.
  • Create a chart based on the above data.

Answer:
Step 1: Open LibreOffice Calc and add fields like Name, Math, Physics, Chemistry, Biology, Total, Percentage.

Step 2: Enter 10 records in it.

Step 3: To Calculate Total
Click inside the cell where the total has to be calculated.
(Use =SUM(A2:D2) formula) – Type the range of cell.

Step 4: Now click inside the cell where the percentage has to be calculated.
Calculate Percentage using formula = E2* 100/400, drag the formula for remaining cells.

Step 5: Enter a minimum of 10 records. And calculate the result.

Step 6: Find out the Lowest Marks
Calculate Lowest marks using formula = min(A2:A11), drag formula for remaining cells.

Step 7: Find out the Highest Marks
Calculate Highest marks using formula =max(A2:A11), drag formula for remaining cells.

Step 8: Now Show the first three ranker students. Use Sort Option for sorting and auto filter.

Step 9: To find the first ranker use formula =large(F2:F11,1)

Step 10: To find the second ranker use formula =large(F2:F11,2)

Step 11: To find the third ranker use formula =large(F2:F11,3)

Step 12: To create a chart Select Complete Table → Click on Insert Menu → Click on Chart Option.
A window will appear, which starts with the chart wizard → Select Chart type.

Maharashtra Board Class 11 Information Technology Practicals Skill Set 1 Daily Computing (Libre Office)

SOP 4: Create an Informative presentation on your college.

  • The presentation should contain a minimum of 8 slides.
  • One slide should contain a chart.
  • One slide with an image.
  • Each slide should contain custom animation & slide transition effect.

Answer:
Step 1: Preparing an Eight slide for an Informative presentation of your college.
Press the Ctrl + N Keys. OR choose Slide → New Slide from Menu bar.
OR
Click on the New Slide icon on the Standard Toolbar.

Step 2: Specify the background image. OR background colour.
Now First Choose Slide Menu → Click on Insert Menu → Click on Image Submenu (inserting college Image with information )

Step 3: Click on Insert Menu → Click on Chart Option.

Step 4: Click on object presentation → from slide bar select Custom Animation each object → Choose category, effect, duration, direction, etc.

Step 5: Click on Press F5 function key for slide show
OR
Select slide menu → Start from the first Slide from the menu bar.
OR
Click on the start from the first slide Icon on the standard Conclusion: After Completing this practical students will be known how to create an informative presentation, custom animation & slide transition effect using Libre Office Impress.

Maharashtra Board Class 12 Hindi व्याकरण

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 12th Digest व्याकरण Notes, Questions and Answers.

Maharashtra State Board 12th Hindi परिशिष मुहावरे

Maharashtra Board Class 12 Hindi व्याकरण अलंकार

का साधारण अर्थ आभूषण होता है। जिस प्रकार आभूषणों से शरीर की सुंदरता में वृद्धि होती है, उसी प्रकार जिन उपकरणों से काव्य में सौंदर्य उत्पन्न होता है, उन्हें अलंकार कहते हैं। अलंकार काव्य में शब्दों एवं अर्थों की सुंदरता में वृद्धि करके चमत्कार पैदा करते हैं। इनके कारण काव्य की भाषा में निखार उत्पन्न होता है।

साहित्य में शब्द और अर्थ दोनों का महत्त्व होता है। इस आधार पर अलंकार के मुख्य रूप से तीन भेद माने जाते हैं :

  1. शब्दालंकार
  2. अर्थालंकार
  3. उभयालंकार।

कक्षा ग्यारहवीं में हमने शब्दालंकार का अध्ययन किया था। यहाँ हम अर्थालंकार का अध्ययन करेंगे।

अर्थालंकार : जहाँ शब्दों के अर्थ से चमत्कार स्पष्ट होता है, वहाँ अर्थालंकार माना जाता है।

अर्थालंकार के भेद :
अर्थालंकार के पाँच प्रकार होते हैं :

  1. रूपक अलंकार
  2. उपमा अलंकार
  3. उत्प्रेक्षा अलंकार
  4. अतिशयोक्ति अलंकार
  5. दृष्टांत अलंकार।

1) रूपक अलंकार : जहाँ उपमेय पर उपमान का आरोप होता है, वहाँ रूपक अलंकार होता है। आरोप का अर्थ है, एक वस्तु के साथ दूसरी वस्तु को इस प्रकार रखा जाए कि दोनों अभिन्न मालूम हों। अर्थात् दोनों एकरूप मालूम हों। इस अलंकार में उपमेय और उपमान को एकरूप बना दिया जाता है।

जैसे –
चरण कमल बंदौं हरिराई।
यहाँ भगवान के चरणों (उपमेय) में कमल (उपमान) का आरोप हुआ है।

अथवा
उदित उदय गिरि मंच पर
रघुबर बाल पतंग।
प्रस्तुत दोहे में ‘उदय गिरि’ का ‘मंच’ पर तथा ‘बाल पतंग’ का ‘रघुबर’ पर आरोप किया गया है।
अतः यहाँ रूपक अलंकार है।

(2) उपमा अलंकार : उपमा का अर्थ है समता अथवा तुलना।

जहाँ स्वभाव, गुण, धर्म, रूप, रंग अथवा आकार आदि की समानता के आधार पर एक वस्तु की दूसरी प्रसिद्ध वस्तु के साथ तुलना है की जाती है, अर्थात् जहाँ उपमेय की तुलना उपमान से की जाती है, वहाँ उपमा अलंकार उत्पन्न होता है। जैसे –

  • पीपर पात सरिस मन डोला।
  • चरण-कमल-सम कोमल।
  • राधा वदन चंद सो सुंदर।

यहाँ मन की तुलना पीपर के पात से, चरण की तुलना कोमल कमल से तथा राधा के वदन की तुलना चंद्रमा से की गई है। इसलिए यहाँ उपमा अलंकार है।

(3) उत्प्रेक्षा अलंकार : उत्प्रेक्षा का अर्थ है – उत् + प्र + ईच्छा। अर्थात् प्रकट रूप से देखना। यहाँ देखने का अर्थ है संभावना करना।

जहाँ पर उपमेय में उपमान की संभावना प्रकट की जाए या उपमेय को ही उपमान मान लिया जाए, वहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार होता है।

इस अलंकार में मानो, जानो, जनु-जानहुँ, मनु-मानहुँ, इव जैसे शब्दों का प्रयोग किया जाता है। जैसे –
(1) कहती हुई यों उत्तरा के नेत्र जल से भर गए।
हिम के कणों से पूर्ण मानो हो गए पंकज नए।

इन पंक्तियों में उत्तरा के अश्रुपूर्ण नेत्रों (उपमेय) में ओस जलकण युक्त पंकज (उपमान) की संभावना की गई है।

(2) सोहत ओढ़े पीत पट, श्याम सलोने गात। है
मनो नीलमणि शैल पर, आतप पर्यो प्रभात।।

इस दोहे में उपमेय पीताम्बर ओढ़े हुए श्याम वर्ण के श्रीकृष्ण हैं और उपमान नीलमणि के पर्वत पर पड़ने वाली प्रातःकालीन धूप है। ‘मनो’ शब्द का प्रयोग कर उपमान की उपमेय में संभावना व्यक्त की गई है।

(3) सखि सोहत गोपाल के, उर गुंजन की माल।
बहार लसत मनो पिए, दावानल की ज्वाल।।
यहाँ गुंजा की माला (उपमेय) में दावानल की ज्वाला (उपमान) की संभावना होने से उत्प्रेक्षा अलंकार है।

(4) अतिशयोक्ति अलंकार : जहाँ किसी वस्तु का वर्णन इतना बढ़ा-चढ़ाकर किया जाए कि वह लोक सीमा को पार कर जाए, है वहाँ अतिशयोक्ति अलंकार होता है। जैसे –

(1) जेहि बर बाजि राम असवारा।
तेहि सारद हुँ न बरनै पारा॥

यहाँ यह कह गया है कि जिस उत्तम घोड़े पर श्रीराम सवार हैं, उसका वर्णन सरस्वती जी भी नहीं कर सकतीं। यह बात बहुत बढ़ा-चढ़ाकर कही गई है। इसलिए यहाँ अतिशयोक्ति अलंकार है।

(2) हनूमान की पूँछ में, लग न पाई आग।
लंका सारी जल गई, गए निशाचर भाग।।

यहाँ भी बात को बहुत बढ़ा-चढ़ाकर कहा गया है। अतः यहाँ भी अतिशयोक्ति अलंकार है।

(3) वह शर इधर गांडीव गुण से, भिन्न जैसे ही हुआ।
धड़ से जयद्रथ का इधर सिर, छिन्न वैसे ही हुआ।

इन पंक्तियों में कहा गया है कि गांडीव धनुष से बाण जैसे ही छूटा, तभी जयद्रथ का सिर धड़ से अलग हो गया। यहाँ भी बात को बढ़ा-चढ़ाकर कहा गया है।

(5) दृष्टांत अलंकार : दृष्टांत का अर्थ है उदाहरण। जब किसी बात की सत्यता को प्रमाणित करने के लिए उसी प्रकार की कोई दूसरी बात कही जाती है, जिससे पूर्व कथन की प्रामाणिकता सिद्ध हो जाए, तो वहाँ दृष्टांत अलंकार होता है। दृष्टांत में दो स्वतंत्र वाक्य रहते हैं। दोनों के अर्थ एक जैसे होते हैं। जैसे –

करत-करत अभ्यास के, जड़ मति होत सुजान।
रसरी आवत जात से, सिल पर परत निसान॥

यहाँ अभ्यास करते-करते निर्बुद्धि व्यक्ति का प्रवीण होना वैसा ही है, जैसे रस्सी के आने-जाने से सिल (पत्थर की पटिया) पर निशान पड़ना। यहाँ पहले वाक्य की सच्चाई सिद्ध करने के लिए दृष्टांत रूप में दूसरा वाक्य आया है। इस प्रकार यहाँ दृष्टांत अलंकार है।

कृति-स्वाध्याय एवं उत्तर

प्रश्न. निम्नलिखित पंक्तियों में उद्धृत अलंकार पहचानकर उसका नाम लिखिए :

प्रश्न 1.
पायोजी मैंने राम रतन धन पायो।
उत्तर :
रूपक अलंकार।

प्रश्न 2.
सोहत ओढ़े पीत पट, श्याम सलोने गात।
मनो नीलमनि शैल पर, आतप पर्यो प्रभात।।
उत्तर :
उत्प्रेक्षा अलंकार।

प्रश्न 3.
सबै सहायक सबल के, कोउ न निबल सहाय।
पवन जगावत आग ही, दीपहिं देत बुझाय।।
उत्तर :
दृष्टांत अलंकार।

प्रश्न 4.
पड़ी अचानक नदी अपार
घोड़ा उतरे कैसे पार।।
राणा ने सोचा इस पार।
तब तक चेतक था उस पार।।
उत्तर :
अतिशयोक्ति अलंकार।

प्रश्न 5.
जियु बिनु देह, नदी बिनु वारी।
तैसे हि अनाथ, पुरुष बिनु नारी।।
उत्तर :
उपमा अलंकार।

प्रश्न 6.
झूठे जानि न संग्रही, मन मुँह निकसै बैन।
याहि ते मानहुँ किए, बातनु को बिधि नैन।।
उत्तर :
उत्प्रेक्षा अलंकार।

प्रश्न 7.
राधा-वदन चंद सो सुंदर।
उत्तर :
उपमा अलंकार।

प्रश्न 8.
चरण-सरोज पखारन लागा।
उत्तर :
रूपक अलंकार।

प्रश्न 9.
मोती की लड़ियों से सुंदर, झरते हैं झाग भरे निर्झर।
उत्तर :
उपमा अलंकार।

प्रश्न 10.
उस क्रोध के मारे, तनु उसका काँपने लगा।
मानो हवा के जोर से, सोता हुआ सागर जगा।।
उत्तर :
उत्प्रेक्षा अलंकार।

प्रश्न. निम्नलिखित अलंकारों से युक्त पंक्तियाँ लिखिए :

प्रश्न 1.
उपमा अलंकार :
उत्तर :
ऊँची-नीची सड़क, बुढ़िया के कूबड़-सी।
नंदनवन-सी फूल उठी, छोटी सी कुटिया मेरी।।

प्रश्न 2.
दृष्टांत अलंकार :
उत्तर :
एक म्यान में दो तलवारें, कभी नहीं रह सकती हैं।
किसी और पर प्रेम पति का, नारियाँ नहीं सह सकती हैं।

प्रश्न 3.
रूपक अलंकार :
उत्तर :
उधो, मेरा हृदयतल था, एक उद्यान न्यारा।
शोभा देती अमित उसमें, कल्पना-क्यारियाँ भी।।

प्रश्न 4.
अतिशयोक्ति अलंकार :
उत्तर :
पत्रा ही तिथि पाइयो, वाँ घर के चहुँ पास।
नित प्रति पून्यो ही रह्यो, आनन ओप उजास।।

प्रश्न 5.
उत्प्रेक्षा अलंकार :
उत्तर :
लता पवन ते प्रगट भए, ते हि अवसर दोउ भाइ।
निकसे जनु जुग विमल बिंधु, जलद पटल बिलगाइ।।

प्रश्न 6.
रूपक अलंकार :
उत्तर :
सिंधु-सेज पर धरा-वधू।
अब तनिक संकुचित बैठी-सी।।

प्रश्न 7.
उत्प्रेक्षा अलंकार :
उत्तर :
सोहत ओढ़े पीत पट, श्याम सलोने गात।
मनो नीलमनि शैल पर, आतम पर्यो प्रभात।।

प्रश्न 8.
अतिशयोक्ति अलंकार :
उत्तर :
हनुमंत की पूँछ में, लग न पाई आग।
लंका सारी जल गई, गए निशाचर भाग।।

प्रश्न 9.
रूपक अलंकार :
उत्तर :
उदित उदय गिरि मंच पर।
रघुबर बाल पतंग।।

प्रश्न 10.
उत्प्रेक्षा अलंकार :
उत्तर :
कहती हुई यों उत्तरा के नेत्र जल से भर गए।
हिम के कणों से पूर्ण मानो हो गए पंकज नए।।

प्रश्न 11.
अतिशयोक्ति अलंकार :
उत्तर :
जेहि बर बाजि राम असवारा।
तेहि सारद हुँ न बरनै पारा।।

प्रश्न 12.
उत्प्रेक्षा अलंकार :
उत्तर :
सखि सोहत गोपाल के, उर गुंजन की माल।
बहार लसत मनो पिए, दावानल की ज्वाल।।

Maharashtra Board Class 12 Hindi व्याकरण रस

मनुष्य के हृदय में अनेक प्रकार के भाव मौजूद रहते हैं। इन भावों को विभिन्न नामों से जाना जाता है। कविता को पढ़ने-सुनने अथवा नाटक आदि को देखने से हृदय में मौजूद ये भाव जाग्रत होकर आनंद प्रदान करते हैं। यह आनंद अलौकिक होता है। इस आनंद को ही ‘रस’ कहा जाता है। विभाव, अनुभाव, व्यभिचारी (संचारी) भाव और स्थायी भाव रस के अंग हैं। इन अंगों (तत्त्वों ) के संयोग से रस उत्पन्न होता है। रस को काव्य की आत्मा माना जाता है। साहित्य में शृंगार रस, शांति रस, करुण रस, हास्य रस, वीर रस, रौद्र रस, भयानक रस, वीभत्स रस, अद्भुत रस आदि नौ रस माने गए हैं। कालांतर में इनमें वात्सल्य एवं भक्ति रसों को भी शामिल किया गया।

इन सभी रसों के स्थायी भाव होते हैं। शृंगार का स्थायी भाव प्रेम है। शांत का शांति, करुण का शोक, हास्य का हास, वीर का उत्साह, रौद्र का क्रोध, भयानक का भय, वीभत्स का घृणा, अद्भुत का आश्चर्य, वात्सल्य का ममत्व तथा भक्ति का भक्ति स्थायी भाव है।

कक्षा ग्यारहवीं में हमने इन ग्यारह रसों में से करुण रस, हास्य रस, वीर रस, भयानक रस और वात्सल्य रस के लक्षण और उनके उदाहरणों का अध्ययन किया है। यहाँ हम रौद्र रस, वीभत्स रस, अद्भुत रस, शृंगार रस, शांत रस तथा भक्ति रस आदि शेष रसों का अध्ययन करेंगे।

(1) रौद्र रस : जहाँ शत्रु की ललकार, गुरुजनों एवं वरिष्ठ जनों के प्रति निंदात्मक अथवा अपमानजनक व्यवहार तथा किसी के असह्य वचन आदि से मन में मौजूद क्रोध का भाव जाग्रत हो जाता है, तब रौद्र रस उत्पन्न होता है। इस रस की अभिव्यंजना असह्य व्यवहार के प्रतिशोध के रूप में होती है।

उदाहरण :
श्रीकृष्ण के सुन वचन अर्जुन क्रोध से जलने लगे।
सब शोक अपना भूलकर, करतल युगल मलने लगे।
संसार देखे अब हमारे शत्रु रण में मृत पड़े।
करते हुए यह घोषणा, वे हो गए उठकर खड़े।
उस काल मारे क्रोध के, तन काँपने उनका लगा।
मानो हवा के जोर से सोता हुआ सागर जगा।

(2) वीभत्स रस : घृणित वस्तुएँ अथवा दृश्यों को देखने-सुनने तथा अरुचिकर, अप्रिय वस्तुओं के वर्णन से मन में जो क्षोभ होता है, उसे घृणा कहते हैं। यही घृणा वीभत्स रस में बदल जाती है।
उदाहरण :
सिर पर बैठ्यो काग, आँख दोउ खात निकारत।
खींचत जीभहिं स्यार अतिहिं आनंद उर धारत।
गिद्ध जाँघ को खोदि-खोदि कै माँस उपारत,
स्वान आँगुरिन काटि-काटि कै, खात बिदारत।

(3) अद्भुत रस : जहाँ किसी आश्चर्यजनक या अलौकिक क्रियाकलाप अथवा किसी वस्तु-दृश्य को देखकर हृदय में विस्मय अथवा आश्चर्य का भाव उत्पन्न होता है, वहाँ अद्भुत रस की व्यंजना होती है।
उदाहरण:
(1) लीन्हों उखारि पहार बिसाल, चल्यो तेहि काल, विलंब न लायौ।
मारुतनंदन मारुत को, मन को, खगराज को बेग लजायो।
तीखी तुरा तुलसी कहतो, पै हिए उपमा को समाउ न आयो।
मानो प्रतच्छ परब्बत की नभ लोक लसी कपि यों धुकि धायो।

(2) बिनु पग चलै, सुनै बिनु काना।
कर बिनु कर्म करे विधि नाना।
आनन रहित सकल रस भोगी।
बिनु बाणी वक्ता, बड़ जोगी।

(4) शृंगार रस : जहाँ स्त्री-पुरुष की प्रेमपूर्ण चेष्टाओं या क्रियाकलापों का शृंगारिक वर्णन होता है, वहाँ शृंगार रस की उत्पत्ति होती है।
उदाहरण :
दूलह श्री रघुनाथ बने, दुलही सिय सुंदर मंदिर माही।
गावत गीत सबै मिलि सुंदरि, वेद वहाँ जुरि विप्र पढ़ाहीं।
राम को रूप निहारति जानकी, कंकन के नग की परछाहीं।
याते सबै सुधि भूलि गई, कर टेकि रही पल टारत नाहीं।

(5) शांत रस : जहाँ भक्ति, नीति, ज्ञान, वैराग्य, धर्म, दर्शन तत्त्व ज्ञान अथवा सांसारिक नश्वरता संबंधी बातों का वर्णन होता हो, वहाँ शांत रस उत्पन्न होता है। ज्ञान होने अथवा मन में वैराग्य उत्पन्न होने पर मन में ऐसे भाव जाग्रत होते हैं।

उदाहरण:
(1) मन पछतैहैं अवसर बीते।
दुरलभ देह पाइ हरिपद भजु, करम वचन अरु होते।
सहसबाहु, दसवदन आदि नृप, बचे न काल बली ते।
हम हम करि धन धाम सँवारे अंत चले उठि रीते।
सुत बनितादि जानि स्वारथ रत न करु नेह सबही ते।

(2) माला फेरत जुग गया, गया न मन का फेर।
कर का मनका डारि कै, मन का मनका फेर।

(6) भक्ति रस : जहाँ मन में ईश्वर अथवा अपने किसी इष्ट है देव के प्रति श्रद्धा, अलौकिकता, स्नेह तथा विनयशीलता का भाव उत्पन्न होता है, वहाँ भक्ति रस की व्यंजना होती है।
उदाहरण :
समदरसी है नाम तिहारो, सोई पार करो।
एक नदिया इक नार कहावत, मैलो नीर भरो।
एक लोहा पूजा में राखत, एक घर बधिक परो,
सो सुविधा पारस नहीं जानत, कंचन करत खरो।

प्रश्न. निम्नलिखित पंक्तियों में उद्धृत रस पहचानकर उसका नाम लिखिए :
(1) माटी कहै कुम्हार से, तू क्या रौंदे मोह।
एक दिन ऐसा आएगा, मैं रौंदूंगी तोह।।
उत्तर :
शांत रस।

(2) एक अचंभा देखा रे भाई।
ठाढ़ा सिंह चरावै गाई।।
पहले पूत पाछे भाई।
चेला के गुरु लागे पाई।।
उत्तर :
अद्भुत रस।

(3) कहा-कैकेयी ने सक्रोध।
दूर हट! दूर हट! निर्बोध!
द्वि जिव्हे रस में विष मत घोल।
उत्तर :
रौद्र रस।

(4) कहुँ श्रृगाल उड़ि मृतक अंग पर घात लगावत।
कहुँ कोउ शव पर बैठि गिद्ध चहुँ चोंच चलावत।
जहँ-तहँ मज्जा मांस रुधिर लखि परत बगारे,
जित तित छिटके हाँड़, सेत कहुँ कहुँ रतनारे।
उत्तर :
वीभत्स रस।

(5) कहत, नटत, रीझत, खिझत, मिलत, खिलत, लजियात।
भरे मौन में करत हैं, नैननु ही सौं बात।।
उत्तर :
शृंगार रस।

(6) तू दयालु दीन हौं, तू दानि हौं भिखारी।
हौं प्रसिद्ध पातकी, तू पाप पुंज हारी।।
उत्तर :
भक्ति रस।

Maharashtra Board Class 12 Hindi व्याकरण मुहावरे

मुहावरा क्या है?
जब कोई शब्द-समूह अपने मूल या सामान्य अर्थ को छोड़कर किसी विशिष्ट या लाक्षणिक अर्थ में प्रचलित हो जाता है, तो उसे ‘मुहावरा’ कहते हैं।

मुहावरों का जन्म लोकजीवन में होने वाली आम बातचीत से है हुआ है। कभी-कभी लोग कोई बात लाक्षणिक भाषा में कहते हैं। यही बात धीरे-धीरे मुहावरे का रूप धारण कर लेती है। इनके प्रयोग से भाषा में सजीवता आती है। एक मुहावरा उतना कह देता है, . जितना हम लंबी-चौड़ी भूमिका बाँधकर भी नहीं कह सकते।

मुहावरों में प्रायः शरीर के अंगों, प्राकृतिक वस्तुओं या अन्य , पदार्थों का उल्लेख होता है। ऊपरी तौर पर इनका अर्थ अटपटा और निरर्थक प्रतीत होता है, परंतु इनसे जो लाक्षणिक अर्थ निकलता है,

वह महत्त्वपूर्ण होता है। उसी के कारण भाषा सजीव, प्रवाही एवं आकर्षक बनती है। जैसे – ‘तुम तो बस दिनभर दूसरों की टोपी उतारते रहते हो।’ यहाँ टोपी उतारने का अर्थ ‘सिर से टोपी उतारना’ नहीं है, बल्कि ‘दूसरों की बेइज्जती करना’ है।

इसी प्रकार ‘उसने पेट काट-काटकर धन जोड़ा है।’ इस वाक्य – में पेट काटना’ शब्द का प्रयोग सामान्य अर्थ में नहीं हुआ है। – यहाँ ‘पेट काटने’ का मतलब ‘बहुत किफायत करके या मुश्किल से’ होता है।

तुलनात्मक अध्ययन के लिए यहाँ कुछ सामान्य वाक्य और मुहावरों से युक्त वाक्य साथ-साथ दिए गए हैं। इनके अभ्यास द्वारा विद्यार्थियों को मुहावरों के स्वरूप और प्रयोग का अच्छा ज्ञान हो जाएगा।

सामान्य कथन

  • गुंडे को पकड़ने में पुलिस को बड़ी कठिनाई हुई। – मुहावरों का प्रयोग गुंडे को पकड़ने में पुलिस के दाँतों पसीना आ गया।
  • भारतीय क्रिकेट टीम की विजय से मुझे बड़ा आनंद हुआ। – भारतीय क्रिकेट टीम की विजय से मेरा दिल उछल पड़ा।
  • बहुत समझाने पर भी वह विचलित नहीं हुआ। – बहुत समझाने पर भी वह टस से मस नहीं हुआ।
  • मजदर अपना दःख मन में ही दबाकर रह गया। – मजदूर कलेजा थामकर रह गया।
  • बेटे के बारे में शिकायत सुनकर पिता को बड़ा क्रोध आया। – बेटे के बारे में शिकायत सुनकर पिता के माथे पर बल पड़ गए।

इन उदाहरणों से स्पष्ट होता है कि मुहावरों के प्रयोग द्वारा किसी सीधी-सादी बात को विशिष्ट ढंग से कैसे कहा जा सकता है।

मुहावरों का सार्थक वाक्यों में प्रयोग : मुहावरे सीधे-सादे कथनों को विशिष्ट ढंग से प्रस्तुत करते हैं। इसलिए मुहावरों का वाक्यों में प्रयोग करते समय उनसे सूचित होने वाले अर्थ को ठीक से समझ लेना चाहिए।

मुहावरों का महत्त्व : मुहावरों के उचित प्रयोग से भाषा की सुंदरता और कलात्मकता बढ़ जाती है। इनका सटीक प्रयोग भाषा को जानदार बना देता है। इनके कारण भाषा शक्तिशाली बनती है और उसके सामर्थ्य में वृद्धि होती है। मुहावरेदार भाषा अधिक मार्मिक होती है।

मुहावरों के सही प्रयोग से भाषा समृद्ध बनती है। इनके प्रयोग से बातचीत में चार चाँद लग जाते हैं। इसलिए यह आवश्यक है कि मुहावरों का सही ज्ञान हो और उनका प्रयोग उचित ढंग से हो। इनका गलत या अनुचित प्रयोग भाषा के सौंदर्य को नष्ट करता है और प्रयोगकर्ता को उपहास का पात्र बना देता है।

यहाँ अर्थ और वाक्य प्रयोग के साथ पाठ्यपुस्तक में दिए गए मुहावरे दिए गए हैं। इन्हें ध्यानपूर्वक पढ़िए और याद रखिए।

मुहावरे और वाक्य प्रयोग
निर्देश : हर एक पाठ/कविता में विविध मुहावरें अर्थ और वाक्य प्रयोग के साथ दिए गए है। विद्यार्थी वहाँ से पढ़ें।

Maharashtra Board Class 12 Hindi व्याकरण काल परिवर्तन

काल : क्रिया के जिस रूप से समय का बोध होता है, उसे ‘काल’ कहते हैं। जैसे – खाता है, खाया, खाएगा आदि।

काल तीन प्रकार के होते है –

  1. वर्तमानकाल
  2. भूतकाल
  3. भविष्यकाल।

(1) वर्तमानकाल : क्रिया के जिस रूप से किसी कार्य के वर्तमान समय में होने का बोध होता है, उसे वर्तमानकाल कहते हैं। जैसे –

  • एक रागी साधु आया है, जो बाजारों में गा रहा है।
  • बच्चे की गलती क्षमा के योग्य है।

(2) भूतकाल : क्रिया के जिस रूप से किसी कार्य के बीते हुए समय में होने की जानकारी मिलती है, उसे भूतकाल कहते हैं। जैसे –

  • मौसी अपने गाँव की ही नहीं, बल्कि पूरे इलाके की आदर्श बेटी बन गई थीं।
  • मौसी कुछ नही बोल रही थीं।

(3) भविष्यकाल : क्रिया के जिस रूप से किसी काम के भविष्य में होने का बोध होता है, उसे भविष्यकाल कहते हैं। जैसे –

  • मैं साँप को जीता नहीं छोडगा – पीस डालूँगा।
  • मैं आपकी हर आज्ञा का सिर झुकाकर पालन करूँगा।

(क) सामान्य वर्तमानकाल : क्रिया के जिस रूप से यह मालूम होता है कि कार्य बोलते या लिखते समय होता है, उसे सामान्य वर्तमानकाल कहते हैं। सामान्य वर्तमानकाल से इस बात का पता नहीं चलता कि क्रिया पूर्ण हुई अथवा अपूर्ण रही है। जैसे –

  • मैं प्रतिज्ञा करता हूँ।
  • शिष्य गुरु का ख्याल रखता है।

(ख) सामान्य भूतकाल : क्रिया के जिस रूप से केवल यह मालूम होता है कि कार्य बोलते या लिखते समय समाप्त हुआ, उसे सामान्य भूतकाल कहते हैं। सामान्य भूतकाल से इस बात का बोध नहीं होता कि क्रिया बहुत समय पहले पूर्ण हुई अथवा अपूर्ण रही है। जैसे –

  • पेड़ ने अमरूद नहीं टपकाए।
  • अगले रोज चिड़ियाघर के लोग आए।

(ग) सामान्य भविष्यकाल : क्रिया के जिस रूप से यह मालूम होता है कि कार्य आने वाले समय में होगा, उसे सामान्य भविष्यकाल कहते हैं। जैसे –

  • मैं इस राग विद्या से किसी को हानि नहीं पहुँचाऊँगा।
  • आपका उपकार जन्मभर सिर से न उतरेगा।

(अ) सामान्य कालों के रूप

बहुत्व को स्पष्ट करने के लिए द्वितीय पुरुष बहुवचन के रूपों के साथ ‘लोग’ शब्द का भी प्रयोग होता है।

जैसे –

  • तुम लोग फल खाते हो।
  • आप लोग फल खाते हैं।

(ब) अपूर्ण वर्तमानकाल और अपूर्ण भूतकाल अपूर्ण वर्तमानकाल : क्रिया के जिस रूप से यह बोध होता हो कि क्रिया वर्तमानकाल में जारी है, पूर्ण नहीं हुई है, अर्थात् अपूर्ण है, उसे अपूर्ण वर्तमानकाल की क्रिया कहते हैं।

जैसे –

  • मैं अपने मित्र से मिल रहा हूँ।
  • विद्यार्थी आपस में बातें कर रहे हैं।

अपूर्ण भूतकाल : क्रिया के जिस रूप से यह बोध होता हो कि क्रिया भूतकाल में आरंभ हुई, पर बोलने वाले या लिखने वाले का जिस समय पर संकेत है, उस समय तक समाप्त नहीं हुई, अर्थात् वह अपूर्ण है, उसे अपूर्ण भूतकाल की क्रिया कहते हैं।

जैसे –

  • उसके सास-ससुर उसे बधाई दे रहे थे।
  • उन सबकी आँखों से स्नेह का भाव झट रहा था।

अपूर्ण वर्तमानकाल और अपूर्ण भूतकाल के रूप इस प्रकार होते हैं :

(क) पूर्ण वर्तमानकाल और पूर्ण भूतकाल
पूर्ण वर्तमानकाल : क्रिया के जिस रूप से यह बोध होता हो कि जो कार्य भूतकाल में आरंभ हुआ था वह वर्तमानकाल में समाप्त हो गया है, उसे पूर्ण वर्तमानकाल की क्रिया कहते हैं।

सामान्य भूतकाल की क्रिया + ‘होना’ क्रिया का वर्तमानकाल का उचित रूप = पूर्ण वर्तमानकाल की क्रिया।

  • (मैं आपके पैसे) लाया + हूँ = मैं आपके पैसे लाया हूँ।
  • (मैंने पाठ) पढ़ा + है = मैंने पाठ पढ़ा है।

पूर्ण भूतकाल : क्रिया के जिस रूप से यह बोध होता हो कि क्रिया बहुत पहले समाप्त हो चुकी है, निकट भूतकाल में नहीं, उसे पूर्ण भूतकाल की क्रिया कहते हैं।

सामान्य भूतकाल की क्रिया + ‘होना’ क्रिया का भूतकाल का उचित रूप = पूर्ण भूतकाल की क्रिया।

  • (उन्होंने) कहा + था = उन्होंने कहा था।
  • (मैंने छुट्टी) माँगी + थी = मैंने छुट्टी माँगी थी।

पूर्ण वर्तमानकाल और पूर्ण भूतकाल के रूप इस प्रकार होते हैं :

प्रश्न. निम्नलिखित वाक्यों का कोष्ठक में दी गई सूचनाओं के अनुसार काल परिवर्तन करके वाक्य फिर से लिखिए:

प्रश्न 1.
निराला जी अपने शरीर, जीवन और साहित्य सभी में असाधारण हैं। (पूर्ण भूतकाल)
उत्तर :
निराला जी अपने शरीर, जीवन और साहित्य सभी में असाधारण थे।

प्रश्न 2.
हर एक राही को भटककर दिशा मिलती है। (अपूर्ण वर्तमानकाल)
उत्तर :
हर एक राही को भटककर दिशा मिल रही है।

प्रश्न 3.
वह पंथ भूलकर भी नहीं रुकता। (सामान्य भविष्यकाल)
उत्तर :
वह पंथ भूलकर भी नहीं रुकेगा।

प्रश्न 4.
प्रकाश की किरणें संसार पर नवीन जीवन की वर्षा कर रही थीं। (सामान्य वर्तमानकाल)
उत्तर :
प्रकाश की किरणें संसार पर नवीन जीवन की वर्षा करती हैं।

प्रश्न 5.
मेरी आँखें दूसरों की मौत को देखने के लिए हर समय तैयार (अपूर्ण भूतकाल)
उत्तर :
मेरी आँखें दूसरों की मौत को देखने के लिए हर समय तैयार रहती थीं।

प्रश्न 6.
श्रद्धा भक्त की सबसे बड़ी भेंट होगी। (पूर्ण भूतकाल)
उत्तर :
श्रद्धा भक्त की सबसे बड़ी भेंट थी।

प्रश्न 7.
दिन-रात महान आरती होती है। (सामान्य भूतकाल)
उत्तर :
दिन-रात महान आरती हुई।

प्रश्न 8.
कोयल आम का स्वाद लेती है। (अपूर्ण वर्तमानकाल)
उत्तर :
कोयल आम का स्वाद ले रही है।

प्रश्न 9.
काठ की हाँड़ी दुबारा नहीं चढ़ेगी। (सामान्य वर्तमानकाल)
उत्तर :
काठ की हाँड़ी दुबारा नहीं चढ़ती।

प्रश्न 10.
शॉ के इन शब्दों में अहंकार की पैनी धार है। (सामान्य भविष्यकाल)
उत्तर :
शॉ के इन शब्दों में अहंकार की पैनी धार होगी।

प्रश्न 11.
सुधारक का सत्य निंदा की रगड़ से और भी प्रखर हो जाता है। (अपूर्ण भूतकाल)
उत्तर :
सुधारक का सत्य निंदा की रगड़ से और भी प्रखर हो रहा था।

प्रश्न 12.
कौन बहिन हम जैसे भुक्खड़ को भाई बनाएगी। (सामान्य वर्तमानकाल)
उत्तर :
कौन बहिन हम जैसे भुक्खड़ को भाई बनाती है।

प्रश्न 13.
वे सभी धर्मों को समान दृष्टि से देखते थे। (सामान्य वर्तमानकाल)
उत्तर :
वे सभी धर्मों को समान दृष्टि से देखते हैं।

प्रश्न 14.
आईना भला-बुरा बता देता है। (अपूर्ण भूतकाल)
उत्तर :
आईना भला-बुरा बता रहा था।

प्रश्न 15.
मैं अपनी खिड़की के पास बैठकर निहारा करता था। (अपूर्ण वर्तमानकाल)
उत्तर :
मैं अपनी खिड़की के पास बैठकर निहारा करता हूँ।

प्रश्न 16.
वह पेड़ सीधा नहीं, टेढ़ा पड़ा है। (सामान्य भविष्यकाल)
उत्तर :
वह पेड़ सीधा नहीं, टेढ़ा पड़ा होगा।

प्रश्न 17.
ये बातें बेटा-बेटी के लिए समान रूप से लागू होती हैं। (पूर्ण भूतकाल)
उत्तर :
ये बातें बेटा-बेटी के लिए समान रूप से लागू हुई थीं।

प्रश्न 18.
वे फल हमारे किसी काम के नहीं होंगे। (सामान्य वर्तमानकाल)
उत्तर :
वे फल हमारे किसी काम के नहीं होते हैं।

प्रश्न 19.
हमें सँभलकर बात करनी होगी और सूझबूझ से बात सँभालनी होगी। (पूर्ण वर्तमानकाल)
उत्तर :
हमें सँभलकर बात करनी है और सूझबूझ से बात सँभालनी है।

प्रश्न 20.
चट्टानों पर फूल खिलाना हमको आता है। (पूर्ण भूतकाल)
उत्तर :
चट्टानों पर फूल खिलाना हमें आया था।

प्रश्न 21.
विकास की इस दौड़ में जाने-अनजाने हमने अनेक विसंगतियों को जन्म दिया है। (सामान्य भविष्यकाल)
उत्तर :
विकास की इस दौड़ में जाने-अनजाने हम अनेक विसंगतियों को जन्म देंगे।

प्रश्न 22.
फिलहाल यहाँ हम पर्यावरणीय प्रदूषण के सिर्फ एक पहलू की चर्चा कर रहे हैं। (अपूर्ण भूतकाल)
उत्तर :
फिलहाल यहाँ हम पर्यावरणीय प्रदूषण के सिर्फ एक पहलू की चर्चा कर रहे थे।

प्रश्न 23.
वृद्धाश्रम के प्रबंधक का फोन सुनकर मैं अवाक रह गया। (सामान्य भविष्यकाल)
उत्तर :
वृद्धाश्रम के प्रबंधक का फोन सुनकर मैं अवाक रह जाऊँगा।

प्रश्न 24.
मौसा एक-से-एक बड़े पद पर रहकर भारत सरकार के वित्त सचिव के पद से रिटायर हुए थे। (पूर्ण वर्तमानकाल)
उत्तर :
मौसा एक-से-एक बड़े पद पर रहकर भारत सरकार के वित्त सचिव के पद से रिटायर हुए हैं।

प्रश्न 25.
सावन-भादों के महीने में प्रकृति का सुंदर और मनमोहक दृश्य चारों ओर दिखाई देता है। (अपूर्ण वर्तमानकाल)
उत्तर :
सावन-भादों के महीने में प्रकृति का सुंदर और मनमोहक दृश्य चारों ओर दिखाई दे रहा है।

प्रश्न 26.
लोकगीतों में गेयता तत्त्व प्रमुखता से पाया जाता है। (सामान्य भविष्यकाल)
उत्तर :
लोकगीतों में गेयता तत्त्व प्रमुखता से पाया जाएगा।

Maharashtra Board Class 12 Hindi व्याकरण वाक्य शुद्धिकरण

भाषा में शुद्धता का बहुत महत्त्व है। भाषा की कृतिपत्रिका में भाषा की शुद्धता पर विशेष ध्यान दिया जाता है। प्रश्न का उत्तर भले ही सही हो, परंतु उसमें भाषा संबंधी अशुद्धियाँ हों, तो पूरे अंक नहीं मिलते। इसलिए अच्छे अंक पाने के लिए यह जरूरी है कि भाषा में व्याकरण संबंधी दोष न हों। प्रश्नों के उत्तर विषयवस्तु की दृष्टि से ही नहीं, भाषा की दृष्टि से भी शुद्ध हों।

भाषा में विभिन्न कारणों से सामान्य गलतियाँ हो जाया करती हैं। इसलिए प्रश्नों के उत्तर लिखते समय इन बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है।

यहाँ लिखते समय वाक्यों में होने वाली कुछ गलतियों के बारे में बताया गया है। इन्हें ध्यानपूर्वक पढ़िए और प्रश्नों के उत्तर लिखते समय इस प्रकार की गलतियाँ करने से बचिए।

(1) गलत शब्दों का प्रयोग :

अशुद्ध वाक्य शुद्ध वाक्य
(1) यहाँ शुद्ध गाय का दूध मिलता है। यहाँ गाय का शुद्ध दूध मिलता है।
(2) तुकाराम एक महान साधु थे। तुकाराम एक महान संत थे।
(3) गंगा शुद्ध नदी है। गंगा पवित्र नदी है।
(4) ज्ञानेश्वरी एक पुस्तक है। ज्ञानेश्वरी एक ग्रंथ है।

(2) वर्तनी की भूलें : वर्तनी का अर्थ है शब्द के सही रूप का ज्ञान। शब्द का सही रूप न जानने से अर्थ का अनर्थ होता है। जैसे –

अशुद्ध वाक्य शुद्ध वाक्य
(1) पृथ्वी एक गृह है। पृथ्वी एक ग्रह है। (‘गृह’ का अर्थ घर होता है। ग्रह सूर्य से उत्पन्न एक पिंड है।)
(2) तुम जूठ बोलते हो। तुम झूठ बोलते हो। (खाना ‘जूठा’ होता है, बात जूठ नहीं, ‘झूठ’ होती है।)
(3) वाल्मीकि आदी कवि थे। वाल्मीकि आदि कवि थे। (आदी का अर्थ है – किसी अच्छी–बुरी चीज की लत (आदत) वाला। जबकि ‘आदि’ का अर्थ है – सबसे पहले।)
(4) वह बहुत सूखी है। वह बहुत सुखी है। (‘सूखी’ का अर्थ है – जो गीला या भीगा हुआ नहीं है, जबकि ‘सुखी’ का अर्थ है – सूख में रहने वाला।)

(3) भ्रमित करने वाले शब्द :
कुछ शब्दों की रचना एक-दूसरे से मिलती-जुलती होती है। जरा-सी असावधानी या अज्ञानता से ऐसे शब्दों के प्रयोग में गलती हो सकती है। –

अशुद्ध वाक्य शुद्ध वाक्य
(1) अपने माता-पिता से मेरा प्रमाण कहना। अपने माता पिता से मेरा प्रणाम कहना। (प्रमाण का अर्थ सबूत है, जबकि प्रणाम का अर्थ है ‘नमस्कार’।)
(2) आपसे मुझे यही उपेक्षा थी। आपसे मुझे यही अपेक्षा थी। (उपेक्षा का अर्थ अवहेलना है, जबकि अपेक्षा का अर्थ आशा है।)
(3) राकेश बगीचे की और गया है। राकेश बगीचे की ओर गया है। (और का अर्थ तथा है, जबकि ओर का अर्थ तरफ है।)

(4) अर्थ भेद से होने वाली भूलें :
एक शब्द के अलग-अलग भाषाओं में अलग-अलग अर्थ होते हैं। ऐसे शब्दों का प्रयोग समझकर करना चाहिए।

अशुद्ध वाक्य शुद्ध वाक्य
(1) पुलिस ने आरोपी को शिक्षा दी। पुलिस ने अपराधी को दंड दिया। (मराठी में दंड को शिक्षा कहते हैं।)
(2) उनके घड़ियाल की कीमत 50 हजार रुपए है। उनकी घड़ी की कीमत 50 हजार रुपए है। (गुजराती में घड़ी को घड़ियाल कहते हैं।)

(5) मातृभाषा के शब्दों का प्रयोग :
मराठी या गुजराती भाषी विद्यार्थी हिंदी लेखन में अपनी भाषा के शब्दों का प्रयोग कर देते हैं, जो अनुचित है।

अशुद्ध वाक्य शुद्ध वाक्य
(1) रोहित को भूक (मराठी) लगी है। रोहित को भूख लगी है।
(2) कुत्ते की पूछड़ी (गुजराती) टेढ़ी होती है। कुत्ते की पूँछ टेढ़ी होती है।
(3) वह घर पहोंच (गुजराती) गया। वह घर पहुँच गया।
(4) मदन के हात (मराठी) में क्या है? मदन के हाथ में क्या है?

(6) सर्वनाम के प्रयोग में होने वाली भूलें :

अशुद्ध वाक्य शुद्ध वाक्य
(1) वह लोग चले गए। वे लोग चले गए।
(2) उन्होंने जो पुस्तकें दी थीं, वह सब मैंने पढ़ ली है। उन्होंने जो पुस्तकें दी थीं, वे सब मैंने पढ़ ली हैं।
(3) तुम तुम्हारे घर जाओ। तुम अपने घर जाओ।
(4) हम हमारे देश की रक्षा करेंगे। हम अपने देश की रक्षा करेंगे।

(7) विशेषण का अनुचित प्रयोग :

अशुद्ध वाक्य शुद्ध वाक्य
(1) ऋचा की हिंदी मातृभाषा नहीं थी। हिंदी ऋचा की मातृभाषा नहीं थी।
(2) भगतसिंह असली भारत के सपूत थे। भगतसिंह भारत के असली सपूत थे।
(3) इस मंदिर में अनेक गणेश की मूर्तियाँ हैं। इस मंदिर में गणेश की अनेक मूर्तियाँ हैं।
(4) उस दुकान में शुद्ध गाय का घी मिलता है। उस दुकान में गाय का शुद्ध घी मिलता है।
(5) जिंदगी उसकी अब नहीं बचेगी। अब उसकी जिंदगी नहीं बचेगी।

(8) वचन और लिंग के प्रयोग में होने वाली गलतियाँ :

अशुद्ध वाक्य शुद्ध वाक्य
(1) वे महान व्यक्ति थीं। (मराठी में व्यक्ति शब्द स्त्रीलिंग है।) वे महान व्यक्ति थे। (हिंदी में व्यक्ति शब्द पुल्लिंग है।)
(2) मरीज का प्राण निकल गया। (मराठी में प्राण शब्द का प्रयोग एकवचन में होता है।) मरीज के प्राण निकल गए। (हिंदी में प्राण शब्द का प्रयोग सदा बहुवचन में होता है।)
(3) मैंने आवाज सुना। (मराठी/गुजराती में आवाज शब्द पुल्लिंग है।) मैंने आवाज सुनी। (हिंदी में आवाज शब्द स्त्रीलिंग है।)
(4) उस मरीज का मृत्यु हो गया। (मराठी/गुजराती में मृत्यु शब्द पुल्लिंग है।) उस मरीज की मृत्यु हो गई। (हिंदी में मृत्यु शब्द स्त्रीलिंग है।)
(5) उसका नाक कट गया। (मराठी/गुजराती में नाक शब्द नपुंसकलिंग है।) उसकी नाक कट गई। (हिंदी में नाक शब्द स्त्रीलिंग है।)

(9) वाक्यरचना के दोष :

अशुद्ध वाक्य शुद्ध वाक्य
(1) वे राग में अपने मगन था। वे अपने राग में मगन थे।
(2) राजेश की कमीज नरेश से अच्छी है। राजेश की कमीज नरेश की कमीज से अच्छी है।
(3) बकरी को काटकर घास खिलाओ। घास काटकर बकरी को खिलाओ।
(4) सभा में अनेकों लोग उपस्थित थे। सभा में अनेक लोग उपस्थित थे।
(5) क्या डॉक्टर साहब घर हैं? क्या डाक्टर साहब घर पर हैं?
(6) तुम तुम्हारे काम पर जाओ। तुम अपने काम पर जाओ।
(7) हमारे को कल स्कूल नहीं जाना। मुझे कल स्कूल नहीं जाना है।
(8) विश्वामित्र बहुत ज्ञानी व्यक्ति थे। विश्वामित्र बहुत ज्ञानी थे।
(9) वह महात्मा जी को धन्यवाद करता है। वह महात्मा जी को धन्यवाद देता है।
(10) मुझे केवल मात्र आपका समर्थन चाहिए। मुझे केवल आपका समर्थन चाहिए।
(11) मुझे एक व्याकरण की पुस्तक चाहिए। मुझे व्याकरण की एक पुस्तक चाहिए।
(12) क्या यह संभव हो सकता है? क्या यह संभव है।
(13) सारे कस्बे के लोगों में कोरोना पाया गया। कस्बे के सारे लोगों में कोरोना पाया गया।
(14) यहाँ ताजा भैंस का दूध मिलता है। यहाँ भैंस का ताजा दूध मिलता है।
(15) मजदूर खाना और पानी पीकर सो गए। मजदूर खाना खाकर और पानी पीकर सो गए।

प्रश्न. निम्नलिखित अशुद्ध वाक्यों को शुद्ध करके फिर से लिखिए:

प्रश्न 1.
शॉ कि बात सच्च है पर यह सच्चाई एकांगी है।
उत्तर :
शॉ की बात सच है, पर यह सच्चाई एकांगी है।

प्रश्न 2.
अब उसे लगता है की इस वेग से वह पीस जाएगा।
उत्तर :
अब उसे लगता है कि इस वेग से वह पिस जाएगा।

प्रश्न 3.
अपनी-अपनी बात कहने-सुनने से बंधन या संकोच कैसी।
उत्तर :
अपनी-अपनी बात कहने-सुनने में बंधन या संकोच कैसा।

प्रश्न 4.
मेरे को लगता है, पत्र का ये अंश तुम्हारे लिए कुछ भारी हो गया।
उत्तर :
मुझे लगता है, पत्र का यह अंश तुम्हारे लिए कुछ भारी हो गया।

प्रश्न 5.
हिन्दी युवकभारती एक ग्रंथ है।
उत्तर :
हिंदी युवकभारती एक पुस्तक है।

प्रश्न 6.
वे एक-दूसरे की रहा का रोड़ा नहीं, प्रेरणा ओर ताकत बनें।
उत्तर :
वे एक-दूसरे की राह का रोड़ा नहीं, प्रेरणा और ताकत बनें।

प्रश्न 7.
मैं इसके परिमाण का प्रतीक्षा करूँगी।
उत्तर :
मैं इसके परिणाम की प्रतीक्षा करूँगी।

प्रश्न 8.
ओजन एक गेस है, जो ऑक्सीजन के तीन परमाणु से मिलकर बनी है।
उत्तर :
आक्सीज एक गैस है, जो ऑक्सीजन के तीन परमाणुओं से मिलकर बनी है।

प्रश्न 9.
किशोरी की घड़ियाल में तीन बजे है।
उत्तर :
किशोरी की घड़ी में तीन बजे हैं।

प्रश्न 10.
सास लेने के लिए स्वछ हवा मिलना मुश्किल हो रहा है।
उत्तर :
साँस लेने के लिए स्वच्छ हवा मिलना मुश्किल हो रहा है।

प्रश्न 11.
सी.एफ.सी योगिकों का एक गुण खास है कि वे नष्ट नहीं होते।
उत्तर :
सी.एफ.सी. यौगिकों का एक खास गुण है कि वे नष्ट नहीं होते।

प्रश्न 12.
तुम मेरे गुरु का समान हैं।
उत्तर :
आप मेरे गुरु के समान हैं।

प्रश्न 13.
मुजे मेरे घर में ही शांति मिलती है।
उत्तर :
मुझे अपने घर में ही शांति मिलती है।

प्रश्न 14.
उस बगीचे में अनेक नारियल के वृच्छ हैं।
उत्तर :
उस बगीचे में नारियल के अनेक वृक्ष हैं।

प्रश्न 15.
दस दिन से बीमार मरीज का प्राण निकल गया।
उत्तर :
दस दिन से बीमार मरीज के प्राण निकल गए।

प्रश्न 16.
धारण-सा वृद्धास्रम का घर देखकर आश्चर्य लगा।
उत्तर :
वृद्धाश्रम का साधारण-सा घर देखकर आश्चर्य लगा।

प्रश्न 17.
आप दोनों इदर बैठो।
उत्तर :
आप दोनों इधर बैठिए।

प्रश्न 18.
बड़े लोग की माएँ क्या वृद्धाश्रम में अपने जीवन गुजारती हैं?
उत्तर :
बड़े लोगों की माएँ क्या वृद्धाश्रम में अपना जीवन गुजारती हैं?

प्रश्न 19.
मेरा नाना एक खाता-पीता किसान थे।
उत्तर :
मेरे नाना एक खाते-पीते किसान थे।

प्रश्न 20.
आपने मिलना किसको है?
उत्तर :
आपको मिलना किससे है?

प्रश्न 21.
बहोत देर तक हम दोनों रोता रहे।
उत्तर :
बहुत देर तक हम दोनों रोते रहे।

प्रश्न 22.
जब तलक एक भी सुपूत संसार में रहेगा, तब तक माएँ कष्ट सहकर संतान को जन्म देती रहेंगी।
उत्तर :
जब तक एक भी सपूत संसार में रहेगा, तब तक माएँ कष्ट सहकर संतान को जन्म देती रहेंगी।

प्रश्न 23.
निराला जी अपना शरीर, जिवन और साहित्य सभी में असाधारण हैं।
उत्तर :
निराला जी अपने शरीर, जीवन और साहित्य सभी में असाधारण हैं।

प्रश्न 24.
अपनी प्रतीकूल परिस्तिथियों से उन्होंने कभी हार नहीं मानी।
उत्तर :
अपनी प्रतिकूल परिस्थितियों से उन्होंने कभी हार नहीं मानी।

प्रश्न 25.
फूलों के श्पर्स से हरिणों ने सुध आई और वे चौकड़ी भरते हुए गायब हो गए।
उत्तर :
फूलों के स्पर्श से हरिणों को सुध आई और वे चौकड़ी भरते हुए गायब हो गए।

Maharashtra Board Class 11 Information Technology Solutions Chapter 1 Basics of Information Technology

Balbharati Maharashtra State Board Class 11 Information Technology Solutions Chapter 1 Basics of Information Technology Textbook Exercise Questions and Answers.

Maharashtra State Board Class 11 Information Technology Solutions Chapter 1 Basics of Information Technology

1. Complete the following activity.

Question 1.
Maharashtra Board Class 11 Information Technology Solutions Chapter 1 Basics of Information Technology 1 Q1
Answer:
Maharashtra Board Class 11 Information Technology Solutions Chapter 1 Basics of Information Technology 1 Q1.1

Question 2.
Tick the appropriate box.
Internet is a ____________ network connecting millions of computer.
Maharashtra Board Class 11 Information Technology Solutions Chapter 1 Basics of Information Technology 1 Q2
Answer:
Global

Maharashtra Board Class 11 Information Technology Solutions Chapter 1 Basics of Information Technology

Question 3.
Maharashtra Board Class 11 Information Technology Solutions Chapter 1 Basics of Information Technology 1 Q3
Answer:
Maharashtra Board Class 11 Information Technology Solutions Chapter 1 Basics of Information Technology 1 Q3.1

Question 4.
Tick the appropriate box.
Maharashtra Board Class 11 Information Technology Solutions Chapter 1 Basics of Information Technology 1 Q4
Answer:
Maharashtra Board Class 11 Information Technology Solutions Chapter 1 Basics of Information Technology 1 Q4.1

Question 5.
Maharashtra Board Class 11 Information Technology Solutions Chapter 1 Basics of Information Technology 1 Q5
Answer:
Maharashtra Board Class 11 Information Technology Solutions Chapter 1 Basics of Information Technology 1 Q5.1

Maharashtra Board Class 11 Information Technology Solutions Chapter 1 Basics of Information Technology

2. Divide the following list of devices into appropriate categories.

Question 1.
Monitor, Barcode reader, Printer, Keyboard. Optical character reader, Speaker
Maharashtra Board Class 11 Information Technology Solutions Chapter 1 Basics of Information Technology 2 Q1
Answer:

Categories Names
Input Devices Barcode reader, Keyboard, Optical Character reader
Output Devices Monitor, Printer, Speaker

3. Multiple choice two correct answers.

Question 1.
The primary memory consists of ____________ and ____________
(a) Pendrive
(b) Hard Disk
(c) RAM
(d) Scanner
(e) ROM
Answer:
(c) RAM, (e) ROM

Question 2.
The network architectures which are widely used are ____________
(a) Server
(b) Client
(c) Peer to peer
(d) Client-server
(e) Internet
Answer:
(c) Peer to peer, (d) Client-server

4. Match the following.

Question 1.

1. IS (a) change directory
2. FTP (b) Translates Network Address
3. CD (c) List of Directory
4. DNS (d) To transfer file on interent

Answer:

1. IS (c) List of Directory
2. FTP (d) To transfer file on interent
3. CD (a) change directory
4. DNS (b) Translates Network Address

5. Name the following and complete the diagram.

Question 1.
Maharashtra Board Class 11 Information Technology Solutions Chapter 1 Basics of Information Technology 5 Q1
Answer:
Maharashtra Board Class 11 Information Technology Solutions Chapter 1 Basics of Information Technology 5 Q1.1

6. Complete the following with Linux commands with their use.

Question 1.
Maharashtra Board Class 11 Information Technology Solutions Chapter 1 Basics of Information Technology 6 Q1
Answer:
Maharashtra Board Class 11 Information Technology Solutions Chapter 1 Basics of Information Technology 6 Q1.1

Maharashtra Board Class 11 Information Technology Solutions Chapter 1 Basics of Information Technology

7. Complete the list of the following protocols.

Question 1.
Maharashtra Board Class 11 Information Technology Solutions Chapter 1 Basics of Information Technology 7 Q1
Answer:
Maharashtra Board Class 11 Information Technology Solutions Chapter 1 Basics of Information Technology 7 Q1.1

8. Complete the following Long form.

Question 1.
Maharashtra Board Class 11 Information Technology Solutions Chapter 1 Basics of Information Technology 8 Q1
Answer:
Maharashtra Board Class 11 Information Technology Solutions Chapter 1 Basics of Information Technology 8 Q1.1

9. Identify the following activity.

Question 1.
You are typing a letter using a computer and suddenly there is a power failure.
Which type of Memory does this activity deal with?
Answer:
Random Access Memory

10. Answer the following.

Question 1.
What are Data and Information? Give examples of data and information.
Answer:
Data can be any character, text, word, number, or raw facts.
Example of Data:
Mumbai, 1234, Aditya, MG Road, Maharashtra, 9444444441, 411004

Information is data formatted in a manner that allows it to be utilized by human beings in some significant way.
Example of Information:
Aditya, 1234, MG Road, Mumbai 400004, Maharashtra, 944444444114.

Maharashtra Board Class 11 Information Technology Solutions Chapter 1 Basics of Information Technology

Question 2.
Explain functional units of a computer system.
Answer:
The computer system has the following three basic components:
Input Unit:
An input device is any hardware device that sends data to a computer, allowing you to interacts with and controls it. Data can be in the form of words, symbols, numbers, etc. The function of the input device is to direct commands and data into the computer.
For example keyboard, mouse, scanners, digital cameras, joysticks, and microphones.

Central Processing Unit:
After receiving data and commands from the user, a computer system has to process the instructions provided using Central Processing Unit (CPU). It has three elements:

(a) Arithmetic and Logic Unit: An arithmetic logic unit (ALU) is a major component of the central processing unit of a computer system. It does all processes related to arithmetic and logic operations like add, subtract, multiply, etc.

(b) Control Unit: The control unit (CU) is a component of a computer’s central processing unit (CPU) that directs the operation of the processor. It tells the computer’s memory, arithmetic, and logic unit, and input and output devices how to respond to the instructions that have been sent to the processor.

(c) Memory Unit: A memory unit is the amount of data that can be stored in the storage unit. Once the data has been entered using input devices, the system stores the data in the memory unit.

Types of Memory: Primary Memory & Secondary Memory.

  • Primary Memory: It has 18 internal memory of the computer also known as main memory. It is of two types RAM and ROM.
  • RAM (Random Access Memory): RAM stands for Random Access Memory also known as reading/write memory. Information stored in this memory is lost as the power supply to the computer is switched off; it is also called “Volatile Memory”.
  • ROM(Read Only Memory): ROM stands for Read-Only Memory. ROM is a permanent type of memory. The contents are not lost as the power supply to the computer is switched off. ROM cannot be overwritten by the computer. It is also called “Non Volatile Memory”.
  • Secondary Memory: It is the external memory of the computer which is used to store a large amount of data. The secondary storage devices are a Hard disk, Pen drive, CD, DVD, etc.

Output Unit:
An output device is any device used to send data from a computer to another device or user. Most computer data output that is ‘meant for humans is in the form of audio or video. Thus, most output devices used by humans are in these categories. Examples include monitors, projectors, speakers.

Question 3.
What is a storage unit? Explain types of primary memory storage.
Answer:
When a user enters data using input devices, the computer system stores this data in a memory unit i.e. storage unit. The storage unit uses a set of pre-programmed instructions to further transmit this data to other parts of the CPU. There are two types of memory

  • Primary Memory
  • Secondary Memory

RAM: It stands for Random Access Memory. RAM is known as reading/write memory. It is the main memory of the computer system. The information stored in this memory is lost as the power supply to the computer is switched off, so it is also called as “Volatile Memory”.

ROM: It stands for Read-Only Memory. ROM is permanent memory. The content is not lost when the power supply is switched off. ROM cannot be overwritten by the computer, so it is also called “Non-Volatile Memory”.

Maharashtra Board Class 11 Information Technology Solutions Chapter 1 Basics of Information Technology

Question 4.
Explain how Linux is different from Windows.
Answer:

  • Linux is open sources system whereas the window operating system is commercial.
  • Linux has access to source code and alters the code as per user need whereas a window does not have access to source code.
  • Linux distribution doesn’t collect user data” whereas Windows collects all the user details which leads to privacy concerns.
  • As the software is open to the public, it constantly updates, improves, and expands as more people can work on its improvement.

Question 5.
Write down the difference between LAN, MAN, and WAN.
Answer:

LAN (Local Area Network) MAN (Metropolitan Area Network) WAN (Wide Area Network)
LAN Stands for Local Area Network. MAN stands for Metropolitan Area Network. WAN stands for Wide Area Network.
A LAN is a network of connected devices that exist within a specific location. A public or private network is used to connect various locations including suburbs in metropolitan cities. A WAN is any network that crosses metropolitan, regional, or national boundaries.
LANs may be found in homes, offices, educational institutions, or other areas. A MAN is a network, which covers an entire city, but uses LAN topology. Most networking professionals define a WAN as any network that uses routers and public network links (e.g. Telephone lines).
LAN is easy to set up. MANs are formed by connecting multiple LANs. Due to long-distance transmission, the noise and errors are more in WAN.
Data transmits at a very fast rate. Examples of a MAN are the cable TV network in a city. The best example of WAN is the Internet.

Maharashtra State Board Class 11 Information Technology IT Solutions Digest (Commerce, Science, Arts)

Maharashtra State Board Information Technology 11th Std Textbook Solutions Digest

Information Technology 11th Std Commerce | Information Technology Class 11 Pdf Maharashtra Board

Information Technology 11th Std Skill Oriented Practicals (SOP)

(Select Any Four Skill Oriented Practicals from the following list)

Maharashtra State Board Class 11 Textbook Solutions

Maharashtra Board Class 12 Hindi परिशिष मुहावरे

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 12th Digest परिशिष मुहावरे Notes, Questions and Answers.

Maharashtra State Board 12th Hindi परिशिष मुहावरे

मुहावरा वह वाक्यांश जो सामान्य अर्थ को छोड़कर किसी विशेष अर्थ में प्रयुक्त होता है; मुहावरे में उसके लाक्षणिक और व्यंजनात्मक अर्थ को ही स्वीकार किया जाता है। वाक्य में प्रयुक्त किए जाने पर ही मुहावरा सार्थक प्रतीत होता है।

Maharashtra Board Class 12 Hindi परिशिष मुहावरे

  • अपना उल्लू सीधा करना – अपना स्वार्थ सिद्ध करना।
  • दिन दूना रात चौगुना बढ़ना – दिन–प्रतिदिन अधिक उन्नति करना।
  • अक्ल पर पत्थर पड़ना – बुद्धि काम न करना।
  • आँखों में धूल झोंकना – धोखा देना।
  • आँखें बिछाना – अति उत्साह से स्वागत करना।
  • कान में कौड़ी डालना – गुलाम बनाना।
  • कंगाली में आटा गीला होना – विपत्ति में और अधिक विपत्ति आना।
  • कुएँ में बाँस डालना – जगह–जगह खोज करना।
  • गुड़ गोबर करना – बने काम को बिगाड़ देना।
  • गड़े मुर्दे उखाड़ना – पुरानी कटु बातों को याद करना।
  • कटे पर नमक छिड़कना – दुखी को और दुखी बनाना।
  • एक और एक ग्यारह – एकता में शक्ति होना
  • घर फूंक तमाशा देखना – अपनी ही हानि करके प्रसन्न होना।
  • घाट-घाट का पानी पिया होना – हर प्रकार के अनुभव से परिपूर्ण होना।
  • चाँदी काटना – बहुत लाभ कमाना। Maharashtra Board Class 12 Hindi परिशिष मुहावरे
  • जहर का चूंट पीना – अपमान को चुपचाप सह लेना।
  • जी-जान से काम करना – पूरी क्षमता के साथ काम करना।
  • तिल का ताड़ बनाना – छोटी बात को बढ़ा–चढ़ाकर कहना।
  • पत्थर की लकीर होना – पक्की बात।
  • पेट में दाढ़ी होना – छोटी आयु में बुद्धिमान होना।
  • फूंक-फूंककर पाँव रखना – अति सावधानी बरतना।
  • मुट्ठी गर्म करना – रिश्वत देना।
  • रंग में भंग होना – प्रसन्नता के वातावरण में विघ्न पड़ना।
  • शक्ल पर बारह बजना – बड़ा उदास रहना।
  • सितारा चमकना – भाग्योदय होना
  • आठ-आठ आँसू रोना – बहुत अधिक रोना।
  • आँखें चार होना – प्रेम होना।
  • अगर-मगर करना – टाल–मटोल करना।
  • अपना ही राग अलापना – अपनी ही बातें करते रहना।
  • आसमान पर थूकना – अशोभनीय कार्य करना।
  • उल्टी गंगा बहाना – उल्टा काम करना।
  • उगल देना – भेद बता देना।
  • ओखली में सिर देना – जान–बूझकर जोखिम उठाना।
  • एक लाठी से हाँकना – सबके साथ समान व्यवहार करना।
  • चार चाँद लगाना – शोभा बढ़ाना।
  • पापड़ बेलना – कड़ी मेहनत करना।
  • कान भरना – चुगली करना। Maharashtra Board Class 12 Hindi परिशिष मुहावरे
  • कोल्हू का बैल – लगातार काम में लगे रहने वाला। बहुत परिश्रम करने वाला।
  • कब्र में पैर लटकना – मरने के समीप होना।
  • कागजी घोड़े दौड़ाना – लिखा–पढ़ी करना।
  • कौड़ी-कौड़ी का मोहताज – अत्यंत निर्धन होना।
  • खाला का घर – आसान काम।
  • खाल मोटी होना – बेशर्म होना।
  • गिरगिट की तरह रंग बदलना – अवसरवादी होना।
  • घोड़े बेचकर सोना – गहरी नींद सोना।
  • हाथ खींचना – निश्चिंत होकर सोना।
  • चोली-दामन का साथ होना – साथ न देना।
  • चोर की दाढ़ी में तिनका – घनिष्ठ संबंध होना।
  • जली-कटी सुनाना – अपराधी का भयभीत और सशंकित रहना।
  • डकार तक न लेना – कटु–चुभती बातें करना।
  • डूबती नाव पार लगाना – सब कुछ हजम कर लेना।
  • तलवे चाटना – कष्टों से छुटकारा देना।
  • दाल न गलना – खुशामद करना।
  • पेट काटना – काम न बनना।
  • पाँचों उँगलियाँ घी में होना – चतुराई काम न आना।
  • पोंगा होना – भूखा रहना। Maharashtra Board Class 12 Hindi परिशिष मुहावरे
  • बात का धनी – चहुँ तरफ लाभ होना।
  • मरने की फुरसत न होना – नासमझ होना।
  • मूंछ उखाड़ना – वचन का पक्का कामों में बहुत व्यस्त होना।
  • रोटियाँ तोड़ना – घमंड चूर-चूर कर देना।
  • वीरगति को प्राप्त होना-मुफ्त में खाना।
  • स्वांग भरना – युद्ध में वीरतापूर्वक मृत्यु पाना।
  • हवा लगना – विचित्र वेश बनाना, किसी की नकल उतारना।
  • हवाई किले बनाना – असर पड़ना/होना।
  • दाई से पेट छिपाना – बहुत अधिक कल्पना करना।
  • सिर खपाना – भेद जानने वाले से सच्ची बात छिपाना।
  • खबर गरम होना – कठोर परिश्रम करना। चर्चा-ही-चर्चा होना।
  • चिराग तले अँधेरा – गुणवान व्यक्ति में भी दोष होना।

Maharashtra Board 12th Maths Solutions Chapter 1 Mathematical Logic Ex 1.1

Balbharti 12th Maharashtra State Board Maths Solutions Book Pdf Chapter 1 Mathematical Logic Ex 1.1 Questions and Answers.

Maharashtra State Board 12th Maths Solutions Chapter 1 Mathematical Logic Ex 1.1

Question 1.
State which of the following sentences are statements. Justify your answer. In case of statement, write down the truth value :
(i) 5 + 4 = 13.
Solution:
It is a statement which is false, hence its truth value is ‘F’.

(ii) x – 3 = 14.
Solution:
It is an open sentence, hence it is not a statement.

(iii) Close the door.
Solution:
It is an imperative sentence, hence it is not a statement.

(iv) Zero is a complex number.
Solution:
It is a statement which is true, hence its truth value is ‘T’.

Maharashtra Board 12th Maths Solutions Chapter 1 Mathematical Logic Ex 1.1

(v) Please get me breakfast.
Solution:
It is an imperative sentence, hence it is not a statement.

(vi) Congruent triangles are also similar.
Solution:
It is a statement which is true, hence its truth value is ‘T’.

(vii) x2 = x.
Solution:
It is an open sentence, hence it is not a statement,

(viii) A quadratic equation cannot have more than two roots.
Solution:
It is a statement which is true, hence its truth value is ‘T’.

Maharashtra Board 12th Maths Solutions Chapter 1 Mathematical Logic Ex 1.1

(ix) Do you like Mathematics ?
Solution:
It is an interrogative sentence, hence it is not a statement.

(x) The sun sets in the west.
Solution:
It is a statement which is true, hence its truth value is ‘T’.

(xi) All real numbers are whole numbers.
Solution:
It is a statement which is false, hence its truth value is ‘F’.

(xii) Can you speak in Marathi ?
Solution:
It is an interrogative sentence, hence it is not a statement.

(xiii) x2 – 6x – 7 = 0, when x = 7.
Solution:
It is a statement which is true, hence its truth value is ‘T’.

Maharashtra Board 12th Maths Solutions Chapter 1 Mathematical Logic Ex 1.1

(xiv) The sum of cuberoots of unity is zero.
Solution:
It is a statement which is true, hence its truth value is ‘T’.

(xv) It rains heavily.
Solution :
It is an open sentence, hence it is not a statement.

Question 2.
Write the following compound statements symbolically:
(i) Nagpur is in Maharashtra and Chennai is in Tamil Nadu.
Solution:
Let p : Nagpur is in Maharashtra.
q : Chennai is in Tamil Nadu.
Then the symbolic form of the given statement is P∧q.

(ii) Triangle is equilateral or isosceles,
Solution:
Let p : Triangle is equilateral.
q : Triangle is isosceles.
Then the symbolic form of the given statement is P∨q.

(iii) The angle is right angle if and only if it is of measure 90°.
Solution:
Let p : The angle is right angle.
q : It is of measure 90°.
Then the symbolic form of the given statement is p↔q

Maharashtra Board 12th Maths Solutions Chapter 1 Mathematical Logic Ex 1.1

(iv) Angle is neither acute nor obtuse.
Solution:
Let p : Angle is acute.
q : Angle is obtuse.
Then the symbolic form of the given statement is
~p ∧ ~q.

(v) If ∆ ABC is right angled at B, then m∠A + m∠C = 90°.
Solution:
Let p : ∆ ABC is right angled at B.
q : m∠A + m∠C = 90°.
Then the symbolic form of the given statement is p → q

(vi) Hima Das wins gold medal if and only if she runs fast.
Solution:
Let p : Hima Das wins gold medal
q : She runs fast.
Then the symbolic form of the given statement is p ↔ q.

(vii) x is not irrational number but it is a square of an integer.
Solution:
Let p : x is not irrational number
q : It is a square of an integer
Then the symbolic form of the given statement is p ∧ q
Note : If p : x is irrational number, then the symbolic form of the given statement is ~p ∧ q.

Maharashtra Board 12th Maths Solutions Chapter 1 Mathematical Logic Ex 1.1

Question 3.
Write the truth values of the following :
(i) 4 is odd or 1 is prime.
Solution:
Let p : 4 is odd.
q : 1 is prime.
Then the symbolic form of the given statement is p∨q.
The truth values of both p and q are F.
∴ the truth value of p v q is F. … [F ∨ F = F]

(ii) 64 is a perfect square and 46 is a prime number.
Solution:
Let p : 64 is a perfect square.
q : 46 is a prime number.
Then the symbolic form of the given statement is p∧q.
The truth values of p and q are T and F respectively.
∴ the truth value of p ∧ q is F. … [T ∧ F ≡ F]

(iii) 5 is a prime number and 7 divides 94.
Solution:
Let p : 5 is a prime number.
q : 7 divides 94.
Then the symbolic form of the given statement is p∧q.
The truth values of p and q are T and F respectively.
∴ the truth value of p ∧ q is F. … [T ∧ F ≡ F]

(iv) It is not true that 5 – 3i is a real number.
Solution:
Let p : 5 – 3i is a real number.
Then the symbolic form of the given statement is ~ p.
The truth values of p is F.
∴ the truth values of ~ p is T. … [~ F ≡ T]

Maharashtra Board 12th Maths Solutions Chapter 1 Mathematical Logic Ex 1.1

(v) If 3 × 5 = 8, then 3 + 5 = 15.
Solution:
Let p : 3 × 5 = 8.
q : 3 + 5 = 15.
Then the symbolic form of the given statement is p → q.
The truth values of both p and q are F.
∴ the truth value of p → q is T. … [F → F ≡ T]

(vi) Milk is white if and only if sky is blue.
Solution:
Let p : Milk is white.
q : Sky is blue
Then the symbolic form of the given statement is p ↔ q.
The truth values of both p and q are T.
∴ the truth value of p ↔ q is T. … [T ↔ T ≡ T]

(vii) 24 is a composite number or 17 is a prime number.
Solution :
Let p : 24 is a composite number.
q : 17 is a prime number.
Then the symbolic form of the given statement is p ∨ q.
The truth values of both p and q are T.
∴ the truth value of p ∨ q is T. … [T ∨ T ≡ T]

Maharashtra Board 12th Maths Solutions Chapter 1 Mathematical Logic Ex 1.1

Question 4.
If the statements p, q are true statements and r, s are false statements, then determine the truth values of the following:
(i) p ∨ (q ∧ r)
Solution:
Truth values of p and q are T and truth values of r and s are F.
p ∨ (q ∧ r) ≡ T ∨ (T ∧ F)
≡ T ∧ F ≡ T
Hence the truth value of the given statement is true.

(ii) (p → q) ∨ (r → s)
Solution:
(p → q) ∨ (r → s) ≡ (T → T) ∨ (F → F)
≡ T ∨ T ≡ T
Hence the truth value of the given statement is true.

(iii) (q ∧ r) ∨ (~p ∧ s)
Solution:
(q ∧ r) ∨ (~p ∧ s) ≡ (T ∧ F) ∨ (~T ∧ F)
≡ F ∨ (F ∧ F)
≡ F ∨ F ≡ F
Hence the truth value of the given statement is false.

(iv) (p → q) ∧ (~ r)
Solution:
(p → q) ∧ (~ r) ≡ (T → T) ∧ (~ F)
≡ T ∧ T ≡ T
Hence the truth value of the given statement is true.

Maharashtra Board 12th Maths Solutions Chapter 1 Mathematical Logic Ex 1.1

(v) (~r ↔ p) → (~q)
Solution:
(~r ↔ p) → (~q) ≡ (~F ↔ T) → (~T)
≡ (T ↔ T) → F
≡ T → F ≡ F
Hence the truth value of the given statement is false.

(vi) [~p ∧ (~q ∧ r) ∨ (q ∧ r) ∨ (p ∧ r)]
Solution:
[~p ∧ (~q ∧ r)∨(q ∧ r)∨(p ∧ r)]
≡ [~T ∧ (~T ∧ F)] ∨ [(T ∧ F) V (T ∧ F)]
≡ [F ∧ (F ∧ F)] ∨ [F V F]
≡ (F ∧ F) ∨ F
≡ F ∨ F ≡ F
Hence the truth value of the given statement is false.

(vii) [(~ p ∧ q) ∧ (~ r)] ∨ [(q → p) → (~ s ∨ r)]
Solution:
[(~ p ∧ q) ∧ (~ r)] ∨ [(q → p) → (~ s ∨ r)]
≡ [(~T ∧ T) ∧ (~F)] ∨ [(T → T) → (~F ∨ F)]
≡ [(F ∧ T) ∧ T] ∨ [T → (T ∨ F)]
≡ (F ∧ T) ∨ (T → T)
≡ F ∨ T ≡ T
Hence the truth value of the given statement is true.

(viii) ~ [(~p ∧ r) ∨ (s → ~q)] ↔ (p ∧ r)
Solution :
~ [(~p ∧ r) ∨ (s → ~q)] ↔ (p ∧ r)
≡ ~ [(~T ∧ F) ∨ (F → ~T)] ↔ (T ∧ F)
≡ ~ [(F ∧ F) ∨ (F → F)] ↔ F
≡ ~ (F ∨ T) ↔ F
≡ ~T ↔ F
≡ F ↔ F ≡ T
Hence the truth value of the given statement is true.

Maharashtra Board 12th Maths Solutions Chapter 1 Mathematical Logic Ex 1.1

Question 5.
Write the negations of the following :
(i) Tirupati is in Andhra Pradesh.
Solution:
The negations of the given statements are :
Tirupati is not in Andhra Pradesh.

(ii) 3 is not a root of the equation x2 + 3x – 18 = 0.
Solution:
3 is a root of the equation x2 + 3x – 18 = 0.

Maharashtra Board 12th Maths Solutions Chapter 1 Mathematical Logic Ex 1.1

(iii) \(\sqrt {2}\) is a rational number.
Solution:
\(\sqrt {2}\) is not a rational number.

(iv) Polygon ABCDE is a pentagon.
Solution:
Polygon ABCDE is not a pentagon.

(v) 7 + 3 > 5.
Solution :
7 + 3 > 5.

12th Maharashtra State Board Maths Solutions Book Pdf Part 1 & 2 | 12th Science Maths Digest

Maharashtra State Board HSC 12th Science Maths Digest Pdf, 12th Maharashtra State Board Maths Solution Book Pdf Part 1 & 2 free download in English Medium and Marathi Medium 2021-2022.

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12th State Board Maths Solution Book Pdf English Medium Chapter 8 Binomial Distribution

Maharashtra State Board Class 12 Textbook Solutions

Maharashtra Board Class 12 Marathi Yuvakbharati Solutions Bhag 3 कथा-साहित्यप्रकार-परिचय

Balbharti Maharashtra State Board Marathi Yuvakbharati 12th Digest Bhag 3 कथा-साहित्यप्रकार-परिचय Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Maharashtra State Board 12th Marathi Yuvakbharati Solutions Bhag 3 कथा-साहित्यप्रकार-परिचय

12th Marathi Guide Chapter 3 कथा-साहित्यप्रकार-परिचय Textbook Questions and Answers

कृती 

1. कृती करा.

प्रश्न अ.
करेचे घटक
Maharashtra Board Class 12 Marathi Yuvakbharati Solutions Bhag 3 कथा-साहित्यप्रकार-परिचय 1
उत्तर :
Maharashtra Board Class 12 Marathi Yuvakbharati Solutions Bhag 3 कथा-साहित्यप्रकार-परिचय 7

Maharashtra Board Class 12 Marathi Yuvakbharati Solutions Bhag 3 कथा-साहित्यप्रकार-परिचय

प्रश्न आ.
करेचर वैविषट
Maharashtra Board Class 12 Marathi Yuvakbharati Solutions Bhag 3 कथा-साहित्यप्रकार-परिचय 2
उत्तर :
Maharashtra Board Class 12 Marathi Yuvakbharati Solutions Bhag 3 कथा-साहित्यप्रकार-परिचय 8

2. उत्तरे लिहा.

प्रश्न अ.
कथा म्हणजे काय ते थोडक्यात स्पष्ट करा.
उत्तर :
कथेमध्ये घटना असतात. या घटनांना एखादया सूत्रानुसार गुंफण्यासाठी कथानक असते. कथानकात पात्रे असतात. वास्तवातल्या माणसांसारखीच ही पात्रे चित्रित केलेली असतात. वास्तवातली माणसे जशी एकमेकांशी वागतात, तशीच पात्रेसुद्धा एकमेकांशी वागतात. ती एकमेकांशी भांडतात. एकमेकांना मदत करतात. एकमेकांवर प्रेम करतात. राग, लोभ, प्रेम, असूया, दया, सहानुभूती वगैरे भावभावना वास्तवातल्या माणसांमध्ये असतात. तशाच भावभावना पात्रांमध्येही असतात. पात्रांच्या एकमेकांशी वागण्यातून घटना निर्माण होतात. तसेच, कथेमध्ये स्थळ, काळ, वेळ यांचेही चित्रण केलेले असते. कथेच्या विषयानुसार वातावरणही असते. पात्रांच्या परस्परांशी वागण्यातून ताणतणाव, संघर्ष, गुंतागुंत निर्माण होते. या सर्व घटकांनी युक्त अशी रचना घेऊन कथा निर्माण होते. तिला समर्पक शीर्षक मिळाले की कथा परिपूर्ण होते.

प्रश्न आ.
कथेचे कोणतेही दोन घटक सोदाहरण स्पष्ट करा.
उत्तर :
(१) कथाबीज : कथेत अनेक घटना असतात. लेखक या घटनांची सुंदर गुंफण करतो. ही सुंदर गुंफण म्हणजे कथा होय. ही संपूर्ण कथा म्हणा किंवा घटनांची मालिका म्हणा, आपण आत्यंतिक संक्षिप्त स्वरूपात दोन-तीन वाक्यांत सांगू शकतो. संपूर्ण कथेची ही संक्षिप्त घटना होय. हे संक्षिप्त रूप म्हणजे कथाबीज होय.

उदा., पुढील कथाबीज पाहा : “हा आपलाच मुलगा आहे’, असा एकाच मुलाच्या बाबतीत दावा करणाऱ्या दोन स्त्रियांचे भांडण न्यायाधीशांकडे जाते. आपल्या बुद्धिचातुर्याने न्यायनिवाडा करून न्यायाधीश खऱ्या आईला तिचा मुलगा मिळवून देतात.

(२) पात्रचित्रण : पात्र म्हणजे कथानकातील व्यक्तीच होत. वास्तवातील माणसांसारखेच पात्रांचे चित्रण लेखक करतो. या व्यक्तींच्या वृत्ती-प्रवृत्ती, त्यांच्या भावभावना, त्यांचे विचार, कल्पना, त्यांचे वागणे वगैरे सर्वच बाबी लेखक वास्तवातील माणसांसारखेच रंगवतो. त्यांचे राग, लोभ, प्रेम, द्वेष, हेवेदावे वास्तवातील माणसांसारखेच रंगवलेले असते. वाचकांना ही पात्रे खऱ्याखुऱ्या माणसांसारखी वाटतात. त्यांच्याशी ते समरस होतात आणि कथेचा आस्वाद घेतात. पात्रांच्या वागण्यातून कथानक हळूहळू उलगडत जाते. पात्रचित्रण हा घटक कथेमध्ये यामुळे खूप महत्त्वाचे कार्य करतो.

प्रश्न इ.
कथेची कोणतीही दोन वैशिष्ट्ये तुमच्या शब्दांत स्पष्ट करा.
उत्तर :
(१) कथा मनोरंजन करते : कथा मनोरंजन करते म्हणजे कथा वाचताना वाचकाला आनंद मिळतो. त्याचे मन कथेत गुंतून राहते. वाचक कथा वाचताना कथेतील पात्रांच्या जगात प्रवेश करतो. त्याला नेहमीच्या ताणतणावांनी भरलेल्या जगाहून वेगळ्या जगात विहार करायला मिळते. वास्तवातील ताणतणावांपासून तो काही काळ दूर जातो. या घटनेतून त्याला आनंद मिळतो. कथेमार्फत वाचकाला ५ मनुष्यस्वभावाचे अनेक नमुने पाहायला मिळतात. माणसाच्या स्वभावाविषयीची त्याची जाण वाढते. याचा त्याला आनंदच होतो. काही कथा तर विनोदनिर्मितीसाठीच लिहिल्या जातात. त्या कथांमुळे वाचक खळखळून हसतो. या सर्व बाबींमुळे वाचकाचे मनोरंजनच होते. कथेचे ते एक मोठे वैशिष्ट्य ठरते.

(२) कथेमुळे सुसंस्कार होतात : कथेमध्ये पात्रे असतात. ती वास्तवातील माणसांसारखीच रंगवलेली असतात. त्यांच्या वागण्याबोलण्यातून, घटना-प्रसंगांतून, चांगल्या-वाईट मूल्यांचे दर्शन घडते. कथेमध्ये चांगल्या व वाईट मूल्यांच्या संघर्षात चांगल्या मूल्यांचा विजय दाखवलेला असतो. या संघर्ष-दर्शनाने वाचकाला प्रेरणा मिळते; . स्फूर्ती मिळते. वाचक त्यातून बोध घेतो. स्वातंत्र्य, समता, बंधुभाव, न्याय, मानवता अशा कितीतरी उदात्त मूल्यांचा वाचकाच्या मनावर संस्कार होतो. आपण स्वत:च्या जीवनात कोणत्या मार्गाने जावे, कोणता मार्ग टाळावा याचे दिग्दर्शन होते. हे सुसंस्कारच होत.

Maharashtra Board Class 12 Marathi Yuvakbharati Solutions Bhag 3 कथा-साहित्यप्रकार-परिचय

प्रश्न ई.
‘कथाकथनासाठी कथेची निवड करणे फार महत्त्वाचे आणि तितकेच जबाबदारीचे काम असते’, हे विधान तुमच्या शब्दांत स्पष्ट करा.
उत्तर :
कथाकथनासाठी कथा निवडताना श्रोते कोणत्या वर्गातील आहेत, हे प्रथम लक्षात घ्यावे लागते. ग्रामीण, शहरी, शिक्षित, अशिक्षित, उच्चभ्रू वर्गातील की सर्वसाधारण वर्गातील, स्त्रिया, ज्येष्ठ नागरिक, कारखान्यातील कामगार, मंत्रालयातील कर्मचारी, महाविदयालयीन अशांपैकी कोणत्या वर्गातील श्रोते बहुसंख्येने असतील, हे आधी पाहावे लागते, कारण या प्रत्येक वर्गातील श्रोत्यांच्या जीवनविषयक धारणा वेगवेगळ्या असतात. त्यांच्या अभिरुचीचा स्तर वेगवेगळा असतो. तसेच, कथाकथनाचा कालावधी किती, हाही मुद्दा खूप महत्त्वाचा असतो. श्रोत्यांच्या अवधानकाळाचेही भान बाळगावे लागते. एवढे पाहिल्यावर कथा कोणत्या प्रकारची, तिची लांबी किती हेही ठरवावे लागते. या सर्व कसोट्यांना उतरणारी कथा निवडावी लागते. ही निवड जबाबदारीने केली नाही, तर कथाकथनाचा कार्यक्रम साफ कोसळण्याचा धोका असतो.

प्रश्न उ.
कथेच्या लोकप्रियतेची कारणे लिहा.
Maharashtra Board Class 12 Marathi Yuvakbharati Solutions Bhag 3 कथा-साहित्यप्रकार-परिचय 3
उत्तर :
Maharashtra Board Class 12 Marathi Yuvakbharati Solutions Bhag 3 कथा-साहित्यप्रकार-परिचय 9

प्रश्न ऊ.
कथेच्या सादरीकरणासाठी आवश्यक भाषिक कौशल्ये लिहा.
Maharashtra Board Class 12 Marathi Yuvakbharati Solutions Bhag 3 कथा-साहित्यप्रकार-परिचय 4
उत्तर :
Maharashtra Board Class 12 Marathi Yuvakbharati Solutions Bhag 3 कथा-साहित्यप्रकार-परिचय 10

3. कथेच्या शीर्षकाबाबत तुमचे मत स्पष्ट करा.
उत्तर :
कथा पूर्ण झाल्यावर एक अवघड कामगिरी लेखकाला पार पाडावी लागते. ती म्हणजे कथेचे शीर्षक निश्चित करणे. शीर्षक निश्चित करणे हे खूप जिकिरीचे काम असते. कारण शीर्षकाकडून खूप अपेक्षा सर्वांच्या मनात असतात. शीर्षक हे कथेचा चेहेरा असते. चेहेऱ्यावरून जशी माणसाच्या व्यक्तिमत्त्वाची खूण पटते, तशी शीर्षकावरून कथेच्या व्यक्तिमत्त्वाची ओळख पटत असते.

शीर्षक आकर्षक हवे, त्यासाठी आकर्षक शब्दयोजना करण्याचा प्रयत्न लेखकाकडून होतो. मग एखादी लोकप्रिय म्हण, वाक्प्रचार, सुप्रसिद्ध लोकोक्ती, प्रचलित प्रभावी शब्दप्रयोग यांचा विचार केला जातो. या घटकांमुळे वाचकांचे कथेकडे लक्ष आकर्षिक व्हायला हवे. शीर्षकाने वाचकाच्या मनात कुतूहल निर्माण केले पाहिजे. हे सर्व आवश्यक असते. तरीही हा बराचसा बाह्य भाग झाला. शीर्षकातून कथेतील मूल्यांचा संघर्ष, नैतिक संघर्ष यांचे सूचन झाले पाहिजे. कथेचे सारच जर शीर्षकातून व्यक्त करता आले, तर ते फारच उत्तम. शीर्षक ही आकाराने खूप लहानशी गोष्ट आहे. पण ती खूप वेळ व शक्ती खर्च करायला लावणारी मोठी बाब आहे.

4. ‘कथा आजही लोकप्रिय आहे’, या विधानाबाबतचे तुमचे मत सोदाहरण स्पष्ट करा.
उत्तर :
कथावाङ्मय हे आजही लोकप्रिय आहे. मनोरंजन करणे आणि उद्बोधन करणे या दोन कारणांसाठी कथावाङ्मय खूप वापरले गेले आहे. द. मा. मिरासदार, शंकर पाटील, व. पु. काळे, पु. ल. देशपांडे हे दोन पिढ्यांमागचे लेखक आजही लोकप्रिय आहेत. राजकीय, सामाजिक, धार्मिक कारणांनी समाजात प्रचंड उलथापालथी चालू आहेत, या उलथापालथीमध्ये आपापल्या मतांचा प्रचार करण्यासाठी, लोकांचे मन वळवण्यासाठी समाजमाध्यमांवर कथांचा मोठ्या प्रमाणावर वापर झाला आहे. हे कथावाङ्मयाच्या लोकप्रियतेचे लक्षण आहे.

सध्याचा काळ हा खूप धावता काळ आहे. लोकांकडे वेळ खूप कमी आहे. अशा वेळी कमी वेळात कथाच प्रभावीपणे सादर होऊ शकली आहे. दुसरे असे की मराठी कथेने आता विविध विषयांना स्वीकारले आहे. जीवनाच्या सर्व क्षेत्रांचे प्रतिबिंब मराठी कथेत पडू लागले आहे. म्हणून कथा लोकप्रिय झाली आहे.

Maharashtra Board Class 12 Marathi Yuvakbharati Solutions Bhag 3 कथा-साहित्यप्रकार-परिचय

5. प्रभावी कथाकथनासाठी कथाकथन करणाऱ्याने कोणकोणत्या गोष्टींची काळजी घेतली पाहिजे?
उत्तर :
कथाकथन करणाऱ्याने प्रथम श्रोत्यांचे स्वरूप लक्षात घेतले पाहिजे. श्रोत्यांच्या स्वरूपानुसार कथेची निवड करावी लागते. कथाकथनाचा कालावधी व श्रोत्यांचा अवधानकाल या बाबीही लक्षात घ्याव्या लागतात. श्रोत्यांशी संवाद साधत साधत आणि त्यांचा प्रतिसाद घेत घेत कथाकथन करायचे असल्याने शब्दफेक, प्रभावी उच्चारण, उच्चारांतील चढ-उतार, स्पष्टता इत्यादी बाबी खूप महत्त्वाच्या ठरतात. त्यामुळे कथाकथन करणाऱ्यांकडे वाचिक अभिनयाचे कौशल्य असावेच लागते. आणखी एक बाब लक्षात घ्यायला हवी. कथाकथन करताना हातात लिखित मजकूर नसतो; त्यामुळे पाठांतर उत्तम असावेच लागते. या सर्व बाबींची काळजी कथाकथन करणाऱ्याने घेतली पाहिजे,

6. तुम्ही वाचलेली कथा थोडक्यात सादर करा.

कथा-साहित्यप्रकार-परिचय प्रस्तावना

कथा म्हणजे गोष्ट, कहाणी, हकिगत, प्रसंग इत्यादी. गोष्ट सांगण्याची व ऐकण्याची आवड माणसाला पूर्वीपासूनच आहे. ‘कथ् ‘ या धातूपासून ‘कथा’ हा शब्द तयार झाला आहे. कथ् म्हणजे कथन करणे, सांगणे, वर्णन करणे. माणूस हा सामाजिक प्राणी आहे. त्यामुळे आपल्या कल्पना, भावना, आपले विचार, आपले अनुभव इतरांना सांगावेत व इतरांचे आपण ऐकावेत, अशी त्याला तीव्र इच्छा असते. त्यातूनच ‘कथा’ या वाङ्मयप्रकाराचा जन्म झाला.

कथा-साहित्यप्रकार-परिचय कथा म्हणजे काय?

कथेत घटना-प्रसंग असतात. पात्रे असतात. घटना-प्रसंग असल्याने स्थळ, काळ, वेळ या बाबी असणारच, या सगळ्यांना व्यवस्थित गुंफण्यासाठी कथानक असते. कथेमध्ये या सर्व बाबी आवश्यक असतात. कथेतील पात्रांचे एकमेकांशी बरेवाईट संबंध असतात. त्यांतून ताणतणाव, संघर्ष, गुंतागुंत निर्माण होते. पात्रांतले ताणतणाव, संघर्ष वाढले की, उत्कर्षबिंदू निर्माण होतो. हे सर्व घटक कथेचे अंगभूत घटक असतात. तसेच, कथेला एक शीर्षकही असते.

कथेची व्याख्या आपल्याला अशी करता येईल :

“एका विशिष्ट स्थलकालात पात्रांच्या परस्परसंबंधातून घडलेल्या घटनांचे विशिष्ट हेतूने केलेले उत्कंठावर्धक चित्रण म्हणजे कथा होय.’

कथेचे वर सांगितलेले अंगभूत घटक सर्व कथांमध्ये सारख्याच प्रमाणात असतात असे नाही. लेखकाच्या हेतूनुसार ठरावीक घटकांना जास्त महत्त्व मिळते.

कथा-साहित्यप्रकार-परिचय कथेची पूर्वपीठिका

१८०६ साली छापलेले ‘बालबोधमुक्तावलि’ हे मराठीतील गोष्टीचे पहिले पुस्तक होय. त्यानंतर पंचतंत्र (१८१५), हितोपदेश (१८१५), सिंहासनबत्तिशी (१८२४), इसपनीतिकथा (१८२८), वेताळपंचविशी अशी अनेक पुस्तके प्रसिद्ध झाली. ‘मराठी ज्ञानप्रसारक’ या १८५० साली सुरू झालेल्या नियतकालिकातून अनेक लहान लहान गोष्टी प्रसिद्ध झाल्या. यांतील बहुतेक सर्व गोष्टी रचनेच्या दृष्टीने अत्यंत प्राथमिक स्वरूपाच्या होत्या. आजच्या कथेची खऱ्या अर्थाने सुरुवात १८९० साली झाली. प्रख्यात कादंबरीकार ह. ना. आपटे यांनी त्या वर्षी ‘करमणूक ‘ साप्ताहिक सुरू केले. त्यातून त्यांनी दैनंदिन जीवनाचे प्रतिबिंब असलेल्या स्फुट गोष्टी लिहिल्या.

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पुढे अनेक कथाकारांनी अनेक अंगांनी मराठी कथा समृद्ध करीत नेली. ग्रामीण कथा, दलित कथा असे नवनवीन प्रवाह निर्माण झाले. स्वातंत्र्यानंतर शिक्षणाचा प्रसार झाला. विविध जातिधर्माचे लोक शिक्षणाच्या कक्षेत आले. स्त्रियांमध्ये शिक्षणाचे प्रमाण वाढले. या सगळ्या समाजघटकांमधून कथालेखक निर्माण झाले. त्यामुळे जीवनाचे विविधांगी दर्शन घडवणाऱ्या कथा मराठीत लिहिल्या जाऊ लागल्या.

कथा-साहित्यप्रकार-परिचय कथेचे घटक

(१) कथाबीज : कथा म्हणजे अनेक घटनांची मालिका असते. ही घटनांची मालिका आपण आत्यंतिक संक्षिप्त रूपात दोन-तीन वाक्यांत सांगू शकतो. ही कथेची मूळ घटना होय, या घटनेलाच ‘कथाबीज’ म्हणतात.

(२) कथानक : कथेत अनेक घटना असतात. लेखक या घटना विशिष्ट क्रमाने रचत जातो. या रचनेतून पात्रांच्या कृती, त्यांची स्वभाववैशिष्ट्ये, भोवतालचे सामाजिक वातावरण, परस्परसंबंधांतून निर्माण होणारे संघर्ष हे सर्व घटक उलगडत जातात. कथेच्या भावाशयासहित पात्रांच्या कृतींतून निर्माण होणाऱ्या घटनांची मालिका म्हणजे कथानक.

(३) पात्रचित्रण : पात्र म्हणजे कथानकातील शब्दरूप व्यक्तीच होत. या व्यक्तीची वृत्ती, प्रवृत्ती, तिच्या भावभावना, विचार, कल्पना, तिच्या कृती, अन्य व्यक्तींशी असलेले परस्परसंबंध हे सर्व लेखक वास्तवातील माणसासारखे रेखाटतो. यातून जे. शब्दरूप चित्रण निर्माण होते, ते ‘पात्रचित्रण’ होय.

(४) वातावरण निर्मिती : आपल्या अवतीभोवतीच्या परिसरात सामाजिक, सांस्कृतिक, राजकीय, भौगोलिक इत्यादी घटकांनी एक विशिष्ट वातावरण निर्माण होते. ते स्थळकाळाप्रमाणे बदलते. असे वातावरण लेखक कथेत निर्माण करतो. वाचक या वातावरणामुळे कथेशी जवळीक साधू शकतो. शब्दांतून व्यक्त झालेली कथा मानवी आयुष्यात घडणारी कथा भासली पाहिजे. वातावरण निर्मितीतून हे कार्य घडत असते.

(५) नाट्यमयता/संघर्ष : कथेतील भावभावना एका क्षणाला उत्कट, तीव्र होतात. पात्रांमधील संघर्षही तीव्र होत जातो. आता पुढे काय होईल, पुढे काय होईल अशी वाचकाला उत्कंठा वाटत राहते. वाचकाच्या कल्पनेप्रमाणे पुढे घडले नाही की त्याची उत्कंठा आणखी वाढते. भावभावनांचा हा जो खेळ लेखकाने मांडलेला असतो, ती नाट्यमयता होय,

(६) संवाद : कथेतील संवाद पाल्हाळीक असता कामा नयेत. तर ते चटपटीत, आकर्षक व भाववाही असावेत. पात्रांचे व्यक्तिमत्त्व त्या संवादांतून व्यक्त व्हायला हवे. कथानक नाट्यमयतेने पुढे पुढे सरकायला हवे. कथेची भावनात्मकता त्यांतून व्यक्त झाली पाहिजे. असे संवाद कथेची उंची वाढवतात.

(७) भाषाशैली : कथेतील पात्रांच्या तोंडची भाषा व कथेच्या उर्वरित भागातील भाषा हे कथेतील भाषेचे दोन ढोबळ भाग पडतात, पात्रांच्या तोंडची भाषा ही पात्राचे वय, शिक्षण, सामाजिक दर्जा, आर्थिक स्तर, त्याची मनोवृत्ती इत्यादी अनेक घटकांवर अवलंबून असते. पात्राच्या स्वरूपानुसार त्याच्या तोंडची भाषा लेखकाला लिहिता आली पाहिजे. पात्रांच्या तोंडच्या भाषेखेरीज उरलेली भाषासुद्धा कथेचे व्यक्तिमत्त्व घडवत असते. ती भाषा पात्रांचे चित्रण करते. वातावरण उभे करते. कथानकाला पुढे नेते. ती वाचकाशी संवाद साधत असते. या भाषेत वापरलेले शब्द, प्रतिमा – प्रतीके – अलंकार हे महत्त्वाचे असतातच; पण लेखकाचा दृष्टिकोन, त्याचे विचार, त्याची मानसिकता इत्यादींचाही त्या भाषेवर परिणाम होत असतो. हे सर्व म्हणजे लेखकाची ‘भाषाशैली’ होय.

कथा-साहित्यप्रकार-परिचय कथेची वैशिष्ट्ये

(१) कथा मनोरंजन करते : कथा वाचताना आपण कथेतील पात्रांच्या जगात प्रवेश करतो. नेहमीच्या ताणतणावांनी भरलेल्या जगाहून वेगळ्या जगात विहार करायला मिळते, याचा आनंद होतो. काही वेळा असेही घडते – माणसाला मनुष्यस्वभावाविषयी अमाप कुतूहल असते. कथेमार्फत मनुष्यस्वभावाच्या अनेक तहांशी परिचय होतो, त्यामुळे आपल्याला आपले कुतूहल शमवण्याचा आनंद मिळतो. काही कथाच मुळात विनोदनिर्मितीसाठी लिहिलेल्या असतात. अशा विविध कारणांनी कथेमुळे आनंद मिळतो. मनोरंजन होते.

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(२) कथेमुळे सुसंस्कार होतात : कथेमध्ये पात्रे असतात. ती वास्तवातील माणसांसारखीच दाखवलेली असतात. त्यांच्या वागण्याबोलण्यातून, घटना-प्रसंगांतून चांगल्या मूल्यांचे महत्त्व अधोरेखित केले जाते. चांगली मूल्ये व वाईट मूल्ये यांच्या संघर्षात चांगल्या मूल्यांचा विजय होताना दाखवलेला असतो. कथा वाचकाला प्रेरणा, स्फूर्ती व बोध देते. समता, स्वातंत्र्य, बंधुभाव, न्याय, मानवता अशा कितीतरी मूल्यांचा संस्कार वाचकांवर होतो. आपण कोणत्या मार्गाने जावे, कोणता मार्ग टाळावा, याचा बोध माणसाला होतो. हे सर्व सुसंस्कार होत.

(३) कथा वाचकांची उत्कंठा वाढवते : कथेत सतत ‘पुढे काय होणार?’ अशी वाचकाला उत्सुकता वाटत राहते, वाचक स्वत:चे काही अंदाज बांधतो. लेखक घटनांची गुंफण इतक्या कौशल्याने करतो की वाचकाचे अंदाजही कोलमडून पडतात. त्यामुळे त्याची उत्सुकता आणखी वाढते. मनुष्यस्वभावाचे अकल्पित नमुने वाचकासमोर येतात. त्यांच्या ज्ञानामुळे वाचक अधिक प्रगल्भ होतो. प्रगल्भ होत जाण्याचा एक उदात्त आनंद वाचकाला मिळतो. या उत्कंठावर्धक रचनेमुळे वाचकावर नकळत संस्कार होत जातात.

(४) कथा एककेंद्री असते : कमीत कमी पात्रे कमीत कमी घटना – प्रसंग, कमीत कमी परिसर, कमीत कमी मूल्यांचा संघर्ष यांमुळे कथेचा एकच परिणाम साधला जातो.

(५) कथा भूतकाळात लिहिली जाते : आपण वर्तमानकाळात जगतो, तेव्हा सर्वजण एकाच पातळीवर असतो. प्रत्येकजण आपापली कृती करीत असतो. प्रत्येकाच्या कृतीचे परिणाम काय होतील, हे कोणालाही माहीत नसतात. ते भविष्यकाळात दिसणार असतात. साहजिकच कोणत्या कृतीचे, मूल्याचे कोणते परिणाम होतील, ते अंधारातच राहते. खरे तर, घटना पूर्ण झाली, कथानक पूर्ण झाले की ते सर्व भूतकाळात जमा होते. तसेच, वाचकाची उत्कंठा शमण्याच्या दृष्टीने, त्याच्यावर संस्कार होण्याच्या दृष्टीने वर्तमानकाळातील रचना उपयुक्त नसते. म्हणून साधारणपणे कथा भूतकाळात लिहिली जाते.

(६) कथेच्या माध्यमातून जीवनाचा वेध घेतला जातो : जीवनातील घटना, भावभावना, वैचारिक उलथापालथी यांचे दर्शन कथांतून घडत असते. मानवी जीवनाची अगणित रूपे कथांतून दिसतात. आपण स्वतःच्या जीवनात अनुभवतो, त्यापेक्षा कितीतरी व्यापक, विराट जीवनदर्शन कथांमधून घडते.

(७) श्रवणीयतेमुळे कथेचे सादरीकरण करता येते : समोर उपस्थित असलेल्या श्रोत्यांसमोर कथा कथन करता येते, म्हणजे सांगता येते, कथा श्रवणीय असल्यामुळे हे शक्य होते. कथा श्रवणीय का होते? कारण ती उत्कंठावर्धक असते. वाचकाच्या मनाला ती गुंतवून ठेवते. तसेच, कमी पात्रे, कमी प्रसंग, कमी संघर्ष, कथेतील जीवनाचा मर्यादित परीघ यांमुळे कथा एककेंद्री होते. कधी कधी कथेतील विनोदामुळे आकर्षकता वाढते. हे सगळे घटक श्रवणीयता वाढवायला मदत करतात.

कथा-साहित्यप्रकार-परिचय कथेचे सादरीकरण

सादरीकरणाचे अभिवाचन व कथाकथन हे दोन भाग आहेत :
(२) अभिवाचन लिहिलेली किंवा छापलेली कथा आहे तशीच वाचणे म्हणजे अभिवाचन होय. अभिवाचनात विरामचिन्हे लक्षात घेऊन वाचन करावे लागते. कथेतील भावनांचे चढउतार लक्षात घ्यावे लागतात. वाचनाची द्रुत लय व संथ लय यांचा गरजेप्रमाणे उपयोग करून घ्यावा लागतो. ऐकून समजून घेता येईल, असा वेग ठेवावा लागतो. थोडक्यात, कथेचे भावपूर्णतेने वाचन केले जाते. येथे वाचिक अभिनय महत्त्वाचा असतो.

(२) कथाकथन कथाकथनासाठी कथा प्रथम पूर्णपणे पाठ केली जाते. गप्पांच्या जवळ जाणाऱ्या शैलीत कथा सादर केली जाते. वाचिक अभिनयाची गरज असतेच; शिवाय काही प्रमाणात हावभाव, क्वचित हालचाली यांचाही उपयोग केला जातो. शब्दफेक, प्रभावी उच्चारण, स्पष्टता, गर्भितार्थ श्रोत्यांपर्यंत थेट पोहोचवणे हे फार मोठे कौशल्य असते.

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कथा-साहित्यप्रकार-परिचय समारोप

छपाईचे तंत्रज्ञान निर्माण होण्यापूर्वी कथा मौखिक रितीने एकमेकांना सांगितली जात होती. आजची कथाकथनाची पद्धत टिकून आहे. निबंध, लेख, वैचारिक वाङ्मय, कादंबरी हे प्रकार कथनाद्वारे वाचकांपर्यंत पोहोचवणे कठीण असते. पण कथा मात्र अजूनही कथन पद्धतीने वाचकांपर्यंत नेता येते.

कथा-साहित्यप्रकार-परिचय शब्दार्थ

  • लक्षवेधी – लक्ष, मन वेधून घेणारी.
  • मौखिक – मुखावाटे चालत आलेली.
  • उत्तरोत्तर – क्रमाक्रमाने, अधिकाधिक.
  • चित्ताकर्षक – चित्ताला, मनाला आकषून घेणारी.
  • उत्कर्षबिंदू – नाट्यमयता, संघर्ष शिगेला पोहोचण्याची स्थिती.
  • बहुआयामी – खूप बाजू असलेला/ली.
  • कथात्म – कथा हा आत्मा असलेले.
  • चटपटीत – तल्लख, चलाख, हुशार.
  • रसपरिपोष – रसाचा उत्कट व सर्वांगांनी परिपूर्ण आविष्कार झालेला असण्याची स्थिती.
  • श्रवणीय – ऐकताना उच्च आनंद देणारे.
  • संहिता – मूळ लेखन.

कथा-साहित्यप्रकार-परिचय वाक्प्रचार व त्यांचे अर्थ

  • वृद्धिंगत होत जाणे – वाढ होत जाणे,
  • भंडावून सोडणे – अतिशय त्रास देणे,

Maharashtra Board Class 12 Marathi Yuvakbharati Solutions Chapter 1 वेगवशता

Balbharti Maharashtra State Board Marathi Yuvakbharati 12th Digest Chapter 1 वेगवशता Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Maharashtra State Board 12th Marathi Yuvakbharati Solutions Chapter 1 वेगवशता

12th Marathi Guide Chapter 1 वेगवशता Textbook Questions and Answers

कृती 

1. अ. पाठाच्या आधारे खालील चौकटी पूर्ण करा.

प्रश्न 1. अ
पाठाच्या आधारे खालील चौकटी पूर्ण करा.

Maharashtra Board Class 12 Marathi Yuvakbharati Solutions Chapter 1 वेगवशता 2
उत्तर :

Maharashtra Board Class 12 Marathi Yuvakbharati Solutions Chapter 1 वेगवशता 3

आ. कृती करा.

प्रश्न 1. आ.
कृती करा
Maharashtra Board Class 12 Marathi Yuvakbharati Solutions Chapter 1 वेगवशता 4.1

उत्तर :
Maharashtra Board Class 12 Marathi Yuvakbharati Solutions Chapter 1 वेगवशता 5.1
Maharashtra Board Class 12 Marathi Yuvakbharati Solutions Chapter 1 वेगवशता 6.1
Maharashtra Board Class 12 Marathi Yuvakbharati Solutions Chapter 1 वेगवशता 7.1

इ. कारणे शोधा व लिहा.

प्रश्न 1.
अमेरिकेतील माणसांचे जीवन वेगवान असते, कारण ………………. .
उत्तर :
अमेरिकेतील माणसांचे जीवन वेगवान असते; कारण वेगवेगळ्या ठिकाणांमधील अंतर खूपच असते आणि दरडोई वाहन उपलब्ध असते

Maharashtra Board Class 12 Marathi Yuvakbharati Solutions Chapter 1 वेगवशता

प्रश्न 2.
लेखकांच्या मते, गरजेच्या वेळी वाहनांचा वापर करायला हवा; कारण ………………… .
उत्तर :
लेखकांच्या मते, गरजेच्या वेळी वाहनांचा वापर करायला हवा; कारण रस्त्यावर अडचणी निर्माण होणार नाहीत.

2. अ. योग्य पर्याय निवडून उत्तर लिहा.

प्रश्न 1.
जीवन अर्थ पूर्ण होईल, जर ………………….
अ. वाहन कामापुरतेच वापरले तर.
आ. वाहन आवश्यक कामासाठी वापरले तर
इ. वाहनाचा वेग आटोक्यात ठेवला तर.
ई. वरील तिन्ही गोष्टींचा अवलंब केला तर.
उत्तर :
ई. वरील तिन्ही गोष्टींचा अवलंब केला तर.

प्रश्न 2.
निसर्गविरोधी वर्तन नसणे, म्हणजे……………..
अ. स्वत:ला वाहनाशी सतत जखडून ठेवणे.
आ. वाहनाचा अतिवेग अंगीकारणे.
इ. तातडीचा भाग म्हणून कधीतरी वाहन वापरणे.
ई. गरज नसताना वाहन वापरणे.
उत्तर :
इ. तातडीचा भाग म्हणून कधीतरी वाहन वापरणे.

Maharashtra Board Class 12 Marathi Yuvakbharati Solutions Chapter 1 वेगवशता

आ. वाहन वापरातील फरक स्पष्ट करा.

प्रश्न 1.
Maharashtra Board Class 12 Marathi Yuvakbharati Solutions Chapter 1 वेगवशता 1
उत्तर :

अमेरिका भारत
घरोघर, दरडोई वाहन उपलब्ध असते. अंतरे कमी आहेत.
रस्ते रुंद, सरळ, निर्विघ्न व एकमार्गी माणसे खूप आहेत.
कामांची वेगवेगळी ठिकाणे किमान शंभर मैल अंतरावर असतात. कामे फारशी नसतात.
दूरदूरची ठिकाणे गाठण्यासाठी वेगाचा आश्रय घ्यावा लागतो. महानगरे रेल्वेने जोडलेली आहेत.

3. खालील वाक्यांचा अर्थ सोदाहरण स्पष्ट करा.

प्रश्न अ.
यथाप्रमाण गती ही गरज आहे ; पण अप्रमाण, अवास्तव आणि अनावश्यक गती ही एक विकृती आहे.
उत्तर :
योग्य त्या प्रमाणात, आवश्यक त्या प्रमाणात वाहन वापरणे ही माणसाची गरज आहे. योग्य त्या प्रमाणात वाहन न वापरणे, अव्यवहार्य रितीने वापरणे आणि गरज नसताना वापरणे हे अनैसर्गिक आहे.

प्रश्न आ.
आरंभी माणसे वाहनांवर स्वार होतात. मग वाहने माणसांवर स्वार होतात.
उत्तर :
सुरुवातीला लोक गाडी जपून चालवतात. थोड्या काळासाठीच जपून चालवतात. मात्र हळूहळू त्यांना गाडीची चटक लागते. मग ते गरज असतानाच नव्हे, तर केवळ मौजमजा करण्यासाठीसुद्धा गाडीचा वापर करतात. हळूहळू त्यांना गाडीशिवाय कुठे जाताही येत नाही. पूर्णपणे ते गाडीवरच अवलंबून राहतात. हे सिगारेटच्या व्यसनासारखेच आहे.

सुरुवातीला फक्त एकदाच, मग फक्त एकच. असे करता करता दिवसाला एक पाकीट कधी होते हे कळतच नाही. नंतर नंतर सिगारेट मिळाली नाही तर त्या व्यक्तीचे मनःस्वास्थ्यच नाहीसे होते. सिगारेटशिवाय ती राहू शकत नाही. ती व्यक्ती सिगारेटचा गुलाम होऊन जाते. तद्वतच माणसेही गाड्यांचे गुलाम होतात. त्यांच्या वापराबाबत माणसांना कोणतेही तारतम्य राहत नाही.

Maharashtra Board Class 12 Marathi Yuvakbharati Solutions Chapter 1 वेगवशता

प्रश्न इ.
उगाच भावविवश होऊन वेगवश होऊ नये.
उत्तर :
वाहन हे सोयीसाठी असते. ते साधन आहे. आपला वेळ व आपले श्रम वाहनामुळे वाचतात. आपली कामे भराभर होतात. वाहनाचे हे स्थान ओळखले पाहिजे. यापलीकडे आपल्या भावना गुंतवू नयेत. वाऱ्यासोबत त्याच्या वेगाने धावू लागलो तर काही क्षण आनंद मिळतो. उत्साह, उल्हास शरीरात सळसळतो. म्हणजे आपल्या भावना उचंबळून येतात. या भावनांवर आपण आरूढ झालो, तर आपला वाहनावर ताबा राहत नाही आणि अपघातांची शक्यता निर्माण होते.

आपल्या वाहनाला धडकेल का, आपल्याला जिथे वळायचे आहे तिथे वळता येईल का, त्या वेळी बाकीच्या वाहनांची स्थिती कशी असेल, त्यांच्यापैकी कोणीही स्वत:ची दिशा बदलण्याचा संभव आहे का इत्यादी अनेक बाबींचा विचार काही क्षणांत करावा लागतो. त्या अनुषंगाने सतत विचार करीत राहावे लागते. वाहन आणि वाहनाची गती यांखेरीज अन्य कोणतेही विचार मनात आणता येत नाहीत.

एकाच विचाराला जखडले गेल्यामुळे डोळ्यांवर, शरीरावर व मनावर विलक्षण ताण येतो. अपघाताची भीती मनात सावलीसारखी वावरत असते. तासन्तास तणावाखाली राहावे लागल्याने मनावर विपरीत परिणाम होतात. वाहनाचा वेग जास्त असल्यामुळे अगदी बारीकशा खड्ड्यानेसुद्धा वाहनाला हादरे बसतात. सांधे दुखतात. ते कमकुवत होतात. अशा प्रकारे वाढता वेग म्हणजे ताण, हे समीकरण तयार होते.

4. व्याकरण.

अ. समानार्थी शब्द लिहा.

प्रश्न अ.
समानार्थी शब्द लिहा.

  1. निकड –
  2. उचित –
  3. उसंत –
  4. व्यग्न –

उत्तर :

  1. निकड – गरज
  2. उचित – योग्य
  3. उसंत – सवड
  4. व्यग्र – गर्क

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आ. खालील सामासिक शब्दांचा विग्रह करून समास ओळखा.

प्रश्न आ.
खालील सामासिक शब्दांचा विग्रह करून समास ओळखा.

  1. ताणतणाव –
  2. दरडोई –
  3. यथाप्रमाण –
  4. जीवनशैली –

उत्तर :

  1. ताणतणाव – ताण, तणाव वगैरे → समाहार व्वंद्व
  2. दरडोई – प्रत्येक डोईला → अव्ययीभाव
  3. यथाप्रमाण – प्रमाणाप्रमाणे → अव्ययीभाव
  4. जीवनशैली – जीवनाची शैली → विभक्ती तत्पुरुष

इ. कंसातील सूचनेनुसार वाक्यरूपांतर करा.

प्रश्न इ.
कंसातील सूचनेनुसार वाक्यरूपांतर करा.

  1. आजच्या जीवनात विलक्षण वेगवानता आढळते. (उद्गारार्थी करा.)
  2. आपल्याकडे कामाच्या ठिकाणाची अंतरे कमी आहेत. (नकारार्थी करा.)
  3. निसर्गरम्य स्थान किंवा मंदिर पाहण्यासाठी ही माणसे का जात नाहीत? (विधानार्थी करा.)

उत्तर :

  1. किती विलक्षण वेगवानता आढळते आजच्या जीवनात!
  2. आपल्याकडे कामाच्या ठिकाणांची अंतरे जास्त नाहीत.
  3. माणसांनी निसर्गरम्य स्थान किंवा मंदिर पाहण्यासाठी जायला हरकत नाही.

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5. स्वमत.

प्रश्न अ.
‘वाहनांच्या अतिवापराने शरीर व्यापारात अडथळे निर्माण होतात’, तुमचे मत सोदाहरण स्पष्ट करा.
उत्तर :
अलीकडच्या काळात जीवन विलक्षण गतिमान झाले आहे. एकाच माणसाला अनेक कामे पार पाडावी लागतात. तीसुद्धा कमी अवधीत. कामांशी संबंधित ठिकाणी अनेक माणसांना अनेक ठिकाणी गाठावे लागते. मोठमोठी अंतरे कापावी लागतात. चालत जाऊन ही कामे करता येणे शक्य नसते. साहजिकच वाहनांचा उपयोग अपरिहार्य ठरतो.

फक्त एका-दोघांना किंवा फक्त काहीजणांनाच वाहन वापरावे लागते असे नाही. सामान्य माणसांनाही वाहन वापरणे गरजेचे होऊन बसले आहे. सतत वाहन वापरण्याचे दुष्परिणाम खूप होतात. आपण चालत चालत जाऊन कामे करतो, तेव्हा शरीराच्या सर्व प्रकारच्या हालचाली होतात. इकडे-तिकडे वळणे, खाली वाकणे, वर पाहणे, मागे पाहणे, हात वर-खाली करणे, पाय दुमडून बसणे.

पाय लांब करून बसणे, उकिडवे बसणे अशा कितीतरी लहान लहान कृतींतून शारीरिक हालचाली घडत असतात. या हालचालींमुळे शरीराच्या सगळ्याच स्नायूंना आणि सांध्यांना भरपूर व्यायाम मिळतो. शरीर लवचीक बनते. आपण या हालचाली सहजगत्या, एका लयीत करू शकतो. एक सुंदर, नैसर्गिक लय शरीराला लाभते. मात्र, सतत वाहनांचा उपयोग करावा लागल्यामुळे हालचालींना आपण मुकतो.

शरीराला लवचिकता प्राप्त होत नाही. शरीराच्या अनेक व्याधींना सुरुवात होते. दुःखे, कटकटी भोगाव्या लागतात. पैसा, वेळ खर्च होतो. दैनंदिन जीवन विस्कळीत होते. जगण्यातला आनंद नाहीसा होतो. म्हणजे आपल्या शरीर व्यापारात अनेक अडथळे निर्माण होतात.

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प्रश्न आ.
‘वाढता वेग म्हणजे ताण’, याविषयी तुमचे मत सविस्तर लिहा.
उत्तर :
माणसे वाहनात बसली की ते दृश्य पाहण्यासारखे असते. सर्वजण उल्हसित मन:स्थितीत असतात. सगळ्यांच्या बोलण्याच्या कोलाहलामुळे वातावरणात आनंद भरून जातो. वाहनचालकाला हळूहळू सुरसुरी येते. तो हळूहळू वेग वाढवू लागतो. सर्वजण उत्तेजित होतात. गाडीचा वेग वाढतच जातो. मागे पडत जाणाऱ्या वाहनांकडे सगळेजण विजयी मुद्रेने पाहू लागतात.

चालक हळूहळू बेभान होतो. अन्य गाडीवाले सामान्य आहेत, कमकुवत आहेत, आपण सम्राट आहोत, अशी भावना मनातून उसळी घेऊ लागते. अशा मन:स्थितीत माणूस विवेक गमावतो. गाडी सुरक्षितपणे चालवण्यासाठी ही मन:स्थिती अनुकूल नसते. गाडी सुरक्षितपणे चालवण्यासाठी चित्त एकवटून वाहनावर केंद्रित करावे लागते. हात आणि पाय यांच्या हालचाली अचूक जुळवून घेण्यासाठी सतत मनाची तयारी ठेवावी लागते.

क्लच, ब्रेक, अक्सलरेटर, यांच्याकडे बारीक लक्ष ठेवावे लागते. त्याच वेळी पाठीमागून व बाजूने येणारी वाहने आणि आपण यांच्यात सुरक्षित अंतर ठेवण्याचा कसोशीने प्रयत्न करावा लागतो. अन्य एखादे वाहन मध्येच आडवे येईल का, आपल्या वाहनाला धडकेल का, आपल्याला जिथे वळायचे आहे तिथे वळता येईल का, त्या वेळी बाकीच्या वाहनांची स्थिती कशी असेल, त्यांच्यापैकी कोणीही स्वत:ची दिशा बदलण्याचा संभव आहे का इत्यादी अनेक बाबींचा विचार काही क्षणांत करावा लागतो.

त्या अनुषंगाने सतत विचार करीत राहावे लागते. वाहन आणि वाहनाची गती यांखेरीज अन्य कोणतेही विचार मनात आणता येत नाहीत. एकाच विचाराला जखडले गेल्यामुळे डोळ्यांवर, शरीरावर व मनावर विलक्षण ताण येतो. अपघाताची भीती मनात सावलीसारखी वावरत असते. तासन्तास तणावाखाली राहावे लागल्याने मनावर विपरीत परिणाम होतात. वाहनाचा वेग जास्त असल्यामुळे अगदी बारीकशा खड्ड्यानेसुद्धा वाहनाला हादरे बसतात. सांधे दुखतात. ते कमकुवत होतात. अशा प्रकारे वाढता वेग म्हणजे ताण, हे समीकरण तयार होते.

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प्रश्न इ.
‘वाहन हे वेळ वाचवण्यासाठी असते. ते वेळ घालवण्यासाठी नसते’, हे विधान तुमच्या शब्दांत स्पष्ट करा.
उत्तर :
खरे तर प्राचीन काळापासून वाहन निर्माण करणे, हे माणसाचे स्वप्न होते. त्याच्या मनात खोलवर रुजलेले हे स्वप्न प्राचीन कथांमधून, देवदेवतांच्या कथांमधून सतत व्यक्त होत राहिले आहे. माणसाच्या मनातल्या या प्रबळ प्रेरणेतूनच वाहनाची निर्मिती झाली आहे. वेळ आणि श्रम वाचवणे हाच वाहनाच्या निर्मितीमागील हेतू आहे. अलीकडच्या काळात जीवनाचा वेग प्रचंड वाढला आहे. वेळ थोडा असतो. कामे भरपूर असतात. कामाची ठिकाणेसुद्धा दूर दूर असतात. अनेक ठिकाणी जावे लागते.

अनेक माणसांना भेटावे लागते. म्हणूनच वाहनांची निर्मिती झाली आहे. वाहनांमुळे माणसाची प्रचंड प्रगती झाली आहे. त्यामुळे वाहनाला माणसाच्या जीवनात फार मोठे स्थान मिळालेले आहे. अशी ही अत्यंत महत्त्वाची वस्तू आपल्याकडे असावी, असे सगळ्यांना वाटू लागते. माणसे धडपडून वाहने प्राप्त करतात. प्रतिष्ठा मिळवतात. पण वेळ व श्रम वाचवणे हा उद्देश मात्र त्यांच्या मनातून केव्हाच दूर होतो. वाहन हे साधन आहे.

ते आपला वेळ वाचवते यात शंकाच नाही. परंतु काहीही केले तरी किमान वेळ हा लागतोच. शून्य वेळामध्ये आपण कुठेही पोहोचू शकत नाही. वाहन ही अखेरीस एक वस्तू आहे. वस्तूला तिच्या मर्यादा असतात. हे लक्षात न घेता आपण जास्तीत जास्त वेग वाढवून कमीत कमी वेळात पोहोचण्याचा हव्यास बाळगतो. अतिवेगामुळे आपलेच नुकसान होते. अनेक शारीरिक व्याधी आपल्याला जडतात. शारीरिक क्षमता उणावते. जगण्यातला आनंद कमी होतो. हे सर्व आपण सतत लक्षात ठेवले पाहिजे.

पण हे कोणीही लक्षात घेत नाही. केवळ हौसेसाठी, गंमत-जंमत करण्यासाठी, आपल्याकडे गाडी आहे, ऐश्वर्य आहे हे दाखवण्यासाठी लोक गाडीचा उपयोग करतात. हळूहळू गाडीचे गुलाम बनतात. गाडी हे एक साधन आहे, हे आपण सतत लक्षात ठेवले पाहिजे.

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प्रश्न ई.
‘वाहनाची अतिगती ही विकृती आहे’, स्पष्ट करा.
उत्तर :
वाहनाची अतिगती ही विकृती आहे, हे विधान शंभर टक्के सत्य आहे. हे विधान मला पूर्णपणे मान्य आहे. विकृती म्हणजे जे सहज नाही, नैसर्गिक नाही ते. कल्पना करा. आपल्याला चॉकलेट खूप आवडते. सर्व जगात असे किती जण आहेत, जे सकाळी, दुपारी, संध्याकाळी व रात्री आवडते म्हणून फक्त चॉकलेटच खातात? समजा एखादयाला पांढरा रंग खूप आवडतो, म्हणून तो घरातल्या सर्व माणसांना फक्त पांढऱ्या रंगाचेच कपडे घेतो. घराला पांढरा रंग देतो. अंथरुणे-पांघरुणे पांढरी, खिडक्यांचे पडदे पांढरे, भांडीकुंडी, फर्निचर पांढऱ्या रंगाचे. हे असे करणारा जगामध्ये.

एक तरी माणूस असेल का? सर्वजण पायांनी चालतात. उलटे होऊन हातांवर तोल सावरत प्रयत्नपूर्वक चालता येऊ शकते. पण अशा त-हेने नियमितपणे जाणारा एक तरी माणूस सापडेल का? जे सहज आहे, नैसर्गिक आहे तेच साधारणपणे माणूस करतो. तीच खरे तर प्रकृती असते. याच्या विरुद्ध वागणे म्हणजे विकृती होय. रोजच्या जेवणात वरण-भात आणि भाजी-पोळी असणे, घरात विविध रंगसंगती योजणे, पायांनी चालणे हे सर्व सहज, नैसर्गिक आहे.

सर्व माणसे तसेच वागतात. हाच न्याय वाहनांनासुद्धा लागू पडतो. मर्यादित वेगाने वाहन चालवत, अपघाताची शक्यता निर्माण होऊ न देता, सुरक्षितपणे, वेळेत पोहोचणे हा वाहनाने प्रवास करण्याचा हेतू असतो. हा हेतू आपण अतिवेगाचा हव्यास बाळगला नाही तरच यशस्वी होतो. म्हणून अतिवेग ही विकृती होय, हेच खरे.

6. अभिव्यक्ती.

प्रश्न अ.
रस्त्यावरील वाहतूक कोंडीत सापडल्यावर तुमची भूमिका काय असेल ते लिहा.
उत्तर :
सध्या वाहनांची प्रचंड गर्दी झाली आहे. रस्ते मात्र पूर्वीएवढेच आहेत. रस्त्यांची संख्या पूर्वीइतकीच आणि त्यांची लांबी-रुंदीसुद्धा पूर्वीइतकीच. गाड्यांची संख्या मात्र प्रचंड वाढली आहे. कमी वेळात पोहोचण्याच्या इच्छेने वाहन खरेदी केले जाते खरे; पण वाहतूक कोंडीतच तासन्तास वाया जातात. या परिस्थितीमुळे मनाचा संताप होतो. वाहन आपल्या मालकीचे असते. पण रस्ता.

आपल्या मालकीचा नसतो. मग वाहतूक कोंडीच्या ठिकाणी प्रचंड गदारोळ माजतो. प्रत्येकजण स्वत:ची गाडी वाटेल तशी पुढे दामटत राहतो. सर्व गाड्या एकमेकांच्या वाटा अडवून उभ्या राहतात. कोणीही पुढे जाऊ शकत नाही की मागे परतू शकत नाही. गाड्यांचे हॉर्न कर्कश आवाजात मोठमोठ्याने कोकलत असतात. काही जणांची भांडणे सुरू होतात. पोलीस हतबल होतात.

अशा प्रसंगात मी सापडलो तर? सर्वप्रथम हे लक्षात घेईन की परिस्थिती माझ्या नियंत्रणात नाही. मी पूर्णपणे शांत राहीन. मनाची चिडचिड होऊ देणार नाही. अस्वस्थ होणार नाही. हॉर्न तर मुळीच वाजवणार नाही. मध्ये मध्ये घुसून पुढे जाण्याचा प्रयत्न करणार नाही. तसे करणाऱ्यांना समजावून सांगण्याचा प्रयत्न करीन. कारण अशा पद्धतीने कोणीही पुढे जाऊ शकत नाही.

उलट अडचणींमध्ये भर पडण्याची शक्यता जास्त. आपण स्वतः पुढे होऊन रहदारीचे नियंत्रण करू लागलो तर लोक आपले ऐकणार नाहीत. पण आणखी एका दोघांशी बोलून दोघे-तिघे जण तिथल्या पोलीस काकांना भेटू. आमची मदत करण्याची इच्छा बोलून दाखवू. त्यांच्याशी चर्चा करून काय काय करायचे ते ठरवून घेऊ. कामांची आपापसांत वाटणी करून घेऊ आणि पोलीस काकांच्या मार्गदर्शनाखाली वाहतूक नियंत्रण सुरू करू.

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प्रश्न आ.
वाहन चालवत असताना कोणती काळजी घ्यावी, ते तुमच्या शब्दांत लिहा.
उत्तर :
गाडी चालवताना काळजी घेतली आणि वाहतुकीचे नियम काटेकोरपणे पाळले तर प्रवास सुखाचा, सुरक्षित आणि कमीत कमी वेळेत पूर्ण होतो.

गाडी चालवायला बसण्यापूर्वीची पूर्वतयारी :

  • प्रत्येक वेळी गाडी चालवायला बसण्यापूर्वी वाहन चालवण्याचा परवाना (ड्रायव्हिंग लायसन्स), अन्य आवश्यक कागदपत्रे (विमा, पीयुसी इत्यादी) घेतल्याची खात्री करून घ्यावी.
  • टायरमधील हवा आणि गाडीतील इंधन पुरेपूर असल्याची खात्री करावी.
  • गाडीतील प्रवाशांना वाहतुकीच्या सामान्य नियमांची कल्पना दयावी. आणीबाणीच्या प्रसंगी काय करावे त्याची माहिती दयावी.

प्रत्यक्ष गाडी चालवताना घ्यायची काळजी :

  • गाडीवर पूर्ण लक्ष ठेवावे.
  • गाडीतील प्रवाशांच्या गप्पांत सामील होऊ नये.
  • गाडीचा वेग पन्नास-साठ किलोमीटरच्या पलीकडे जाऊ देऊ नये; कारण आपल्याकडील रस्ते अजूनही साठ किलोमीटरपेक्षा जास्त वेगाने जाण्यास योग्य बनवलेले नाहीत.
  • जास्त वेगामुळे सतत हादरे बसतात आणि सर्वांनाच त्रास होतो. शारीरिक व्याधी जडतात. म्हणून जास्त वेगाचा मोह टाळावा.
  • गाडीतील प्रवाशांना गप्पा मारण्यास बंदी घालता येत नाही. तरीही गप्पांच्या ओघात अचानक मोठ्याने ओरडणे किंवा हास्यस्फोटक विनोद करणे या गोष्टी टाळण्याच्या सूचना दयाव्यात.
  • स्वत:ची लेन सोडून जाऊ नये.
  • लेन बदलताना, वळण घेताना, रस्ता बदलताना खूप आधीपासून तयारी करावी. योग्य ते सिग्नल दयावेत.
  • वाटेत जागोजागी लावलेल्या वाहतुकीच्या सूचनांचे काटेकोर पालन करावे.
  • गाडीत धूम्रपान, मद्यपान करू नये. गाडी चालकाने तर मुळीच करू नये.

अशा प्रकारे काळजी घेतल्यास आपला प्रवास सुखाचा होतो.

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उपक्रम :

‘वाहतूक नियंत्रण पोलीस कर्मचारी’ यांची अभिरूप मुलाखत तुमच्या वर्गमित्राच्या/मैत्रिणीच्या मदतीने वर्गात सादर करा.

तोंडी परीक्षा :

‘वाहतूक सुरक्षेची गरज’ या विषयावर पाच मिनिटांचे भाषण दया.

Marathi Yuvakbharati 12th Digest Chapter 1 वेगवशता Additional Important Questions and Answers

प्रश्न. पुढील उतारा वाचा आणि दिलेल्या सूचनांनुसार कृती करा :

कृती 1 : (आकलन)

योग्य पर्याय निवडून उत्तर लिहा.

प्रश्न 1.
1. वाहनाचा वेग अनिवार झाला, तर …….
2. शरीर-मनावरील ताण नाहीसे होतात.
3. शरीरभर आनंदाची स्पंदने निर्माण होतात.
4. आरोग्याची हानी होते.
5. एकाच जागी तासन्तास जखडून बसण्याचे शारीरिक कौशल्य अवगत होते.
उत्तर :
4. आरोग्याची हानी होते.

पुढील वाक्यांचा अर्थ सोदाहरण स्पष्ट करा :

प्रश्न 1.
जीवन हे दशदिशांना विभागले आहे.
उत्तर :
आधुनिक काळात खूप प्रगती झाल्यामुळे माणसे पूर्वीच्या काळापेक्षा कमी वेळात जास्त कामे करतात. त्यामुळे कामांची ठिकाणे अनेक असतात. ही ठिकाणे दूर दूर पसरलेली असतात.

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प्रश्न 2.
अंतरावरच्या गोष्टींशी जवळीक साधण्यासाठी दूरवर जावे लागते.
उत्तर :
अमेरिकेसारख्या देशामध्ये राहण्याची ठिकाणे, नोकरीव्यवसायाची ठिकाणे, अन्य कामाची ठिकाणे ही सर्व दूर दूर अंतरावर असतात. ही अंतरे पार करण्यासाठी खूप प्रवास करावा लागतो. भारतातील अनेक व्यक्तींची मुले अमेरिकेसारख्या दूरदूरच्या देशांमध्ये राहतात. ही सर्व माणसे एकमेकांना नियमितपणे व सहजपणे भेटू शकत नाहीत. साहजिकच अंतरामुळे त्यांच्यात दुरावा निर्माण होतो.

शकत नाही. गाड्यांचे हॉर्न कर्कश आवाजात मोठमोठ्याने कोकलत असतात. काही जणांची भांडणे सुरू होतात. पोलीस हतबल होतात. अशा प्रसंगात मी सापडलो तर? सर्वप्रथम हे लक्षात घेईन की परिस्थिती माझ्या नियंत्रणात नाही. मी पूर्णपणे शांत राहीन. मनाची चिडचिड होऊ देणार नाही. अस्वस्थ होणार नाही. हॉर्न तर मुळीच वाजवणार नाही.

मध्ये मध्ये घुसून पुढे जाण्याचा प्रयत्न करणार नाही. तसे करणाऱ्यांना समजावून सांगण्याचा प्रयत्न करीन. कारण अशा पद्धतीने कोणीही पुढे जाऊ शकत नाही. उलट अडचणींमध्ये भर पडण्याची शक्यता जास्त. आपण स्वतः पुढे होऊन रहदारीचे नियंत्रण करू लागलो तर लोक आपले ऐकणार नाहीत. पण आणखी एका दोघांशी बोलून दोघे-तिघे जण तिथल्या पोलीस काकांना भेटू. आमची मदत करण्याची इच्छा बोलून दाखवू. त्यांच्याशी चर्चा करून काय काय करायचे ते ठरवून घेऊ. कामांची आपापसांत वाटणी करून घेऊ आणि पोलीस काकांच्या मार्गदर्शनाखाली वाहतूक नियंत्रण सुरू करू.

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प्रश्न 3.
रस्त्याने कोणी चालण्याऐवजी पळू लागला तर त्याचे कौतुक करावे का?
उत्तर :
रस्त्याने कोणीही चालण्याऐवजी पळू लागला, तर कोणीही कौतुक करणार नाही. रस्ते, वाटा या चालण्यासाठी असतात. माणसे सर्वसाधारणपणे जशा कृती करतात, जशी वागतात, तशी वागली तर लोकांना बरे वाटते. वेगळी वागली, तर काहीतरी विचित्र घडत आहे, असे वाटू लागते.

लिहा :

प्रश्न 1.

  1. घरोघर व दरडोई वाहन उपलब्ध असलेला देश : ………….
  2. वेगामुळे बेभान होणारी : ………….
  3. अमेरिकन जीवनशैली ज्यांनी पत्करू नये ते : ………….
  4. गाड्यांनी एकमेकांना जोडली जाणारी : ………….
  5. वाहनांमुळे वाचतात : ………….
  6. माणसांवर स्वार होणारी : ………….

उत्तर :

  1. अमेरिका
  2. माणसे
  3. भारतीय
  4. महानगरे
  5. वेळ, श्रम
  6. वाहने.

कृती करा :

प्रश्न 1.
Maharashtra Board Class 12 Marathi Yuvakbharati Solutions Chapter 1 वेगवशता 8.1
उत्तर :
Maharashtra Board Class 12 Marathi Yuvakbharati Solutions Chapter 1 वेगवशता 9.1

प्रश्न 2.
Maharashtra-Board-Class-12-Marathi-Yuvakbharati-Solutions-Chapter-1-वेगवशता-11
Maharashtra Board Class 12 Marathi Yuvakbharati Solutions Chapter 1 वेगवशता 10.1
उत्तर :
Maharashtra Board Class 12 Marathi Yuvakbharati Solutions Chapter 1 वेगवशता 13.1
Maharashtra Board Class 12 Marathi Yuvakbharati Solutions Chapter 1 वेगवशता 11.1

प्रश्न 3.
Maharashtra Board Class 12 Marathi Yuvakbharati Solutions Chapter 1 वेगवशता 14.1
उत्तर :
Maharashtra Board Class 12 Marathi Yuvakbharati Solutions Chapter 1 वेगवशता 15.1

रिकाम्या चौकटी भरा :

प्रश्न 1.
Maharashtra Board Class 12 Marathi Yuvakbharati Solutions Chapter 1 वेगवशता 12.1
उत्तर :
Maharashtra Board Class 12 Marathi Yuvakbharati Solutions Chapter 1 वेगवशता 13.1

रिकाम्या जागा भरा :

प्रश्न 1.
वाई, सातारा अशा गावी वाहनाचा उपयोग होऊ शकतो, जर …
i. ………………….
ii. …………………
उत्तर :
वाई, सातारा अशा गावी वाहनाचा उपयोग होऊ शकतो, जर …
i. तातडीने शेतमळ्यावर जाण्याची वेळ आली.
ii. आपण गावाबाहेर राहत असू.

प्रश्न 2.
इतरांशी मानसिक स्पर्धा करण्यासाठी किंवा आपल्या ऐश्वर्याचे प्रदर्शन घडवण्यासाठी माणसे …..
उत्तर :
इतरांशी मानसिक स्पर्धा करण्यासाठी किंवा आपल्या ऐश्वर्याचे प्रदर्शन घडवण्यासाठी माणसे गरज नसताना कर्ज काढून वाहने खरेदी करतात.

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सूचनेप्रमाणे उत्तरे लिहा : 

प्रश्न 1.
वाहनाचा वेग बेताचा हवा, असे लेखक सांगतात त्यामागील कारण लिहा.
उत्तर :
वाहनाचा वेग बेताचा हवा, असे लेखक सांगतात, त्यामागील कारण अतिघाई किंवा अतिवेग यांत कोणतेही औचित्य नसते.

प्रश्न 2.
अपघात होण्याची दोन कारणे लिहा.
उत्तर :

  • वेग वाढल्यामुळे वाहनावरचा ताबा सुटणे आणि
  • पुढच्या वाहनाला मागे टाकून पुढे जाण्याचा हव्यास या दोन कारणांनी अपघात होतात.

वाक्ये पूर्ण करा :

प्रश्न 1.

  1. जर वाहनाचा वेग वाढला, तर …………..
  2. पुढचे वाहन मागे टाकून पुढे जाण्याचा जर हव्यास बाळगला, तर …………
  3. रात्री भरधाव वेगाने प्रवास करू नये; कारण ………….

उत्तर :

  1. जर वाहनाचा वेग वाढला, तर त्यावरचा ताबा कमी होतो.
  2. पुढचे वाहन मागे टाकून पुढे जाण्याचा जर हव्यास बाळगला, तर अपघात होतो.
  3. रात्री भरधाव वेगाने प्रवास करू नये; कारण झटपट पार पडलीच पाहिजेत अशी महत्त्वाची कामे दरवेळी नसतात.

व्याकरण :

वाक्यप्रकार:

वाक्यांच्या आशयावरून वाक्यप्रकार ओळखा :

प्रश्न 1.

  1. वेग हे गतीचे रूप आहे. → [ ]
  2. जीवनाची ही टोके सांधणार कशी? → [ ]
  3. बापरे! किती हा जीवघेणा वेग! → [ ]

उत्तर :

  1. विधानार्थी वाक्य
  2. प्रश्नार्थी वाक्य
  3. उद्गारार्थी वाक्य

Maharashtra Board Class 12 Marathi Yuvakbharati Solutions Chapter 1 वेगवशता

प्रश्न 2.
क्रियापदाच्या रूपांवरून वाक्यप्रकार ओळखा :

  1. गतीला जेव्हा दिशा असते, तेव्हाच ती प्रगती या संज्ञेला पात्र ठरते. → [ ]
  2. सुसाट गतीला आवरा. → [ ]
  3. कामापुरते व कामासाठी वाहन काढावे. → [ ]
  4. वाहनांच्या वेगाची चिंता वाटते. → [ ]

उत्तर :

  1. संकेतार्थी वाक्य
  2. आज्ञार्थी वाक्य
  3. विध्यर्थी वाक्य
  4. स्वार्थी वाक्य

प्रयोग ओळखा :

प्रश्न 1.

  1. अचानक वेग वाढतो. → [ ]
  2. माणसाने वाहन चालविले. → [ ]
  3. माणसाने वेगाला आवरावे. → [ ]

उत्तर :

  1. कर्तरी प्रयोग
  2. कर्मणी प्रयोग
  3. भावे प्रयोग

अलंकार :

पुढील अलंकार ओळखा :

प्रश्न 1.
आईसारखे दैवत आईच होय!
उत्तर :
अनन्वय अलंकार

Maharashtra Board Class 12 Marathi Yuvakbharati Solutions Chapter 1 वेगवशता

शब्दार्थ :

  1. प्रगती – जीवनाचा स्तर, दर्जा उंचावणे.
  2. अगतिक – असहाय, केविलवाणे.
  3. अवखळ – खट्याळ, उपद्रवी.
  4. उरकणे – आटोपणे.
  5. यथाप्रमाण – आवश्यक तेवढे.
  6. त्वरा – घाई, जलदगती.
  7. कृतकृत्य – धन्य, यशस्वी.
  8. अनिवार – अतिशय.
  9. भावविवश – हळवा, भावनाप्रधान.
  10. यथासांग – (यथा + स + अंग) आवश्यक त्या सर्व बाजूंनी.

वाक्प्रचार व त्याचा अर्थ :

यथासांग पार पाडणे – सर्व बाजू पूर्ण करून पार पाडणे.

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FAQs on Maharashtra State Board Books

1. How would I get free Maharashtra Board Textbooks?
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2. Where can I get Classwise MSBSHSE Books for all the Subjects?
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3. Are Maharashtra State Board Textbooks enough to crack the Board exams?
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