Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 12th Digest Chapter 10 ओजोन विघटन का संकट Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.
Maharashtra State Board 12th Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 10 ओजोन विघटन का संकट
12th Hindi Guide Chapter 10 ओजोन विघटन का संकट Textbook Questions and Answers
कृति-स्वाध्याय एवं उत्तर
आकलन
प्रश्न 1.
लिखिए :
(अ) ओजोन गैस की विशेषताएं :
(a) …………………………………………
(b) …………………………………………
उत्तर :
(a) ओजोन गैस नीले रंग की होती है।
(b) यह प्रकृति में तीक्ष्ण और विषैली होती है और मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती है।
(आ) ओजोन विघटन के दुष्प्रभाव :
(c) …………………………………………
(d) …………………………………………
उत्तर :
(c) ओजोन विघटन के कारण अंतरिक्ष से आने वाली पराबैंगनी किरणों से धरती के तापमान में वृद्धि होगी।
(d) अनेकानेक प्रकार की त्वचा संबंधी व्याधियाँ फैलेंगी। त्वचा के कैंसर के रोगियों की संख्या लाखों में होगी।
शब्द संपदा
प्रश्न 2.
कृदंत बनाइए:
(a) कहना – [ ]
(b) बैठना – [ ]
(c) लगना – [ ]
(d) छीजना – [ ]
उत्तर :
(a) कहना – कथन
(b) बैठना – बैठक
(c) लगना – लगाव
(d) छीजना – छीजन।
अभिव्यक्ति
प्रश्न 3.
(अ) भौतिक विकास के कारण उत्पन्न होने वाली समस्याओं के बारे में अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर :
एक समय था जब धरती का बहुत बड़ा भाग घने जंगलों से ढका हुआ था। परंतु समय के साथ बढ़ती जनसंख्या, शहरीकरण, औद्योगिक विकास के कारण वनों को बहुत तेजी से काटा गया। हजारों-लाखों वर्षों से संचित वन रूपी संपत्ति को हमने समाप्त कर दिया है। आए दिन बढ़ते उद्योग-धंधों के परिणामस्वरूप वायुमंडल में कार्बन-डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसी जहरीली गैसें बढ़ती जा रही हैं। ऑक्सीजन की कमी होने लगी है। हवा में अवांछित गैसों की उपस्थिति से मनुष्यों को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इससे दमा, खाँसी, त्वचा संबंधी रोग उत्पन्न हो रहे हैं। वायु प्रदूषण के कारण जीन अपरिवर्तन, आनुवंशकीय रोग तथा त्वचा के कैंसर के खतरे बढ़ रहे हैं। वायु प्रदूषण से अम्लीय वर्षा के खतरे बढ़े हैं, क्योंकि बारिश के पानी में सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, जैसी जहरीली गैसों के घुलने की संभावना बढ़ी है।
(आ) ‘पर्यावरण रक्षा में हमारा योगदान’, इस विषय पर लिखिए।
उत्तर :
आज पूरी दुनिया पर्यावरण प्रदूषण से पीड़ित है। पर्यावरण प्रदूषण अर्थात हवा में ऐसी अवांछित गैसों, धूल के कणों आदि की उपस्थिति, जो लोगों तथा प्रकृति दोनों के लिए खतरे का कारण बन जाए। वायु प्रदूषण का एक बड़ा कारण है औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाला धुआँ तथा रसायन। पर्यावरण की रक्षा में अपना योगदान देते हुए हमें प्लास्टिक का प्रयोग कम-से-कम करना चाहिए। रिसाइकल किए जा सकने वाली चीजों को फेंक नहीं देना चाहिए। जैसे अखबार, कागज, गत्ते, काँच आदि। पेट्रोल, डीजल आदि के उपयोग में कमी करनी चाहिए। पर्यावरण की रक्षा करना हम सबका कर्तव्य है। पर्यावरण है तो हमारा जीवन है।
पाठ पर आधारित लघूत्तरी प्रश्न
प्रश्न 4.
(अ) ओजोन विघटन संकट से बचने के लिए किए गए अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों को संक्षेप में लिखिए।
उत्तर :
ओजोन विघटन संकट पर विचार करने के लिए अनेक देशों की पहली बैठक 1985 में विएना में हुई। बाद में सितंबर 1987 में कनाडा के मांट्रियल शहर में बैठक हुई, जिसमें दुनिया के 48 देशों ने भाग लिया था। इसके तहत यह प्रावधान रखा गया कि 1995 तक सभी देश सी एफ सी की खपत में 50 प्रतिशत की कटौती तथा 1997 तक 85 प्रतिशत की कटौती करेंगे। सन 2010 तक सभी देश सी एफ सी का इस्तेमाल एकदम बंद कर देंगे। इस दौरान विकसित देश नए प्रशीतकों की खोज में विकासशील देशों की आर्थिक मदद करेंगे।
(आ) ‘क्लोरो फ्लोरो कार्बन (सी.एफ.सी.) नामक यौगिक की खोज प्रशीतन के क्षेत्र में क्रांतिकारी उपलब्धि रही स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
सन 1930 से पहले प्रशीतन के लिए अमोनिया और सल्फर डाइऑक्साइड गैसों का इस्तेमाल किया जाता था, जो अत्यंत तीक्ष्ण होने के कारण मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक थीं। तीस के दशक में क्लोरो फ्लोरो कार्बन (सी. एफ. सी.) नामक यौगिक की खोज प्रशीतन के क्षेत्र में क्रांतिकारी उपलब्धि रही। ये रसायन रंगहीन, गंधहीन, अक्रियाशील होने के साथ ही अज्वलनशील होने के कारण आदर्श प्रशीतक माने गए। परिणामस्वरूप बड़े पैमाने पर सी एफ सी यौगिकों का उत्पादन होने लगा और घरेलू कीटनाशक, प्रसाधन सामग्री, दवाएँ, रंग-रोगन, यहाँ तक कि रेफ्रिजिरेटर और एयरकंडिशनर में इनका खूब इस्तेमाल होने लगा।
अलंकार
अतिशयोक्ति : जहाँ पर लोक सीमा अथवा लोकमान्यता का अतिक्रमण करके किसी विषय का वर्णन किया जाता है, वहाँ पर अतिशयोक्ति अलंकार माना जाता है। अतिशयोक्ति शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है। अतिशय+उक्ति अर्थात् अत्यंत बढ़ा-चढ़ाकर कही गई बात।
उदा. –
(१) पत्रा ही तिथि पाइयों, वाँ घर के चहुँ पास
नितप्रति पून्यो रहयो, आनन-ओप उजास
(२) हनुमंत की पूँछ में लग न पाई आग।
लंका सगरी जल गई, गए निशाचर भाग।।
(३) पड़ी अचानक नदी अपार।
घोड़ा उतरे कैसे पार।।
राणा ने सोचा इस पार।
तब तक चेतक था उस पार।।
दृष्टांत : दृष्टांत का अर्थ है उदाहरण। किसी बात की सत्यता प्रमाणित करने के लिए उसी ढंग की कोई दूसरी बात कही जाती है जिससे पूर्व कथन की प्रामाणिकता सिद्ध हो जाए; वहाँ दृष्टांत अलंकार होता है।
उदा. –
(१) करत-करत अभ्यास के, जड़मति होत सुजान।
रसरी आवत जात है, सिल पर पड़त निसान।।
(२) सबै सहायक सबल कै, कोउ न निबल सहाय।
पवन जगावत आग ही, दीपहिं देत बुझाय।।
(३) एक म्यान में दो तलवारें, कभी नहीं रह सकती हैं
किसी और पर प्रेम पति का, नारियाँ नहीं सह सकती हैं।
हिंदी की साहित्यिक विधाओं के अनुसार रचनाओं के नाम लिखिए। (अतिरिक्त अध्ययन हेतु)
Hindi Yuvakbharati 12th Digest Chapter 10 ओजोन विघटन का संकट Additional Important Questions and Answers
कृतिपत्रिका के प्रश्न 1 (अ) तथा प्रश्न 1 (आ) के लिए
गद्यांश क्र. 1
प्रश्न. निम्नलिखित पठित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :
कृति 1 : (आकलन)
प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए :
उत्तर :
प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों के लिए परिच्छेद में प्रयुक्त शब्द ढूँढ़कर लिखिए :
(1) भयानक = ………………………………………..
(2) महत्त्वपूर्ण = ………………………………………..
(3) अप्रभावित = ………………………………………..
(4) संपूर्ण = ………………………………………..
उत्तर :
(1) भयानक = भयावह
(2) महत्त्वपूर्ण = अहम
(3) अप्रभावित = अछूती
(4) संपूर्ण = समूची।
कृति 2 : (शब्द संपदा)
प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के समानार्थी शब्द परिच्छेद में से ढूँढ़कर लिखिए :
(1) अनिल = ………………………………………..
(2) नीर = ………………………………………..
(3) जगत = ………………………………………..
(4) निर्मल = ………………………………………..
उत्तर :
(1) अनिल = हवा
(3) जगत = दुनिया
(2) नीर = पानी
(4) निर्मल = स्वच्छ।
कृति 3 : (अभिव्यक्ति)
प्रश्न 1.
‘बढ़ते हुए प्रदूषण को रोकने के उपाय’ विषय पर अपने विचार 40 से 50 शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
प्रदूषण एक प्रकार का धीमा जहर है, जो हवा, पानी, धूल आदि के माध्यम से न केवल मनुष्य, बल्कि पेड़-पौधों, पशुपक्षियों, वनस्पतियों को भी नष्ट कर देता है। इसे रोकने के लिए कारखानों की स्थापना शहरी क्षेत्र से दूर, चिमनियों की ऊँचाई अधिक और उनमें फिल्टर का प्रयोग करना चाहिए, जिससे अवशिष्ट पदार्थ और गैसें अधिक मात्रा में वायु में न मिल पाएँ। शहरों, औद्योगिक इकाइयों एवं सड़कों के किनारे अधिक से अधिक वृक्ष लगाने चाहिए।
ये पौधे प्रदूषण नियंत्रक का काम करते हैं। कारखानों से निकले अवशिष्ट पदार्थों को नदी, तालाब व झीलों में न डाला जाए। जिन तालाबों का जल पीने के काम में लाया जाता है, उसमें कपड़े, जानवर आदि नहीं धोने चाहिए। वनों की अनियंत्रित कटाई पर रोक लगाई जानी चाहिए। कृषि के लिए जैविक खाद, प्लास्टिक के स्थान पर कागज व कपड़े के थैलों का प्रयोग करें। पुन:पयोग, रिचार्ज और रिसायकल जैसी आदतों को अपनाना चाहिए। घर में टीवी, संगीत साधनों की हल्की आवाज, कार के हॉर्न, शादी-विवाह में बैंड-बाजा, पटाखे, लाउडस्पीकर के प्रयोग पर रोक लगाई जाए।
प्रदूषण संबंधी सभी कानूनों का कड़ाई से पालन करें।
गद्यांश क्र. 2
प्रश्न. निम्नलिखित पठित गद्यांश पढकर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :
कृति 1 : (आकलन)
प्रश्न 1.
नाम लिखिए :
(1) सी एफ सी नामक यौगिक का आविष्कारक
(2) 1930 से पहले प्रशीतन के लिए इस्तेमाल की जाने वाली गैसें –
उत्तर :
(1) सी एफ सी नामक यौगिक का आविष्कारक — थॉमस भिडले
(2) 1930 से पहले प्रशीतन के लिए इस्तेमाल की जाने वाली गैसें – अमोनिया और सल्फर डाइऑक्साइड
प्रश्न 2.
परिणाम लिखिए : पराबैंगनी किरणें धरती की सतह पर आएँ तो –
उत्तर :
पराबैंगनी किरणें धरती की सतह पर आएँ तो इन्सान के साथ ही जीवमंडल के तमाम दूसरे जीव-जंतुओं को भारी नुकसान हो सकता है। मनुष्यों में अनेक रोग हो सकते हैं।
प्रश्न 3.
घटना के अनुसार वाक्यों का उचित क्रम लगाकर लिखिए :
(1) हमारे कारनामों से प्राकृतिक संतुलन चरमरा गया है।
(2) इससे प्रशीतन प्रौद्योगिकी में एक क्रांति-सी आ गई।
(3) वायुमंडल में स्थित ओजोन की परत हमें घातक किरणों से बचाती है।
(4) विकास की अंधी दौड़ में हमने संसाधनों का अंधाधुंध इस्तेमाल किया है।
उत्तर :
(1) वायुमंडल में स्थित ओजोन की परत हमें घातक किरणों से बचाती है।
(2) विकास की अंधी दौड़ में हमने संसाधनों का अंधाधुंध इस्तेमाल किया है।
(3) हमारे कारनामों से प्राकृतिक संतुलन चरमरा गया है।
(4) इससे प्रशीतन प्रौद्योगिकी में एक क्रांति-सी आ गई। ..
कृति 2 : (शब्द संपदा)
प्रश्न 1.
परिच्छेद में प्रयुक्त शब्द-युग्म ढूँढकर लिखिए :
(1) ……………………………….
(2) ……………………………….
(3) ……………………………….
(4) ……………………………….
उत्तर :
(1) रंग-रोगन
(2) जीव-जंतु
(3) पेड़-पौधे
(4) फलती-फूलती।
कृति 3 : (अभिव्यक्ति)
प्रश्न 1.
‘विकास की अंधी दौड़ में आज का मनुष्य संतुष्ट होना भूल गया है’, इस विषय पर 40 से 50 शब्दों में अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
संतोष और असंतोष का भाव मानव जीवन में बहुत महत्त्व रखता है। ईश्वर ने मनुष्य के साथ-साथ संसार की समस्त वस्तुओं को भी बनाया है। प्रकृति का प्रत्येक जीव इन वस्तुओं का उपयोग करता है और संतुष्ट रहता है। केवल मनुष्य ही है, जो कभी संतुष्ट नहीं होता। इसका कारण एक ही है कि पशु-पक्षी कल की ? चिंता न करके केवल वर्तमान में जीते हैं।
भविष्य के लिए संग्रह है तथा अधिक-से-अधिक सुविधाओं को प्राप्त करने का भाव ही दुख का कारण है। वही दुख मन में असंतोष पैदा करता है। मनुष्य को जो भी प्राप्त हो जाता है, उससे अधिक पाने के लिए वह और व्यग्र है हो जाता है। यह चक्र अनवरत रूप से चलता रहता है। ऐसे व्यक्ति बिरले ही होते हैं, जो अपनी उपलब्धियों से संतुष्ट होना सीख लेते हैं। यही दुनिया के सबसे सुखी लोग हैं।
गद्यांश क्र. 3
प्रश्न. निम्नलिखित पठित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :
कृति 1 : (आकलन)
प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए :
उत्तर :
प्रश्न 2.
वाक्य सही करके लिखिए :
(1) सबसे पहले एक अमेरिकी वैज्ञानिक थॉमस मिडले ने बताया कि सी एफ सी यौगिक धरती की ओजोन परत को नष्ट कर चुके हैं।
(2) अमोनिया और सल्फर डाइऑक्साइड यौगिक इस्तेमाल में आने के बाद वायुमंडल में पराबैंगनी किरणों के संपर्क में आते हैं।
उत्तर :
(1) सबसे पहले एक अमेरिकी वैज्ञानिक एफ एस रोलैंड ने बताया कि सी एफ सी यौगिक धरती की ओजोन परत को नष्ट कर चुके हैं।
(2) सी एफ सी यौगिक इस्तेमाल में आने के बाद वायुमंडल में पराबैंगनी किरणों के संपर्क में आते हैं।
कृति 2 : (शब्द संपदा)
प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के विरुद्धार्थी शब्द परिच्छेद में से ढूँढ़कर लिखिए :
(1) अवगुण x ………………………….
(2) अंधकार x ………………………….
(3) नीचे x ………………………….
(4) भारी x ………………………….
उत्तर :
(1) अवगुण x गुण
(2) अंधकार – प्रकाश
(3) नीचे x ऊपर
(4) भारी x हल्के।
प्रश्न. निम्नलिखित पठित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :
कृति 1 : (आकलन)
प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए :
उत्तर :
प्रश्न 2.
सहसंबंध जोड़कर अर्थपूर्ण वाक्य बनाइए :
(1) तापवृद्धि से जलवायु में – भूमंडल में काफी परिवर्तन आया है।
(2) ग्रीनहाउस के प्रभाव के कारण – के चलते इन्सानी सभ्यता संकटापन्न है।
(3) विगत एक सदी के दौरान – जबर्दस्त बदलाव आ सकता है।
(4) ओजोन विघटन के व्यापक दुष्प्रभावों – आज धरती का तापमान निरंतर बढ़ रहा है।
उत्तर :
(1) तापवृद्धि से जलवायु में जबर्दस्त बदलाव आ सकता है।
(2) ग्रीनहाउस के प्रभाव के कारण आज धरती का तापमान निरंतर बढ़ रहा है।
(3) विगत एक सदी के दौरान भूमंडल में काफी परिवर्तन आया है।
(4) ओजोन विघटन के व्यापक दुष्प्रभावों के चलते इन्सानी सभ्यता संकटापन्न है।
कृति 2 : (शब्द संपदा)
प्रश्न 1.
गद्यांश में प्रयुक्त प्रत्यययुक्त शब्दों से मूल शब्द और प्रत्यय अलग कीजिए।
(1) ……………………………..
(2) ……………………………..
(3) ……………………………..
(4) ……………………………..
उत्तर :
(1) विकसित – विकास + इत।
(2) हिस्सेदारी – हिस्से + दारी।
(3) अंतिम – अंत + इम।
(4) विकासशील – विकास + शील।
साहित्य संबंधी सामान्य ज्ञान
कृतिपत्रिका के प्रश्न 1 (ई) के लिए
प्रश्न 1.
हिंदी की साहित्यिक विधाओं के अनुसार रचनाओं के नाम लिखिए :
उत्तर :
(1) एकांकी :
(अ) रीढ़ की हड्डी
(ब) महाभारत की साँझ
(2) नाटक :
(अ) ध्रुवस्वामिनी
(ब) अंधेर नगरी
(3) आत्मकथा :
(अ) सत्य के प्रयोग
(ब) तरुण के स्वप्न
(4) खंडकाव्य :
(अ) उर्वशी
(ब) राम की शक्तिपूजा
(5) महाकाव्य :
(अ) रामचरित मानस
(ब) कामायनी
(6) उपन्यास :
(अ) गोदान
(ब) सुनीता
(7) कविता संग्रह :
(अ) यामा
(ब) कितनी नावों में कितनी बार
(8) यात्रा वर्णन :
(अ) मेरी तिब्बत यात्रा
(ब) पैरों में पंख बाँधकर
मुहावरे
निम्नलिखित मुहावरों के अर्थ लिखकर वाक्य में प्रयोग कीजिए :
(1) रोटियाँ तोड़ना
अर्थ : मुफ्त में खाना।
वाक्य : कमलेश छह महीने से तो अपने ससुर की रोटियाँ तोड़ रहा है।
(2) वीरगति को प्राप्त होना
अर्थ : युद्ध में वीरतापूर्वक मृत्यु पाना।
वाक्य : राजपूत राजा युद्ध क्षेत्र में पीठ दिखाने के बजाय वीरगति को प्राप्त होना श्रेयस्कर मानते थे।
(3) स्वाँग भरना
अर्थ : किसी की नकल उतारना।
वाक्य : वह बहुरूपिया विश्व के बड़े-बड़े राजनेताओं का स्वाँग भरता हैं।
(4) हवा लगना
अर्थ : असर होना।
वाक्य : उसे गाँव से शहर आए हुए केवल चार महीने हुए हैं, पर अब उसे शहर की हवा लग गई है।
(5) हवाई किले बनाना
अर्थ : बहुत अधिक कल्पना करना।
वाक्य : भोलाराम की तो आदत ही है, हवाई किले बनाने की।
(6) दाई से पेट छिपाना
अर्थ : भेद जानने वाले से सच्ची बात छिपाना।
वाक्य : अरे यजमान! मैंने ही तुम्हारी जन्म-कुंडली बनाई थी। मुझसे अपनी उम्र कम बताकर दाई से पेट छिपाना चाहते हो।
काल परिवर्तन
प्रश्न 1.
निम्नलिखित वाक्यों का कोष्ठक में सूचित काल में परिवर्तन कीजिए :
(1) वृद्धाश्रम के प्रबंधक का फोन सुनकर मैं हैरान रह गया। (पूर्ण भूतकाल)
(2) मौसी को ऐसी हालत में देखकर मैं रोने लगा था। (सामान्य भविष्यकाल)
(3) मैं किसी वृद्धाश्रम में जाना चाहती हूँ। (अपूर्ण वर्तमानकाल)
(5) साधुओं की एक मंडली शहर के अंदर दाखिल हुई। (सामान्य वर्तमानकाल)
उत्तर :
(1) वृद्धाश्रम के प्रबंधक का फोन सुनकर मैं हैरान रह गया था।
(2) मौसी को ऐसी हालत में देखकर मैं रो रहा था।
(3) मैं किसी वृद्धाश्रम में जाना चाहूँगी।
(4) समूची परिस्थिति का तंत्र चरमरा रहा है।
(5) साधुओं की एक मंडली शहर के अंदर दाखिल होती है।
वाक्य शुद्धिकरण
प्रश्न 2.
निम्नलिखित वाक्य शुद्ध करके लिखिए :
(1) त्वचा के कैंसर के रोगी की मात्रा लाखों में होगी।
(2) वतर्मान युग विग्यान का युग है।
(3) बहूत देर तक दोनों रोते रही।
(4) तुमहारा पत्र पाकर खुसी हुई।
(5) मिट्ठी भी आज प्रदूशण से अछूती नहीं रही।
उत्तर :
(1) त्वचा के कैंसर के रोगियों की संख्या लाखों में होगी।
(2) वर्तमान युग विज्ञान का युग है।
(3) बहुत देर तक दोनों रोते रहे।
(4) तुम्हारा पत्र पाकर खुशी हुई।
(5) मिट्टी भी आज प्रदूषण से अछूती नहीं रही।
ओजोन विघटन का संकट Summary in Hindi
ओजोन विघटन का संकट लेखक का परिचय
ओजोन विघटन का संकट लेखक का नाम : डॉ कृष्ण कुमार मिश्र। (जन्म 15 मार्च, 1966.)
ओजोन विघटन का संकट प्रमुख कृतियाँ : लोक विज्ञान, समकालीन रचनाएँ, विज्ञान-मानव की यशोगाथा, जल-जीवन का आधार आदि।
ओजोन विघटन का संकट विशेषता : हिंदी साहित्य में विज्ञान संबंधी लेखन कार्य में विशेष पहचान। आपने विज्ञान को लोकप्रिय बनाने और जनमानस तक पहुँचाने का उल्लेखनीय कार्य किया है। लोक विज्ञान के अनेक विषयों पर हिंदी में व्यापक लेखन किया है। विज्ञान से संबंधित आपकी अनेक मौलिक एवं अनूदित पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं। डॉ कृष्ण कुमार मिश्र विज्ञान लेखन की समकालीन पीढ़ी के सशक्त लेखक हैं।
ओजोन विघटन का संकट विधा : विज्ञान संबंधी लेख।
ओजोन विघटन का संकट विषय प्रवेश : प्रस्तुत निबंध में लेखक बता रहे हैं कि मनुष्य अपनी सुविधाओं के लिए, जीवन को आरामदायक बनाने के लिए दिन-रात नए-नए आविष्कार करता रहता है। इन नवीन खोजों के कारण पर्यावरण दिन-ब-दिन प्रदूषित होता जा रहा है। हमारी स्वार्थी प्रवृत्ति के चलते सूर्य से आने वाली हानिकारक पराबैंगनी किरणों को रोकने के लिए पर्यावरण में विद्यमान ओजोन परत को क्षति पहुँच रही है। आज हालात की यह माँग है कि ओजोन को होने वाली क्षति को हम रोकें ताकि इस सृष्टि को विनाश से बचाया जा सके।
ओजोन विघटन का संकट पाठ का सार
आज का युग विज्ञान और प्रौद्योगिकी का युग है। पूरी दुनिया में भौतिक विकास की होड़ लगी हुई है। विकास की इस दौड़ ने जिन समस्याओं को जन्म दिया है, इनमें प्रदूषण की समस्या चिंतनीय है। हवा, पानी, मिट्टी सभी प्रदूषण की गिरफ्त में आ चुके हैं। इनमें भी पर्यावरणीय प्रदूषण बहुत बड़े संकट का रूप ले चुका है।
पर्यावरण में विद्यमान अनेक गैसों में एक गैस है ओजोन। यह गैस मानव स्वास्थ्य के लिए तो हानिकारक है, परंतु वायुमंडल में मौजूद यही गैस हमारी रक्षा भी करती है। यह गैस धरती के वायुमंडल में 15 से 20 किलोमीटर की ऊँचाई तक पाई जाती है।
यह ओजोन गैस बाह्य अंतरिक्ष से आने वाली पराबैंगनी किरणों को अवशोषित करके उन्हें धरती पर आने से रोकती है। यदि ये किरणें धरती की सतह तक चली आएँ तो एक ओर तो धरती के तापमान में वृद्धि होगी, दूसरी ओर त्वचा संबंधी अनेकानेक व्याधियाँ फैलेंगी। वायुमंडल में स्थित ओजोन की परत हमें इन घातक किरणों से बचाती है।
विकास की दौड़ का हिस्सा बनकर हमने सभी संसाधनों का अंधाधुंध इस्तेमाल किया है। जिसके कारण प्राकृतिक संतुलन चरमरा गया है। दैनिक जीवन में कीटनाशक, प्रसाधन सामग्री, दवाएँ, रंग-रोगन, फ्रिज तथा एयरकंडिशनिंग में प्रशीतन का अहम स्थान है। सन 1930 से पहले प्रशीतन के लिए अमोनिया और सल्फर डाइऑक्साइड गैसों का इस्तेमाल किया जाता था, जो अत्यंत तीक्ष्ण होने के कारण मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक थीं।
तीस के दशक में क्लोरो फ्लोरो कार्बन (सी एफ सी) नामक यौगिक की खोज हुई। रंगहीन, गंधहीन, अक्रियाशील और अज्वलनशील होने के कारण बड़े पैमाने पर सी एफ सी यौगिकों का उत्पादन होने लगा और घरेलू कीटनाशक, प्रसाधन सामग्री, दवाएँ, रंग-रोगन, यहाँ तक कि रेफ्रिजिरेटर और एयरकंडिशनर में इनका खूब इस्तेमाल होने लगा। 1974 में एक अमेरिकी वैज्ञानिक एफ एस रोलैंड ने बताया कि सी एफ सी यौगिक धरती की ओजोन परत को नष्ट कर चुके हैं। क्योंकि सी एफ सी यौगिक इस्तेमाल में आने के बाद वायुमंडल में पराबैंगनी किरणों के संपर्क में आते हैं।
ओजोन विघटन संकट पर विचार करने के लिए अनेक देशों की पहली बैठक 1985 में विएना में हुई। बाद में सितंबर 1987 में कनाडा के मांट्रियल शहर में बैठक हुई, जिसमें दुनिया के 48 देशों ने भाग लिया था। इसके तहत यह प्रावधान रखा गया कि 1995 तक सभी देश सी एफ सी की खपत में 50 प्रतिशत की कटौती तथा 1997 तक 85 प्रतिशत की कटौती करेंगे। सन 2010 तक सभी देश सी एफ सी का इस्तेमाल एकदम बंद कर देंगे। इस दौरान विकसित देश नए प्रशीतकों की खोज में विकासशील देशों की आर्थिक मदद करेंगे।
ओजोन विघटन का संकट मुहावरे : अर्थ और वाक्य प्रयोग
(1) होड़ मचना।
अर्थ : किसी क्षेत्र में एक-दूसरे से आगे बढ़ जाने की इच्छा।
वाक्य : आज के दौर में जिधर भी नजर दौड़ाओ युवाओ में एक प्रकार की होड़ मची है।
(2) नसीब होना।
अर्थ : प्राप्त होना।
वाक्य : महँगाई के कारण गरीब को दिन-रात मेहनत करने पर भी दो वक्त का भोजन नसीब नहीं होता।
(3) फलना-फूलना।
अर्थ : विकास होना।
वाक्य : माता-पिता अपनी संतान को फलते-फूलते देखकर सदैव प्रसन्न होती है।
ओजोन विघटन का संकट शब्दार्थ
- सामरिक = युद्ध से संबंधित
- विघटन = अलगाव/तोड़ना
- प्रशीतक = फ्रीज
- यौगिक = दो या अधिक तत्त्वों से बना हुआ
- मुहैया = पूर्ति करना, पहुँचाना
- दोहन = अनियंत्रित उपयोग
- सांद्र = घना, स्निग्ध
- प्रशीतन = ठंडा करने की प्रक्रिया
- छीजना = क्षय होना, घट जाना
- ऊसर = बंजर, अनुपजाऊ