Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 8 जिंदगी की बड़ी जरूरत है हार..!

Balbharti Maharashtra State Board Class 9 Hindi Solutions Hindi Lokvani Chapter 8 जिंदगी की बड़ी जरूरत है हार..! Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Maharashtra State Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 8 जिंदगी की बड़ी जरूरत है हार..!

Hindi Lokvani 9th Std Digest Chapter 8 जिंदगी की बड़ी जरूरत है हार..! Textbook Questions and Answers

1. आकृति पूर्ण कीजिए।

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर :
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 8 जिंदगी की बड़ी जरूरत है हार..! 1

2. सही विकल्प चुनकर वाक्य फिर से लिखिए।

प्रश्न 1.
सही विकल्प चुनकर वाक्य फिर से लिखिए।
i. कवि ने इसे पार करने के लिए कहा है – (नदी, पर्वत, सागर)
ii. कवि ने इसे अपनाने के लिए कहा है – (अंधेरे, उजाला, सबेरा)
उत्तर:
i. कवि ने पर्वत को पार करने के लिए कहा है।
ii. कवि ने अंधेरे को अपनाने के लिए कहा है।

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3. ऐसे प्रश्न तैयार कीजिए कि जिनके उत्तर निम्नलिखित शब्द

प्रश्न 1.
ऐसे प्रश्न तैयार कीजिए कि जिनके उत्तर निम्नलिखित शब्द

  1. जीत का आनंद मिलेगा
  2. बहार
  3. गुरु

उत्तर:

  1. हार की पौड़ा सहने पर क्या मिलेगा?
  2. पतझड़ के बाद कौन मजा देती है?
  3. कवि के अनुसार हार मनुष्य के लिए क्या है?

4. अंतिम पाँच पंक्तियों का सरल अर्थ लिखिए। 

प्रश्न 1.
अंतिम पाँच पंक्तियों का सरल अर्थ लिखिए।
उत्तर:
कवि करते हैं कि उस प्रत्येक हार का आभार प्रकट करो, जिसने आपके जीवन को सजा दिया। आपके जीवन में जब-जब हर आई, हर बार वह कुछ न कुछ सिखाकर गई। हार आपकी सबसे बड़ी गुरु है। इसलिए हार जिंदगी की सबसे बड़ी जरूरत है।

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5. संभाषणीय :

प्रश्न 1.
पाठ्येतर किसी कविता की उचित आरोह-अवरोह के साथ भावपूर्ण प्रस्तुति कीजिए।
उत्तर :
मेरा माझी मुझसे कहता रहता था
बिना बात तुम नहीं किसी से टकराना।

पर जो बार-बार बाधा बन कर आएँ
उनके सिर को वहीं कुचल कर बढ़ जाना।

जान-बूझ कर मेरे पथ में आती हैं
भवसागर की चलती-फिरती चट्टानें।

मैं इनसे जितना ही बचकर चलता हूँ
उतना ही मिलती हैं ये ग्रीवा ताने।

रख अपनी पतवार, कुदाली लेकर मैं
तब मैं इनका उन्नत भाल झुकाता हूँ।
राह बनाकर नाव बढ़ाए जाता हूँ।

जीवन की नैया का चतुर खिवैया मैं
भवसागर में नाव बढ़ाए जाता हूँ।

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6. भाषा बिंदु :

प्रश्न 1.
“निम्नलिखित अशुद्ध वाक्यों को शुद्ध करके फिर से लिखिए।
उत्तर:

अशुद्ध वाक्यशुद्ध वाक्य
1. वृक्षों का छाया से रहे परे।1. वृक्षों की छाया से रहो परे।
2. पतक्षड़ के बाद मजा देता है2. पतझड़ के बाद मजा देती है बार।
3. फूल के रास्ते को मत अपनाओ।3. फूलों के रास्तों को मत अपनाओ।
4. किनारों से पहले मिला मझधार।4. किनारों से पहले मिले मझधार।
5. बरसाओं मेहनत का बूंदों की फुहार।5. बरसाओ मेहनत की बूंदों का फुहार।
6. जिसने जीवन का दिया संवार।6. जिसने जीवन को दिया सँवार।

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7. रचनात्मकता की ओर कल्पना पल्लवन

प्रश्न 1.
करत-करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान’ इस विषय पर भाषाई सौंदर्यवाले वाक्यों, सुवचन, दोहे आदि का उपयोग करके निबंध/ कहानी लिखिए।
उत्तर:
करत-करत अभ्यास के, जड़मति होत सुजान।
रसरी आवत-जात तें, सिल पर परत निसान।।
हिंदी के रीतिकालीन प्रसिद्ध कवि वृंद की यह प्रसिद्ध पंक्ति हमें कर्म के प्रति प्रेरित करती है। कवि ने पूर्ण आत्मविश्वास के साथ अपना मत प्रकट करते हुए कहा है कि कोमल रस्सी के बार-बार आने-जाने से सिल अर्थात पत्थर भी घिस जाता है। उसी प्रकार निरंतर अभ्यास करते रहने के कारण जड़-बुद्धि व्यक्ति भी बुद्धिमान बन जाता है, वह अपने मंजिल को प्राप्त कर लेता है। निरंतर परिश्रम एवं अभ्यास से असंभव कार्य भी संभव हो जाया करते हैं। असफलता भी सफलता बन जाती है।

एक साधक और योगी निरंतर योग का अभ्यास करके परम तत्त्व का दर्शन कर लेता है। अतः एव लगनपूर्वक निरंतर अभ्यास करने वाला सामान्य व्यक्ति भी सफलता के दर्शन कर लेता है। इतिहास इस बात का गवाह है कि निरंतर अभ्यास करने वाले ही सफलता के उन शिखरों पर पहुंच सके हैं, जो अत्यंत विषम एवं कठिन थे। इसी कारण उनके सम्मुख आज भी दुनिया नतमस्तक हो रही है।

अभ्यास करना एक साधना है और सच्चे मन से की गई साधना कभी व्यर्थ नहीं होती है। निराशा को कभी भी मन में नहीं आने देना चाहिए। अभ्यास ही सौढ़ी-दर-सीढ़ी उस शिखर तक ले जाता है जिसकी सुंदर चौटियाँ बार-बार मन को आकर्षित करके वहाँ तक चले आने के लिए आमंत्रित करती हैं। निश्चित मंजिल तक पक्के निश्चय के साथ बढ़ते ही जाना है। रुकने का अर्थ है अंत, जो कि मृत्यु का प्रतीक है और जीवन का अर्थ है ‘चरैवेतिचरैवेति’ अर्थात निरंतर चलते रहना, गतिशील रहना। इसके लिए आवश्यक है सतत अभ्यास तथा आलस्य और प्रमाद का त्याग।

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8. पाठ के आँगन में

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए।
उत्तर :
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प्रश्न 2.
‘हर बार कुछ सिखा कर ही गई, सबसे बड़ी गुरु है हार इस पंक्ति द्वारा आपने जाना……………
उत्तर :
इस पंक्ति द्वारा हमने यह जाना कि जब-जब हार हुई उस हार ने अपने पीछे कुछ-न-कुछ सीख जरूर छोड़ी। वह हार क्यों और किन कारणों से हुई, इसे जानने और समझने का मौका मिला। उस झर से प्रेरित होकर ही आगे की सफलता का मार्ग प्रशस्त हुआ। इसलिए हार सबसे बड़ी गुरु है।

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प्रश्न 3.
कविता के दूसरे चरण का भावार्थ लिखिए।
उत्तर :
कवि संघर्षशील जीवन जीने की प्रेरणा देते हुए कहते हैं कि जीवन में फूलभरे (सरल) रास्ते को मत अपनाओ और वृक्षों की छाया से दूर रहो अर्थात हर प्रकार की मुश्किलों का डटकर सामना करो। काँटों से भरे हुए रास्ते पर चलोगे तो ये रास्ते तुम्हें निडर बनाएँगे और तपती हुई धूप तुम्हें और निखार देगी। यदि कंटक भरे रास्ते और धूप से तुम हर भी गए तो कोई बात नहीं जीतने के लिए जिंदगी में हारना भी बहुत जरूरी है।

Hindi Lokvani 9th Std Textbook Solutions Chapter 8 जिंदगी की बड़ी जरूरत है हार..! Additional Important Questions and Answers

(क) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति क (1) : आकलन कृति

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर :
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प्रश्न 2.
ऐसे प्रश्न नैवार कीजिए कि जिनके उत्तर निम्नलिखित शब्द
i. फूलों के रास्ते
ii. वृक्षों को छाया
उत्तर :
i. कवि किस रास्ते को अपनाने के लिए मना कर रहे है?
ii. कवि किससे परे रहने का संदेश दे रहे हैं?

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प्रश्न 3.
चौखट पूर्ण कीजिए।
उत्तर :
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कृति क (2) : सरल अर्थ

प्रश्न 1.
नीचे दी हुई पंक्तियों का सरल अर्थ लिखिए।
फूलों के रास्तों को मत अपनाओ,
और वृक्षों की छाया से रहो परे।
रास्ते काँटों के बनाएंगे निडर
और तपती धूपी लाएगी निखार।।
जिंदगी की बड़ी जरूरत है हर….!
उत्तर:
कवि संघर्षशील जीवन जीने की प्रेरणा देते हुए कहते है कि जीवन में फूलभरे (सरल) रास्ते को मत अपनाओ और वृक्षों की अया से दूर रहो अर्थात हर प्रकार की मुश्किलों का डटकर सामना करो। काँटों से भरे हुए रास्ते पर चलोगे तो ये रास्ते तुम्हें निडर बनाएँगे और तपती हुई धूप तुम्हें और निखार देगी। यदि कंटक भरे रास्ते और धूप से तुम हार भी गए तो कोई बात नहीं। जीतने के लिए जिंदगी में हारना भी बहुत जरूरी है।

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(ख) पद्यांश घड़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति ख (2) : सरल अर्थ

प्रश्न 1.
प्रथम पाँच पंक्तियों का सरल अर्थ लिखिए।
उत्तर:
कवि कहते हैं सीधे और सरल रास्ते पर तो कोई भी चल सकता है लेकिन तुम पर्वत को पार करके तो देखो। तुम्हरे उत्साह में ऐसी शक्ति आएगी कि तुम किस्मत (भाग्य) का हर प्रहार सह लोगे। यदि तुम पर्वत को पार करने में असफल भी रहे तो कोई बात नहीं क्योंकि जिंदगी में हार की भी बहुत जरूरत है। हारने के बाद तुम फिर नई सौख और नई ऊर्जा के साथ पर्वत को पार कर लोगे।

(ग) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति ग (1) : आकलन कृति

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर :
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जिंदगी की बड़ी जरूरत है हार..! Summary in Hindi

कवि-परिचय :

जीवन परिचय : श्री महकी जी का जन्म महाराष्ट्र के सोलापुर में हुआ। ये इंजीनियरिंग कॉलेज में सहप्राध्यापक हैं। हिंदी और मराठी भाषा के प्रति इनका गहरा लगाव है।
प्रमुख कृतियाँ : गीत और कविताएँ, शोध निबंध आदि।

पद्य-परिचय :

संवादात्मक कहानीः ‘नवनीत’ हिंदी काव्य-धारा की यह एक नवीन विधा है। ‘नवगीत’ एक यौगिक शब्द है जिसमें नव (नई कविता) और गीत (गीत विधा) का समावेश होता है।
प्रस्तावना : प्रस्तुत कविता ‘जिंदगी की बड़ी जरूरत है हार के माध्यम से कवि महकी जी ने यह बताने का प्रयत्न किया है कि जीवन में कभी भी हार एवं असफलता से घबराना नहीं चाहिए बल्कि हर से प्रेरणा लेते हुए आगे बढ़ना चाहिए।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 8 जिंदगी की बड़ी जरूरत है हार..!

सारांश :

कवि कहते हैं कि हमें हार से कभी निराश नहीं होना चाहिए, बल्कि उससे प्रेरणा लेनी चाहिए। ये हार हमें और उन्नत बना देती है। हमें अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सतत संघर्ष करते रहना चाहिए। जिंदगी में मुसीबतों से गुजरना पड़ता है, काँटो भरी राह पर चलना पड़ता है, ऊँचेऊँचे पर्वतों को पार करना पड़ता है। इनका सामना करते समय कभी-कभी हम हार भी जाते हैं तो कोई बात नहीं। हमें दुबारा फिर प्रयास करना चाहिए और अपने लक्ष्य को हासिल करना चाहिए। हर हमारी सबसे बड़ी गुरु है। उसका आभार प्रकट करना चाहिए क्योंकि ये हर हमारे जीवन का संवार देती है।

सरल अर्थ :

रुला तो …………………………… जरूरत है हार…!
कवि कहते हैं कि जीवन में किसी भी घर से घबराना नहीं चाहिए बल्कि हटकर उसका सामना करना चाहिए। हर हमें हमेशा रुलाती तो है परंतु अंदर से उन्नत बना देती है अर्थात अमली जीत के लिए और अधिक सतर्क और तैयार कर देती है। किनारा मिलने से पहले हमें मझधार की तेज लहरों का सामना करना चाहिए यानी जीवन की कठिनाइयों एवं मुश्किलों से संघर्ष कर मंजिल हसिल करनी चाहिए। यदि मंजिल प्राप्त करते समय हर हो जाए तो कोई बात नहीं क्योंकि जिंदगी के लिए बार भी बहुत जरूरी है।

फूलों के …………………………. जरूरत है हार …!
कवि संघर्षशील जीवन जीने की प्रेरणा देते हुए कहते हैं कि जीवन में फूलभरे (सरल) रास्ते को मत अपनाओ और वृक्षों की छाया से दूर रहे अर्थात हर प्रकार की मुश्किलों का डटकर सामना करो। काँटों से भरे हुए रास्ते पर चलोगे तो ये रास्ते तुम्हें निडर बनाएंगे और तपती हुई धूप तुममें और निखार देगी। यदि कंटक भरे रास्ते और धूप से तुम हार भी गए तो कोई बात नहीं । जीतने के लिए जिंदगी में झरना भी बहुत जरूरी है।

सरल राह…………………………… जरूरत है हार …!
कवि कहते हैं सीधे और सरल रास्ते पर तो कोई भी चल सकता है लेकिन तुम पर्वत को पार करके तो देखो। तुम्हारे उत्साह में ऐसी शक्ति आएगी कि तुम किस्मत (भाग्य) का हर प्रहार सह लोगे। यदि तुम पर्वत को पार करने में असफल भी रहे तो कोई बात नहीं क्योंकि जिंदगी में हार की भी बहुत जरूरत है। हारने के बाद तुम फिर नई सीख और नई ऊर्जा के साथ पर्वत को पार कर लोगे।

उजालों की ………………………… जरूरत है हार …!
कवि कहते हैं कि हर व्यक्ति अपने जीवन में उजाला चाहता है। जीवन में उजाले की उम्मीद करना भी उचित ही है परंतु एक बार अंधेरे को भी तो अपनाओ। उपजाऊ जमीन हो और पानी की उचित व्यवस्था हो तो फसल आसानी से उगाई जा सकती है। परंतु एक बार बिना पानी के बंजर जमीन पर परिश्रम करके अपने पसीने की फुहारें (द) बरसा कर तो देखो। यदि फसल नहीं उगी तो कोई बात नहीं। जिंदगी में हारना भी जरूरी है। इस हार के बाद नए तजुर्बे और उमंग के बल पर तुम पुन: नई फसल उगा लोगे।

जीत का…………………………….. जरूरत है हार …!
कवि कहते हैं कि हर जीत का आनंद भी तभी मिलेगा जब तुम हार के अपार दुखों को सहे रहोगे क्योंकि हर आँसू और दुख के बाद आने वाली मुस्कान चारों तरफ फैल जाती है और पतझड़ के बाद आने वाली वसंत आनंद दाई होती है। इसलिए जिंदगी में हार बहुत जरूरी है क्योंकि हार के बाद मिलने वाली जीत बहुत ही आनंद देने वाली होती है।

आभार प्रकट …………………………… जरूरत है हार …!
कवि कहते हैं कि उस प्रत्येक हार का आभार प्रकट करो, जिसने आपके जीवन को सजा दिया। आपके जीवन में जब-जब हार आई, हर बार वह कुछ न कुछ सिखाकर गई। घर आपकी सबसे बड़ी गुरु है। इसलिए सर जिंदगी की सबसे बड़ी जरूरत है।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 8 जिंदगी की बड़ी जरूरत है हार..!

शब्दार्थ :

  1. बुलंद – ऊँचा, उन्नत
  2. मझधार – धारा के बीच में
  3. परे – दूर
  4. निडर – निर्भय
  5. निखार – चमक
  6. हौसला – उत्कंठा, उत्साह
  7. तकदीर – भाग्य
  8. जायज – उचित
  9. बंजर – ऊसर, अनुपजाऊ
  10. फुहार – हल्की बौछार, वर्षा
  11. अपार – असीमित
  12. मज़ा – आनंद
  13. बहार – बसंत
  14. आभार – एहसान
  15. संवारना – सजाना

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 7 लघुकथाएँ

Balbharti Maharashtra State Board Class 9 Hindi Solutions Hindi Lokvani Chapter 7 लघुकथाएँ Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Maharashtra State Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 7 लघुकथाएँ (पठनार्थ)

Hindi Lokvani 9th Std Digest Chapter 7 लघुकथाएँ Textbook Questions and Answers

भाषाई कौशल पर आधारित पाठगत कृतियाँ

संभाषणीय:

प्रश्न 1.
‘पर्यावरण संवर्धन’ संबंधी कोई पथ नाट्य प्रस्तुत कीजिए।
उत्तरः

  • सीमा: अरे देवेश, तुम कैसे हो? आज तुम इतने चिंतित क्यों दिख रहे हो?
  • देवेश: हाँ, मैं पर्यावरण-प्रदूषण को लेकर में थोड़ा चिंतित हूँ।
  • सीमा: मुझे पता है, पृथ्वी प्रदूषण से पीड़ित है और यह प्रदूषण भी दिनोंदिन खतरनाक होता जा रहा है।
  • देवेश: पर्यावरण-प्रदूषण न केवल प्रकृति के लिए खतरनाक है, बल्कि पृथ्वी पर रहने वाले सभी प्राणियों एवं पेड़-पौधों के लिए भी खतरनाक है।
  • सीमा: तुम्हें क्या लगता है कि आगे क्या होने जा रहा है?
  • देवेश: पर्यावरण-प्रदूषण एक गंभीर समस्या है। यह विभिन्न पारिस्थितिक तंत्रों में असंतुलन का कारण बनता है।
  • सीमा: हाँ, हमें हर किसी को इसके हानिकारक प्रभावों से अवगत कराना चाहिए तथा इसके संवर्धन के लिए सबको जागरूक करना चाहिए।
  • देवेश: हमें ‘पर्यावरण-संवर्धन’ के बारे में लोगों को बताना चाहिए।
  • सीमा: लेकिन ये पर्यावरण-संवर्धन कैसे होगा?
  • देवेश: सीमा, प्रदूषण
  • मुख्यत: तीन प्रकार के होते हैं। वायु प्रदूषण, मृदा-प्रदूषण और जल प्रदूषण। जल प्रदूषण को रोकने के लिए हमें नदियों के पानी को गंदा नहीं
  • करना चाहिए। साफ पानी में कचरा नहीं फेकना चाहिए।
  • सीमा: वायु प्रदूषण और मृदा प्रदूषण को कैसे रोका जा सकता है?
  • देवेश: कल कारखानों से उठने वाली जहरीली गैसों से वायु में प्रदूषण की मात्रा बढ़ती है इस समस्या को दूर करने के लिए कलकारखानों को शहरों से दूर बनाना चाहिए, तथा मृदा प्रदूषण अत्यधिक मात्रा में कीटनाशक तथा औद्योगिक कचरा फेंकने के कारण होता है। इसे हमें रोकना चाहिए।
  • सीमा: यह तो बड़ी खतरनाक स्थिति है!
  • देवेश: हाँ बहुत खतरनाक! अगर हम इन प्रदूषणों को शीघ्र दूर नहीं करेगें तो यह पर्यावरण की समस्या और बढ़ती ही जाएगी।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 7 लघुकथाएँ

लेखनीय:

प्रश्न 1.
राष्ट्रीय रक्षा अकादमी की जानकारी प्राप्त करके लिखिए।
उत्तर:
हमारे देश की ‘राष्ट्रीय रक्षा अकादमी’ भारतीय सशस्त्र सेना की एक संयुक्त अकादमी है। जहाँ तीनों सेनाओं थलसेना, नौसेना और वायुसेना को एक साथ प्रशिक्षित किया जाता है। यह महाराष्ट्र के पुणे के करीब खड़कवासला में स्थित है। यहाँ के छात्रों ने अपनी वीरता से पूरे देश के सम्मान में चार चाँद लगाया है। इस अकादमी की शुरूआत 1 जनवरी 1949 को देहरादून में ‘आर्मड फोर्सेस अकादमी’ के नाम से किया गया। 6 अक्टूबर 1949 को तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा रक्षा अकादमी की नींव रखी गई। औपचारिक रूप से 7 दिसम्बर 1954 को इसे प्रारंभ किया गया। 16 जनवरी 1955 को वायु सेना अकादमी को भी राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में शामिल किया गया। इस अकादमी में लिखित परीक्षा द्वारा आवेदकों का चयन किया जाता है तथा चिकित्सा परीक्षण के साथ-साथ विस्तृत साक्षात्कार का सामना करना पड़ता है।

वे कैडेट जिन्हें स्वीकार किया जाता है और जो सफलतापूर्वक इस कार्यक्रम को पूरा करते हैं उन्हें उनके संबंधित सेवा में अधिकारियों के रूप में कमीशन किया जाता है। कैडेट अपने तीन वर्ष के अध्ययन के बाद डिग्री प्राप्त करता है। कैडेटों के पास अध्ययन की दो-धाराओं का विकल्प होता है -विज्ञान संकाय और कला संकाय। इसके अलावा कैडेटों को एक विदेशी भाषा लेनी होती है। यह विशेष बात है कि कैडेटों को विदेशी भाषा के अलावा इन सभी विषयों में बुनियादी शिक्षा लेनी पड़ती हैं। सभी कैडेट जो सफलतापूर्वक इस कार्यक्रम को पूरा करते हैं उन्हें सशस्त्र बलों में अधिकारी के रूप में कमीशन किया जाता है।

इसलिए सैन्य नेतृत्व और प्रशिक्षण, पाठ्यक्रम का एक अनिवार्य हिस्सा है। इसके अलावा कैडेटों को बाहरी गतिविधियों का चुनाव करना होता है। जिसमें पैरा-ग्लाइडिंग, नौकायन, तलवारबाजी, घुड़सवारी आदि। इस अकादमी के कई छात्रों ने महत्वपूर्ण संघर्षों में देश का नेतृत्व किया है। इसलिए राष्ट्रीय रक्षा अकादमी हमारे देश की सुरक्षा प्रणाली का आधार स्तंभ है।

Hindi Lokvani 9th Std Textbook Solutions Chapter 7 लघुकथाएँ Additional Important Questions and Answers

(क) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति क (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 7 लघुकथाएँ

कृति क (2): शब्द-संपदा

प्रश्न 1.
लिंग परिवर्तन कीजिए।
1. शिक्षक
2. बेटी
उत्तर:
1. शिक्षिका
2. बेटा

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 7 लघुकथाएँ

प्रश्न 2.
वचन परिवर्तन कीजिए।
1. शिक्षक
2. मैं
उत्तर:
1. शिक्षकगण
2. हम

कृति क (3): स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘सैनिक हमारे देश की रीढ़’ विषय पर अपने विचार 6 से 8 वाक्यों में लिखिए।
उत्तर:
“मातृभूमि का मान बढ़ाए जो, होता सैनिक वह सच्चा है, जिसको स्वदेश से प्यार नहीं, उस नर से पशु ही अच्छा है।” सैनिक एक सच्चा देशभक्त होता है। वह पूरे तन-मन से देश के प्रति समर्पित रहता है। हमें भारतीय सैनिकों का सम्मान करना चाहिए। उनकी भावनाओं का आदर करना चाहिए। सैनिक ही वह शक्ति है, जिसके बल पर हम चैन की नींद सोते हैं। देश की सुरक्षा के लिए हमारे भारतीय सैनिक अपनी जान की बाजी लगा देते हैं और हम उनका सम्मान करना ही भूल जाते हैं। आजकल तो भारतीय सैनिक पर भी राजनेता राजनीति करते हैं, यह शर्म का विषय है। हमें अपने सैनिकों का आदर हृदय से करना चाहिए।

(ख) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
समझकर लिखिए।
1. राजेश काका साब को यह समझा रहा था –
2. सबको घर में यह खटक रहा था –
उत्तर:
1. कार रखने में दिक्कत आएगी, पेड़ तो कटवाना ही पडेगा न!
2. बाउंड्रीवाल में बाधक बन रहा नीम का पेड़।

सही विधान चुनकर पूर्ण वाक्य फिर से लिखिए।

प्रश्न 1.
काका साब की चुप्पी राजेश को……
(क) अच्छी लग रही थी।
(ख) बुरी लग रही थी।
(ग) खल रही थी।
उत्तर:
काका साब की चुप्पी राजेश को खल रही थी।

प्रश्न 2.
राजेश ने कनखियों से…….
(क) प्रतीक को देखा।
(ख) काका को देखा।
(ग) नीम के पेड़ को देखा।
उत्तर:
राजेश ने कनखियों से काका को देखा।

कृति (2): शब्द-संपदा

प्रश्न 1.
गद्यांश से शब्द युग्मों की जोड़ियाँ लिखिए।
उत्तर:
1. देखते-देखते
2. कहते-कहते

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 7 लघुकथाएँ

प्रश्न 2.
गद्यांश से विरुद्धार्थी शब्द ढूँढकर लिखिए।
1. कभी-कभी x …….
2. अव्यवस्था x …….
उत्तर:
1. हमेशा
2. व्यवस्था

कृति (3): स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘वृक्षों को काटकर हम अपनी जीवनडोर काटते हैं।’ इस पर आधारित अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
वृक्ष हमारी प्राकृतिक संपदा है। लेकिन मानव इतना स्वार्थी बन गया है कि उसने खुद के फायदे के लिए जंगलों की अंधाधुंध कटाई करनी शुरू कर दी है। उन्हें काटकर हम अपनी जीवनडोर काट रहे हैं। यदि हम वृक्षों को काटेंगे तो नुकसान हमारा ही होने वाला है। वृक्षों की कटाई करने से प्रदूषण बढ़ रहा है। वैश्विक तापमान में वृद्धि हो रही है, जिसके कारण वर्षा अनियमित रूप से हो रही है। प्राणियों का जीवन खतरे में पड़ गया है। आज कई जीव नष्ट हो गए हैं और कई नष्ट होने की कगार पर हैं। इससे पर्यावरण-संतुलन भी खतरे में पड़ गया है।

लघुकथाएँ Summary in Hindi

लेखिका-परिचय:

जीवन-परिचय: लेखिका ज्योति जैन का जन्म मध्य प्रदेश के मंदसौर शहर में हुआ था। इन्होंने विशेषतः कथा साहित्य एवं समीक्षा के क्षेत्र में लेखन किया है। इनकी रचनाएँ प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में भी प्रकाशित हुई हैं।

प्रमुख कृतियाँ: लघुकथा संग्रह – ‘जल तरंग’, ‘कहानी संग्रह’, ‘भोरवेला’

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 7 लघुकथाएँ

गद्य-परिचय:

लघुकथा: हिंदी साहित्य में लघुकथा एक नवीनतम विधा है। यह किसी बहुत बड़े परिदृश्य में से एक विशेष क्षण/प्रसंग को प्रस्तुत करने का चातुर्य है। इसका विषय पूरी तरह से विकसित होता है; किंतु किसी उपन्यास से कम विस्तृत होता है।

प्रस्तावना: प्रस्तुत लघुकथा ‘दावा’ में लेखिका ने अप्रत्यक्ष रूप से सैनिकों के योगदान को देश के लिए सर्वोपरि बताया है। नीम का
पेड़’ लघुकथा में लेखिका ने यह सीख दी है कि पर्यावरण के साथ-साथ हमें बड़ों की भावनाओं का आदर करना चाहिए।

सारांश:

दावा: देशभक्ति के दावे की बहस में समाज का हर वर्ग (शिक्षक, चिकित्सक, इंजीनियर, बिजनेसमैन, किसान, नेता इत्यादि स्वयं को बड़े त्यागी होने का दावा पेश कर रहा था। जब रिटायर्ड फौजी से पूछा गया तो उसने सिर्फ यही कहा कि ‘किस बिना पर कुछ कहूँ। मेरे पास तो कुछ नहीं, तीनों बेटे पहले ही फौज में शहीद हो गए हैं।’

नीम का पेड़: राजेश के घर में गैरेज बनाने के लिए उसके काका के मना करने के बाद भी नीम का पेड़ काटे जाने की बात की जाती है। उसी समय उसका बेटा प्रतीक अपने पिता को एक पौधा भेंट करते हुए कहता है कि पापा आज मैं ‘फादर्स डे’ के दिन आपके लिए ये गिफ्ट लाया हूँ। इसे ऐसी जगह लगाएँ जहाँ भविष्य में इसे कोई काटे नहीं। राजेश को अपनी गलती का अहसास होता है और वह नीम के पेड़ को कटवाने का विचार छोड़ देता है।

शब्दार्थ:

  1. नौनिहाल – होनहार बच्चे
  2. चिकित्सक – चिकित्सा करने वाला वैद्य
  3. खादीधारी – खादी पहनने वाले
  4. योगदान – किसी काम में साथ देना
  5. शहीद – शहादत देने वाला
  6. बाउंड्रीवाल – चहारदीवारी
  7. खटकना – मन में किसी अनहोनी का डर होना
  8. दिक्कत – तकलीफ, परेशानी
  9. खलना – चुभना, बुरा लगना

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मुहावरे:

  1. धीरे-धीरे खिसकना – चुपके से दूसरे की नजर बचाकर निकल जाना।
  2. पेश करना – प्रस्तुत करना।
  3. दावा जताना – अधिकार जताना।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 7 छोटा जादूगर

Balbharti Maharashtra State Board Class 9 Hindi Solutions Hindi Lokvani Chapter 7 छोटा जादूगर Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Maharashtra State Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 7 छोटा जादूगर

Hindi Lokvani 9th Std Digest Chapter 7 छोटा जादूगर Textbook Questions and Answers

1. संजाल पूर्ण लिखिए 

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण लिखिए
उत्तर :
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 7 छोटा जादूगर 1

2. छोटा जादूगर कहानी में आए पात्रः

प्रश्न 1.
छोटा जादूगर कहानी में आए पात्रः
उत्तरः
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 7 छोटा जादूगर 2.

3. ‘पात्र’ शब्द के दो अर्थ लिखिए।

प्रश्न 1.
‘पात्र’ शब्द के दो अर्थ लिखिए।
उत्तर :
i. अभिनेता
ii. बरतन

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4. विधान को सही करके लिखिए। 

प्रश्न 1.
विधान को सही करके लिखिए।
i. ताश के सब पत्ते पीले हो गए।
ii. खेल हो जाने पर चीजें बटोरकर उसने भीड़ में मुझे देखा।
उत्तर :
i. ताश के सब पत्ते लाल हो गए।
ii. खेल हो जाने पर पैसा बटोरकर उसने भीड़ में मुझे देखा।

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5. भाषाई कौशल पर आधारित पाठगत कृतियाँ।

भाषा बिंदु :

प्रश्न 1.
रिक्त स्थानों की पूर्ति अव्यय शब्दों से कीजिए और नया वाक्य बनाइए।
उत्तर:
i. जहाँ एक लड़का चुपचाप देख रहा था।
वाक्य:
मोहन नदी की लहरों को चुपचाप देख रहा था।

ii. मैं उसकी ओर न जाने क्यों आकर्षित हुआ।
वाक्य:
हिंसक शेर मेरी ओर चला आ रहा था।

iii. हाँ! मैं सच कहता हूँ बाबू जी।
वाक्य :
हाँ! मैं छोटा जादूगर हूँ।

iv. अकस्मात किसी ने ऊपर के हिंडोले से पुकारा।
वाक्य :
अकस्मात रमेश छत के ऊपर से कूद गया।

v. मैं बिना बुलाए भी कहीं जा पहुँचता हूँ।
वाक्य:
मैं बिना पढ़े परीक्षा नहीं देता हूँ।

vi. लेखकों और वक्ताओं की न जाने क्या दुर्दशा होती।
वाक्य :
मोहन और गणेश एक अच्छे मित्र हैं।

vii. वाह ! क्या बात।
वाक्य:
वाह ! आप मैच जीत गए।

viii. वह बाजार गया क्योंकि उसे किताब खरीदनी थी।
वाक्य :
मै प्रतिदिन पड़ता हूँ क्योंकि मुझे परीक्षा में अच्छे अंक लाने हैं।

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6. रचनात्मकता की ओर संभाषणीय

प्रश्न 1.
माँ के लिए छोटे जादूगर के किए हुए प्रयास समावण बताइए।
उत्तर:
छोटा जादूगर अपनी माँ की दवा के लिए कार्निवाल के मैदान में जाता है, जहाँ पर उसकी मुलाकात लेखक से होती है। वह उन्हें अपनी माँ और पिता जी के बारे में बताता है। लेखक द्वारा शरबत पिलाने के बाद वह उनसे कहता है कि यदि आप मुझे शरबत न पिलाकर मेरा खेल देखकर कुछ पैसे दे देते तो माँ के लिए मैं पथ्य ले लेता। लेखक जब उसे निशानेबाजी के लिए ले गए तो उसने सभी बारह खिलौने जीत लिए।

लेखक फिर उससे कोलकाता के बोटेनिकल उद्यान में मिले जहाँ पर वह खिलौनों को लेकर तमाशा दिखाकर अपनी माँ के लिए एक सूती कंबल खरीदने की इच्छा लिए था। एक दिन लेखक जब मोटर से हावड़ा की ओर जा रहे थे तो वह छोटा जादूगर उन्हें एक झोंपड़ी के पास खड़ा मिला। उसने लेखक को बताया कि अस्पतालवालों ने उसकी माँ को निकाल दिया है। जब लेखक झोपड़ी के अंदर गए तो उन्होंने देखा कि छोटा जादूगर अपनी माँ के शरीर पर कंबल डाले उससे लिपट कर निरीह भाव से उसे निहार रहा है।

एक दिन छोटा जादूगर निर्मल धूप में सड़क के किनारे अपना तमाशा दिखा रहा था किंतु उसकी वाणी में प्रसन्नता न थी। लेखक द्वारा पूछने पर उसने बताया कि उसकी माँ का समय समीप है और उसने मुझे जल्दी घर बुलाया है। फिर वह पैसा बटोरकर लेखक के साथ अपने घर को चल दिया किंतु घर पहुँचकर पता चला कि उसकी माँ अब नहीं रही।

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7. मौलिक सृजन :

प्रश्न 1.
‘माँ’ विषय पर स्वरचित कविता प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
है साथ मेरे हरदम, बनकर एक साया,
उसने ही मेरा जीवन महकाया।

तकलीफ में भी मुस्काती है,
हर गम खुशी से सह जाती है।

मेरी राहों पर फूल बिछाती वो,
खुद काँटों पर सो जाती है।

ममता की सूरत है माँ,
भगवान की छवि कहलाती माँ ।

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8. आसपास :

प्रश्न 1.
अपने विद्यालय के किसी समारोह का सूत्र संचालन कीजिए।
उत्तर:
सूत्र-संचालन (गणतंत्र दिवस)
आज के इस आज़ादी के जश्न में, मैं रामकुमार विद्यालय में पधारे हमारे अपने सभी खासो-ओ-आम का बहुत-बहुत स्वागत करता हूँ-जय हिंद कहता हूँ। मैं अपने सभी विशिष्ट अतिथियों, समाजसेवियों, हमारे गुरुजनों, सभी पधारे हुए आज़ादी के दीवानों और हमारे साथियों को हमारे विद्यालय की तरफ से गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएँ देता हूँबधाइयाँ देता हूँ। शुभकामनाएँ इसलिए कि हमने लगभग 200 साल की परतंत्रता सहन करने के बाद यह अनमोल आज़ादी की फ़िज़ा पाई है।

और यह आज़ादी, यह अपनी पसंद से जीने का अधिकार हमें सदा प्राप्त हो ऐसी शुभकामनाओं के साथ मैं रामकुमार हमारे विद्यालय की तरफ से आप सब देशभक्तों का इस आज़ादी के जश्न में स्वागत करता हूँ-वंदे मातरम कहता हूँ। वतन पर मर-मिटने के ज़माने गुज़र गए, मज़ा तो अब इसके लिए जीने में है। अपनी आज़ादी अपनी संप्रभुता के लिए एक बार जोरदार तालियाँ बजा दीजिए।

धन्यवाद! जी हाँ साथियों, ये जो हमारे अमर शहीदों ने बलिदानों के बीज इस मातृभूमि पर रोपे थे, आज उनकी टहनियों पर महकते फूल खिल आए हैं। इन फूलों की महक इस देश में ही नहीं, सारे संसार में फैले, इस कामना के साथ आइए आज के इस महोत्सव का शुभारंभ करते हैं।

इक चमक ताब इक मदहोशी, हर आलम चंगा होता है, इक हूक चमकती आँखों में, हर कतरा गंगा होता है। दिल में मतवाली मौज पले, मन सात आसमाँ छूता है, जब-जब अपने इन हाथों में, लहराता तिरंगा होता है। तो आइए, मित्रों ! सर्वप्रथम हम अपनी आन-बान-शान के प्रतीक हमारे राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे का ध्वज वंदन करें।

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9. पाठ के आँगन में :

प्रश्न 1.
सियारामशरण गुप्त जी द्वारा लिखित ‘काकी’ पाठ के भावपूर्ण प्रसंग को शब्दांकित कीजिए।
उत्तर :
‘काकी’ शीर्षक कहानी में एक बच्चे के मन के भावों का वर्णन किया गया है। एक दिन श्यामू ने देखा कि उसकी माँ सिर से लेकर पैर तक कपड़ा ओढ़े हुए भूमि पर लेटी हुई है । घर के लोग उसे घेरे हुए रो रहे हैं, पर श्यामू को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि क्या हो रहा है? लोग जब उसकी माँ के मृत शरीर को उठाकर ले जाने लगे, तब उसने रो-रोकर तमाशा कर दिया। उसे बहुत समझाया गया फिर भी वह रोता रहा। कुछ दिन पश्चात् उसके मित्रों द्वारा पता चला कि उसकी माँ ऊपर राम के घर चली गई।

एक दिन श्यामू ने आकाश में पतंग उड़ते देखा। उसने सोचा,क्यों न वह एक पतंग आकाश में उड़ा दे और उसकी माँ पतंग के सहारे राम के घर से नीचे उतर आएगी। उसने पिता (काका) से पतंग दिलाने के लिए कहा, पर पिता ने पतंग नहीं दिलाई। एक दिन श्यामू ने अपने पिता की जेब से एक चवन्नी चुराई और अपने मित्र भोला से पतंग मँगवा ली। श्यामू ने सोचा पतंग पर ‘काकी’ लिखकर उड़ा देंगे और काकी इसे पकड़कर नीचे आ जाएगी।

भोला, श्यामू से अधिक समझदार था। उसने श्यामू को समझाया कि पतंग की डोर पतली है, काकी का भार सम्भाल नहीं पाएगी और टूट जाएगी। दूसरे दिन श्यामू ने अपने पिता की कोट से एक रूपया चुराया और मोटी रस्सी मँगवाई। जब श्यामू और भोला पतंग में रस्सी बाँध रहे थे, तभी श्यामू के पिता आ धमके और जब उन्हें पता चला कि श्याम ने उनकी जेब से पैसा निकाला है, तो उनको बहुत गुस्सा आया।

उन्होंने श्यामू को मारा और पतंग फाड़ दी। उनके डाँटने पर डर के कारण भोला ने बताया कि वह पतंग के सहारे अपनी काकी (माँ) को नीचे उतारना चाहता था। विश्वेश्वर ने जब भोला की बात सुनी तो उन्हें बहुत दुख हुआ। पतंग पर चिपके कागज पर ‘काकी’ लिखा देखकर वे हैरान रह गए। इस पाठ में बाल मन के निश्छल, निष्कपट प्रेम की मार्मिक अभिव्यक्ति की गई है।

Hindi Lokvani 9th Std Textbook Solutions Chapter 7 छोटा जादूगर Additional Important Questions and Answers

(क) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति क (1) : आकलन कृति

प्रश्न 1.
निम्नलिखित कश्चन सत्य है या असत्य लिखिए।

  1. लड़के की जेब में पेड़ के कुछ पत्ते थे।
  2. दोनों शरबत पीकर निशाना लगाने चले।
  3. लड़के के स्वभाव में संपूर्णता थी।

उत्तर :

  1. असत्य
  2. सत्य
  3. असत्य

कृति क (2) : शब्द संपदा

प्रश्न 2.
गद्यांश से समानार्थी शब्द ढूँढकर लिखिए।
i. दुख
ii. कारागार
उत्तर :
i. विषाद
ii. जेल

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प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखिए।
i. गरम × ……….
ii. बीमार × ………..
उत्तर :
i. ठंडा
ii. स्वस्थ

कृति क (3) : स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
अपने नगर में आयोजित किसी जादू के तमाशे का आँखों देखा वर्णन कीजिए।
उत्तर :
‘जीवन में जिस प्रकार खेलकूद और मनोरंजन के लिए अनेक प्रकार के साधन उपलब्ध हैं, उन्हीं में से एक है जादू का तमाशा। एक दिन हमारे शहर में भी जादू के तमाशे का समाचार अखबार में छपा। अगले ही दिन पिता जी हमें जादू का खेल दिखाने ले गए। हमने टिकटें खरीदी और अंदर गए। थोड़ी देर बाद जादूगर स्टेज पर आया। उसने जैसे ही सबको अभिवादन किया ऊपर से फूल बरसने लगे।

फिर उसने अपनी टोपी उतारकर दिखाई जो एकदम खाली थी लेकिन उसने उसमें हाथ डाला तो खरगोश बाहर निकला और भाग गया। उसने दोबारा हाथ डाला तो तितलियाँ निकलकर उड़ने लगीं। हम सब यह देखकर हैरान हो गए। इसके बाद अगले खेल में उसने अलग-अलग रंगों के कपड़ों की तीन-चार छोटी-छोटी पट्टियाँ मुँह में रख ली और हवा में हाथ घुमाया। फिर मुंह से पट्टियाँ बाहर निकाली तो रंग-बिरंगे रूमाल निकलते चले गए। ऐसा जादू हमने कभी नहीं देखा था और अंत में, हम सब आपस में चर्चा करते हुए खुशी-खुशी घर लौटे।

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(ख) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति ख (1) : आकलन कृति

प्रश्न 1.
चौखट पूर्ण कीजिए।
उत्तर :
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 7 छोटा जादूगर 3

प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए।
i. छोटा जादूगर को तब अधिक प्रसन्नता होती जब –
ii. देखने वाले इसलिए दंग रह गए क्योंकि –
उत्तर :
i. लेखक उसे शरबत न पिलाकर उसका खेल देखकर कुछ पैसे दे दिया होता।
ii. छोटा जादूगर पक्का निशानेबाज निकला। उसकी कोई गेंद खाली नहीं गई।

कृति ख (2) : शब्द संपदा

प्रश्न 1.
उचित प्रत्यय लगाकर नए शब्द बनाइए।
i. बीमार
ii. तमाशा
उत्तर :
i. बीमार + ई = बीमारी
ii. तमाशा + ई = तमाशाई

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प्रश्न 2.
गद्यांश से विलोम शब्द ढूँढकर लिखिए।
i. झूठ × ……………
ii. नीचे × …………..
उत्तर :
i. सच
ii. ऊपर

कृति ख (3) : स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
जो व्यक्ति जीवन में अपना लक्ष्य हासिल करना चाहते हैं, वे बचपन से ही सपने देखा करते हैं। अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
लक्ष्य को पाने के लिए व्यक्ति को बचपन से ही प्रयास करना पड़ता है। जो व्यक्ति दृढ़ निश्चयी होते हैं, वे बचपन से ही सपने देखते हैं। कल्पना चावला, न्यूटन, डॉ. अब्दुल कलाम आदि महापुरुषों ने बचपन से ही अपने लक्ष्य तक पहुंचने का सपना देखा था और उस दिशा में कोशिश एवं अथक परिश्रम करना शुरू कर दिया था। इसी कारण वे अपने लक्ष्य तक पहुँच सके थे।

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(ग) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति ग (1) : आकलन कृति

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
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प्रश्न 2.
कृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 7 छोटा जादूगर 5

कृति ग (2) : शब्द संपदा

प्रश्न 1.
लिंग परिवर्तन कीजिए।
i. गुड़िया – ………….
ii. जादूगर – …………
उत्तर :
i. गुड्डा
ii. जादूगरनी

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कृति ग (3) : स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘जीवन में माँ का महत्त्व’ पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर:
हमारे जीवन में माँ का बहुत महत्त्व होता है। एक बालक का संपूर्ण संसार माँ ही होती है। माँ जीवन की प्रथम गुरु होती है। वह हमें चलना, बोलना और पढ़ना सिखाती है। उसके दिए संस्कारों से ही मनुष्य अपने चरित्र का निर्माण करता है। वह हमारे लिए पढ़ाई-लिखाई, भोजन, कपड़े आदि का इंतजाम करती है। सचमुच, माँ सेह, ममता, सद्भावना और कर्तव्य-पालन की जीवंत मूर्ति होती है।

(घ) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति घ (1) : आकलन कृति

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 7 छोटा जादूगर 6

प्रश्न 2.
सत्य या असत्य पहचानकर लिखिए।
i. गले की सूत की डोरी टुकड़े-टुकड़े होकर जुट गई।
ii. लेखक इडेन गार्डेन देखने के लिए चले।
उत्तर :
i. सत्य
ii. असत्य

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प्रश्न 3.
समझकर लिखिए।
i. लेखक ने झोपड़ी में यह देखा –
उत्तर:
एक स्त्री चिथड़ो में लदी हुई काँप रही थी।

कृति घ (2) : शब्द संपदा

प्रश्न 1.
लिंग परिवर्तन कीजिए।
i. श्रीमती
ii. स्त्री
उत्तर :
i. श्रीमान
ii. पुरुष

प्रश्न 2.
गद्यांश से शब्द-युग्म ढूँडकर लिखिए।
उत्तर :
i. टुकड़े-टुकड़े
ii. धीरे-धीरे

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कृति ग (3) : स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘अपने बचपन में नन्हें कलाकारों को अपना तमाशा दिखाते हुए देखा होगा…’ इस पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर:
मैंने अपने बचपन में अनेक नन्हें कलाकारों को तमाशा दिखाते हुए देखा है। वे बाल कलाकार तमाशा दिखाते और उनके बदले कुछ पैसे या अनाज लेकर अपना पेट पालते हैं। यद्यपि उनके अंदर अनेक गुण होते हैं किंतु विषम परिस्थिति होने के कारण उनका वह गुण संपूर्ण दुनिया के सामने नहीं आ पाता है और वह जीवन पर्यंत सिर्फ अपना पेट ही पालते रह जाते हैं। सरकार और समाज को चाहिए कि वह इस प्रकार के बच्चों के लिए अलग से शिक्षा व्यवस्था करें तथा उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहन और अवसर प्रदान करें; जिससे ये बच्चे भी दुनिया में अपनी अलग पहचान बना सकें।

(ङ) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति ङ (1) : आकलन कृति

प्रश्न 1.
उत्तर लिखिए।
i. लेखक का मन यहाँ से ऊब गया था –
ii. लेखक ने सड़क के किनारे यह देखा –
उत्तर :
i. कोलकाता से
ii. छोटे जादूगर का रंगमंच सजा हुआ।

प्रश्न 2.
विधानों को सही करके लिखिए।
i. तब भी तुम जादू दिखाने चले आए।
उत्तर :
i. तब भी तुम खेल दिखाने चले आए।

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कृति ङ (2) : शब्द संपदा

प्रश्न 1.
उपसर्ग लगाकर शब्द बनाइए।
i. समय
ii. परिचित
उत्तर:
i. अ + समय = असमय
ii. अ+ परिचित – अपरिचित

प्रश्न 2.
गद्यांश से समानार्थी शब्द ढूँढकर लिखिए।
i. छुट्टी
ii. चेष्टा
उत्तर :
i. अवकाश
ii. प्रयत्न

प्रश्न 3.
गद्यांश से शब्द-युग्म ढूँढ़कर लिखिए।
उत्तर:
i. चलते-चलते
ii. सुख-दुख

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कृति छ (3) : स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘माँ की ममता’ पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
हमारे जीवन में सबसे महत्त्वपूर्ण इंसान ‘माँ’ होती है। वह हमेशा हमारे साथ रहती है और हर पल हमारा ध्यान रखती है। ढेर सारे दुख और पीड़ा सहकर वह हमें अपनी कोख में रखती है। वह अपने वास्तविक जीवन में हमेशा हमारे बारे में सोचकर खुश हो जाती है। एक माँ अपने बच्चों की खुशी के आगे अपनी खुशी को कुछ नहीं समझती। वह हमेशा हमारी हर क्रिया और हँसी में अपनी रुचि दिखाती है। उसके पास एक नि:स्वार्थ आत्मा है और प्यार तथा जिम्मेदारी से भरा दयालु दिल है।

छोटा जादूगर Summary in Hindi

लेखक-परिचय :

जीवन-परिचय :

जयशंकर प्रसाद का जन्म उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले के सरायगोवर्धन में हुआ था। प्रसाद जी की प्रारंभिक शिक्षा काशी में क्वींस कालेज में हुई, किंतु बाद में घर पर इनकी शिक्षा का व्यापक प्रबंध किया गया, जहाँ संस्कृत, हिंदी, उर्दू तथा फारसी का अध्ययन इन्होंने किया। प्रसाद जी हिंदी साहित्य के छायावादी कवियों के चार प्रमुख स्तंभों में से एक हैं। प्रसाद जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। ये हिंदी साहित्य में कवि, नाटककार, कथाकार, उपन्यासकार तथा निबंधकार के रूप में प्रसिद्ध हैं।

प्रमुख कृतियाँ :

  • काव्य – ‘झरना’ , ‘आँसू’, ‘लहर’, आदि।
  • महाकाव्य – ‘कामायनी’
  • ऐतिहासिक नाटक – ‘स्कंदगुप्त’,’चंद्रगुप्त’, ‘धुवस्वामिनी।
  • कहानी संग्रह – ‘प्रतिध्वनि’, ‘आकाशदीप’, ‘इंद्रजाल’ आदि।
  • उपन्यास – ‘कंकाल’, ‘तितली,’ ‘इरावती’।

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गद्य-परिचय :

संवादात्मक कहानी: किसी विशेष घटना की रोचक एवं आकर्षक ढंग से संवाद के रूप में प्रस्तुति ‘संवादात्मक कहानी’ कहलाती है।
प्रस्तावना : प्रस्तुत कहानी में लेखक ने एक लड़के के जीवन संघर्ष, बीमार माँ की देखभाल और उसके चातुर्यपूर्ण साहस को बड़े ही रोचक ढंग से प्रस्तुत किया है। मानवीय संवेदना की मार्मिक अभिव्यंजना ‘छोटे जादूगर’ के माध्यम से की गई है।

सारांश :

प्रस्तुत कहानी में लेखक ने एक लड़के के जीवन संघर्ष को उजागर किया है। इस कहानी में जयशंकर प्रसाद खुद एक पात्र हैं; जो एक लड़के के मन को पढ़ने का प्रयत्ल कर रहे हैं। उस समय के वातावरण का वर्णन करते हुऐ प्रसाद जी लिखते हैं कि कार्निवाल के मैदान में बिजली के जगमगाहट, हँसी और विनोद के कलनाद के बीच वे उस लड़के की तरफ आकर्षित हुए जिसके गले में फटे कुरते के ऊपर से एक मोटी सूत की रस्सी पड़ी थी और उसके जेब में कुछ ताश के पत्ते थे।

लेखक उसे खेल दिखाने ले गए। रास्ते में बातचीत के दौरान लेखक को पता चला कि लड़के के घर में उसके माँ और पिताजी भी हैं। उसके पिता जी देश के लिए जेल में बंद हैं और माँ बीमार है। लड़के ने लेखक को बताया कि उसकी माँ बीमार है और उसके दवा के लिए वह तमाशा दिखाकर कुछ पैसे इकट्ठा करना चाहता है। माँ के प्रति ममता देखकर लेखक उसे निशाना लगाने की जगह ले गए। जहाँ लड़के ने बारह खिलौने जीते और वहाँ से नौ-दो ग्यारह हो गया।

एक बार फिर लेखक को वह छोटा जादूगर कोलकाता के सुरम्य बोटेनिकल उद्यान में दिखाई दिया जहाँ लेखक अपनी मित्र मंडली के साथ जलपान कर रहे थे। लेखक के मना करने के बावजूद उनकी श्रीमती ने उस लड़के को तमाशा दिखाने के लिए कहा। लड़के ने अपना तमाशा दिखाया जिसे देखकर सब लोग प्रसन्न हुए और लेखक सोचता रहा कि ‘बालक को आवश्यकता ने कितना शीघ्र चतुर बना दिया है। यही तो संसार है।

एक दिन शाम के समय लेखक अपनी गाड़ी से हावड़ा की ओर जा रहे थे तो वह छोटा जादूगर उन्हें झोपड़ी के पास मिला और उनको बताया कि अस्पतालवालों ने उसकी माँ को निकाल दिया है। लेखक ने अंदर जाकर देखा तो उसकी माँ झोंपड़ी में चिथड़ों से लिपटी हुई पड़ी थी।

लेखक की जेहन में वह छोटा जादूगर घर कर गया। वह सोचता है कि छोटा जादूगर कितना निश्छल, कितना परिश्रमी, बाल-सुलभ चेष्टाएँ और बीमार माँ की जिम्मेदारी किस तरह वहन करता है।

एक दिन लेखक जब जा रहे थे तो उन्होंने छोटे जादूगर को तमाशा दिखाते हुए देखा किंतु उस जादूगर की वाणी में वह प्रसन्नता न देखकर उन्होंने कारण पूछा तो लड़के ने बताया कि उसकी माँ बहुत बीमार है और घर जल्दी आने को बोली है। लेखक उसे लेकर उसके घर पहुँचे तो उसकी बीमार माँ के मुख से सिर्फ ‘बे …’ शब्द निकलकर ही रह गया। जादूगर अपनी माँ से लिपटकर रोने लगा।

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शब्दार्थ :

  1. विषाद – दुख
  2. हिंडोले – झूला
  3. जलपान – नाश्ता
  4. घुड़कना – डॉटना
  5. वाचालता – अधिक बोलना
  6. जीविका – रोजी-रोटी
  7. ईर्ष्या – जलना, दवेष
  8. चिथड़ा – फटा पुराना कपड़ा
  9. बेष्टा – प्रयत्न
  10. समीप – पास, निकट, नजदीक
  11. अनुपात – प्रमाण, तुलनात्मक
  12. समग्न – संपूर्ण
  13. जगमगाना – चमकना
  14. कलनाद – मधुर ध्वनि
  15. गंभीर – गहरा, भारी
  16. सहमत – एकमत, राजी
  17. पथ्य – रोगी को दिया जाने वाला भोजन
  18. सुरम्य – बहुत सुंदर, रमणीय
  19. कमलिनी – छोटा कमल
  20. सयाना – बुद्धिमान
  21. बटोरना – समेटना, इकट्ठा करना
  22. अस्ताचलगामी सूर्य – पश्चिम दिशा में भागता हुआ सूरज
  23. स्मरण – स्मृति, याद
  24. स्फूर्तिमान – सक्रिय
  25. अविचल – स्थिर
  26. स्तब्ध – संज्ञाहीन, स्थिर
  27. विनोद – प्रसन्नता, खेल-कूद
  28. फुहारा – फव्वारा
  29. धैर्य – शांति
  30. निकम्मा – जो कोई काम न करता हो
  31. तिरस्कार – अपमान
  32. व्यग्र – व्याकुल
  33. उद्यान – बगीचा, फुलवारी
  34. अभिनय – भावाभिव्यक्ति

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मुहावरे :

  • दंग रहना – चकित होना
  • मन ऊब जाना – उकता जाना

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 सागर और मेघ

Balbharti Maharashtra State Board Class 9 Hindi Solutions Hindi Lokvani Chapter 6 सागर और मेघ Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Maharashtra State Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 सागर और मेघ

Hindi Lokvani 9th Std Digest Chapter 6 सागर और मेघ Textbook Questions and Answers

1. स्वमत अभिव्यक्ति:

प्रश्न 1.
‘अगर न नभ में बादल होते’ इस पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
अगर नभ में बादल न होते तो बारिश नहीं होती और यदि वर्षा नहीं होती तो हमारा जीवन संकट में पड़ जाता। क्योंकि जल ही जीवन है। वर्षा के माध्यम से हमें जल की प्राप्ति होती है। हमारा देश एक कृषि प्रधान देश है जहाँ ७०% आबादी कृषि पर निर्भर है अगर वर्षा न होती तो धरती बंजर रह जाती और हमें भोजन के लिए अन्न उपलब्ध नहीं होता। नदी, तालाब, जलाशय सब सूख जाते और प्राणियों का जीवन संकट में पड़ जाता क्योंकि बिना भोजन के हम कुछ दिन जीवित रह सकते हैं, लेकिन बिना पानी के हमारा एक-दो दिन जीना भी मुश्किल हो जाएगा।

अगर मेघ न होंगे, तो धरती का तापमान अत्यधिक बढ़ जाएगा और मनुष्य बेहाल हो जाएगा। बारिश के कारण धरती का तापमान नियंत्रित रहता है। बादल संसार को जल रूपी जीवन का दान करता है और अनुपजाऊ धरती को उपजाऊ बनाता है। किसान बड़ी आतुरता के साथ वर्षा का इंतजार करता है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि अगर न नभ में बादल होते, तो शायद यह जीवन ही संभव न हो पाता।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 सागर और मेघ

प्रश्न 2.
‘सागर और मेघ एक-दूसरे के पूरक हैं’ इस पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
‘सागर और मेघ एक-दूसरे के पूरक हैं’ क्योंकि इन दोनों के बिना जलचक्र संभव नहीं हो सकता है। जब मेघ से पानी बरसता है तो वह वायुमंडल से भूमि तक पहुँचता है। फिर नदियों में जाकर मिलता है और वह नदियाँ अंत में जाकर सागर में मिल जाती हैं। सागर में वाष्पीकरण की क्रिया होती है और वह पानी वाष्प बनकर फिर बादल बन जाते हैं और पृथ्वी पर वर्षा होती है जिससे अनेक जीव-जंतु और वनस्पतियाँ उत्पन्न होती हैं। अत: हम कह सकते हैं कि सागर और मेघ के बिना प्राणी का जीवन संभव नहीं हो सकता। इसलिए वे दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं।

2. उचित जोड़ियाँ मिलाइए।

प्रश्न 1.
उचित जोड़ियाँ मिलाइए।

‘अ’‘ब’
1.  झूठी स्पर्धा करने वाला(क) सागर
2. अपने हृदय में कंकड़ पत्थर, शंख-घोंघे(ख) मेघ भरने वाला।
(ग) मनुष्य

उत्तर:

‘अ’‘ब’
1.  झूठी स्पर्धा करने वाला(ग) मनुष्य
2. अपने हृदय में कंकड़ पत्थर, शंख-घोंघे(क) सागर

3. समानार्थी शब्द बताइए।

प्रश्न 1.
समानार्थी शब्द बताइए।
1. संसार
2. विवेकहीन
उत्तर:
1. विश्व
2. बुद्धिहीन

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 सागर और मेघ

भाषा बिंदु:

प्रश्न 1.
निम्न वाक्यों में से सर्वनाम एवं क्रिया छाँटकर भेदों सहित लिखिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 सागर और मेघ 1

मौलिक सृजन:

प्रश्न 1.
‘परिवर्तन सृष्टि का नियम है’ इस संदर्भ में अपना मत व्यक्त कीजिए।
उत्तर:
परिवर्तन सृष्टि का नियम है। इस विषय पर हमें ध्यान देने की आवश्यकता है कि यह नियम क्या है। जैसे हमारे देश में ६ ऋतुएँ है इसी प्रकार संपूर्ण विश्व में भी कई प्रकार के मौसम हैं। जिस प्रकार गर्मी के बाद वसंत ऋतु आती है। यही प्रकृति का नियम हैं। उसी प्रकार हमारे मानव जीवन में भी कई परिवर्तन आते हैं जैसे जन्म से शिशु अवस्था, शैशव से किशोर अवस्था, युवा अवस्था और अंत में वृद्धावस्था और इसके बाद एक दिन सृष्टि के नियमानुसार हमें इस धराधाम को छोड़कर जाना पड़ता है। मानव जीवन में सुख और दुख भी होते हैं मगर हम मनुष्य हर परिवर्तन को सहन नहीं कर पाते; क्योंकि हर परिवर्तन हमारा मन चाहा नहीं होता है।

हम चाहते कुछ है और होता कुछ और है। ज्यादातर देखा गया है कि मनुष्य अगर इन परिवर्तनों को स्वीकार नहीं पाता है तो अधिक दुखी हो जाता है और इस दुख में इंसान अपने मन का संतुलन खो देता है और गलत कदम उठा लेता है। हमारे पूर्वजों के द्वारा हमें पता चलता है कि परमात्मा के दिए हुए हर परिवर्तन में कोई न कोई अच्छी दिशा, अच्छा और नया संदेश निहित होता है। अत: अगर हम परिवर्तन को ईश्वर का दिया हुआ वरदान मान लें; तो इसमें कोई नई आशा, नई दिशा तथा नया मार्ग मिले जो पहले से बेहतर हो इसलिए हमें यह समझने की जरूरत है कि परिवर्तन सृष्टि का नियम है।

पाठ के आँगन में:

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 सागर और मेघ 2

पाठ से आगे:

प्रश्न 1.
‘मोती कैसे तैयार होता है?’ इस पर चर्चा कीजिए और दैनिक जीवन में मोती का उपयोग कहाँ -कहाँ होता हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
प्राचीन काल से ही मोती का उपयोग काफी प्रचलित था। रामायण तथा अन्य धार्मिक ग्रन्थों में भी मोती की चर्चा पाई गई है। अमेरिका के मूल निवासी रेड इंडियन मोती को काफी महत्त्व देते थे। प्राकृतिक मोती की उत्पत्ति प्राकृतिक ढंग से होती है। वराह मिहिर की वृहत्संहिता में बताया गया है कि प्राकृतिक मोती की उत्पत्ति सीप, सर्प के मस्तक, मछली, सुअर तथा हाथी से होती है। परंतु अधिकांश प्राचीन भारतीय विद्वानों ने मोती की उत्पत्ति सीप से बताई हैं। प्राचीन विद्वानों का मत है कि जब स्वाति नक्षत्र के दौरान वर्षा की बूंदे सीप में पड़ती हैं तो मोती का निर्माण होता है।

आधुनिक वैज्ञानिकों का मत है कि मोती निर्माण के लिए शरद ऋतु सबसे अनुकूल है क्योंकि इसी ऋतु में स्वाति नक्षत्र का आगमन होता है। इस समय जब वर्षा की बूंदें या वालू का कण किसी सीप के अंदर जाता है तो सीप एक तरल पदार्थ का स्राव करती है, यह तरल पदार्थ परत दर परत चढ़ता जाता है और मोती का रूप ले लेता है। 13 वीं शताब्दी से चीन में कृत्रिम मोती का उत्पादन भी होने लगा है। इसे मोती की खेती भी कहते हैं। 1961 से भारत में भी मोती की खेती की शुरूआत की गई। इसमें सबसे पहले सीपी का चुनाव किया जाता है फिर प्रत्येक सीपी में शल्य क्रिया करनी पड़ती है। इस शल्य क्रिया के बाद सीपी के भीतर एक छोटा-सा नाभिक तथा ऊतक रखा जाता है।

इसके बाद सीपी इस प्रकार बंद कर दिया जाता है कि उसकी सभी जैविक क्रियाएँ पहले की तरह चलती रहें। ऊतक से निकलने वाला पदार्थ नाभिक के चारों ओर जमने लगता है और अंत में मोती का रूप ले लेता है। आजकल नकली मोती भी बनाए जाते हैं। नकली मोती सीप से नहीं बनाए जाते बल्कि शीशे या आलाबास्टर के मनको पर मछली के शल्क के चूरे की परतें चढ़ाकर बनाए जाते हैं। इनकी आज बाजारों में बड़ी माँग है। ये कीमत में सस्ते भी होते हैं। मोती का उपयोग आभूषण बनाने में किया जाता है। इसके अलावा मोती औषधि बनाने के काम में भी आती है। जैसे मोती भस्म का उपयोग कब्ज नाशक के रूप में किया जाता है। इसके अलावा इन मोतियों से एक प्रकार की गोली बनती है, जो पेट की गैस तथा एलर्जी के लिए उपयोगी है।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 सागर और मेघ

आसपास:

प्रश्न 1.
दूरदर्शन पर प्रतिदिन दिखाए जानेवाली तापमान संबंधी जानकारी देखिए। संपूर्ण सप्ताह में तापमान में किस तरह का बदलाव पाया गया, इसकी तुलना करके टिप्पणी तैयार कीजिए।
उत्तर:
पिछले कई दिनों से मैं प्रतिदिन दूरदर्शन पर दिखाए जाने वाले तापमान संबंधी जानकारी को देख रहा हूँ। संपूर्ण सप्ताह का तापमान देखने के बाद मुझे ज्ञात हुआ कि महानगरों का तापमान कभी बहुत बढ़ जाता है तो कभी कम हो जाता है। पिछले कई सप्ताहों से मुंबई, दिल्ली,मद्रास, कोलकाता आदि महानगरों के तापमान में काफी बदलाव आ रहा है। वैज्ञानिकों का मानना है कि सारे बदलाव का कारण ग्लोबल वार्मिंग है। जिसे साधारण भाषा में भूमंडलीय तापमान में वृद्धि कहते हैं।

आज तापमानों में बदलाव का मुख्य कारण प्रदूषण है। जिससे कार्बन डाई आक्साईड की मात्रा बढ़ रही है। आधुनिकीकरण के कारण पेड़ों की कटाई और गाँवों का शहरीकरण बहुत तेजी से हो रहा है, जिसके कारण खुली और ताजी हवा या आक्सीजन का अभाव होता जा रहा है। पेड़ों तथा जंगलो की अंधाधुंध कटाई के कारण पर्यावरण का संतुलन बिगड़ता जा रहा है। जिससे कही ठंड बहुत ज्यादा हो रही है, तो कही गर्मी का प्रकोप बहुत ज्यादा हो रहा है।

वैज्ञानिकों का मत है कि आनेवाले समय में यह तापमान बदलाव बहुत भयानक रूप ले सकता है। यह फसलों के साथ-साथ जनजीवन के लिए भी नुकसानदायक है। ग्लोबल वार्मिंग के कारण अधिकतम तथा न्यूनतम पारे का अंतर बढ़ गया है। इसलिए हमें सावधान रहने की आवश्यकता है। हमें कोशिश करनी चाहिए कि जितनी जल्दी हो इस समस्या का समाधान प्राप्त कर लें।

Hindi Lokvani 9th Std Textbook Solutions Chapter 6 सागर और मेघ Additional Important Questions and Answers

(क) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति क (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
समझकर लिखिए।
1. नदियों के कर देने की निरंतरता इससे बनी रहती है –
2. सागर ने मेघ को इस पर ध्यान देने के लिए कहा –
उत्तर:
1. मेघ द्वारा दिया गया बहुत-सा दान जिसे नदियाँ पृथ्वी के पास धरोहर के रूप में रखे रहती हैं।
2. वाइव जो नित्य मुझे (सागर) जलाया करता है, फिर भी मैं उसे छाती से लगाए रहता हूँ।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 सागर और मेघ

प्रश्न 2.
उचित जोड़ियाँ मिलाइए।

‘अ’‘ब’
1.  दूसरे की करतूत पर गर्व करनेवाला(क) वाड़व
2. सागर को नित्य जलाने वाला(ख) मेघ
(ग) मनुष्य

उत्तर:

‘अ’‘ब’
1.  झूठी स्पर्धा करने वाला(ख) मेघ
2. अपने हृदय में कंकड़ पत्थर, शंख-घोंघे(ग) मनुष्य

कृति (2): शब्द-संपदा

प्रश्न 1.
प्रत्यय अलग करके लिखिए।
1. निरंतरता
2. गरजकर
उत्तर:
1. निरंतर + ता (ता – प्रत्यय)
2. गरज + कर (कर – प्रत्यय)

प्रश्न 2.
वचन परिवर्तन कीजिए।
1. नदियाँ
2. पृथ्वी
उत्तर:
1. नदी
2. पृथ्वी

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 सागर और मेघ

प्रश्न 3.
निम्नलिखित के समानार्थी शब्द लिखिए।
1. पृथ्वी
2. विश्राम
उत्तर:
1. धरती
2. आराम

(ख) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
कृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 सागर और मेघ 3

कृति (2): शब्द-संपदा

प्रश्न 1.
उपसर्ग अलग करके लिखिए।
1. अस्थिरता
2. अचल
उत्तर:
1. अ + स्थिरता = अस्थिरता (अ – उपसर्ग)
2. अ+ चल = अचल (अ – उपसर्ग)

प्रश्न 2.
गद्यांश से विलोम शब्द ढूँढ़कर लिखिए।
1. अहिंसा × ……….
2. धरती × ………..
उत्तर:
1. हिंसा
2. आकाश

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 सागर और मेघ

प्रश्न 3.
निम्नलिखित के समानार्थी शब्द लिखिए।
1. स्पर्धा
2. मेघ
उत्तर:
1. प्रतियोगिता
2. बादल

कृति (3): स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘अगर सागर न होता तो ……..’ अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
अगर सागर न होता, तो हमें बहुत सारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता । धरती के ७० प्रतिशत भू-भाग में सागर फैला हुआ है। अगर महासागरों में जैव विविधता का विशाल भंडार न होता, तो पृथ्वी पर जीवन ही संभव न होती। यदि समुद्र का पानी खारा न होता तो गर्म प्रदेश और गर्म हो जाते तथा ठंडे प्रदेश और ज्यादा ठंडे। यह सागर की विशाल जलराशि ही है जो सूर्य से आनेवाली उष्मा का एक बड़ा हिस्सा अपने भीतर समा लेती है। यह प्रक्रिया ही मौसम को संतुलित करती है।

सागर में मौजूद विविध जैविकी में कार्बन को अवशोषित करने की क्षमता होती है। इस क्षमता के कारण ही इन्हें पर्यावरण को संतुलित रखने का सबसे सशक्त माध्यम माना गया है। सागर का खारा पानी भले ही पीने लायक न हो लेकिन यह गर्म हवाओं को ठंडा करती है तथा इस खारेपन के कारण ही बारिश होती है, मौसमों में रंगों की विविधता है तथा जीवन है। जिस प्रकार समुद्र मंथन के दौरान भगवान शंकर विष को पीकर नीलकंठ कहलाए; उसी प्रकार कार्बन और नमक के जहर को पीकर सागर हमें सुरक्षित रखता है और पर्यावरण को संतुलित करता है। इसलिए अगर सागर न होता, तो शायद पृथ्वी में जीवन का अस्तित्व ही न होता।

(ग) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति ग (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 सागर और मेघ 4

प्रश्न 2.
सत्य असत्य पहचानकर लिखिए।
1. क्रोध हमें विवेकहीन बना देता है।
2. मनुष्य सागर और मेघ पर निर्भर नहीं है।
उत्तर:
1. सत्य
2. असत्य

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कृति ग (2): शब्द-संपदा

प्रश्न 1.
विलोम शब्द लिखिए।
1. स्वादिष्ट × ……………..
2. उन्नति × ……………..
उत्तर:
1. स्वादहीन
2. अवनति

प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों से प्रत्यय अलग करके लिखिए।
1. अपमानित
2. आतुरता
उत्तर:
1. ‘इत’ प्रत्यय
2. ‘ता’ प्रत्यय

भाषाई कौशल पर आधारित पाठगत कृतियाँ

भाषा बिंदु:

प्रश्न 1.
निम्न में से संज्ञा तथा विशेषण पहचानकर भेदों सहित लिखिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 सागर और मेघ 5

सागर और मेघ Summary in Hindi

लेखक-परिचय:

जीवन-परिचय: राय कृष्णदास का जन्म उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में हुआ था। ये हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत और बांग्लाभाषा के अच्छे जानकार थे। इन्होंने कविता, निबंध गद्यगीत, कहानी, कला, इतिहास आदि विषयों पर रचनाएँ की हैं। इनको ‘साहित्य वाचस्पति पुरस्कार’ तथा भारत सरकार दवारा ‘पद्म विभूषण’ की उपाधि मिली थी।

प्रमुख कृतियाँ: मौलिक ग्रंथ – ‘भारत की चित्रकला’, ‘भारत की मूर्तिकला’, कहानी संग्रह – ‘साधना आनाख्या’, ‘सुधांशु’, गद्यगीत – ‘प्रवाल’।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 सागर और मेघ

गद्य-परिचय:

संवाद: दो या दो से अधिक व्यक्तियों के बीच हुआ वार्तालाप, बातचीत या संभाषण ‘संवाद’ कहलाता है।

प्रस्तावना: प्रस्तुत संवाद ‘सागर और मेघ’ के द्वारा लेखक ने सागर एवं मेघ के गुणों को दर्शाया है और हमें विनम्र होने की सीख
देते हुए कहा है कि अपने गुणों पर इतराना और अहंकार करना एक बुराई है। अहंकार नाश का मूल है। अतः लेखक इससे बचने की सलाह देते हैं।

सारांश:

सागर और मेघ अपने गुणों का बखान करते हुए आपस में संवाद कर रहे हैं। सागर कहता है कि उसके हृदय में मोती भरे हैं। जवाब में मेघ कहता है कि तुमने मुझसे जल का हरण किया है। सागर कहता है कि मैं सदा अपना कर्म करता हूँ। अगर सागर न होते तो मेघ न बनते अर्थात तुम्हें जन्म देने वाला मैं हूँ। मेघ मुस्कुराकर कहता है कि अगर बरसात न होती, तो नदियाँ कहाँ से उमड़ती और तुम्हें भरती। सागर मेघ पर व्यंग्य करते हुए कहता है कि आकाश में इधर-उधर मारे-मारे फिरते हो। मेघ सागर को हँसकर जवाब देता है कि मैं घूम-फिर कर संसार का निरीक्षण करता हूँ और जहाँ आवश्यक होता है; वहाँ जीवन-दान करता हूँ। अगर मैं न रहूँ, तो यह धरती बंजर हो जाएगी।

फिर मेघ सागर को उलाहना देते हुए कहता है कि तुम्हारा हृदय कठोर है क्योंकि तुम्हारे दिल में कंकड़-पत्थर भरे हुए हैं। जवाब में सागर कहता है कि जिन्हें तुम कंकड़-पत्थर समझ रहे हो वो असल में रत्न हैं। सागर आगे कहता है कि तुम सिर्फ शोर मचाना जानते हो। मेघ तुरंत जवाब देता है कि वह गरजने के साथ बरसना भी जानता है। लेकिन वह सागर की तरह नहीं है कि केवल उत्पातियों और अपराधियों को जगह देता है। सागर मेघ की बातों से क्रोधित हो उठता है और कहता है कि हाँ, मैं शरण अवश्य देता हूँ लेकिन दंड उतना ही होना चाहिए कि दंडित सावधान हो जाए; उसे अपाहिज नहीं होना चाहिए।

सागर की बातों से मेघ भी गुस्से में आ जाता है और कहता है यह भी कोई नीति हुई कि राजा अपने राज्य की रक्षा के लिए हमेशा शस्त्र लिए खड़ा रहे अपनी राज्य की उन्नति न कर पाए। अब सागर को असली बात समझ में आती है और वह मेघ से कहता है कि अपना क्रोध शांत करो और आओ हम दोनों मिलकर जनकल्याण का कार्य करें।

मेघ का भी क्रोध शांत होता है और वह कहता है कि प्रति वर्ष किसान मेरी प्रतीक्षा करता है। इसलिए हे सागर भाई, हमें आपस में उलझना नहीं चाहिए। दोनों प्रतिज्ञा करते हैं कि अब हम घमंड में एक-दूसरे का अपमान नहीं करेंगे। बल्कि लोक कल्याण के लिए कार्य करेंगे। मेघ कहता है कि मैं नदियों को भर-भर कर तुम तक भेजूंगा और सागर कहता है कि मैं सहर्ष उन्हें उपकार सहित ग्रहण करूँगा।।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 सागर और मेघ

शब्दार्थ:

  1. बुलंद – ऊँचा, उन्नत
  2. वारि – जल
  3. धरोहर – विरासत
  4. निरंतरता – अविरामता
  5. कायम रहना – बने रहना
  6. विकार – गंदगी
  7. तृप्त – संतुष्ट
  8. करतूत – कार्य
  9. हठात – हठपूर्वक
  10. वाड़व – समुद्र जल के अंदर वाली अग्नि
  11. मर्यादा. – सीमा
  12. आयास – विस्तार (आयाम)
  13. उच्छंखल – उदंड, उत्पाती
  14. रसा – पृथ्वी
  15. वंध्या – बंजर
  16. निपात – गिरना
  17. आततायियों – अत्याचारियों
  18. चेत जाना – सावधान होना
  19. शास्ता – राजा, शासक
  20. आतुरता – उत्सुकता

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 गागर में सागर

Balbharti Maharashtra State Board Class 9 Hindi Solutions Hindi Lokvani Chapter 1 गागर में सागर Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Maharashtra State Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 गागर में सागर

Hindi Lokvani 9th Std Digest Chapter 1 गागर में सागर Textbook Questions and Answers

भाषा बिंदु:

1. निम्नलिखित मुहावरों, कहावतों में गलत शब्दों के स्थान पर सही शब्द लिखकर उन्हें पुनः लिखिए।

प्रश्न 1.
टोपी पहनना
उत्तर:
मुहावरा – टोपी पहनाना

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 गागर में सागर

प्रश्न 2.
गीत न जाने आँगन टेढ़ा
उत्तर:
कहावत – नाच न जाने आँगन टेढ़ा

प्रश्न 3.
अदरक क्या जाने बंदर का स्वाद।
उत्तर:
कहावत – बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद।

प्रश्न 4.
कमर का हार
उत्तर:
मुहावरा – गले का हार

प्रश्न 5.
नाक की किरकिरी होना
उत्तर:
मुहावरा – इज्जत की किरकिरी होना

प्रश्न 6.
गेहूँ गीला होना
उत्तर:
मुहावरा – आटा गीला होना

प्रश्न 7.
अब पछताए होत क्या जब बंदर चुग गए खेत।
उत्तर:
कहावत – अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 गागर में सागर

प्रश्न 8.
दिमाग खोलना।
उत्तर:
मुहावरा – बुद्धि खोलना।

लेखनीय:

प्रश्न 1.
अपने अनुभव वाले किसी विशेष प्रसंग को प्रभावी एवं क्रमबद्ध रूप में लिखिए।
उत्तर:
मैं संध्या समय नदी किनारे टहलने के लिए गया था। उस वक्त पास के गाँव के दो बच्चे भी नदी किनारे टहलने आए थे। उनमें से एक बच्चे ने अपने साथ लाई हुई कूड़े-कचरे की बैग पानी में फेंक दी। मैं हैरान हो गया और शीघ्रता से चिल्लाकर बोला, “यह तुम क्या कर रहे हो? इस प्रकार नदी में कूड़ा-कचरा फेंकने से जल प्रदूषण बढ़ता है।” मेरे इस कथन का उस बच्चे पर किसी भी प्रकार का असर नहीं हुआ। वह सिर्फ हँस रहा था। मुझे उस पर बहुत गुस्सा आया। मैंने कहा, “तुमने जो कुछ किया है, वह गलत है और तुम्हें आगे चलकर इस प्रकार का कार्य नहीं करना चाहिए।”

अपने दोस्तों के साथ मजाक मस्ती करते हुए उसने कहा कि, उसके ऐसा करने से कुछ भी फर्क नहीं पड़ने वाला है। यदि वह कचरा नहीं फेंकेगा, तो भी नदी प्रदूषित होगी। अब मुझसे रहा नहीं गया। मैंने उसे आड़े हाथों लेते हुए डाँटा फटकारा। तत्पश्चात समझाते हुए कहा कि नदी हमारी माता है। हमें उसका ख्याल रखना चाहिए। जल ही जीवन है और हमें उसे भविष्य के लिए सँभालकर रखना चाहिए। मेरे इस कथन का उस बच्चे पर थोड़ा-बहुत असर हुआ। उसने भविष्य में जल को प्रदूषित न करने की कसम खा ली और अपने इस करतूत पर मुझसे माफी माँगी। मैंने भी उदार हृदय से उसे माफ कर दिया और हम तीनों नदी में फैले हुए कूड़े-कचरे को एकत्रित करने में व्यस्त हो गए।

रचनात्मकता की ओर:

प्रश्न 1.
‘निदंक नियरे राखिए’ इस पंक्ति के बारे में कल्पना पल्लवन अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
निंदक नियरे राखिए, आँगन कुटी छवाय,
बिन पानी, साबुन बिना, निर्मल करे सुहाय।

यह दोहा तब याद आता है जब कोई अपने आलोचकों को उनके आलोचना के बदले सजा देने की बात करता है। यद्यपि आलोचक निश्चय ही हमारी कमियों को गिनवाते हैं, हमें हमारी वास्तविकता का एहसास करवाते हैं परंतु आलोचक वह व्यक्ति होते हैं जिसकी आलोचनाओं की सहायता से हम अपने कार्यों को काफी हद तक सुधार सकते हैं। बड़े बुजुर्गों ने कोई भी चीज बिना अर्थ के नहीं लिखी, निश्चय ही हमारे जीवन में उसका महत्त्वपूर्ण सहयोग है।

आलोचकों का हमारे जीवन में बड़ा सहयोग रहा है, इतिहास गवाह है कि बिना आलोचकों के कोई भी शासक न तो अपना राज्य संभाल पाया है और न ही अपने राज्य का विस्तार कर पाया है। बिना आलोचना के शासक अपने मद में चूर होकर गलतियाँ कर बैठता है और अपने राज्य से हाथ धो बैठता है। आलोचनाएँ हमको शक्ति प्रदान करती हैं, जो हमें अपनी गलतियाँ सुधारने का मौका देती हैं और भविष्य के लिए रणनीति बनाने का अवसर भी प्रदान करती हैं, अत: आलोचनाओं का हमेशा स्वागत करना चाहिए।

ऐसा नहीं है कि ये आलोचनाओं वाला सुझाव केवल किसी एक पार्टी और उसके सदस्यों या किसी एक समाज तक सीमित है। सभी शासकों को ये बात ध्यान में रखनी चाहिए, शासक ही क्यों हम सभी को ये बात याद रखनी चाहिए कि अगर हम किसी के द्वारा गिनाए हुए कमियों को स्वीकार करके उसमें सुधार नहीं कर सकते तो फिर हम भविष्य में अथाह गलतियाँ करनेवाले हैं, और अगर हम कमियों को सुधार नहीं सकते तो फिर कोई हक़ नहीं कि हम उन आलोचकों को कमियाँ बताने से भी रोकें, ये आलोचकों का जन्म सिद्ध अधिकार था, है, और हमेशा रहेगा। इसलिए आलोचनाओं का स्वागत करें, तथा अपनी कमियों को सुधारें ….।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 गागर में सागर

पाठ के आँगन में:

प्रश्न 1.
‘नर की अरु नल नीर की …………… इस दोहे द्वारा प्राप्त संदेश स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
इस दोहे से हमें यह संदेश मिलता है कि मनुष्य को बहुत ही विनम्र होना चाहिए। व्यक्ति को धन, बल, ज्ञान आदि का अहंकार नहीं करना चाहिए। अहंकार करने से व्यक्ति का मान-सम्मान गिर जाता है। अहंकार करने वालों का दिखावटी सम्मान भले ही कोई करें परंतु दिल से उसका सम्मान कोई नहीं करता। इसलिए हम कितने ही संपन्न, बलशाली और बुद्धिमान क्यों न हों, हमें समाज में झुककर अर्थात विनम्र होकर रहना चाहिए। मनुष्य जितना ही विनम्र होता है, वह उतना ही ऊँचा अर्थात महान होता है।

प्रश्न 2.
शब्दों के शुद्ध रूप लिखिए।
1. घरू
2. उज्जलुय
उत्तर:
1. घर
2.  उज्ज्वल

Hindi Lokvani 9th Std Textbook Solutions Chapter 1 गागर में सागर Additional Important Questions and Answers

(क) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति क (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 गागर में सागर 1

प्रश्न 2.
समझकर लिखिए।
1. दीन के आँख पर यह चश्मा लगा होता है।
2. चश्मे की विशेषता
उत्तर:
1. लोभ का चश्मा
2. इससे तुच्छ व्यक्ति बड़ा दिखता है।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 गागर में सागर

कृति क (2): सरल अर्थ

प्रश्न 1.
उपर्युक्त दोहों का सरल अर्थ लिखिए।
उत्तर:
कवि बिहारी जी इस दोहे में कृष्ण की भक्ति और कृष्ण प्रेम के संदर्भ में कहते हैं कि कृष्ण के प्रेम में डूबे इस प्रेमी मन की दशा को कोई भी समझ नहीं पाता है। यह मन जैसे-जैसे कृष्ण के प्रेम में डूबता जाता है; वैसे-वैसे निर्मल होता जाता है। अर्थात सारी बुराइयाँ अच्छाइयों में बदल जाती हैं।

लोभी व्यक्ति के व्यवहार का वर्णन करते हुए बिहारी जी कहते हैं कि लोभी व्यक्ति दीन-हीन बनकर घर-घर घूमता है और प्रत्येक व्यक्ति से हाथ फैलाकर याचना करता है। लोभ का चश्मा आँखों पर लगा लेने के कारण उसे तुच्छ व्यक्ति भी बड़ा अर्थात धनवान दिखाई देने लगता है अर्थात लालची व्यक्ति विवेकहीन होकर योग्य-अयोग्य व्यक्ति को भी नहीं पहचान पाता।

(ख) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति ख (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 गागर में सागर 2

प्रश्न 2.
एक शब्द में उत्तर लिखिए।
1. इसे खाकर मनुष्य को नशा हो जाता है –
2. गुनी-गुनी कहने से यह गुनी नहीं हो जाता –
उत्तर:
1. धतूरा
2. निगुणी

प्रश्न 3.
सत्य या असत्य पहचान कर लिखिए।
1. धतूरे को पाकर ही लोग पागल हो जाते हैं।
2. गुनी-गुनी कहने से निगुनी भी गुनी हो जाता है।
उत्तर:
1. असत्य
2. असत्य

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 गागर में सागर

कृति (2): सरल अर्थ

प्रश्न 1.
उपर्युक्त दोहों का सरल अर्थ लिखिए।
उत्तर:
बिहारी कवि कहते हैं कि सोना धतुरे से सौ गुना अधिक नशीला होता है। धतुरा खाने के बाद इंसान में नशा (पागलपन) पैदा होता है जबकि सोना पाते ही इंसान में अमीरी का नशा (पागलपन) छा जाता है। कवि इस दोहे में बताते हैं कि व्यक्ति नाम से नहीं अपितु अपने गुणों से महान होता है। गुणों से रहित किसी व्यक्ति को सब लोग गुणी-गुणी कहे तो भी गुणहीन व्यक्ति कभी गुणी नहीं हो सकता। क्या आपने कहीं सुना है कि वृक्ष के अर्क (रस) से भी अर्क (सूर्य) के समान प्रकाश होता है अर्थात वृक्ष के रस को भी अर्क कहते हैं और सूर्य को भी अर्क कहते हैं परंतु वृक्ष के रस को अर्क कहने से वह सूर्य जैसा प्रकाशित नहीं हो सकता।

(ग) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति ग (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 गागर में सागर 3

प्रश्न 2.
समझकर लिखिए।
1. प्यासे के लिए ये सागर हैं –
2. नीचे होने अर्थात झुकने पर ये दोनों ऊँचे होते हैं।
उत्तर:
1. नदी, कुआँ और सरोवर।
2. मनुष्य और नल का पानी।

कृति ग (2): सरल अर्थ

प्रश्न 1.
उपर्युक्त दोहे का सरल अर्थ लिखिए।
उत्तर:
मनुष्य की और नल के पानी की गति एक समान होती है। नल का पानी जितना नीचे गिरता है, उतना ही ऊपर उठता है और व्यक्ति जितना नीचे झुकता है अर्थांत विनम्र होता है, उतना ही ऊँचा उठता है यानी श्रेष्ठ होता है। कवि कहते हैं कि नदी, कुआँ या सरोवर (तालाब) का पानी अधिक गहरा हो अथवा अधिक उथला (छिछला) हो। प्यासे व्यक्ति के लिए वही सागर है, जहाँ उस व्यक्ति की प्यास बुझ जाए।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 गागर में सागर

(घ) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 गागर में सागर 4

प्रश्न 2.
समझकर लिखिए।
1. मन इस सच्चाई पर शंका करता है।
2. लोग इसे उपद्रव गिनते हैं।
उत्तर:
1. बुरे लोगों के बुराई त्यागने पर।
2. निष्कलंक चंद्रमा को देखने को।

प्रश्न 3.
सत्य या असत्य पहचानकर लिखिए।
1. समय-समय पर सब सुंदर लगते हैं।
2. मन की रुचि जिससे जितनी होती है, वह उतना ही उसे नापसंद होता है।
उत्तर:
1. सत्य
2. असत्य

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 गागर में सागर

कृति (2): सरल अर्थ

प्रश्न 1.
उपर्युक्त दोहे का सरल अर्थ लिखिए।
उत्तर:
यदि बुरा व्यक्ति बुराई करना त्याग दे तो भी मन इस सच्चाई पर शंका करता है अर्थात ऐसे लोगों के बुराई त्यागने पर भी मन उनसे बहुत डरता है। जैसे चंद्रमा निष्कलंक है फिर भी लोग उसे देखकर अशुभ-सूचक मानते हैं। समय-समय पर सब सुंदर लगते हैं। कोई भी सुंदर या असुंदर (बदसूरत) नहीं होता है। मन की जिससे जितनी रुचि होती है, उससे उतना ही प्रेम होता है अर्थात वह उसे उतना ही पसंद करता है|

गागर में सागर Summary in Hindi

कवि-परिचय:

जीवन-परिचय: कवि बिहारी जी का जन्म ग्वालियर में हुआ था। इन्होंने नीति और ज्ञान के दोहों के साथ-साथ प्रकृति का चित्रण भी बहुत ही सुंदरता के साथ प्रस्तुत किया है। प्रमुख कृतियाँ : काव्य-सतसई (‘सतसई’ बिहारी की एक मात्र रचना है, इसमें 611 दोहे संकलित हैं।)

पद्य-परिचय:

दोहे: इसमें दो पंक्तियाँ होती हैं, जिनमें चार चरण होते हैं। इसका प्रथम और तृतीय चरण १३-१३ तथा द्वितीय और चतुर्थ चरण 11-11 मात्राओं का होता है।

प्रस्तावना: प्रस्तुत कविता ‘गागर में सागर’ के कवि बिहारी जी ने अपने दोहों के माध्यम से व्यवहारिक जगत की कुछ महत्त्वपूर्ण नीतियों से अवगत कराया है।

सारांश:

प्रस्तुत कविता के माध्यम से नीति विषयक पाठ पढ़ाते हुए कवि बिहारी ने अपना मत प्रकटीकरण किया है। कवि बिहारी के अनुसार कृष्ण के प्रेम में डूबे मन की गति कोई भी नहीं समझ सकता है। लोभी को तुच्छ व्यक्ति भी बड़ा दिखाई पड़ता है। सोने में धतूरे से भी अधिक नशा होता है। व्यक्ति अपने नाम से नहीं गुणों से महान बनता है। मनुष्य और नल के पानी की दशा एक समान होती है। प्यास बुझानेवाला छिछला जलाशय भी प्यासे के लिए समुद्र के समान होता है। बुरे व्यक्ति के बुराई छोड़ने पर भी लोग उससे डरते हैं। मन की जिसमें जितनी रुचि होती है, वह उसे उतना ही पसंद होता है।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 गागर में सागर

शब्दार्थ:

  1. अनुरागी – प्रेमी
  2. चित्त – मन
  3. गति – दशा, स्थिति
  4. समुझै – समझना
  5. बूडै – डूबना, लीन होना
  6. स्याम रंग – कृष्ण के रंग में
  7. उज्जलु – निर्मल
  8. घर-घरु – घर-घर
  9. डोलत – घूमता है
  10. दीन – गरीब
  11. जाचतु – माँगना (याचना करना)
  12. चखनु – आँखों पर
  13. लघु – छोटा, तुच्छ
  14. लखाई – दिखाई देना
  15. कनक – सोना
  16. कनक – धतूरा
  17. सौ गुनी – सौ गुना
  18. मादकता – नशीला
  19. अधिकाइ – अधिक होता है
  20. खाए – खाकर
  21. बौराई – पागल होता है
  22. जगु – संसार के लोग
  23. गुनी – गुणवान
  24. निगुनी – गुणहीन
  25. सुन्यौ – सुना है
  26. कहँ – कहीं
  27. तरू – पेड़
  28. अर्क – रस, सूर्य
  29. उदोतु – प्रकाशित
  30. नर – मनुष्य
  31. अरु – और
  32. नीर – पानी
  33. गति – स्थिति, दशा
  34. एकै कर – एक ही समान
  35. जोई – जानिए
  36. हवै चले – होकर चलता है
  37. ऊँचौ – ऊँचा (महान)
  38. अगाधु – गहरा
  39. औथरौ – उथला, छिछला
  40. कूप – कुआँ
  41. सरु – सरोवर, तालाब
  42. ताको – उसके लिए
  43. सागर – सागर, समुद्र
  44. जाकी – जिसकी
  45. बुरौ – बुरा व्यक्ति
  46. तजै – त्याग दे
  47. चितु – मन
  48. सच्चाई
  49. खरौ – सच्चाई
  50. सकातु – शंका करना
  51. निकलंक – निष्कलंक, बेदाग
  52. लखि – देखकर
  53. गनै – मानना, गिनना
  54. मयंकु – चंद्रमा
  55. उतपातु – उपद्रव, आफत, मुसीबत
  56. रूप – सुंदर
  57. कुरूप – असुंदर, बदसूरत
  58. रुचि – पसंद, प्रेम

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 नदी की पुकार

Balbharti Maharashtra State Board Class 9 Hindi Solutions Hindi Lokvani Chapter 1 नदी की पुकार Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Maharashtra State Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 नदी की पुकार

Hindi Lokvani 9th Std Digest Chapter 1 नदी की पुकार Textbook Questions and Answers

1. आकृति पूर्ण कीजिए।

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 नदी की पुकार 1

2. संजाल पूर्ण कीजिए।

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 नदी की पुकार 2

3. भाषाई कौशल पर आधारित पाठगत कृतियाँ

भाषा बिंदु :

प्रश्न 1.
निम्न शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 नदी की पुकार 3

4. संभाषणीय :

प्रश्न 1.
‘जलयुक्त शिवार’ पर चर्चा करें।
उत्तर:
मुंबई : महाराष्ट्र में पानी की समस्या को दूर करने के लिए जलयुक्त शिवार योजना को लाया गया है। इस योजना को देश के प्रसिद्ध उद्योगपति, बैंकर्स, एनजीओ और कई सारे धार्मिक ट्रस्ट भी समर्थन देने लगे हैं। योजना के तहत हर साल राज्य के 5,000 गाँवों को पानी की समस्या से छुटकारा दिलाया जाएगा।

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के अनुसार 2019 तक राज्य के एक बड़े हिस्से को जल संकट से मुक्ति दिला देंगे, इसलिए योजना का नाम ही जलयुक्त शिवार योजना (खेती के लिए जल प्रदान करने की योजना) रखा गया है। महाराष्ट्र सरकार का मानना है कि किसानों को आत्महत्या करने से रोकने हेतु उन्हें खेती के लिए पानी मुहैया कराना जरूरी है।

बरसाती पानी जमा करने के लिए महाराष्ट्र में कई सारे पैटर्न अपना रखे हैं। अन्ना हजारे का रालेगाँव पैटर्न, शिरपुर पैटर्न, हिरवे बाजार पैटर्न सहित कुल 28 अलग-अलग योजनाओं के बाद जलयुक्त शिवार योजना की बुनियाद रखी गई है, जिसकी शुरुआत 26 जनवरी को की गई है। इस योजना की निगरानी सैटलाइट के माध्यम से रखी जा रही है। इस योजना पर निगरानी रखने के लिए जिला स्तर पर पालक मंत्रियों की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई है।

जिसमें जिले के कलेक्टर को विशेष अधिकार भी दिए गए हैं ताकि योजना में किसी तरह की धांधली न हो सके। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस खुद इस योजना पर निगरानी रख रहे हैं और कार्य स्थल जाकर मुआयना कर रहे हैं। जल प्रदूषण शिवार योजना लागू करने से पहले महाराष्ट्र सरकार ने राज्य के उन क्षेत्रों का चयन किया है, जहाँ पानी की भारी समस्या है और जहाँ किसान सबसे ज्यादा आत्महत्या कर रहे हैं।

गाँवों का चयन करने के बाद वहाँ पर योजना की बुनियाद रखी गई। योजना के तहत गाँव के निचले क्षेत्र में गहराई तक खुदाई की जाती है या वहाँ के तालाबों को और गहरा किया जाता है जिससे बरसात का पानी जमा किया जा सकें। खुदाई स्थल के चारों ओर गहराई बढ़ाई जाती है और ऐसी व्यवस्था की जाती है, जिससे आस-पास के क्षेत्रों का पानी उसमें भर सकें। बरसात शुरू होने से पहले ही यह काम पूरा करना निश्चित हुआ है ताकि बरसाती पानी को जमा किया जा सकें।

पानी जमा होने से उस क्षेत्र के आस-पास का भूजल स्तर बढ़ जाएगा। जल स्तर ऊँचा उठने से बोरवेल और पानी के पंपों में भी पानी मिलने लगेगा। योजना के माध्यम से गाँवों को सीमेंट के नाले और नहरों से जोड़ने के अलावा अन्य उपाय किए जाएंगे। मुख्यमंत्री फडणवीस कहते हैं कि जलयुक्त शिवार योजना से किसानों के खेतों को पानी मिलने लगेगा।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 नदी की पुकार

5. कल्पना पल्लवन :

प्रश्न 1.
‘नदी के मन के भाव’ इस विषय पर भाषण तैयार करके प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर :
नदी के मन के भाव – जैसे-जैसे व्यक्ति की आयु बढ़ती है वह बूढ़ा होता जाता है। पर मेरे जीवन पर समय का कोई प्रभाव नहीं पड़ा। आज भी मैं दौड़ते हुए आगे बढ़ती हूँ। दिन-रात ‘कलकल’ का संगीत सुनाती हूँ, वृक्षों के साथ लुका-छिपी खेलती हूँ, चट्टानों पर से कूदती हूँ और अपनी मंजिल की तरफ बढ़ती जाती हूँ। रास्ते में आने वाले हर प्राणी की प्यास बुझाती हूँ। धरती को हरी-भरी कर देती हूँ।

एक दिन मनुष्य अपनी असंस्कृत अवस्था में मेरी शरण में आया था, आज वह संस्कृति और सभ्यता के क्षेत्र में कितना आगे बढ़ गया है। मेरे तट पर न जाने कितने उत्सवों और मेलों की धूम मची रहती है। मेरे तट पर आकर कवि कविताएँ रचते हैं, बच्चे खेलते हैं, दुखी लोग अपना दुख भूल जाते हैं। ये दृश्य देखकर मैं आनंद विभोर हो जाती हूँ।

पर मानव ने आज मेरे जल में जहर घोलना प्रारंभ कर दिया है। मेरे जल को प्रदूषित कर दिया है। मेरी अविरल धारा को जगह-जगह बाँध बनाकर रोक दिया है। उसमें आए दिन कचरे बहाए जा रहे हैं। बड़ी-बड़ी कंपनियों से निकले रासायनिक पदार्थ और मरे हुए पशुओं तक को बहाया जा रहा है। यदि आप मुझे

ऐसे ही प्रदूषित करते रहेंगे तो आपको पीने के लिए स्वच्छ और निःशुल्क जल कौन देगा? हमें आप केवल पैसे के बल पर प्रदूषण मुक्त नहीं कर सकते, बड़ी-बड़ी योजनाएँ बनाकर, बड़ी-बड़ी मशीनें लगाकर आप हमें कब तक स्वच्छ करेंगे? हमें प्रदूषण मुक्त करना है तो आप अपनी मानसिकता (सोच) बदलिए। हमारे जल में गंदगी मत फैलाइए, लोगों को जागरूक कीजिए। उनके अंदर अच्छी सोच जगाइए कि वे हमें गंदा न करें। हमें अविरल बहने दे, हमारे तटों पर किए अतिक्रमण को हटाएँ। मैं स्वयं अपना प्रदूषण दूर कर

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 नदी की पुकार

6. पाठ से आगे :

प्रश्न 1.
पानी की समस्या समझाते हुए ‘होली उत्सव का बदलता रूप’ पर अपना मत लिखिए।
उत्तर:
हमारे देश में बहुत सारे क्षेत्र ऐसे हैं, जहाँ हर वर्ष औसत से कम वर्षा हो रही है। जिसके कारण वहाँ के लोगों खासकर किसानों को सूखे की मार झेलनी पड़ रही है। आए दिन किसान आत्महत्या करने पर मजबूर हो रहे हैं। ऐसी स्थिति में समाज के पढ़े-लिखें लोगों द्वारा पानी संग्रह की योजना बनाई जा रही है। लोगों को पानी की बचत करने के प्रति जागरूक किया जा रहा है। जिसके कारण अब लोग होली के त्यौहार पर होली खेलने के लिए, एक-दूसरे पर हजारों लीटर पानी नहीं फेंकते। पानी बर्बाद न हो इसके लिए अबीर, गुलाल या सूखे रंग से होली खेलते हैं। अब तो लोग एक-दूसरे को अबीर और गुलाल का टीका लगाकर ही होली मना लेते हैं।

7. पाठ के आँगन में :

उत्तर लिखिए।

प्रश्न क.
अपने शब्दों में नदी की स्वाभाविक विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर :
नदी सतत बहती रहती है। वह सभी प्राणियों को अपने जल से जीवन प्रदान करती है। नदी सदैव परोपकार का कार्य करती है।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 नदी की पुकार

प्रश्न ख.
किसी एक चरण का भावार्थ लिखिए।
भर्यादा में बहने वाली, ……….. मुझे बचा लो भाई रे।।
भावार्थ :
जो नदी सदैव अपनी सीमा में रहकर अमृत समान स्वच्छ पल धारा से सबकी प्यास बुझाती है। वही नदी हमसे कहती है कि जिसने भी मुझे बुलाया मैं उसके भलाई के लिए सदा तैयार रही। हे मनुष्य! तुम पागल मत बनो, उसी नदी के दुश्मन मत बनो, जो हमेशा दूसरों की भलाई और परमार्थ का कार्य करती आई है उसके प्रदूषित होने पर तुम्हारी प्यास कौन बुझाएगा। कल-कल की आवाज करते हुए नदी मनुष्य से स्वयं (नदी) को बचाने का आवाहन करती है।

Hindi Lokvani 9th Std Textbook Solutions Chapter 1 नदी की पुकार Additional Important Questions and Answers

(क) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति क (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के एक शब्द में उत्तर लिखिए।
i. नदियों का जीवन किस प्रकार का है?
ii. नदियाँ किसमें बहती है?
उत्तर :
i. परहित का
ii. मर्यादा में

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प्रश्न 2.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर :
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 नदी की पुकार 4

कृति क (2): सरल अर्थ

प्रश्न 1.
पहली दो पंक्तियों का सरल अर्थ लिखिए।
सबको जीवन देने ………….. मुझे बचा लो भाई रे।।
उत्तर:
कवि नदी की संवेदनाओं को प्रकट करते हुए कहते हैं कि नदी सभी प्राणियों को अपने जल से जीवन प्रदान करती है। वह हमेशा दूसरों की भलाई का ही कार्य करती है। नदी कल-कल की आवाज करते हुए मनुष्य से अपने अस्तित्व को बचाने का आवाहन करती है।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 नदी की पुकार

(ख) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति ख (1) : आकलन कृति

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 नदी की पुकार 5

प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रश्नों के एक शब्द में उत्तर लिखिए।

  1. नदी ने गिरिवन से निकलते समय मन में पाल रखा था –
  2. लोगों ने नदी में डाल मिलाई –
  3. नदी अपने तट पर हरदम सुनाती है –
  4. नदी हमें नि:शुल्क देती है –

उत्तर :

  1. सपना
  2. मलिनता
  3. गीत
  4. जल

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 नदी की पुकार

कृति ख (2): सरल अर्थ

प्रश्न 1.
प्रथम चार पंक्तियों का सरल अर्थ लिखिए।
उत्तर:
नदी कहती है कि जब मैं पर्वत और जंगल से होकर गुजरी तब मैंने अपने मन में एक सपना पाल रखा था कि रास्ते में जो भी जरूरतमंद (प्यासा) मिले उसे अपना बनाते हुए अर्थात उसकी मदद करते हुए आगे बढ़ते जाए लेकिन मानव जाति ने ही मुझे प्रदूषित कर दिया। इस प्रकार कल-कल करती नदी प्रदूषण से खुद को बचाने का मानव से आवाहन करती है।

(ग) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति ग (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के एक शब्द में उत्तर लिखिए।

  1. नदी के न रहने पर कौन मुरझा जाएगा?
  2. नदी ने क्या बनकर नयनों की खुशहाली बाँटी?
  3. नदी ने खेतों में क्या फैलाया?
  4. खारे सागर में मिलकर नदी ने उसे क्या दिया?

उत्तर:

  1. सागर
  2. झरना
  3. हरियाली
  4. मिठाई

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 नदी की पुकार

कृति ग (2): सरल अर्थ

प्रश्न 1.
अंतिम चार पंक्तियों का सरल अर्थ लिखिए।
उत्तर:
कवि मिश्र कहते हैं कि नदी मानव से कह रही है कि जब मैं झरने के रूप में झर-झर कर बह रही थी, तब मेरी सुंदरता ने कितने ही इंसानों के नेत्रों को प्राकृतिक आनंद दिया और जब नदी के रूप में आगे बढ़ी तो किसानों के खेतों में हरियाली आ गई। यहाँ तक कि अपने जीवन के अंत में जब मैं खारे समुद्र में जा मिली तो भी मैंने उस खारे जल को मिठास ही दिया। कल-कल कर बहती हुई नदी मानव से कहती है कि हे मनुष्य! मैं तुम्हारे जीवन के लिए कितनी आवश्यक हूँ इस बात को समझो और मेरा अस्तित्व बना रहने दो। मुझे इस तरह मैला न करो कि मैं समाप्त हो जाऊँ।

नदी की पुकार Summary in Hindi

कवि-परिचय :

जीवन-परिचय : सुरेशचंद्र मिश्र जी का जन्म उत्तर प्रदेश में प्रतापगढ़ जिले के धनऊपुर गाँव में हुआ था। आप आधुनिक हिंदी कविता क्षेत्र के जाने-माने गीतकार हैं।
प्रमुख कृतियाँ : काव्यसंग्रह -‘संकल्प’, ‘जय गणेश’, ‘वीर शिवाजी’, ‘पत्नी पूजा’।

पद्य-परिचय :

गीत : स्वर, पद और ताल से युक्त गीत हिंदी साहित्य की महत्त्वपूर्ण विधा है। इसमें गेयता होती है। गीत मनुष्य मात्र की भाषा है।
इसके माध्यम से मानव जीवन में ऊर्जा एवं ताजगी का संचार होता है।
प्रस्तावना : कवि सुरेशचंद्र मिश्र जी ने नदी की पुकार कविता के माध्यम से हमारे जीवन में नदी के योगदान को दर्शाया है तथा इसे प्रदूषण मुक्त रखने के लिए हमें प्रेरित किया है।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 नदी की पुकार

सारांश :

इस कविता के माध्यम से नदी की संवेदनाओं को प्रकट किया गया है। नदी सभी प्राणियों की भलाई करती है। उन्हें अपने जल से तृप्त करती है। मनुष्य के जीवन में कितनी भी महँगाई आ जाए पर नदी तो अपना जल नि:शुल्क देती है। वह खेतों को भी हरियाली प्रदान करती है। परंतु मनुष्य नदी को आए दिन प्रदूषित करता जा रहा है। नदी इस प्रदूषण से खुद को बचाने का आवाहन मनुष्य से करती है।

सरल अर्थ :

सबको जीवन देने ……………………………. मुझे बचा लो भाई रे।।
कवि नदी की संवेदनाओं को प्रकट करते हुए कहते हैं कि नदी सभी प्राणियों को अपने जल से जीवन प्रदान करती है। वह हमेशा दूसरों की भलाई का ही कार्य करती है। नदी कल-कल की आवाज करते हुए मनुष्य से अपने अस्तित्व को बचाने का आवाहन करती है।

मर्यादा में बहने वाली, …………………………… मुझे बचा लो भाई रे।।
जो नदी सदैव अपनी सीमा में रहकर अमृत समान स्वच्छ जल धारा से सबकी प्यास बुझाती है। वही नदी हमसे कहती है कि जिसने भी मुझे बुलाया मैं उसके भलाई के लिए सदा तैयार रही। हे मनुष्य! तुम पागल मत बनो, उसी नदी के दुश्मन मत बनो, जो हमेशा दूसरों की भलाई और परमार्थ का कार्य करती आई है। उसके प्रदूषित होने पर तुम्हारी प्यास कौन बुझाएगा? कल-कल की आवाज करते हुए नदी मनुष्य से स्वयं (नदी) को बचाने का आवाहन करती है।

गिरिवन से निकली थी, ………………………….. मुझे बचा लो भाई रे।।
नदी कहती है कि जब मैं पर्वत और जंगल से होकर गुजरी तब मैंने अपने मन में एक सपना पाल रखा था कि रास्ते में जो भी जरूरतमंद (प्यासा) मिले उसे अपना बनाते हुए अर्थात उसकी मदद करते हुए आगे बढ़ते जाए लेकिन मानव जाति ने ही मुझे प्रदूषित कर दिया। इस प्रकार कल-कल करती नदी प्रदूषण से खुद को बचाने का मानव से आवाहन करती है।

नदिया के तट पर बैठो, …………………………… मुझे बचा लो भाई रे।।
यदि नदी के किनारे बैठ जाओ तो नदी कल-कल की आवाज में हमेशा गीत सुनाती है। कवि कहते हैं अगर धरती पर सूखा पड़ जाए तो भी नदी अपने बचे हुए थोड़े से जल से ही लोगों की प्यास बुझाती है। इंसान के जीवन में कितनी भी महँगाई क्यों न आ जाए लेकिन नदी हमें निःशुल्क जल देती है। इस प्रकार नदी कल-कल की आवाज करते हुए मनुष्य से यही आवाहन करती है कि तुम मुझे बचा लो अर्थात मुझे स्वच्छ रखो।

नदिया नहीं रहेगी तो, …………………………. मुझे बचा लो भाई रे।।
नदी अपना महत्त्व बताते हुए कहती है कि हे मनुष्य यदि मैं (नदी) नहीं रहूँगी तो समुद्र भी एक दिन सूख जाएगा। आगे वह प्रश्न करती है कि गाँवों से निकल कर मुझमें मिल जाने वाले नाले कहाँ जाएँगे, किससे मिलेंगे ? जो नाविक नाव को नदी में चलाते समय हो हैया-हो हैया की ललकार लगाते हैं वह फिर कभी सुनाई नहीं देगी यदि तुम मनुष्य मुझे स्वच्छ और सुरक्षित नहीं रखोगे। कल-कल करती नदी मनुष्य से अपनी सुरक्षा का निवेदन कर रही है।

झरना बनकर मैंने, ……………………… मुझे बचा लो भाई रे।।
कवि मिश्र कहते हैं कि नदी मानव से कह रही है कि जब मैं झरने के रूप में झर-झर कर बह रही थी, तब मेरी सुंदरता ने कितने ही इंसानों के नेत्रों को प्राकृतिक आनंद दिया और जब नदी के रूप में आगे बढ़ी तो किसानों के खेतों में हरियाली आ गई। यहाँ तक कि अपने जीवन के अंत में जब मैं खारे समुद्र में जा मिली तो भी मैंने उस खारे जल को मिठास ही दिया। कल-कल कर बहती हुई नदी मानव से कहती है कि हे मनुष्य! मैं तुम्हारे जीवन के लिए कितनी आवश्यक हूँ इस बात को समझो और मेरा अस्तित्व बना रहने दो। मुझे इस तरह मैला न करो कि मैं समाप्त हो जाऊँ।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 1 नदी की पुकार

शब्दार्थ :

  1. मर्यादा – सीमा
  2. परहित – दूसरे की भलाई
  3. सौदाई – पागल
  4. गिरिवन – पर्वतीय जंगल
  5. पाला – सँजोया
  6. मलिनता – गंदगी
  7. तट – किनारा
  8. हरदम – हमेशा
  9. शुल्क – पैसा
  10. मुरझाएगा – सूख जाएगा
  11. सरिता – नदी

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 किताबें कुछ कहना चाहती हैं

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Maharashtra State Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 किताबें कुछ कहना चाहती हैं

Hindi Lokvani 9th Std Digest Chapter 5 किताबें कुछ कहना चाहती हैं Textbook Questions and Answers

1. भाषा बिंदु :

प्रश्न 1.
“निर्देशानुसार काल परिवर्तन कीजिए।
उत्तर :
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 किताबें कुछ कहना चाहती हैं 1

2. संभाषणीय :

प्रश्न 1.
“वाचन प्रेरणा दिवस’ के अवसर पर पड़ी हुई किसी पुस्तक का आशय प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर :
पुस्तकें हमारी मित्र हैं। अच्छी पुस्तकें हमें रास्ता दिखाने के साथ साथ हमारा मनोरंजन भी करती हैं। मैंने पिछले दिन रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की पुस्तक ‘कुरुक्षेत्र’ पढ़ी। यह युद्ध और शांति की समस्या पर आधारित है। भीष्म महाभारत का युद्ध समाप्त होने पर शर-शय्या पर लेटे हुए हैं। उधर पांडव अपनी जीत पर प्रसन्न हैं। परंतु युधिष्ठिर इतने लोगों की मृत्यु से दुखी हैं। वे पश्चाताप करते हुए भीष्म के पास जाते हैं और रोते हुए कहते हैं कि, उन्होंने युद्ध करके पाप किया है।

भीष्म कहते हैं महाभारत के युद्ध में युधिष्ठिर का कोई दोष नहीं है। पापी दुर्योधन है, शकुनी है, जिसके कारण युद्ध हुआ। अन्याय का विरोध करने वाला पापी नहीं है, बल्कि अन्याय करने वाला पापी है। भीष्म कहते हैं, अन्याय का विरोध करना तो पुण्य है, पाप नहीं है। दिनकर का यह ग्रंथ प्रेरणा, ओज, वीरता साहस और हिम्मत का भंडार है। इनकी भाषा आग उगलती है। इस काव्य को पढ़कर मुर्दे में भी जान आ सकती है। इसके वीरता भरे शब्द मुझे बार-बार इसे पढ़ने की प्रेरणा देते हैं।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 किताबें कुछ कहना चाहती हैं

3. रचनात्मकता की ओर कल्पना पल्लवन

प्रश्न 1.
‘ग्रंथ हमारे गुरु’ इस विषय के संदर्भ में स्वमत बताइए।
उत्तर :
ग्रंथ हमें वर्षों से अपनी ज्ञान की गंगा में नहलाते आए हैं। ये ग्रंथ सदियों से संचित अपने अनुभवों को हमें बताते हैं। इनका ज्ञान पाकर हम अपने जीवन को अच्छी तरह जीने में सक्षम होते हैं। जीवन में आने वाले सुख-दुख में हम कैसे संघर्ष करें और अपने जीवन को कैसे सरल बनाएँ, यह हमें ग्रंथ ही सिखाते है। सत्य, सदाचार, धैर्य और अच्छे कर्म का मार्ग भी हमें गंथ द्वारा ही प्राप्त होता है। सच में ये ज्ञान और अनुभव के भंडार ग्रंथ हमारे सच्चे गुरु होते हैं।

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4. पाठ के आँगन में

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर :
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 किताबें कुछ कहना चाहती हैं 2

प्रश्न 2.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर :
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 किताबें कुछ कहना चाहती हैं 3

प्रश्न 3.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर :
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 किताबें कुछ कहना चाहती हैं 4

Hindi Lokvani 9th Std Textbook Solutions Chapter 5 किताबें कुछ कहना चाहती हैं Additional Important Questions and Answers

(क) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति क (1) : आकलन कृति

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर :
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 किताबें कुछ कहना चाहती हैं 5

प्रश्न 2.
उचित शब्द तैयार कीजिए।
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 किताबें कुछ कहना चाहती हैं 6
उत्तर :
i. खुशियाँ
ii. जमाना

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 किताबें कुछ कहना चाहती हैं

कृति क (2) : सरल अर्थ

प्रश्न 1.
ऊपर दी गई पंक्तियों का सरल अर्थ लिखिए।
उत्तर:
कवि कहते हैं कि ये किताबें हमसे बातें करती हैं। किताबें हमें एक-एक पल की, आज की, कल की और बीते हुए जमाने की बातें बताती हैं। पुराने समय से लेकर आज तक की खुशियों और दुखों की कहानी भी ये किताबें ही हमें बताती हैं। ये किताबें हमें फूलों जैसे व्यक्तित्व की कहानी बताती हैं। जिस प्रकार फूल खिलकर अपनी सुगंध को चारों तरफ फैला देता है, उसे तोड़ने वाले हाथ को भी वह अपनी खुशबू से महका देता है, उसी प्रकार इस संसार में ऐसे लोगों ने जन्म लिया जिन्होंने अपने महान कृत्यों से इस संसार को सुगंधित कर दिया।

ऐसे लोगों की कहानी भी हमें पुस्तकें बताती हैं। इस दुनिया में आज तक जितने भी छोटेबड़े युद्ध हुए उसमें प्रयोग किए गए बमों आदि की कहानी भी ये पुस्तकें बताती हैं। इस धरती पर आज तक बहुत सारे योद्धा पैदा हुए उनके बीच अनगिनत लड़ाइयाँ भी लड़ी गई। उनके जीत और हार की कहानी भी किताबें हमें बताती हैं। देश, समाज और परिवार के बीच पनपे प्यार और मार-काट की बातें भी हमें पुस्तकें बताती हैं।

(ख) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति ख (1) : आकलन कृति

प्रश्न 1.
आकति पर्ण कीजिए।
उत्तर :
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 किताबें कुछ कहना चाहती हैं 7
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 किताबें कुछ कहना चाहती हैं 8

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 किताबें कुछ कहना चाहती हैं

प्रश्न 2.
उचित जोड़ियाँ मिलाइए।

‘अ’‘ब’
1. खेतियाँ(क) कहना चाहती हैं।
2. चिड़ियाँ(ख) लहलहाती हैं।
3. झरने(ग) सुनाते हैं।
4. किस्से(घ) गुनगुनाते हैं।
(ङ) चहचहाती हैं।

उत्तर :

‘अ’‘ब’
1. खेतियाँ(ख) लहलहाती हैं।
2. चिड़ियाँ(ङ) चहचहाती हैं।
3. झरने(घ) गुनगुनाते हैं।
4. किस्से(ग) सुनाते हैं।

कृति ख (2) : सरल अर्थ

प्रश्न 1.
ऊपर दी गई पंक्तियों का सरल अर्थ लिखिए।
उत्तर:
कवि कहते हैं कि क्या तुम इन किताबों की बातें नहीं सुनोगे। ये कितावें तुम्हारे पास रहना चाहती हैं और तुमसे कुछ कहना चाहती हैं। इन किताबों में चिड़ियों के चहचहाने का मनोझरी वर्णन मिलता है। किसानों के खेतों में लहलहाती हुई हरी-भरी फसलों का वर्णन भी इन किताबों में मिलता है। किताबों में झरते हुए झरने का चित्रण और परियों की कहानियाँ भी विस्तार से मिलती है। जो हमें ये पुस्तकें सुनाती हैं।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 किताबें कुछ कहना चाहती हैं

(ग) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति ग (1) : आकलन कृति

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर :
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 किताबें कुछ कहना चाहती हैं 9

प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रश्नों के एक शब्द में उत्तर लिखिए।
i. ये कुछ कहना चाहती हैं।
ii. ये तुम्हारे पास रहना चाहती हैं।
उत्तर :
i. किताबें
ii. किताबें

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 किताबें कुछ कहना चाहती हैं

कति ग (2) : सरल अर्थ

प्रश्न 1.
उपर्युक्त पंक्तियों का सरल अर्थ लिखिए।
उत्तर :
यह युग विज्ञान का युग है। आए दिन वैज्ञानिक उपकरण आविष्कार किए जा रहे हैं। रॉकटों की भरमार हो गई है, जिसे अन्य देशों द्वारा आए दिन अंतरिक्ष में स्थापित किया जा रहा है। इनका वर्णन भी किताबों में विस्तार से मिलता है। किताबें ज्ञान का भंडार हैं। क्या तुम ज्ञान प्राप्त करने के लिए किताबों के संसार में नहीं जाना चाहोगे? ये किताबें तुम्हें कुछ बताना चाहती हैं, तुम्हारे ही पास रहना चाहती हैं। तुमसे दूर नहीं जाना चाहती।

किताबें कुछ कहना चाहती हैं Summary in Hindi

कवि-परिचय :

जीवन-परिचय : सफदर हाश्मी का जन्म 12 अप्रैल 1954 को दिल्ली में हुआ था। वे एक नाटककार, कलाकार, निर्देशक, गीतकार और कलाविद थे। नुक्कड़ नाटकों के लिए इन्हें विशेष ख्याति प्राप्त है। भारतीय जन नाट्य संघ से भी इनका जुड़ाव रहा।
प्रमुख कृतियाँ : किताबें, मच्छर पहलवान, पिल्ला, राजू और काजू आदि प्रसिद्ध बाल कविताएँ हैं। ‘दुनिया सबकी’ पुस्तक में इनकी कविताएँ संकलित हैं।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 किताबें कुछ कहना चाहती हैं

पद्य-परिचय :

नई कविता : संवेदना के साथ मानवीय परिवेश के संपूर्ण विविधता को नए शिल्प में अभिव्यक्त करने वाली काव्यधारा को नई कविता कहते हैं। नई कविता में समाज के विविध पहलुओं की मार्मिक अभिव्यक्ति की गई हैं।
प्रस्तावना : प्रस्तुत कविता ‘किताबें कुछ कहना चाहती हैं’ के माध्यम से कवि हाश्मी जी ने किताबों के द्वारा मन की बातों का मानवीकरण करके प्रस्तुत किया है।

सारांश :

कवि कहते हैं कि किताबें पुराने समय से लेकर आज तक के संसार के सुख और दुख की बातें हमें बताती हैं। महापुरुषों के कृत्यों, आपसी प्रेम, युद्ध, और युद्ध में प्रयोग किए गए भयानक हथियारों की कहानी भी किताबें हमें बताती हैं। प्रकृति का सुंदर वर्णन और विज्ञान का विस्तार भी ये किताबें हमें सुनाती हैं।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 किताबें कुछ कहना चाहती हैं

सरल अर्थ :

किताबें …………………………………………………. मार की।
कवि कहते हैं कि ये किताबें हमसे बातें करती हैं। किताबें हमें एक-एक पल की, आज की, कल की और बीते हुए जमाने की बातें बताती हैं। पुराने समय से लेकर आज तक की खुशियों और दुखों की कहानी भी ये किताबें ही हमें बताती हैं। ये किताबें हमें फूलों जैसे व्यक्तित्व की कहानी बताती हैं। जिस प्रकार फूल खिलकर अपनी सुगंध को चारों तरफ फैला देता है, उसे तोड़ने वाले हाथ को भी वह अपनी खुशबू से महका देता है, उसी प्रकार इस संसार में ऐसे लोगों ने जन्म लिया जिन्होंने अपने महान कृत्यों से इस संसार को सुगंधित कर दिया।

ऐसे लोगों की कहानी भी हमें पुस्तकें बताती हैं। इस दुनिया में आज तक जितने भी छोटे-बड़े युद्ध हुए उसमें प्रयोग किए गए बमों आदि की कहानी भी ये पुस्तकें बताती हैं। इस धरती पर आज तक बहुत सारे योद्धा पैदा हुए उनके बीच अनगिनत लड़ाइयाँ भी लड़ी गईं। उनके जीत और हार की कहानी भी किताबें हमें बताती हैं। देश, समाज और परिवार के बीच पनपे प्यार और मार-काट की बातें भी हमें पुस्तकें बताती हैं।

क्या तुम नहीं …………………………………….. किस्से सुनाते हैं।
कवि कहते हैं कि क्या तुम इन किताबों की बातें नहीं सुनोगे। ये किताबें तुम्हारे पास रहना चाहती हैं और तुमसे कुछ कहना चाहती हैं। इन किताबों में चिड़ियों के चहचहाने का मनोहारी वर्णन मिलता है। किसानों के खेतों में लहलहाती हुई हरी-भरी फसलों का वर्णन भी इन किताबों में मिलता है। किताबों में झरते हुए झरने का चित्रण और परियों की कहानियाँ भी विस्तार से मिलती हैं। जो हमें ये पुस्तकें सुनाती हैं।

किताबों में रॉकेट, ………………………………….. पास रहना चाहती हैं।
यह युग विज्ञान का युग है। आए दिन वैज्ञानिक उपकरण आविष्कार किए जा रहे हैं। रॉकेटों की भरमार हो गई है, जिसे अन्य देशों द्वारा आए दिन अंतरिक्ष में स्थापित किया जा रहा है। इनका वर्णन भी किताबों में विस्तार से मिलता है। किताबें ज्ञान का भंडार हैं। क्या तुम ज्ञान प्राप्त करने के लिए किताबों के संसार में नहीं जाना चाहोगे? ये किताबें तुम्हें कुछ बताना चाहती हैं, तुम्हारे ही पास रहना चाहती हैं। तुमसे दूर नहीं जाना चाहती।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 किताबें कुछ कहना चाहती हैं

शब्दार्थ :

  1. गम – दुख
  2. खेतियाँ – खेत की फसलें
  3. किस्से – कहानी
  4. रॉकेट – उपग्रह
  5. राज – रहस्य
  6. भरमार – अधिकता

Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 8 ऐसा वसंत कब आएगा?

Balbharti Maharashtra State Board Class 10 Hindi Solutions Hindi Lokvani Chapter 8 ऐसा वसंत कब आएगा? Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Maharashtra State Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 8 ऐसा वसंत कब आएगा?

Hindi Lokvani 10th Std Digest Chapter 8 ऐसा वसंत कब आएगा? Textbook Questions and Answers

सुचना के अनुसर क्रुतिय कीजिए ।

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए।
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 8 ऐसा वसंत कब आएगा 1
उत्तरः
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 8 ऐसा वसंत कब आएगा 2

प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्द पढ़कर ऐसे प्रश्न तैयार कीजिए जिनके उत्तर निम्न शब्द हों –
1. अधर
2. आँखें
उत्तर:
1. पद्यांश में इसके खिलने की बात हो रही है?
2. पद्यांश में इनके हँसने की बात हो रही है?

Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 8 ऐसा वसंत कब आएगा?

प्रश्न 3.
अंतिम सात पंक्तियों का भावार्थ लिखिए।
सबको दे भोजन …………… कब आएगा?
उत्तर:
कवि की कामना है कि प्रत्येक व्यक्ति को खाने के लिए भरपेट भोजन, शरीर पर पहनने के लिए वस्त्र व रहने के लिए घर उपलब्ध हो, जिससे प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में आनंद और खुशहाली का आगमन हो। इस धरती पर ऐसे वास्तविक वसंत का आगमन हो, जिससे प्रत्येक व्यक्ति के चेहरे पर खुशी झलकती रहे; उसके अधर प्रसन्नता से खिलते रहें व उसकी आँखें हँसहँसकर आनंदविभोर हो जाएँ। ऐसा खुशहाल, समृद्ध, संपन्न वसंत; ग्रीष्म-शिशिर में भी वसंत कहलाएगा। सचमुच, जब ऐसा होगा; तब वास्तविक वसंत का आगमन होगा।

स्वाध्याय:

स्वाध्याय विषयक कृतियाँ

1. तुलना कीजिए।

प्रश्न 1.
तुलना कीजिए।
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 8 ऐसा वसंत कब आएगा 3
उत्तरः

प्राकृतिक वसंतकवि मन की कल्पना का वसंत
प्रकृति का सदाबहार होनामानवता का फूल खिलना
नए पौधों व फूलों का आगमनसुख-सुविधा के समान अधिकार पाकर नव यौवनमय जीवन
चारों तरफ हरियाली होनानव संस्कृति व नव विश्व व्यवस्था का युग
हवा तरोताजा करने वाली होती है।ऐसा वसंत जो सबको भोजन,  वस्त्र और भवन दे सके

2. उत्तर लिखिए।

प्रश्न 1.
उत्तर लिखिए।
(क) वसंत के अलावा पद्य में प्रयुक्त दो ऋतुएँ –
(ख) सबके लिए समान है –
उत्तर:
(क) ग्रीष्म व शिशिर
(ख) भूमि, गगन, पवन, रवि, शशि

3. निम्न शब्दों के लिए कविता में प्रयुक्त समानार्थी शब्द चुनकर लिखिए।

प्रश्न 1.
निम्न शब्दों के लिए कविता में प्रयुक्त समानार्थी शब्द चुनकर लिखिए।

  1. कमी
  2. हँसी
  3. फूल
  4. महल
  5. मनुष्य
  6. चाँद
  7. वस्त्र
  8. मन

उत्तर:

  1. अभाव
  2. मुस्कान
  3. प्रसून
  4. प्रासाद
  5. मानव
  6. शशि
  7. वसन
  8. मानस

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4. शब्दसमूह के लिए एक शब्द लिखिए।

प्रश्न 1.
शब्दसमूह के लिए एक शब्द लिखिए।

  1. जिसकी कोई निश्चित सीमा नहीं है –
  2. जिसका शोषण किया जाता है –
  3. बिना थके –
  4. जिसका अंत नहीं –

उत्तर:

  1. असीम
  2. शोषित
  3. अथक
  4. अनंत

भाषा बिंदु:

1. निम्नलिखित मुहावरों का अर्थ लिखकर सार्थक वाक्यों में प्रयोग कीजिए।

प्रश्न 1.
निम्नलिखित मुहावरों का अर्थ लिखकर सार्थक वाक्यों में प्रयोग कीजिए।

  1. खाली हाथ लौटना
  2. बिना सिर-पैर की बातें करना
  3. यादों में जाग उठना
  4. भरा-पूरा अनुभव करना

उत्तरः

  1. खाली हाथ लौटना: निराश होकर वापस आना।
    वाक्य: लंदन गोलमेज परिषद किसी भी नतीजे पर नहीं पहुँच सका इसलिए गांधीजी को खाली हाथ लौटना पड़ा।
  2. बिना सिर-पैर की बातें करना: निरर्थक बातें करना।
    वाक्य: जो कुछ भी बोल रहे हो उसका कुछ प्रमाण होना चाहिए अन्यथा बिना सिर-पैर की बातें करने से कुछ भी हासिल नहीं होगा।
  3. यादों में जाग उठना : पुरानी यादें ताजा हो जाना।
    वाक्य: डॉ ए.पी.जे. अब्दुल कलाम स्वर्ग सिधारे हैं; परंतु वे आज भी हमारी यादों में जाग उठते हैं।
  4. भरा-पूरा अनुभव करना: संतुष्ट हो जाना।
    वाक्य: यजमान द्वारा किए गए आतिथ्य सत्कार से हमने भरा-पूरा अनुभव किया।

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2. निम्नलिखित वाक्यों के अधोरेखांकित शब्दसमूह के लिए कोष्ठक में दिए मुहावरों में से उचित मुहावरे का चयन करके वाक्य फिर से लिखिए। (चौपट हो जाना, निछावर करना, नाक-भौं सिकोड़ना, मन मारना, फूला न समाना, दंग रह जाना)

प्रश्न 1.
सरकस की गुड़ियों के करतब देखकर दर्शक आश्चर्य – चकित हो गए।
उत्तर:
सरकस की गुड़ियों के करतब देखकर दर्शक दंग रह गए।

प्रश्न 2.
अचानक पिता जी द्वारा पर्यटन पर जाने का निर्णय सुनकर बच्चे बहुत आनंदित हुए।
उत्तर:
अचानक पिता जी द्वारा पर्यटन पर जाने का निर्णय सुनकर बच्चे फूले न समाए।

3. पाठों में आए सभी प्रकार के अव्ययों को ढूँढ़कर उनसे प्रत्येक प्रकार के दस-दस वाक्य लिखिए।

प्रश्न 1.
पाठों में आए सभी प्रकार के अव्ययों को ढूँढ़कर उनसे प्रत्येक प्रकार के दस-दस वाक्य लिखिए।
उत्तरः
क्रियाविशेषण अव्यय:

  1. आज: आज रविवार है।
  2. कल: मैं कल गाँव जाऊँगा।
  3. शायद: शायद मैं कल बाज़ार नहीं जाऊँगा।
  4. अचानक: अचानक बिजली चली गई।
  5. अभी: अभी भी देर नहीं हुई है।
  6. चुपचाप: वह चुपचाप चला गया।
  7. अब: अब मैं मन लगाकर पढ़ाई करूँगा।
  8. वहाँ: वहाँ कोई तो है।
  9. धीरे-धीरे: गाड़ी धीरे-धीरे जा रही थी।
  10. जगह-जगह: जगह-जगह फूल ही फूल दिखाई दे रहा है।

संबंधसूचक अव्यय:

  1. के लिए: मैंने उसके लिए खिलौने लाए।
  2. की ओर: राम ने उसकी ओर देखा।
  3. की तरफ: नदी की तरफ मत जाओ।
  4. के साथ: मुझे उसके साथ जाना बिलकुल अच्छा नहीं लगता।
  5. के बाद: परीक्षा खत्म होने के बाद मैं घूमने चला गया।
  6. के पास: विजय के पिता जी के पास बहुत धन है।
  7. के अनुसार: उसके अनुसार यह गलत है।
  8. के प्रति: उसके प्रति मेरे दिल में हमदर्दी है।
  9. के बीच: उन दोनों के बीच झगड़ा हुआ है।
  10. के पीछे: घर के पीछे एक पेड़ है।

समुच्चयबोधक अव्यय:

  1. और: राम और श्याम मित्र हैं।
  2. परंतु: मैं तुम्हारे घर आने वाला था; परंतु कुछ कारणवश नहीं आ सका।
  3. बल्कि: वे एक धर्मात्मा ही नहीं हैं; बल्कि एक पहुँचे हुए _महापुरुष भी हैं।
  4. व: सीता व गीता बाजार जा रही हैं।
  5. क्योंकि: वह निराश है; क्योंकि उसे मनचाही चीज नहीं मिली।
  6. कारण: रमेश को चोट लगने के कारण वह स्कूल नहीं जा सका।
  7. कि: उसने कहा कि तुम अपना काम करो।
  8. पर: मैंने उसे बहुत समझाया पर वह नहीं माना।
  9. किंतु: मुझे उसके साथ बात करना अच्छा नहीं लगता, किंतु आज मैं उसके साथ बात करूँगा।
  10. अपितु: महात्मा गांधी जी सिर्फ युगपुरुष नहीं थे; अपितु वे भारतीय संस्कृति के व्याख्याता भी थे।

विस्मयादिबोधक अव्यय:

  1. जी हाँ!: जी हाँ ! मैं सच कह रहा हूँ।
  2. अरे!: अरे ! यह तुमने क्या कर डाला?
  3. अच्छा!: अच्छा ! तो यह चित्र तुमने बनाया है।
  4. क्या!: क्या ! यह क्या कह रहे हो?
  5. हे!: हे ! ये कौन है?
  6. हाय राम!: हाय राम! अब मैं क्या करूँ?
  7. वाह!: वाह ! क्या मूर्ति है।
  8. अजी! : अजी ! सुनते हो।
  9. अहा! : अहा ! बहुत मजा आया।
  10. बाप रे बाप! : बाप रे बाप ! कितना बड़ा हाथी।

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उपयोजित लेखन:

प्रश्न 1.
मुद्दों के आधार पर कहानी लेखन कीजिए।
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उत्तरः

‘कुसंगति का परिणाम’

प्रयाग में चक्रधर नामक एक युवक रहता था। युवक पढ़ालिखा था; लेकिन गलत संगति में रहने के कारण वह बुरी आदतों का शिकार हो गया था। वह दिन-रात अपने बुरे दोस्तों के साथ रहता, मौज-मस्ती करता और गलत व्यसनों के चक्कर में पड़ा रहता। एक बार की बात है। उस युक्क के बुरे दोस्तों ने एक घर में चोरी की। चोरी में चुराया हुआ सामान लाकर उन्होंने चक्रधर के घर में उसके लाख मना करने पर भी छुपा दिया। चोरी की जाँच करते हुए पुलिस को भनक मिल गई कि चोरी का माल कहाँ छुपाया गया है।

उन्होंने उस युवक के घर में छापा मारा। पुलिस को वहाँ से चोरी के सामान बरामद हुए। साथ-साथ पुलिस ने उस युवक और उसके दोस्तों को भी धर-पकड़ा। दूसरे दिन पुलिस अधिकारी ने युवक से पूछताछ की। पूछताछ के दौरान अधिकारी को पता चला कि इस चोरी में उसका हाथ नहीं है। गलत संगति के कारण वह भी इस जुर्म में फँस गया है। उसकी सच्चाई जानकर पुलिस अधिकारी ने उसका समुपदशन करवाया और उसे उचित सलाह दी; ताकि वह बुरे लोगों की संगति छोड़कर सही मार्ग पर चल सके।

अधिकारी की सलाह का चक्रधर पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा। रिहा होने के पश्चात उसने अपने बुरे दोस्तों का साथ छोड़ दिया और छोटा-मोटा व्यवसाय करना शुरू कर दिया। आहिस्ता-आहिस्ता समय बीतता गया और उस युवक का व्यवसाय बढ़ने लगा। उसके कारोबार में वृद्धि होने लगी। उसने अपने जैसे गलत संगति के शिकार हुए युवकों को अपनी कंपनी में नौकरियाँ दीं; ताकि वे बुरी संगति में फँसकर तथा गलत मार्ग पर चलकर स्वयं को बरबाद न करें।

सीख: कुसंगति का फल हमेशा बुरा होता है और सुसंगति का फल सदैव अच्छा ही होता है।

व्याकरण विभाग:

1&2.
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3.
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4.
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5.
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6. मुहावरों का प्रयोग/चयन करना

7. शब्दों का शुद्धीकरण

शब्द संपदा – (पाँचवीं से नौवीं तक)

शब्दों के लिंग, वचन, विलोमार्थक, समानार्थी, पर्यायवाची, शब्दयुग्म, अनेक शब्दों के लिए एक शब्द, समोच्चारित मराठी-हिंदी शब्द, भिन्नार्थक शब्द, कठिन शब्दों के अर्थ, उपसर्ग-प्रत्यय पहचानना/अलग करना, कृदंत-तद्धित बनाना, मूल शब्द अलग करना।

Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 8 ऐसा वसंत कब आएगा?

उपयोजित लेखन (रचना विभाग)

पत्रलेखन:

अपने विचारों, भावों को शब्दों के द्वारा लिखित रूप में अपेक्षित व्यक्ति तक पहुँचा देने वाला साधन है पत्र ! हम सभी ‘पत्रलेखन’ से परिचित हैं ही । आज-कल हम नई-नई तकनीक को अपना रहे हैं। संगणक, भ्रमण ध्वनि, अंतरजाल, ई-मेल, वीडियो कॉलिंग जैसी तकनीक को अपने दैनिक जीवन से जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं। दूरध्वनि, भ्रमणध्वनि के आविष्कार के बाद पत्र लिखने की आवश्यकता कम महसूस होने लगी है फिर भी अपने रिश्तेदार, आत्मीय व्यक्ति, मित्र/सहेली तक अपनी भावनाएँ प्रभावी ढंग से पहुंचाने के लिए पत्र एक सशक्त माध्यम है।

पत्रलेखन की कला को आत्मसात करने के लिए अभ्यास की आवश्यकता होती है । अपना कहना (माँग/शिकायत/अनुमति/विनती/आवेदन) उचित तथा कम-से-कम शब्दों में संबंधित व्यक्ति तक पहुँचाना, अनुरूप भाषा का प्रयोग करना एक कौशल है । अब तक हम जिस पद्धति से पत्रलेखन करते आए हैं, उसमें नई तकनीक के अनुसार अपेक्षित परिवर्तन करना आवश्यक हो गया है।

पत्रलेखन में भी आधुनिक तंत्रज्ञान/तकनीक का उपयोग करना समय की मांग है। आने वाले समय में आपको ई-मेल भेजने के तरीके से भी अवगत होना है। अतः इस वर्ष से पत्र के नये प्रारूप के अनुरूप ई-मेल की पद्धति अपनाना अपेक्षित है। * पत्र लेखन के मुख्य दो प्रकार हैं, अनौपचारिक और औपचारिक । (पृष्ठ क्र. 35, 41)

औपचारिक पत्र:

  1. प्रति लिखने के बाद पत्र प्राप्तकर्ता का पद और पता लिखना
  2. पत्र के विषय तथा संदर्भ का उल्लेख करना करना चाहिए ।
  3. इसमें महोदय/महोदया शब्द द्वारा आदर कुशलक्षेम पूछना चाहिए। लेखन स्नेह सम्मान सहित प्रभावी प्रकट किया जाता है।
  4. निश्चित तथा सही शब्दों में आशय शब्दों और विषय विवेचन के साथ होना चाहिए।
  5. पत्र का समापन करते समय बायीं ओर पत्र भेजने वाले के हस्ताक्षर, नाम तथा पता लिखना है।
  6. ई-मेल आईडी देना आवश्यक है।

अनौपचारिक पत्र:

  1. संबोधन तथा अभिवादन रिश्तों के अनुसार आदर के साथ आवश्यक है ।
  2. प्रारंभ में जिसको पत्र लिखा है उसका आवश्यक है।
  3. रिश्ते के की प्रस्तुति करना अपेक्षित है।
  4. इस पत्र में बायीं ओर पत्र भेजने वाले का नाम, पता लिखना चाहिए। विषय उल्लेख आवश्यक नहीं।.
  5. पत्र का समापन करते समय अनुसार विषय विवेचन में परिवर्तन अपेक्षित है।

टिप्पणी: पत्रलेखन में अब तक लिफाफे पर पत्र भेजने बाले (प्रेषक) का पता लिखने की प्रथा है । ई-मेल में लिफाफा नहीं होता है। अब पत्र में ही पता लिखना अपेक्षित है।
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गद्य आकलन (प्रश्न निर्मिति)

1. भाषा सीखकर प्रश्नों की निर्मिति करना एक महत्त्वपूर्ण भाषाई कौशल है । पाठ्यक्रम में भाषा कौशल को प्राप्त करने के लिए प्रश्ननिर्मिति घटक का समावेश किया गया है। दिए गए परिच्छेद (गट्यांश) को पढ़कर उसी के आधार पर पाँच प्रश्नों की निर्मिति करनी है । प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में हों ऐसे ही प्रश्न बनाए जाएँ।

प्रश्न ऐसे हों:

  1. तैयार प्रश्न सार्थक एवं प्रश्न के प्रारूप में हों।
  2. प्रश्नों के उत्तर दिए गए निर्मित गद्यांश में हों ।
  3. रचित प्रश्न के अंत में प्रश्नचिह्न लगाना आवश्यक है।
  4. प्रश्न रचना का कौशल प्राप्त करने के लिए अधिकाधिक अभ्यास की आवश्यकता है।
  5. प्रश्न का उत्तर नहीं लिखना है। प्रश्न रचना पूरे गद्यांश पर होनी आवश्यक है।

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1. प्रश्न निर्मिति के लिए आवश्यक प्रश्नवाचक शब्द निम्नानुसार हैं :

Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 8 ऐसा वसंत कब आएगा 10

निबंध लेखन:

निबंध लेखन एक कला है । निबंध का शाब्दिक अर्थ होता है ‘सुगठित अथवा ‘सुव्यवस्थित रूप में बंधा हुआ’ । साधारण गदय रचना की अपेक्षा निबंध में रोचकता और सजीवता पाई जाती है। निबंध गदय में लिखी हई रचना होती है, जिसका आकार सीमित होता है । उसमें किसी विषय का प्रतिपादन अधिक स्वतंत्रतापूर्वक और विशेष अपनेपन और सजीवता के साथ किया जाता है। एकसूत्रता, व्यक्तित्व का प्रतिबिंब, आत्मीयता, कलात्मकता निबंध के तत्त्व माने जाते हैं । इन तत्वों के आधार पर निबंध की रचना की जाती है।

निबंध लिखते समय निम्नलिखित बातों की ओर ध्यान दें:

  1. प्रारंभ, विषय विस्तार, समापन इस क्रम से निबंध
  2. विषयानुरूप भाषा का प्रयोग करें।
  3. भाषा प्रवाही, रोचक और मुहावरेदार हो ।
  4. कहावतों, सुवचनों का यथास्थान प्रयोग करें ।
  5. शुद्ध, सुवाच्य और मानक वर्तनी के अनुसार निबंध लेखन आवश्यक है ।
  6. सहज, स्वाभाविक और स्वतंत्र शैली में निबंध की रचना हो ।
  7. विचार स्पष्ट तथा क्रमबद्ध होने आवश्यक हैं।
  8. निबंध की रचना करते समय शब्द चयन, वाक्य-विन्यास की ओर ध्यान आवश्यक देना है। निबंध लेखन में विषय को प्रतिपादित करने की पद्धति के साथ ही कम-से-कम चार अनुच्छेदों की रचना हो ।
  9. निबंध का प्रारंभ आकर्षक और जिज्ञासावर्धक हो ।
  10. निबंध के मध्यभाग में विषय का प्रतिपादन हो । निबंध का मध्यभाग महत्त्वपूर्ण होता है इसलिए उसमें नीरसता न हो ।
  11. निबंध का समापन विषय से संबंधित, सुसंगत, उचित, सार्थक विचार तक ले जाने वाला हो।

आत्मकथनात्मक निबंध लिखते समय आवश्यक तथा महत्त्वपूर्ण बातें:

  1. आत्मकथन अर्थात एक तरह का परकाया प्रवेश है।
  2. किसी वस्तु, प्राणी, पक्षी, व्यक्ति की जगह पर स्वयं को स्थापित/आरोपित करना होता है ।
  3. आत्मकथनात्मक लेखन की भाषा प्रथमपुरुष, एकवचन में हो । जैसे – मैं …. बोल रहा/रही हूँ।
  4. प्रारंभ में विषय से संबंधित उचित प्रस्तावना, सुवचन, घटना, प्रसंग संक्षेप में लिख सकते हैं सीधे मैं… हूँ से भी प्रारंभ किया जा सकता है।

वैचारिक निबंध लिखते समय आवश्यक बातें:

  1. वैचारिक निबंध लेखन में विषय से संबंधित में जो विचार होते हैं, उनको प्रधानता दी जाती है। वर्णन, कथन, कल्पना से बढ़कर विचार महत्त्वपूर्ण होते हैं। विचार के पक्ष-विपक्ष में लिखना आवश्यक होता है।
  2. विषय के संबंध में विचार, मुद्दे, मतों की तार्किक प्रस्तुति महत्त्वपूर्ण होती है।
  3. पूरक पठन, शब्दसंपदा, विचारों की संपन्नता जितनी अधिक होती है उतना ही वैचारिक निबंध लिखना हमारे लिए सहज होता है। उदा.

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कहानी लेखन:

कहानी सुनना-सुनाना आबाल वृद्धों के लिए रुचि और आनंद का विषय होता है । कहानी लेखन विद्यार्थियों की कल्पनाशक्ति, नवनिर्मिति व सृजनशीलता को प्रेरणा देता है । इसके पूर्व की कक्षाओं में आपने कहानी लेखन का अभ्यास किया है। कहानी अपनी कल्पना और सृजनशीलता से रची जाती है । कहानी का मूलकथ्य (कथाबीज) उसके प्राण होते हैं । मूल कथ्य के विस्तार के लिए विषय को पात्र, घटना, तर्कसंगत विचारों से परिपोषित करना लेखन कौशल है। इसी लेखन कौशल का विकास करना कहानी लेखन का उद्देश्य है । कहानी लेखन का मनोरंजन तथा आनंदप्राप्ति भी उद्देश्य है।

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कहानी लेखन में निम्न बातों की ओर विशेष ध्यान दें:

  1. शीर्षक, कहानी के मुद्दों का विस्तार और कहानी से प्राप्त सीख, प्रेरणा, संदेश ये कहानी लेखन के अंग हैं।
  2. कोई भी कहानी घटना घटने के बाद लिखी जाती है, अतः कहानी भूतकाल में लिखी जाए। कहानी के संवाद प्रसंगानुकूल वर्तमान या भविष्यकाल में हो सकते हैं । संवाद अवतरण चिह्न में लिखना अपेक्षित है।
  3. कहानी लेखन की शब्दसीमा सौ शब्दों तक हो।
  4. कहानी के आरंभ में शीर्षक लिखना आवश्यक होता है । शीर्षक छोटा, आकर्षक, अर्थपूर्ण और सारगर्भित होना चाहिए ।
  5. कहानी में कालानुक्रम, घटनाक्रम और प्रवाह होना आवश्यक है । प्रत्येक मुद्दे या शब्द का अपेक्षित विस्तार आवश्यक है। घटनाएँ धाराप्रवाह अर्थात एक दूसरे से शृंखलाबद्ध होनी चाहिए ।
  6. कहानी के प्रसंगानुसार वातावरण निर्मिति होनी चाहिए । उदा. यदि जंगल में कहानी घटती है तो जंगल का रोचक, आकर्षक तथा सही वर्णन अपेक्षित है।
  7. कहानी के मूलकथ्य/विषय (कथाबीज) के अनुसार पात्र व उनके संवाद, भाषा पात्रानुसार प्रसंगानुकूल होने चाहिए ।
  8. प्रत्येक परिसर/क्षेत्र की भाषा एवं भाषा शैली में भिन्नता/विविधता होती है । इसकी जानकारी होनी चाहिए।
  9. अन्य भाषाओं के उद्धरण, सुवचनों आदि के प्रयोग से यथासंभव बचे ।
  10. कहानी लेखन में आवश्यक विरामचिह्नों का प्रयोग करना न भूलें । कहानी लेखन करते समय अनुच्छेद बनाएँ । जहाँ तक विचार, एक घटना समाप्त हो, वहाँ परिच्छेद समाप्त करें।
  11. कहानी का विस्तार करने के लिए उचित मुहावरे, कहावतें, सुवचन, पर्यायवाची शब्द आदि का प्रयोग करें।

कहानी लेखन-[शब्द सीमा अस्सी से सौ तक]
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विज्ञापन:

वर्तमान युग स्पर्धा का है और विज्ञापन इस युग का महत्त्वपूर्ण अंग है । उत्कृष्ट विज्ञापन पर उत्पाद की बिक्री का आंकड़ा आज संगणक तथा सूचना प्रौदयोगिकी के युग में, अंतरजाल (इंटरनेट) एवं भ्रमणध्वनि (मोबाइल) क्रांति के काल में विज्ञापन का क्षेत्र विस्तृत होता जा रहा है । विज्ञापनों के कारण किसी वस्तु. समारोह, शिविर आदि के बारे में पूरी जानकारी आसानी से समाज तक पहुंच जाती है। लोगों के मन में रुचि निर्माण करना, ध्यान आकर्षित करना विज्ञापन का मुख्य उद्देश्य होता है। विज्ञापन लेखन करते समय निम्न मुद्दों की ओर ध्यान दें:

  1. कम-से-कम शब्दों में अधिकाधिक आशय व्यक्त हो ।
  2. विज्ञापन की ओर सभी का ध्यान आकर्षित हो, अतः शब्दरचना, भाषा शुद्ध हो ।
  3. जिसका विज्ञापन करना है उसका नाम स्पष्ट और आकर्षक ढंग से अंकित हो ।
  4. विषय के अनुरूप रोचक शैली हो । आलंकारिक, काव्यमय, प्रभावी शब्दों का उपयोग करते हुए विज्ञापन अधिक आकर्षक बनाएँ ।
  5. ग्राहकों की बदलती रुचि, पसंद, आदत, फैशन एवं आवश्यकताओं का प्रतिबिंब विज्ञापन में परिलक्षित होना चाहिए।
  6. विज्ञापन में उत्पाद की गुणवत्ता महत्त्वपूर्ण होती है, अतः छूट का उल्लेख करना हर समय आवश्यक नहीं है।
  7. विज्ञापन में संपर्क स्थल का पता, संपर्क (मोबाइल नंबर, ई-मेल आईडी) का स्पष्ट उल्लेख करना आवश्यक है।
  8. विज्ञापन केबल पेन से लिखें।
  9. पेन्सिल, स्केच पेन का उपयोग न करें।
  10. चित्र, डिजाइन बनाने की आवश्यकता नहीं है।
  11. विज्ञापन की शब्द मर्यादा पचास से साठ शब्दों तक अपेक्षित है । विज्ञापन में आवश्यक सभी मुद्दों का समावेश हो।

निम्नलिखित जानकारी के आधार पर आकर्षक विज्ञापन तैयार कीजिए:
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Hindi Lokvani 10th Std Textbook Solutions Chapter 8 ऐसा वसंत कब आएगा? Additional Important Questions and Answers

(अ) निम्नलिखित पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
तुलना कीजिए।
उत्तरः

वसंत में प्रकृति एवं मानव जीवनपतझड़ में प्रकृति एवं मानव जीवन
वसंत में प्रकृति सदाबहार होती है।पतझड़ में पेड़ से पत्ते अलग होते हैं।
नए फूल व पौधों का आगमन होता है।पेड़ पर्ण विहीन होते है।
वसंत सभी के जीवन में खुशियाँ लाता है।पतझड़ में मानव जीवन उसके समान दुखी एवं करुणामय दिखाई देता है।

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प्रश्न 2.
समझकर लिखिए।
मानवता के वन-उपवन का हर प्रसून खिल पाएगा।’ इसका तात्पर्य है –
उत्तरः
जब मानवता के जीवन मूल्य को विश्व भर में सभी लोगों द्वारा अपनाया जाएगा और उसमें सभी लोग खुशीपूर्वक रहेंगे तब वास्तविक वसंत का आगमन होगा।

कृति (2): शब्द संपदा

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के अर्थ लिखिए।

  1. मानवता
  2. उपवन
  3. यौवन
  4. वितरण

उत्तर:

  1. इंसानियत
  2. वाटिका
  3. जवानी
  4. बाँटना

प्रश्न 2.
विलोम शब्द लिखिए।

  1. वसंत × ……………….
  2. सम × ……………….
  3. विजय × …………….
  4. जीवन × …………….

उत्तरः

  1. पतझड़
  2. विषम
  3. पराजय
  4. मरण

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प्रश्न 3.
निम्नलिखित तत्सम शब्द का तद्भव शब्द लिखिए।
नव
उत्तरः
नया

प्रश्न 4.
निम्नलिखित शब्दों में उचित प्रत्ययों का प्रयोग कीजिए।
1. मनुज
2. विजय
उत्तर:
1. मनुजता
2. विजेता

कृति (3): स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘मानवता का पालन करने से सभी के जीवन में खुशियाँ छा जाएँगी।’ इस कथन के संदर्भ में अपने विचार लिखिए।
उत्तरः
मानवता का अर्थ है मनुष्य होने का कर्तव्य निभाना, मानव की सेवा करना; मानव के जीवन में खुशी निर्माण करना। मनुष्य होने का यह सबसे बड़ा धर्म है। प्रत्येक व्यक्ति को मानवता के जीवन मूल्यों का पालन करना चाहिए। यदि ऐसा हुआ तो सभी के जीवन में खुशियाँ छा जाएँगी। आज मानव जीवन धीरे-धीरे खतरे की ओर बढ़ रहा है।

अणविक अस्त्रों का निर्माण हो रहा है। संपूर्ण विश्व में अशांति एवं अराजकता फैली रही है। यदि ऐसा ही चलता रहा तो एक दिन इस पृथ्वी से मानव का अस्तित्व नष्ट हो सकता है। अत: सभी की भलाई हेतु एवं सभी के जीवन को खुशहाल बनाने हेतु मानवता का पालन अनिवार्य है। मनुष्य जीवन के विकास के साथ विश्व भर के लोगों के जीवन में सुख-शांति आए, इसलिए हमें मानवता का पालन करना होगा।

(आ) निम्नलिखित पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
उत्तर लिखिए।
1. मानव हृदय पर इनका प्रभाव पड़ता है –
2. इनके आँगन का जिक्र पद्यांश में हुआ है –
उत्तरः
1. सुख-दुख का
2. प्रासाद व कुटी के आँगन का

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प्रश्न 2.
समझकर लिखिए।
उत्तरः
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कृति (2): शब्द संपदा

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के श्रुतिसम भिन्नार्थक शब्द लिखिए।
1. प्रासाद
2. समान
उत्तरः
1. प्रसाद
2.सामान

प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए।
1. मानव
2. क्षण
उत्तर:
1. मनुष्य
2. समय

प्रश्न 3.
उपसर्ग व प्रत्यय लगाकर नए शब्द लिखिए।
1. समान
2. प्राण
उत्तरः
1. उपसर्गयुक्त शब्दः असमान, प्रत्यययुक्त शब्द : समानता
2. उपसर्गयुक्त शब्दः निष्प्राण, प्रत्यययुक्त शब्दः प्राणहीन

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प्रश्न 4.
वचन बदलिए।
1. कुटी
2. आँगन
उत्तरः
1. कुटियाँ
2. आँगन

प्रश्न 5.
पद्यांश में प्रयुक्त विलोम शब्द की जोड़ियाँ लिखिए।
उत्तरः
1. सुख × दुख
2. प्रासाद × कुटी

कृति (3): स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘व्यक्ति के जीवन में सुख और दुख अनिवार्य अंग होते हैं।’ इस विषय पर अपने विचार लिखिए।
उत्तरः
जीवन की प्रतिमा को सुंदर और सुसज्जित बनाने में सुख और दुख आभूषण के समान हैं। मानव जीवन में सुख व दुख, धूप और छाँव की तरह आते-जाते रहते हैं। आखिर व्यक्ति का जीवन सुख-दुख का मेल है। कभी व्यक्ति जीवन में सुख की शीतल सुगंध की फुहारें उड़ती है तो कभी दुख की जलतीबिखरती चिनगारियाँ फैलती हैं। सुख के पल जीवन में कब आए और कब चले गए. इसका व्यक्ति को पता भी नहीं चलता है। लेकिन दुख के पल काटे नहीं कटते। सुख में व्यक्ति इतना प्रफुल्लित हो जाता है कि वह स्वयं को भी भूल जाता है और सातवें आसमान पर पहुँच जाता है। दुख में व्यक्ति इतना डूब जाता है कि वह गहराई के समुंदर से बाहर आने का नाम ही नहीं लेता है। इस प्रकार सुख-दुख आते-जाते रहते हैं।

(इ) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
समझकर लिखिए।
उत्तरः
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प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्द पढ़कर ऐसे दो प्रश्न तैयार कीजिए जिनके उत्तर निम्न शब्द हों –
1. सीमित
2. वंदन
उत्तरः
1. कवि के मन में छाया हुआ वसंत कैसा है?
2. भू पर अभिनव क्या बनेगा?

प्रश्न 3.
निम्नलिखित विधान सत्य है या असत्य लिखिए।
1. कवि को जन-जन की चिंता है।
2. मानव की दुनिया यह धरती का अभिनव नंदन नहीं बन सकती।
उत्तरः
1. सत्य
2. असत्य

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कृति (2): शब्द संपदा

प्रश्न 1.
पद्यांश में से शब्द-युग्म ढूँढ़कर लिखिए।
उत्तरः
जन-जन

प्रश्न 2.
निम्नलिखित तत्सम शब्द का तद्भव रूप लिखिए।
मनुज
उत्तरः
मानव

प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्द से उपसर्ग अलग कीजिए और संबंधित उपसर्ग से अन्य दो शब्द तैयार कीजिए।
अभिनव
उत्तर:
उपसर्ग: अभि, अन्य शब्द: अभिनेता, अभिजीत

प्रश्न 4.
निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए।
1. साकार
2. भू
उत्तरः
1. आकारयुक्त
2. भूमि

प्रश्न 5.
निम्नलिखित शब्द के अनेकार्थी शब्द लिखिए।
नंदन
उत्तरः
आनंद देने वाला, पुत्र

प्रश्न 6.
लिंग बदलिए।
1. नंदन
2. कवि
उत्तरः
1. नंदिनी
2. कवयित्री

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कृति (3): स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘धरती को स्वर्ग-सी सुंदर बनाने के लिए मेरा प्रयास …..।’ इस विषय पर अपने विचार लिखिए।
उत्तरः
धरती पर जीवन का स्पंदन है। यह धरती आने वाली पीढ़ियों के लिए एक सौगात है। इसे सुंदर व स्वच्छ रखना मेरा परम कर्तव्य है। इस धरती को स्वर्ग के जैसा सुंदर बनाने के लिए मैं पेड़-पौधे लगाऊँगा। धरती को सदैव हरित रखूगा। यहाँ-वहाँ कूड़ा-कचरा नहीं फेकूँगा। जल स्रोतों को दूषित होने से बचाऊँगा। पर्यावरण का संतुलन बनाए रखने के लिए वन एवं वन्य जीवों का संरक्षण करूँगा। सर्वत्र शांति का वातावरण बनाए रखूगा।

प्राकृतिक स्रोतों का सोच-समझकर उपयोग करूँगा। पर्यावरण प्रदूषण एवं ग्लोबल वार्मिंग को नियंत्रित करने वाले संभव प्रयासों का कड़ाई से पालन करूँगा। बिजली एवं पानी का जरूरत से ज्यादा उपयोग नहीं करूँगा। मानवीय मूल्यों का प्रचार एवं प्रसार करके सभी के मन में एक-दूसरे के प्रति एवं धरती के प्रति मानवीय संवेदना उत्पन्न करने की कोशिश करूँगा।

(ई) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
उत्तर लिखिए।
1. पद्यांश में पवन की विशेषता बताने वाला शब्द –
2. नवयुग यह लेकर आएगा –
उत्तर:
1. मुक्त
2. नव संस्कृति व नव विश्व व्यवस्था

प्रश्न 2.
समझकर लिखिए।
उत्तर:
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कृति (2): शब्द संपदा

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के श्रृतिसम भिन्नार्थक शब्द लिखिए।
पवन
उत्तरः
पावन

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प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए।

  1. मुक्त
  2. गगन
  3. व्यवस्था

उत्तर:

  1. स्वतंत्र
  2. आसमान
  3. प्रबंध

प्रश्न 3.
पद्यांश में से तत्सम शब्द ढूँढ़कर लिखिए।
उत्तर:

  1. रवि
  2. शशि
  3. पवन
  4. नव

प्रश्न 4.
वचन बदलिए।
1. संस्कृति
2. व्यवस्था
उत्तर:
1. संस्कृतियाँ
2. व्यवस्थाएँ

कृति (3): स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘नव संस्कृति व नव विश्व व्यवस्था आधुनिकता की देन है।’ इस विषय पर अपने विचार लिखिए।
उत्तरः
पुराने जमाने में हमारे देश में जाति-प्रथा व धार्मिक आडंबरों को अत्याधिक महत्त्व दिया जाता था। स्त्रियों को सामाजिक बंधन में बँधकर रहना पड़ता था। उन्हें शिक्षा का अधिकार नहीं था। समाज में पुरुष-प्रधान व्यवस्था थी। पुराने रीति-रिवाजों को अधिक महत्त्व दिया जाता था। आधुनिक युग में नए मूल्यों एवं नई विचारधारा का प्रचार एवं प्रसार हो जाने से जाति-पाति की भावना समाज से आहिस्ता-आहिस्ता खत्म होती जा रही है।

आज हमारे समाज में स्त्रियों को शिक्षा का अधिकार दिया गया है। आज कई ऐसे परिवार हैं, जो स्त्री-प्रधान हैं। आज हम स्वच्छंद एवं स्वतंत्र हैं। हमें मनचाही शिक्षा या मनचाहा व्यवसाय चुनने का अधिकार है। नव संस्कृति को अपनाने से हमारे विचारों में भारी परिवर्तन हुआ है। आज हम शांति एवं एकता को अपनाने की बात कर रहे हैं। नव संस्कृति ने हमें अध्यात्म व विज्ञान इन दो विषयों से भली-भाँति परिचित कराया है। नव संस्कृति एवं नव विश्व व्यवस्था से आज व्यक्ति, समाज और राष्ट्र प्रगति कर रहा है। ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ की भावना धीरे-धीरे प्रबल हो रही है।

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प्रश्न (उ) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (2): शब्द संपदा

प्रश्न 1.
निम्नलिखित तत्सम शब्द का तद्भव रूप लिखिए।
वसन
उत्तर:
वस्त्र

प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्द में उचित उपसर्ग लगाइए।
रस
उत्तरः
नी + रस = नीरस

प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए।

  1. अधर
  2. आँखें
  3. भवन

उत्तरः

  1. होंठ
  2. नयन
  3. मकान

प्रश्न 4.
निम्नलिखित शब्द के अनेकार्थी शब्द लिखिए।
रस
उत्तरः
स्वाद, जलीय अंश।

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कृति (3): स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘रोटी, कपड़ा व मकान मनुष्य जीवन की प्राथमिक आवश्यकता होती है।’ विषय पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
मानव जीवन अनमोल है। मनुष्य को एक साधारण जीवन जीने के लिए रोटी, कपड़ा व मकान की आवश्यकता होती है। इनमें से किसी एक का भी अभाव होने से उसका जीवन संतुलन सुचारू रूप से नहीं चल सकता। आज हमारे देश की आबादी बढ़ रही है। बढ़ती आबादी को प्राथमिक सुविधाएँ उपलब्ध कराने में सरकार निष्फल हो रही है। आज हमारे देश में कई लोगों को तन ढंकने के लिए कपड़े भी नहीं मिल पाते हैं। कई लोग बेघर हैं और वे रेल्वे स्टेशन या सड़क पर ही अपना बसेरा बना रहे हैं।

कई बच्चे-बड़े भूखे मर रहे हैं। भुखमरी की समस्या से आए दिन लोगों की मृत्यु हो रही है। सरकार अपनी ओर से प्रयास कर रही है परंतु जनता का भी कर्तव्य है कि वे अभावग्रस्त की सहायता के लिए आगे आए। मनुष्य ने इस धरती पर जन्म लिया है, तो उसे रोटी, कपड़ा व मकान जैसी प्राथमिक सुविधाएँ मिलनी ही चाहिए और लोगों को उसे प्राप्त करने के लिए मेहनत भी करनी चाहिए। यदि ऐसा नहीं हो सका, तो इन सुविधाओं के बिना मानव जीवन नीरस व व्यर्थ साबित होगा।

ऐसा वसंत कब आएगा? Summary in Hindi

कवि-परिचय:

जीवन-परिचय: जगन्नाथ प्रसाद ‘मिलिंद’ जी का जन्म सन 1906 में मध्यप्रदेश के ग्वालियर शहर में हुआ। इन्हें हिंदी के अतिरिक्त उर्दू, बांग्ला, मराठी, गुजराती और अंग्रेजी भाषा का भी ज्ञान था। आप हिंदी साहित्य जगत में कवि एवं नाटककार के रूप में प्रसिद्ध हैं। इन्होंने खंड काव्य एवं समीक्षा ग्रंथ लिखकर हिंदी साहित्य की सेवा की है। इनके साहित्य पर गांधीवादी विचारधारा का प्रभाव पड़ा है। इन्होंने अध्यापन के साथ-साथ स्वतंत्रता आंदोलन एवं राजनीति में भी भाग लिया था। इन्हें ‘साहित्य वाचस्पति’ एवं ‘भारत भाषा भूषण’ की उपाधि से सम्मानित किया गया है।

प्रमुख कृतियाँ: ‘अंतिमा’, ‘पूर्णा’, ‘बलिपद के गीत’, ‘नवयुग के गान’, ‘मुक्ति के स्वर’ (काव्य संग्रह) आदि।

पद्य-परिचय:

गीत: गीत साहित्य की एक लोकप्रिय विधा है। स्वर, पद और ताल से युक्त जो गान होता है, वह गीत कहलाता है। इसमें एक मुखड़ा तथा कुछ अंतरे होते हैं। प्रत्येक अंतरे के बाद मुखड़े को दोहराया जाता है। गीत को गाया भी जाता है।

प्रस्तावना: ‘ऐसा वसंत कब आएगा?’ इस गीत में कवि जगन्नाथ प्रसाद ‘मिलिंद’ जी का मानना है कि जिस दिन सुख-सुविधाओं पर अमीर-गरीब का समान अधिकार होगा और राष्ट्र-समाज के सुखों में भी महलों एवं कुटियों का समान अधिकार होगा, उस दिन धरती पर वास्तविक वसंत आ सकेगा।

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सारांश:

‘ऐसा वसंत कब आएगा?’ यह एक गीत है। इस गीत के माध्यम से कवि ‘मिलिंद’ जी ने मानवता पर अपने विचार व्यक्त करते हुए सभी के मंगलमय एवं खुशहाल जीवन की कामना की है। कवि के अनुसार सुख-सुविधाओं पर अमीर-गरीब सभी का समान अधिकार होना चाहिए और जिस दिन ऐसा होगा उस दिन सच्चे अर्थ में वसंत अर्थात खुशहाली का आगमन होगा। मानव जीवन अभावरूपी पतझड़ से भरा पड़ा है। अतः मानव को अपने जीवन के अभावों पर विजय प्राप्त करने हेतु संघर्ष करना पड़ता है। सुख-दुख का मानव हृदय पर समान प्रभाव पड़ता है।

कवि के अनुसार जब प्रत्येक व्यक्ति का हृदय प्रेम एवं हर्ष से प्रफुल्लित हो जाएगा, तब वास्तविक वसंत का आगमन होगा। सभी का सूरज, चंद्र व मुक्त विचरण करने वाले पवन पर समान अधिकार होता है। जब नवयुग समानता पर आधारित नवसंस्कृति को अपनाएगा, तब नई विश्व व्यवस्था स्थापित होने में देर नहीं लगेगी। कवि की कामना है कि प्रत्येक व्यक्ति को खाने के लिए भरपेट भोजन, शरीर पर पहनने के लिए वस्त्र व रहने के लिए घर उपलब्ध हो, जिससे प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में आनंद और खुशहाली हो।

शब्दार्थ:

  1. मानवता – इंसानियत
  2. साकार – आकारयुक्त
  3. उपवन – वाटिका
  4. भू – भूमि
  5. यौवन – जवानी
  6. मुक्त – स्वतंत्र
  7. वितरण – बाँटना
  8. गगन – आसमान
  9. क्षण – समय, पल
  10. रवि – सूर्य
  11. शशि – चंद्रमा
  12. सम- समान
  13. रण – लड़ाई
  14. प्रसून – फूल
  15. सर्जन – निर्मित, रचना
  16. पुलक – प्रेम, हर्ष
  17. स्पंदन – धड़कन
  18. व्यवस्था – प्रबंध
  19. अधर – होंठ
  20. भवन – मकान
  21. वसन – वस्त्र

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 4 मान जा मेरे मन

Balbharti Maharashtra State Board Class 9 Hindi Solutions Hindi Lokvani Chapter 4 मान जा मेरे मन Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Maharashtra State Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 4 मान जा मेरे मन

Hindi Lokvani 9th Std Digest Chapter 4 मान जा मेरे मन Textbook Questions and Answers

1. भाषा बिंदु:

प्रश्न 1.
रेखांकित शब्द से उपसर्ग और प्रत्यय अलग करके भाषा बिंद लिखिए।
उत्तर:
उदा. मन बड़ा दुस्साहसी था।
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 4 मान जा मेरे मन 1
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 4 मान जा मेरे मन 2

2. संभाषणीय :

प्रश्न 1.
‘मानवीय भावनाएँ मन से जुड़ी होती हैं,’ इस पर गुट में चर्चा कीजिए।
उत्तर:
मन से ही भावनाओं की उत्पत्ति होती है। मनुष्य का मन जैसा होता है, उसकी भावनाएँ भी वैसी ही होती हैं। मन से ही अच्छी तथा बुरी भावनाएँ जुड़ी होती हैं। जिनका मन अच्छा होता है, उनकी भावनाएँ अच्छी होती हैं। जिनका मन बुरा होता है, उनकी भावनाएँ बुरी होती हैं। मन बड़ा ही चंचल होता है, जो प्रति पल बदलता रहता है। परंतु मन को अपनी बुद्धि से नियंत्रित किया जा सकता है। मन घोड़े के भाँति भागता है, तो बुद्धि उसे लगाम की तरह नियंत्रित करती है।

जब मनुष्य अपनी बुद्धि से अपने मन को वश में करता है और अच्छे कार्यों में लगाता है, तो उसकी भावनाएँ और विचार दोनों अच्छे हो जाते हैं, पर जब वह अपने मन को अनियंत्रित छोड़ देता है, तो उसका मन बुरे कार्यों में डूब जाता है। मनुष्य की भावना अच्छी है तो उसे चारों तरफ अच्छाई दिखती है और भावना बुरी है उसे चारों तरफ बुराई ही बुराई दिखाई पड़ती है। क्योंकि उसका मन ही बुराइयों से भरा होता है।

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3. लेखनीय :

प्रश्न 1.
मन और लेखक के बीच हुए किसी एक संवाद को संक्षिप्त में लिखिए।
उत्तर :
मन को अपनी बुद्धि के द्वारा नियंत्रित करना चाहिए। मन को मनमाना छोड़ देने से अपना बड़ा नुकसान होता है। फिर वह किसी अच्छी बात को मानने के बजाय हजारों तर्क देता है। एक दिन की बात है। आधी रात का वक़्त था। लेखक चारपाई पर उदास बैठा अपने मन को समझाने का प्रयास कर रहा था। उसका मन रूठा-सा कमरे में इधर-उधर घूम रहा था। लेखक ने कहा-‘मन भाई, डॉक्टर कह रहा था कि तुम्हारा वजन बहुत अधिक बढ़ गया है। मैं स्टेशनवाली मशीन पर अपने को वन करने चढ़ा तो उसने भी मना कर दिया। फिर बाज़ार गया तो वहाँ की मशीन ने मेरा वजन बताया। सोचो, जब मेरे वजन से मशीन को इतना कष्ट हो रहा है तो….

मन ने बात काटते हुए उदाहरण देकर समझाया, तुमने बचपन में बाइस्कोप में एक भारी-भरकम महिला देखा था, उससे तुम अभी काफी दुबले पतले हो। लेखक ने कहा, “मेरी तकलीफ पर गौर करो। रिक्शेवाले मुझे रिक्शे पर नहीं बिठाते। दर्जी अकेले मुझे नाप नहीं सकता।” ये सारी घटना शाम को ही घट चुकी थी।

व्यक्तिगत आक्षेप सुनकर लेखक चिढ़कर अपने मन से बोला ‘इतने वर्षों से तुम्हें पालता रहा, यही गलती की। विद्वानों ने कहा है कि ‘मन को मारना चाहिए’, यह सुनकर लेखक का मन अप्रत्याशित ढंग से चिंतित होने लगा और वह बोला- ‘इतने दिनों की सेवाओं का यही फल ! मैं जानता हूँ, तुम डॉक्टर और दुबले आदमियों के साथ मिलकर मेरे खिलाफ षड्यंत्र कर रहे हो। तुम विश्वासघाती हो, मैं तुमसे बोलूंगा नहीं। व्यक्ति को हमेशा उपकारी वृत्ति रखनी चाहिए। लेखक का मन मुँह मोड़कर सिसकने लगा। बहुत तरह से मनाने पर लेखक का मन नहीं माना तो संगीत सुनाकर किसी तरह उन्होंने अपने मन को मनाया।

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4. रचनात्मकता की ओर मौलिक सृजन

प्रश्न 1.
‘मन चंगा तो कठौती में गंगा’ इस उक्ति पर कविता / विचार लिखिए।
उत्तर:
‘मन चंगा तो कठौती में गंगा’ यह उक्ति संत कवि रैदास जी के लिए प्रचालित है। जिसका अर्थ है यदि अपना मन पवित्र है तो घर की कठौती (काठ का बना पात्र) में रखा पानी भी अपने लिए गंगाजल के समान पवित्र है। आप को उस जल में स्नान करने से ही गंगा स्नान का पुण्य मिल जाएगा। आपका मन ही गंदा है तो आप कितने ही बार गंगा स्नान क्यूँ न कर लें आप के पाप धुलने वाले नहीं हैं। मंदिर के अंदर जाकर लाखों रूपए चढ़ाते हैं, मिठाइयाँ और दूध चढ़ाते हैं। इससे पुण्य नहीं मिलेगा। आप भूखे को भोजन, नंगे को कपड़ा और लाचार को सहारा दो और मंदिर में जाकर उनके कल्याण के लिए प्रार्थना करो तो पुण्य मिलेगा। हमेशा अपने मन को पवित्र रखो, लोगों का उपकार करो, बुराइयों से बचो, तो सारे तीर्थ आपके घर में होंगे। ईश्वर आपके हृदय में निवास करेंगे और आपको पुण्य मिलेगा।

5. पाठ के आँगन में :

प्रश्न 1.
‘मन की एकाग्रता’ के लिए आप क्या करते हैं, बताइए।
उत्तरः
मन इतना चंचल है कि इसको वश में रखना वास्तविक रूप से बहुत कठिन है। हमें खुद को भी यह ज्ञान नहीं होता कि मन कितनी जल्दी भटक जाता है। जब तक हम अपनी इंद्रियों को वश में नहीं करते तब तक हम अपने मन को स्थिर नहीं कर सकते। मैं अपने मन की एकाग्रता के लिए अपनी दिनचर्या का विशेष ध्यान देता हूँ। हर कार्य को समय पर करता हूँ। योगा भी नियमित रूप से करता हूँ। विषय-वासना से दूर रहता हूँ। किसी चौज के लिए अपने मन को विचलित नहीं होने देता। अपने चारों तरफ बिछे हुए मायाजाल से मैं अपने आप को बचाता हूँ।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 4 मान जा मेरे मन

प्रश्न 2.
‘मान जा मेरे मन’ निबंध का आशय अपने शब्दों में प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
‘मान जा मेरे मन’ निबंध के माध्यम से लेखक रामेश्वर सिंह कश्यप ने मन पर नियंत्रण रखने की बात बताई हैं। इस निबंध के माध्यम से यह स्पष्ट किया गया है कि आज मन पर नियंत्रण न रख पाना प्रत्येक की कमजोरी बन गई है। मन की चपलता, चंचलता मन को नियंत्रित करने में बाधक होती है। किंतु हमें बुरी चीजों से दूर रहने के लिए मन पर नियंत्रण करना ही चाहिए।

प्रश्न 3.
सूची तैयार कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 4 मान जा मेरे मन 3

प्रश्न 4.
सूची तैयार कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 4 मान जा मेरे मन 4

Hindi Lokvani 9th Std Textbook Solutions Chapter 4 मान जा मेरे मन Additional Important Questions and Answers

(क) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति क (1) : आकलन कृति

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर :
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 4 मान जा मेरे मन 5

प्रश्न 2.
समझकर लिखिए।
i. सुने कमरे में यह चहलकदमी कर रहा था –
उत्तर :
लेखक का मन ।

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प्रश्न 3.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए।

  1. मामला बड़ा ………………… था।
  2. आप ……………… हैं लेकिन गलत दिशा में।
  3. आदमी का …………. तीन मन से ज्यादा नहीं होता।

उत्तर:

  1. संगीन
  2. प्रगतिशील
  3. वजन

कृति क (2) : शब्द संपदा

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के विरुद्धार्थी शब्द गद्यांश से ढूँड़कर लिखिए।
i. मौत ………
ii. कम ………..
उत्तर :
i. जिंदगी
ii. ज्यादा

प्रश्न 2.
लिंग पहचानकर लिखिए।
i. आदमी
i. महिला
उत्तर :
i. पुल्लिंग
ii. स्त्रीलिंग

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प्रश्न 3.
उचित शब्द तैयार कीजिए।
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उत्तर:

  1. स्वयंचलित
  2. संगीन
  3. प्रगतिशील

कृति क (3) : स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘मन पर नियंत्रण रखना आवश्यक है।’ इस पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर :
मन पर नियंत्रण रखना आवश्यक है। यदि मन को छूट दे देते हैं तो वह बेलगाम घोड़े की तरह दौड़ने लगता है। फिर इस पर काबू पाना कठिन हो जाता है। मनुष्य के मन की शक्ति उसके उन्नति के लिए अनेक द्वार खोलती है। किसी वस्तु को पाने की प्रबल इच्छा हो और उसे प्राप्त करने का प्रयत्न पूरे मन से किया जाए तो उस वस्तु को हासिल करना असंभव नहीं हैं। मन को सदैव स्थिर रखना चाहिए क्योंकि चंचल मन कभी-भी संतुष्ट नहीं होता। जिसने अपने मन को जीत लिया, सफलता उसी के कदम चूमती है।

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(ख) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति ख (1) : आकलन कृति

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर :
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 4 मान जा मेरे मन 7

प्रश्न 2.
सत्य या असत्य पहचानकर लिखिए।
i. व्यक्तिगत आक्षेप सुनकर लेखक तिलमिला उठा।
ii. लेखक के पास कसरत का सब सामान तो है ही नहीं।
उत्तर :
i. सत्य
ii. असत्य

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कृति ख (2) : शब्द संपदा

प्रश्न 1.
अनेक शब्दों के लिए एक शब्द लिखिए।
i. जिसकी आशा न की गई हो –
ii. विश्वास घात करने वाला –
उत्तर:
i. अप्रत्याशित
ii. विश्वासघाती

प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों के विरुद्धार्थी शब्द लिखिए ।
i. अपकारी
ii. सफल
उत्तर :
i. उपकारी
ii. विफल

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कृति ख (3) : स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘मन और भावनाएँ एक ही सिक्के के दो पहलू’, इस पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर:
मन और भावनाएँ एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। मनुष्य का मन जैसा होगा वैसे ही विचार उसके मन में आएंगे। मन के द्वारा ही भावनाओं का संचालन होता है। सुख और दुख दोनों ही मन के भावनाओं की अभिव्यक्ति है। इसी विषय पर महाकवि तुलसीदास जी ने लिखा है, ‘जाकी रही भावना जैसी, प्रभु मूरत देखी तिन तैसी’ अर्थात जिसके मन में जैसी भावना होती है ईश्वर उसे उसी रूप में दिखाई देते हैं। भावनाएँ सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रकार की होती हैं।

सकारात्मक भावनाएँ मनुष्य को विकास के रास्ते पर ले जाती हैं और नकारात्मक भावनाएँ उसे विनाश के गर्त में पहुँचा देती हैं। दोनों ही प्रकार की भावनाओं का संचालन हमारे मन द्वारा ही होता है। विद्वानों का मत है कि सकारात्मक भावनाएँ हमें मोक्ष की ओर आगे बढ़ाती है इसलिए मन को ऐसा रखना चाहिए कि वह हमेशा सकारात्मक विचार करे और नकारात्मकता को अपने पास फटकने न दे।

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(ग) गद्यांश पड़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति ग (1) : आकलन कृति

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 4 मान जा मेरे मन 8

प्रश्न 2.
उचित पर्याय चुनकर लिखिए।
i. ओस से भीगा मैदान दौड़ता हुआ मैं…
(क) डूबता हुआ सूरज।
(ख) उगता हुआ सूरज।
(ग) प्रकृति का दृश्य।
उत्तर:
(ख) उगता हुआ सूरज।

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ii. व्यायाम करने वालों के लिए……
(क) गहरी नींद जरूरी है।
(ख) जगे रहना जरूरी है।
(ग) दौड़ना और चलना जरूरी है।
उत्तर:
(क) गहरी नींद जरूरी है।।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित कथन सत्य है या असत्व लिखिए।

  1. दोपहर को उठकर सभी को दौड़ना चाहिए।
  2. व्यायाम करनेवालों के लिए गहरी नींद बहुत जरूरी है।
  3. मन बड़ा साहसी था।

उत्तर:

  1. असत्य
  2. सत्य
  3. असत्य

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कृति ग (2) : शब्द संपदा

प्रश्न 1.
शुद्ध शब्द पहचानकर लिखिए।

  1. भुक्खड़ों / भुक्वड़ों / भुख्खड़ों
  2. व्यायम / व्यायाम / ब्यायाम
  3. दुस्ससी / दुसाहसी / दुस्साहसी
  4. चिड़ियाँ / चौड़िया / चिड़ीयाँ

उत्तर :

  1. भुक्खड़ों
  2. व्यायाम
  3. दुस्साहसी
  4. चिड़ियाँ

प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों के समानार्थी शब्द लिखिए।

  1. दिनकर
  2. चिंता
  3. विदेशी

उत्तर:

  1. सूरज
  2. फिक्र
  3. विलायती

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कृति ग (3) : स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘व्यायाम करने से मन की एकाग्रता बढ़ती है। इस पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर:
स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन का निवास होता है। इसलिए व्यायाम हमारे लिए बहुत आवश्यक है। यह शरीर के साथ-साथ मन को भी स्वस्थ रखता है। स्वस्थ मस्तिष्क में ही किसी कार्य को करने की एकाग्रता बढ़ती है। आधुनिक युग में जब इंसान तनावभरी जिंदगी जीता है और वह अपने मन को एकाग्र करने में असमर्थ होता है; उस समय व्यायाम द्वारा ही वह मन को एकान कर पाता है। इसके द्वारा इंसान तनाव मुक्त हो जाता है और उसका मन शांत हो जाता है तथा शांत मन ही उसे सही दिशा में संचालित करता है और वह सही निर्णय लेने में सक्षम हो पाता है। व्यायाम शरीर तथा मस्तिष्क दोनों को स्फूर्ति तथा ताजगी प्रदान करता है। अत: यह कथन सही है कि व्यायाम करने से मन के एकाग्रता में वृद्धि होती है।

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(घ) गद्यांश पड़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति घ (1) : आकलन कृति

प्रश्न 1.
समझकर लिखिए।
i. लेखक ने यह संकल्प किया –
ii. लेखक रिक्शे पर यहाँ जा रहा था –
उत्तर :
i. जिस तरह ऋषि सिर्फ हवा-पानी से रहते हैं उसी तरह लेखक भी रहेंगे।
ii. बाजार

प्रश्न 2.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर :
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कृति घ (2) : शब्द संपदा

प्रश्न 1.
गद्यांश से शब्द-युग्म छाँटकर लिखिए।
उत्तर:
i. हवा – पानी
ii. चलने – फिरने

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प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों के समानार्थी शब्द लिखिए।

  1. अनाकृष्ट
  2. सम्मानित
  3. निराशा
  4. अनिच्छा

उत्तर:

  1. आकृष्ट
  2. अपमानित
  3. आशा
  4. इच्छा

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कृति ग (3) : स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘दृढ निश्चय हो, तो सफलता अवश्य मिलेगी’, इस पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर :
जीवन में सफलता पाने का मूलमंत्र है दृढ़संकल्प और एकनिष्ठ प्रयास। जिस व्यक्ति की इच्छा शक्ति प्रबल होती है, सफलता उसी के कदम चूमती है। संसार में ऐसे बहुत से मनुष्य हुए जिनमें बहुत सारी दुर्बलताएँ थीं, लेकिन अपनी अटूट इच्छाशक्ति से उन्होंने उन दुर्बलताओं पर विजय प्राप्त की और सफलता के शिखर पर आरुढ़ हुए। यह सत्य है कि हम जिस वस्तु की इच्छा अपने मन से करते हैं उसे पाने के लिए हमारी शारीरिक तथा मानसिक शक्तियाँ लग जाती हैं और अपनी इच्छाशक्ति की बदौलत हम उस वस्तु को हासिल भी कर लेते हैं।

इतिहास गवाह है कि जितने भी व्यक्ति सफल हुए और दुनिया में अपना नाम कमाया, उन सारे व्यक्तियों ने अपने इच्छाशक्ती और कठिन परिश्रम से दुर्बलताओं पर विजय प्राप्त की और अपने प्रतिभा की अमिट छाप छोड़ी। इसलिए दृढ़ संकल्प तथा अटूट इच्छाशक्ति हो तो सफलता अवश्य मिलती है।

मान जा मेरे मन Summary in Hindi

लेखक-परिचय :

जीवन-परिचय : रामेश्वर सिंह कश्यप का जन्म बिहार के रोहतास जिले के सेमरा गाँव में हुआ था। सन 1950 में पटना के बीषन कालेज से उन्होंने एम.ए. किया तथा उसी साल ये पटना विश्वविद्यालय में हिंदी के व्याख्याता पद पर नियुक्त हुए। बाद में एस.पी.जैन कालेज सासाराम के प्राचार्य हुए। रामेश्वर सिंह कश्यप का रेडियो नाटक ‘लोझ सिंह’ भोजपुरी का पहला सोप ओपेरा है।
प्रमुख कृतियाँ : नाटक – ‘रोबोट’, ‘किराए का मकान’, ‘पंचर’, ‘आखिरी रात’, ‘लोहा सिंह’ आदि।

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गद्य-परिचय :

हास्य-व्यंग्यात्मक निबंध : कल्पना व विज्ञान इन दोनों का समन्वय कर पाठकों के मन में जिज्ञासा निर्माण करने का कार्य साहित्य की जो विधा करती है, उसे “विज्ञान कथा’ कहते हैं। इसमें जीवन की किसी घटना का रोचक और प्रवाही वर्णन किया जाता है।
प्रस्तावना : प्रस्ततु निबंध में लेखक ने मन पर नियंत्रण न रख पाने की कमजोरी पर करारा व्यंग्य किया है तथा वास्तविकता की पहचान कराई है। लेखक ने इस निबंध के माध्यम से हमें संदेश भी दिया है कि मन पर नियंत्रण रखना आवश्यक होता है।

सारांश :

प्रस्तुत निबंध में लेखक ने मन पर नियंत्रण न रख पाने की कमजोरी पर हास्य व्यंग्य किया है। लेखक बताते हैं कि उनका मन कभी उनकी बात नहीं सुनता था जिसके कारण लेखक और उनके मन में अनबन रहती थी। अनबन का मूल कारण यह था कि पूरे जीवन लेखक ने मन को छूट दे रखी थी जिसके कारण वह बुढ़ापे में उनकी बात सुनता ही नहें था। लेखक ने अपने मन को बहुत समझाया पर मन ने उनकी एक बात नहीं सुनी। लेखक चाहता था कि उसका मोटापा दूर हो जिसके लिए उसने व्यायाम करने की योजना बनाई। उसने मन को समझाया कि वह रोज सुबह उठकर दौड़ने जाएगा तथा खाना भी कम खाएगा और व्यायाम करेगा।

यह सब सोचकर वह सो गया और सपने में भी वही दृश्य देखने लगा। अचानक उसने अपने पैरों को जोर से झटका दिया, जिससे उसकी आँख खुल गई तो पता चला कि वह टेबल के नीचे दबा पड़ा है और घर के सदस्य उसे खींचकर निकाल रहे हैं। किसी तरह वह लंगडाता हुआ चारपाई पर गया। मन ने उसे समझाया, तुम्हें चोट काफी आ गई है। सो जाओ और वह सो गया।

सुबह साढ़े नौ बजे नींद खुलने पर उसने नाश्ता करते समय कहा कि पैर की चोट समाप्त होते ही वह फिर व्यायाम करना शुरू कर देगा तो उसकी पत्नी ने कहा कि तब तक खूब खा लो। अंततः पूरी कोशिश करने के बाद भी लेखक का मन उसकी बात नहीं सुना और वह मोटापे के रोग से ग्रसित ही रहा। इसलिए लेखक बताना चाहता है कि हमें अपने मन पर नियंत्रण अवश्य रखना चाहिए जिससे की हम बुरी चीजों से दूर रहें।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 4 मान जा मेरे मन

शब्दार्थ :

  1. लापता – गायब, जिसका पता न लगे
  2. अनबन – मन-मुटाव
  3. मनमानी – अपने मन की करना
  4. देहरी – दहलीज
  5. बेलगाम – जिस पर नियंत्रण न हो
  6. संगीन – गंभीर
  7. चहल-कदमी – टहलना
  8. लिहाज – आदर, शर्म, लज्जा
  9. दृष्टांत – उदाहरण
  10. बाइस्कोप – फ़िल्म, चलचित्र
  11. विफल – व्यर्थ, असफल
  12. आक्षेप – आरोप
  13. बिसूरना – चिंतित होना
  14. मुग्दर – कसरत का एक साधन
  15. षडयंत्र – साजिश
  16. काट – तरह
  17. रुआँसा – रोते हुए
  18. भुक्खड़ – हमेशा खानेवाला
  19. विलायती – विदेशी
  20. ऐलान किया – घोषणा करना
  21. संकल्प – प्रतिज्ञा
  22. ऋषि – साधु
  23. आकृष्ट – आकर्षित
  24. राहगीर – आने-जाने वाले

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 4 मान जा मेरे मन

मुहावरे :

  1. कन्नी काटना – बचकर निकलना।
  2. गौर करना – ध्यान देना।
  3. नाक-भौं सिकौड़ना – अप्रसन्नता प्रकट करना।
  4. तिलमिला उठना – क्रोधित होना।
  5. लेने के देने पड़ना – लाभ के बदले हानि होना।
  6. सुर्थी कूटना टीस उठना – अपना महत्त्व बढ़ाना।
  7. टीसी उठना – दर्द का अनुभव होना।

कहावतें :

  • आस्तीन के साँप – अपनों में छिपा शत्रु
  • एक मछली पूरे तालाब को गंदा कर देती है – एक दुर्गुणी व्यक्ति पूरे वातावरण को दूषित करता है

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 3 ग्रामदेवता

Balbharti Maharashtra State Board Class 9 Hindi Solutions Hindi Lokvani Chapter 3 ग्रामदेवता Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Maharashtra State Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 3 ग्रामदेवता (पठनार्थ)

Hindi Lokvani 9th Std Digest Chapter 3 ग्रामदेवता Textbook Questions and Answers

संभाषणीय:

प्रश्न 1.
‘प्राकृतिक सौंदर्य का सच्चा आनंद आँचलिक (ग्रामीण) क्षेत्र में ही मिलता है’, चर्चा कीजिए।
उत्तर:
भारत गाँवों का देश है। आज भी भारत की अधिकतम जनसंख्या गाँवों में निवास करती है। महात्मा गाँधी कहते थे कि, “वास्तविक भारत का दर्शन गाँवों में ही संभव है जहाँ भारत की आत्मा बसी भारत के गाँव उन्नत और समृद्ध थे। ग्रामीण कृषक कृषि पर गर्व अनुभव करते थे, संतुष्ट थे। गाँवों में कुटीर उद्योग फलतेफूलते थे। लोग सुखी थे। भारत के गाँवों में स्वर्ग बसता था, किंतु समय बीतने के साथ शहरों का विकास होता गया और गाँव पिछड़ते गए।

परंतु आज भी जो बात गाँव में है वह शहर में कहाँ? आज हममें से कितने लोगों ने गाँव देखे हैं? गाँव जिन्हें ईश्वर ने बनाया, जहाँ प्रकृति का सौंदर्य बिखरा पड़ा है – हरे-भरे खेत, लहलहाती फसलें, कल-कल करती नदियाँ, नदियों में मछलियाँ पकड़ते मछुवारे, उनके जल में स्नान करते ग्रामवासी, कुएँ की रहट पर सजी-धजी औरतों की खिलखिलाहट, कहीं-कहीं पर पंम्पिंग सेट से सिंचाई करते कंधे पर फावड़ा लिए किसान तो कहीं पर कजरी गाते हुए धान की रोपाई करती महिलाएँ, हुक्का पीते किसान, गाय के पीछे दौड़ते बच्चे, पेड़ों से आम तोड़कर खट्टे आम खाती किशोरियाँ, रंग-बिरंगी तितलियाँ पकड़ते नन्हें-नन्हें बच्चे। गाँव की ये प्राकृतिक छटा तो निराली है। सत्य ही है कि प्राकृतिक सौंदर्य का सच्चा आनंद आँचलिक क्षेत्र में ही मिलता है।

लेखनीय:

प्रश्न 1.
“किसी ऐतिहासिक स्थल की सुरक्षा हेतु आपके दवारा किए जाने वाले प्रयत्नों के बारे में लिखिए।
उत्तर:
ऐतिहासिक स्थलों को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी किसी एक व्यक्ति, संस्था या सरकार की नहीं है। हम भी अपने स्तर पर इनके रक्षक बन सकते हैं। हमारी एक बहुत बड़ी समस्या प्राचीन धरोहर को सुरक्षित रखने की भी है। पूरे देश में ऐसी अनगिनत प्राचीन और ऐतिहासिक इमारतें हैं जिनकी देखभाल ठीक से नहीं हो रही है। कुछ इमारतें तो पूरी तरह उपेक्षित हैं और अगर उन पर ध्यान न दिया गया तो वे गिर जाएंगी।

सरकारी विभाग अपनी सीमा और साधनों की कमी के कारण केवल उन्हीं इमारतों की देखभाल करते हैं जो उनकी सूची में शामिल है पर यह काफ़ी नहीं है। उदाहरण के लिए उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले के कोड़ा, जहानाबाद कस्बे को लिया जा सकता है। यह कस्बा मध्यकाल में बहुत प्रसिद्ध और महत्त्वपूर्ण केंद्र था। यहाँ मुगल सम्राटों तथा अन्य के द्वारा निर्मित भव्य ऐतिहासिक इमारतें हैं। यहाँ की ऐतिहासिक इमारतों का संरक्षण कैसे होगा। यह चिंता का विषय था।

मैंने जहानाबाद की इन इमारतों की सुरक्षा के लिए आस-पास के गाँव के लोगों को जागरूक किया उन्हें समझाया कि खाने-पीने का समान इधर-उधर न फेंककर कूड़ेदान में डालें। दीवारों पर कुछ न लिखें। लावारिस वस्तुओं के मिलने पर प्रशासन या पुलिस विभाग को सूचित करें। पार्किंग स्थल पर ही वाहन को खड़ा करें। फैलता है जिससे इमारतों को क्षति पहुँचती है।

अब तो हमारे गाँव के नवयुवक सप्ताह में एक दिन श्रमदान करके इमारतों के अंदर तथा बाहर साफ-सफाई का काम भी करते हैं। हम लोगों ने मिलकर ‘ऐतिहासिक धरोहर सुरक्षा फंड’ के नाम से एक संस्था बना ली है। जिसमें हर महीने पैसा जमा करते हैं और उस पैसे से टूटे-फूटे हिस्से की मरम्मत करवाते रहते हैं।

आसपास:

प्रश्न 1.
किसी कृषक से प्रत्यक्ष वार्तालाप करते हुए उसका महत्त्व बताइए।
उत्तर:
मोहन –  नमस्कार ! काका आप कैसे हैं?

किसान – नमस्कार ! नमस्कार ! मैं ठीक हूँ, सब प्रभु की कृपा है। आप तो शहरी जान पड़ते हैं?

मोहन – हाँ, आपने सही पहचाना। मैं शहरी हूँ, आपसे कुछ वार्तालाप करने यहाँ आया हूँ।

किसान – कहिए. आप को क्या कहना है?

मोहन – सबसे पहले आप हमें बताइए कि आपकी दिनचर्या क्या हैं?

किसान – हमारी दिनचयाँ रोजाना एक-सी ही रहती है। सबेरे उठते ही अपने पशुओं की सेवा करना उनको चारा डालना, गोबर की सफाई करने के बाद दूधारू पशुओं के दूध निकालना।

फिर हल और बैल लेकर खेत की ओर चल देते हैं। वहाँ पूरे दिन खेती के काम में जुटे रहते हैं। स्नान और दोपहर का भोजन हम अधिकतर खेत पर ही कर लेते हैं। शाम इलते ही हम घर लौटते हैं। घर आकर बैलों को घास, भूसा, खली आदि डालते हैं। फिर कहीं जाकर हमें आराम मिलता है।

मोहन – आप हर मौसम में ऐसे ही मेहनत करते हैं?

किसान- हाँ, हर मौसम में हमारा काम चलते रहता है। पूस-माघ की कड़कड़ाती ठंड, बैशाख-जेठ को चिलचिलाती धूप व सावन-भादों की तेज वर्षा के बीच भी हम काम में जुटे रहते हैं।

कृषक का महत्त्व:

कृषक कठिन परिश्रम करके खाद्यान्न पैदा करता है। इसी खाद्यान्न से देशवासियों का पेट भरता है। कृषक न हों तो हम भूखों मरने लगे। यही हमें अनाज, सब्जियाँ, फल, दूध आदि मुहैया कराते हैं। त्याग और तपस्या का दूसरा नाम है ‘किसान’। वह जीवन भर मिट्टी से सोना उत्पन्न करने की तपस्या करता रहता है। तपती धूप, कड़ाके की ठंड तथा मुसलधार बारिश भी उसकी इस साधना को तोड़ नहीं पाते। हमारे देश की लगभग 70% प्रतिशत आबादी आज भी गाँवों में निवास करती है। जिनका मुख्य व्यवसाय कृषि है। एक सत्य यह भी है कि भारत की मूल आत्मा वे किसान है, जो गाँवों में निवास करते हैं। किसान हमें खाद्यान्न देने के अलावा भारतीय संस्कृति और सभ्यता को भी सहेजकर रखे हुए हैं। यही कारण है कि शहरों की अपेक्षा गाँवों में भारतीय संस्कृति और सभ्यता अधिक देखने को मिलती है। किसान की शक्ति और भक्ति कृषि ही है। ऐसे ग्राम देवता को शत-शत् नमन् !

कल्पना पल्लवन:

प्रश्न 1.
‘सबकी प्यारी, सबसे न्यारी मेरे देश की धरती’ इस पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
‘मेरे देश की धरती सोना उगले, उगले हीरे-मोती’

हम इस देश की धरती पर पैदा हुए हैं। इसका अनाज खाकर इसकी गोदी में खेल कर हम पले बढ़े हैं। हमारे लिए यह इतनी महत्त्वपूर्ण है जितने की हमारे माता-पिता। भारत एक भू-भाग का नाम नहीं है अपितु उस भू-भाग में बसे लोगों की संस्कृति सभ्यताएँ, उसके रीति-रिवाजों, उसके अमूल्य इतिहास और उसके भौतिक स्वरूप का नाम भारत है। भारत की धरती पर जगह-जगह स्थित पहाड़ी स्थल, जंगल हरेभरे मैदान, रमणीय स्थल, मुंदर समट तट, देवालय आदि उसकी शोभा बढ़ा रहे हैं।

जहाँ एक ओर स्वर्ग के रूप में कश्मीर है। तो दूसरी ओर सागर की सुंदरता लिए दक्षिण भारत। यहाँ अनगिनत नदियाँ बहती हैं जो अपने स्वरूप द्वाराइसको दिव्यता प्रदान करती हैं। ये नादियाँ प्रत्येक भारतीय के लिए माँ के समान है। संसार की सबसे ऊँची चोटी ‘माउंट एवरेस्ट’ भी इसी धरती पर स्थित है। इन सभी कारणों से यह धरती रमणीय और रोमांचकारी बन जाती है।

भारत की सभ्यता समस्त संसार में सबसे प्राचीनतम है। इसकी भूमि ने अनेकों सभ्यताओं और संस्कृतियों को जन्म दिया है। इसने एक संस्कृति का पोषण नहीं किया अपितु अनेकों संस्कृतियों को अपनी मातृत्व को छाया में पाल-पोषकर मल्लन संस्कृतियों के रूप में उभारा है। इस भारत वर्ष की भूमि ने राम और श्री कृष्ण को ही जन्म नहीं दिया; बल्कि पृथ्वीराज चौहान, महाराणा प्रताप, शिवाजी महाराज, महात्मा गाँधी, लाल बहादुर शास्त्री, पंडित जवाहरलाल नेहरू, भगत सिंह जैसे महापुरुषों को भी जन्म दिया है जिन्होंने अमिट अक्षरों में अपना नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज करवा दिया है।

उस धरती ने जहाँ एक ओर गुलामी को सहा है, वहीं दूसरी ओर स्वतंत्रता संग्राम की भी गवाह रही है। हमारे देश की धरती रत्नगर्भा कही जाती है। इसमें विभिन्न खनिज पदार्थ विद्यमान हैं। हर प्रकार के मौसम से परिपूर्ण इस धरती पर हर तरह की फसलें उगती हैं। यह प्राचीन समय से ही कृषि प्रधान देश रहा है। इसे आध्यात्मिकता, दर्शन-विज्ञान और प्रौद्योगिकी की भूमि कहा जाता है। यह पर्यटन का स्वर्ग है जो पूरे विश्व को अपनी ओर आकर्षित करती है।

पाठ से आगे:

प्रश्न 1.
‘ऑरगैनिक’ (सेंद्रिय) खेती की जानकारी प्राप्त’ कीजिए और अपनी कक्षा में सुनाइए।
उत्तर:
ऑरगैनिक खेती (जैविक खेती) कृषि की वह विधि है जो संश्लेषित उर्वरकों एवं संश्लेषित कीटनाशकों के अप्रयोग या न्यूनतम प्रयोग पर आधारित है तथा जो भूमि की उर्वरा शक्ति को बनाए रखने के लिए फसल चक्र, हरी खाद, कंपोस्ट खाद आदि का प्रयोग करती है। तरह-तरह की रासायनिक खादों, जहरीले कीटनाशकों का उपयोग, प्रकृति के जैविक और अजैविक पदार्थों के बीच आदान-प्रदान के चक्र को प्रभावित करता है, जिससे भूमि की उर्वरा शक्ति खराब हो जाती है, साथ ही वातावरण प्रदूषित होता है तथा मनुष्य के स्वास्थ्य में गिरावट आती है।

ऐसी समस्याओं से निपटने के लिए पिछले कई वर्षों से निरंतर टिकाऊ खेती की योजनाएँ बनाई जा रही हैं। भारत सरकार भी इस खेती को अपनाने के लिए प्रचार-प्रसार कर रही है, जिसे हम जैविक खेती के नाम से जानते हैं। इस प्रकार की खेती से उत्पन्न अनाज ज्यादा स्वास्थ्य वर्धक होता है। जैविक खेती के लिए कंपोस्ट ही एकमात्र सबसे महत्त्वपूर्ण पूरक पोषण है; जो आप अपने खेत की मिट्टी को दे सकते हैं। कंपोस्ट तैयार करने में घर से निकलने वाले कूड़ों का कमसे-कम तीस फीसदी हिस्सा दुबारा उपयोग में आ जाता है। जैसे – फलों के छिलके, हरी सब्जियों के छिलके, अंडे के छिलके, राख आदि।

पेड़ के पत्तों, हरी घासों, खर-पतवार, गोबर, पशुओं के मुत्र, लकड़ी के बुरादे, अखबार, कटे हुए कागज और फसलों के तने से भी भारी मात्रा में कंम्पोस्ट तैयार करते हैं। वनस्पतियों की वृद्धि को तेज करने और मिट्टी की जीवन शक्ति को पुर्नस्थापित करने के लिए पोषक तत्त्वों से भरपूर वनस्पति से निर्मित खाद को सरल तरीके से मिट्टी में डालना ही कंपोस्टिंग कहलाता है। इसको बनाने में कोई खर्च नहीं आता है, इसे आसानी से बनाया जा सकता है और यह पर्यावरण के लिए भी अच्छा है।

कंपोस्ट खाद के फायदे:

मिट्टी अनुकूलक: कंपोस्ट से आप लॉन और बगीचे के लिए पोषण से भरपूर मिट्टी तैयार करते हैं; जिससे आपके पौधों को पोषण मिलता है और मिट्टी में नमी बनाए रखने में मदद मिलती है। इसमें सिंचाई अंतराल में वृद्धि होती है। फसलों की उत्पादकता में भी वृद्धि होती है।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 3 ग्रामदेवता

Hindi Lokvani 9th Std Textbook Solutions Chapter 3 ग्रामदेवता Additional Important Questions and Answers

(क) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति क (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 3 ग्रामदेवता 1

कृति क (2): सरल अर्थ

प्रश्न 1.
ऊपर दी गई पंक्तियों का सरल अर्थ लिखिए।
उत्तर:
कवि राजकुमार वर्मा जी ग्रामदेवता यानी किसानो को नमस्कार करते हैं और कहते हैं कि तुम महान हो। तुमने सोने-चाँदी से प्यार नहीं किया बल्कि मिट्टी से प्यार किया है। हे ग्राम देवता तुम्हें नमस्कार है! कवि कहते हैं किसान शोरगुल से दूर कहीं अकेले में तुम्हारा एक छोटा-सा निवास है। सूर्य और चाँद में भी उतना प्रकाश नहीं है जितना तुम्हारे प्राणों का (शक्ति) प्रकाश होता है। हे ग्राम देवता तुम्हें नमस्कार है!

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 3 ग्रामदेवता

(ख) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति ख (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए ।
उत्तर:
Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 3 ग्रामदेवता 2

प्रश्न 2.
समझकर लिखिए।
1. जड़ में चेतन का विकास इस बल पर होता है।
2. पसीने की धारा को कवि ने उपमा दी है।
उत्तर:
1. श्रमवैभव के बल पर।
2. गंगा की धवल धार की।

कृति ख (2): सरल अर्थ

प्रश्न 1.
ऊपर दी गई कविता की पंक्तियों का सरल अर्थ लिखिए।
उत्तर:
कवि किसानों से कहता है कि तुम परिश्रम की शक्ति के बल पर बंजर जमीन को भी उपजाऊ कर उसमें हरी-भरी फसलों का विकास करते हो जिसमें एक-एक दाने के बीज से सौ-सौ दानों की हँसी फूट पड़ती है अर्थात तुम्हारे परिश्रम से बंजर जमीन भी लहलहा उठती है। हे किसान! तुम्हारे शरीर से निकलनेवाली पसीने की धारा सिर्फ पसीने की धारा नहीं है बल्कि गंगा की स्वच्छ धार के समान है। हे ग्रामदेवता, तुम्हें नमस्कार है! कवि कहते हैं, हे किसान तुम चिलचिलाती गर्मी, मूसलाधार वर्षा और कड़ाके की ठंड में भी बिना रुके परिश्रम करते रहते हो। स्वयं को कष्ट देकर संसार को अनाज का पुरस्कार देते हो।।

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 3 ग्रामदेवता

(ग) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति ग (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
एक से दो शब्दों में उत्तर लिखिए।
1. यह जन-गन-मन का अधिनायक है –
2. कवि ने इसे सिंहासन पर बैठने के लिए कहा है –
उत्तर:
1. किसान
2. किसान को

प्रश्न 2.
निम्नलिखित विधान सत्य है या असत्य पहचानकर लिखिए।
1. किसान राजद्वार को झुकाकर अपनी झोपड़ी ऊँची करता है।
2. किसान जन-गन-मन अधिनायक है।
उत्तर:
1. असत्य
2. सत्य

कृति ग (2): सरल अर्थ

प्रश्न 1.
उपर्युक्त पंक्तियों का सरल अर्थ लिखिए।
उत्तर:
कवि कहते हैं, हे किसान तुम लोगों के मन के शासक हो तुम हमेशा प्रसन्नचित्त रहो, जिससे कि हमारा देश फूलता-फलता रहे। आओ, इस सिंहासन पर बैठो जिससे यह राज्य-सिंहासन अशेष न हो अर्थात खाली न हो। टूटी-फूटी झोपड़ी में रहकर भी देश का मान-सम्मान बढ़ाते हो, हे ग्रामदेवता तुम्हे मेरा नमस्कार है।

(घ) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति घ (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
सही शब्द चुनकर वाक्य फिर से लिखिए।
1. उर्वरा भूमि के नए खेत के नए धान्य से …………….. । (सजे देश, सजे वेश, बड़े क्लेश)
2. अपनी कविता से आज तुम्हारी ……………. लू उतार। (रीति, नीति, विमल आरती)
उत्तर:
1. उर्वरा भूमि के नए खेत के नए धान्य से सजे वेश।
2. अपनी कविता से आज तुम्हारी विमल आरती लूँ उतार।

प्रश्न 2.
उत्तर लिखिए।
1. इससे वेश सजे –
2. इससे विमल आरती उतारूँ
उत्तर:
1. उपजाऊ भूमि के नए खेत के नए अनाज से।
2. अपनी कविता से।

कृति (2): सरल अर्थ

प्रश्न 1.
ऊपर दी गई कविता की पंक्तियों का सरल अर्थ लिखिए।
उत्तर:
कवि कहते हैं, हे किसान उपजाऊ भूमि के नए खेत के नए फसलों से सजे हुए वेश में तुम, इस धरती पर रहकर धरती के सभी प्राणियों और शेष मनुष्यों की जिम्मेदारी को वहन करते हो। इसलिए मैं अपनी कविता से आज तुम्हारा स्वागत करता हूँ। हे ग्राम देवता, तुम्हें मेरा नमस्कार है!

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 3 ग्रामदेवता

ग्रामदेवता Summary in Hindi

कवि-परिचय:

जीवन-परिचय: डॉ. रामकुमार वर्मा आधुनिक हिंदी साहित्य में ‘एकांकी सम्राट’ के रूप में जाने जाते हैं। ये प्रसिद्ध कवि, नाटककार, लेखक और आलोचक भी रहे। साहित्य में इनकी उत्तरोत्तर प्रगति के आधार पर इन्हें 1963 में पद्मभूषण की उपाधि प्रदान की गई।

प्रमुख कृतियाँ: काव्य संग्रह – ‘चित्तौड़ की चिंता’, ‘निशीथ’, ‘चित्ररेखा’, ‘वीर हमीर’ एकांकी संग्रह – ‘रेशमी टाई’, ‘रूपरंग’, ‘चार ऐतिहासिक एकांकी,’ आदि नाटक – ‘एकलव्य’, ‘उत्तरायण’ आदि।

पद्य-परिचय:

कविता: कविता समाज को नई चेतना प्रदान करती हैं। मानवीय गुणों की प्रतिष्ठा का सशक्त माध्यम कविता है। रस, छंद, अलंकार से परिपूर्ण, सुंदर अर्थ प्रकट करने वाली, हृदय की कोमल अनुभूतियों का साकार रूप कविता है।

प्रस्तावना: प्रस्तुत कविता ‘ग्रामदेवता’ में कवि डॉ. रामकुमार वर्मा जी ने किसानों को ग्राम देवता बताते हुए उनके परिश्रमी, त्यागी एवं
परोपकारी किंतु संघर्षपूर्ण जीवन को रेखांकित किया है।

सारांश:

प्रस्तुत कविता में कवि ने बताया है कि गाँव का किसान सोने-चाँदी से नहीं बल्कि गाँव की मिट्टी से प्यार करता है। वह एकांत में एक छोटे से घर में निवास करता है। वह अपने परिश्रम के बल पर बंजर मिट्टी से भी हरी-भरी फसलें उगाता है। गर्मी, ठंडी और बरसात के मौसम की परवाह किए बिना वह खेत में अपने पसीने बहाता है और लोगों के लिए अनाज पैदा करता है। इस किसान को कवि ने लोगों के मन में निवास करनेवाला शासक कहकर उसे हमेशा मुस्कराते रहने की उम्मीद की है तथा उसे ग्रामदेवता कहकर नमस्कार किया है।

सरल अर्थ:

1. हे ग्रामदेवता ………. नमस्कार!

कवि राजकुमार वर्मा जी ग्रामदेवता यानी किसानो को नमस्कार करते हैं और कहते हैं कि तुम महान हो। तुमने सोने-चाँदी से प्यार नहीं किया बल्कि मिट्टी से प्यार किया है। हे ग्राम देवता तुम्हें नमस्कार है!

2. जन कोलाहल ……….. होता प्रकाश।

कवि कहते हैं किसान शोरगुल से दूर कहीं अकेले में तुम्हारा एक छोटा-सा निवास है। सूर्य और चाँद में भी उतना प्रकाश नहीं है जितना तुम्हारे प्राणों का (शक्ति) प्रकाश होता है। हे ग्राम देवता तुम्हें नमस्कार है!

3. श्रमवैभव ………………… नमस्कार!

कवि किसानों से कहता है कि तुम परिश्रम की शक्ति के बल पर बंजर जमीन को भी उपजाऊ कर उसमें हरी-भरी फसलों का विकास करते हो जिसमें एक-एक दाने के बीज से सौ-सौ दानों की हँसी फूट पड़ती है अर्थात तुम्हारे परिश्रम से बंजर जमीन भी लहलहा उठती है। हे किसान! तुम्हारे शरीर से निकलनेवाली पसीने की धारा सिर्फ पसीने की धारा नहीं है बल्कि गंगा की स्वच्छ धार के समान है। हे ग्रामदेवता, तुम्हें नमस्कार है!

4. जो है गतिशील ………………. नमस्कार!

कवि कहते हैं, हे किसान तुम चिलचिलाती गर्मी, मूसलाधार वर्षा और कड़ाके की ठंड में भी बिना रुके परिश्रम करते रहते हो। स्वयं को कष्ट देकर संसार को अनाज का पुरस्कार देते हो। टूटी-फूटी झोपड़ी में रहकर भी देश का मान-सम्मान बढ़ाते हो, हे ग्रामदेवता तुम्हे मेरा नमस्कार है!

5. तुम जन-गन-मन ………………………… है अशेष।

कवि कहते हैं, हे किसान तुम लोगों के मन के शासक हो तुम हमेशा प्रसन्नचित्त रहो, जिससे कि हमारा देश फूलता-फलता रहे। आओ, इस सिंहासन पर बैठो जिससे यह राज्य-सिंहासन अशेष न हो अर्थात खाली न हो।

6. उर्वरा भूमि के ………………………… नमस्कार!

कवि कहते हैं, हे किसान उपजाऊ भूमि के नए खेत के नए फसलों से सजे हुए वेश में तुम, इस धरती पर रहकर धरती के सभी प्राणियों और शेष मनुष्यों की जिम्मेदारी को वहन करते हो। इसलिए मैं अपनी कविता से आज तुम्हारा स्वागत करता हूँ। हे ग्राम देवता, तुम्हें मेरा नमस्कार है!

Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 3 ग्रामदेवता

शब्दार्थ:

  1. ग्रामदेवता – किसान
  2. कोलाहल – शोरगुल
  3. सिमटा-सा – छोटा-सा
  4. निवास – घर
  5. रवि-शशि – सूर्य-चाँद
  6. श्रमवैभव – मेहनत का खजाना, अत्यधिक मेहनत
  7. जड़ – निर्जीव (बंजर)
  8. चेतन – जीव (उपजाऊ)
  9. फूटना – अंकुरित होना
  10. हास – हँसी
  11. धवल – स्वच्छ, शुभ्र
  12. गतिशील – पारश्रमा
  13. दंड – सजा
  14. अधिनायक – शासक
  15. अशेष – बाकी न हो
  16. उर्वरा – उपजाऊ
  17. धान्य – अनाज
  18. वेश – पहनावा
  19. धारण करना – वहन करना
  20. मनुजशेष – शेष मनुष्य
  21. विमल – धवल

मुहावरा:

आरती उतारना – आदर करना, स्वागत करना।