Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 10 महत्त्वाकांक्षा और लोभ

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 11th Digest Chapter 10 महत्त्वाकांक्षा और लोभ Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Maharashtra State Board 11th Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 10 महत्त्वाकांक्षा और लोभ

11th Hindi Digest Chapter 10 महत्त्वाकांक्षा और लोभ Textbook Questions and Answers

आकलन

1. लिखिए :

प्रश्न अ.
मछुवा-मछुवी की दिनचर्या –
……………………………………………………..
……………………………………………………..
उत्तर :
मछुवा दिन भर मछलियाँ पकड़ता।
मछुवी दिन भर दूसरा काम करती।

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प्रश्न आ.
मछुवा-मछुवी की कहानी का अंत –
……………………………………………………..
……………………………………………………..
उत्तर :
मछली रूष्ट हो गई।
मछुवा-मछुवी का राजवैभव छिन लिया गया।
दोनों फिर से अपनी टूटी-फूटी झोपड़ी में रहने लगे।

प्रश्न इ.
लेखक द्वारा बताई गईं मनुष्य स्वभाव की विशेषताएँ –
(1) ……………………………………………………..
(2) ……………………………………………………..
(3) ……………………………………………………..
उत्तर :
(1) अपने दोषों को छिपाकर दूसरों पर दोषारोपण करना।
(2) अपने ही कामों को महत्त्व देना, दूसरों के नहीं।
(3) अपने द्वारा किए गए उपकार को निस्संकोच बताना परंतु दूसरों के द्वारा की गई सेवा को न बतलाना।

शब्द संपदा

2. निम्नलिखित शब्दों के लिए उचित शब्द समूह का चयन कीजिए :

(1) अभक्ष्य : जो खाने के अयोग्य हो / जो खाया नहीं गया।
उत्तर :
जो खाने के अयोग्य हो।

(2) अदृश्य : जो दिखाई न दे / जो दिखाई नहीं देता।
उत्तर :
जो दिखाई न दे।

(3) अजेय : जिसे जीता न जा सके / जिसे जितना कठिन हो
उत्तर :
जिसे जीता न जा सके।

(4) शोषित : जिसका शोषण किया गया है जो शोषण करता है।
उत्तर :
जिसका शोषण किया गया है।

(5) कृशकाय : जिसका शरीर कुश के समान हो / जो बहुत दुबला-पतला हो।
उत्तर :
जिसका शरीर कुश के समान हो।

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(6) सर्वज्ञ : जो सब कुछ जानता हो / जो सब जगह व्याप्त है।
उत्तर :
जो सब कुछ जानता हो।

(7) समदर्शी : जो सबको समान देखता है / जो सबको समान दृष्टि से देखता है।
उत्तर :
जो सबको समान दृष्टि से देखता है।

(8) मितभाषी : जो कम बोलता है / जो मीठा बोलता है।
उत्तर :
जो कम बोलता है।

अभिव्यक्ति

3.
प्रश्न अ.
‘अति से तो अमृत भी जहर बन जाता है, इस कथन पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
उत्तर :
‘अति का भला न बोलना, अति की भली न चूप।
अति का भला न बरसना, अति की भली न धूप।।’

अर्थात ‘अति’ हर जगह नुकसानदायी ही है। अति लालसा मनुष्य के जीवन में पतन के द्वार खोल देती है। कुछ पाने की आशा में वह अपना सब कुछ गँवा देता है। अपने नैतिक मूल्यों को अनदेखा कर मनुष्य सारी मर्यादाएँ तोड़कर इच्छापूर्ति में लग जाता है। पाठ में दी गई कहानी के मछुवा-मछुवी की तरह ही जो वैभव मिला था उसे फिर से गँवा बैठते हैं।

दुनिया गवाह है प्रकृति के साथ हमने जो ‘अति किया और कर रहे हैं उसका परिणाम आज प्रदूषण के रूप में भुगत रहे हैं। गुड़ के एक छोटे से टुकड़े का सेवन और स्वाद अच्छा होता है परंतु इस छोटे टुकड़े को बड़े टुकड़े में बदलकर उसका सेवन करने से शरीर में विकार ही उत्पन्न होंगे।

एक गुब्बारे में उसकी क्षमता से अधिक हवा भरने की कोशिश की तो परिणाम क्या होगा कहने की आवश्यकता नहीं है। जो दवा उचित अनुपान से ली गई तो अमृत के समान हमारी सेहत ठीक करती है वही दवा अगर अधिक मात्रा में ली गई तो उसके दुष्परिणाम जान लेवा ही सिद्ध होंगे।

अमृत भी जहर बन जाएगा यह बात त्रिकालाबाधित सत्य है। अत: ‘अति सर्वत्र वर्जयेत’ ध्यान में रखना है और ‘अति’ से बचना चाहिए।

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प्रश्न आ.
‘महत्त्वाकांक्षाओं का कभी अंत नहीं होता’, इस वास्तविकता को अपने शब्दों में स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
प्रगति के लिए महत्त्वाकांक्षी होना उचित है परंतु इनका कोई अंत नहीं है। एक के पूरा होते ही दूसरी महत्त्वाकांक्षा जन्म ले लेती है। इच्छा, कामना, लालसा, महत्त्वाकांक्षा ये सभी तृष्णा के पर्यायवाची शब्द हैं। इन्हीं कारणों से मनुष्य नैतिक या अनैतिक मार्ग से भी क्यों न हो उसे पूरा करने में लग जाता है।

सपने देखना एक सहज प्रवृत्ति है परंतु उन्हें साकार न होते देख तनावग्रस्त होना गलत है। क्योंकि हम दूसरों के आधार पर अपना आकलन करने लगते हैं। दूसरों से आगे निकलना ही हमारे लिए महत्त्वपूर्ण बन जाता है। फिर वह खेल-कूद हो, पढ़ाई-लिखाई हो, घर-गृहस्थी हो या अन्य कुछ।

विचार, ज्ञान, पैसा, प्रतिष्ठा, बल, बुद्धि आदि में दूसरों से श्रेष्ठ बनने की महत्त्वाकांक्षा हममें जागती ही रहती है। वह हमें लोभ के माया जाल में फँसाती रहती है। उदाहरणार्थ – एक छोटा सा घर बनाने की महत्त्वाकांक्षा से जब अपना घर बनता है।

तब हमारे घर के सामने किसी का बड़ा घर बनते ही हमें अपने घर का आनंद होने की बजाय सामने वाले घर के समान अपना घर नहीं इस बात का दुःख होता है और हम उसी प्रकार के घर को बनाने की महत्त्वाकांक्षा में लग जाते हैं।

कितना भी मिला, कितना भी पाया तो भी मनुष्य संतुष्ट नहीं होता; महत्त्वाकांक्षा कभी समाप्त नहीं होती। यही जीवन की वास्तविकता है।

पाठ पर आधारित लघूत्तरी प्रश्न।

4.
प्रश्न अ.
प्रस्तुत निबंध में निहित मानवीय भावों से संबंधित विचार लिखिए।
उत्तर :
‘महत्त्वाकांक्षा और लोभ’ इस निबंध में लेखक श्री. पदुमलाल बख्शी जी ने महत्त्वाकांक्षा के साथ-साथ असंतोष, अति लालसा, स्वयं को शक्तिमान बनाने की उत्कट अभिलाषा तथा कृतघ्नता के दुष्परिणाम को प्रस्तुत किया है। जो सुलभता से प्राप्त होता है उसके प्रति अर्थात प्राप्य के प्रति विरक्ति का भाव तथा अप्राप्य की लालसा मनुष्य को किस तरह लोभ में फँसाती है इसे कहानी द्वारा स्पष्ट किया है।

मछुवा और मछुवी को मछली के वरदान से घर, धन, राजकीय वैभव प्राप्ति के साथ-साथ मछुवी रानी बनी और सेवा में नौकर-चाकर भी प्राप्त हुए। इतना सब-कुछ प्राप्त होने से जो मिला है, उससे संतुष्ट होना चाहिए था। पर मानवीय प्रवृत्ति ऐसी है कि जो कभी संतुष्ट रहने नहीं देती, जो अप्राप्य है उसे पाने का प्रयास करती रहती है। अति महत्त्वाकांक्षा ने सूर्य, चंद्र, मेघ को अपने वश में करने की लालसा ने उनका जीवन समाप्त किया।

मानवीय भावों को अपने वश में रखना सही है पर हम उसे अपने वश में रख नहीं पाते यही हकीकत है।

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प्रश्न आ.
पाठ के आधार पर कृतघ्नता, असंतोष के संबंध में लेखक की धारणा लिखिए।
उत्तर :
पाठ की कहानी में देवी मछली की कृतघ्नता लेखक ने स्पष्ट की है। मछुवे ने देवी मछली की मदद निस्वार्थ भाव से की थी।

पत्नी के कहने पर उसने कुछ याचना की थी और उसे पूरा करके देवी मछली ने मछुए की पत्नी में अभिलाषा पैदा की थी। परंतु उसके सामने मछुवे ने पत्नी की ऐसी इच्छा प्रकट की थी जो वह पूरा नहीं कर सकती थी तब उसने सारा वैभव, धन सबकुछ वापस ले लिया और गरीबी में रहने का शाप दे दिया।

वरदान का अंत इस प्रकार अभिशाप में परिणत हो गया। देवी होते हुए भी उसमें त्याग, प्रेम, कृतज्ञता, क्षमा, दया जैसी भावनाएँ नहीं थी। वह कृतघ्न थी जो एक देवी को शोभा नहीं देता।

मछुवे की पत्नी में जो असंतोष था वह मानवी स्वभाव है। क्योंकि जब तक मनोवांछित फल मिलता नहीं तब तक उसे पाने के लिए मन लालायित रहता है परंतु जब वह वस्तु प्राप्त हो जाती है तब हमें दूसरी उससे भी बड़ी और महत्त्वपूर्ण वस्तु प्राप्त करने की इच्छा जाग जाती है और असंतोष की भावना मन में बनी रहती है। मछली ने पहले घर माँगा था। फिर खाने-पीने की तकलीफ है इसलिए धन माँगा था। लालसा बढ़ जाने पर राज वैभव माँगा था।

उसके पास महल, बाग, नौकर-चाकर आ जाने पर उसने सूर्य, चंद्र, मेघ आदि पर हुक्म करने की इच्छा व्यक्त की थी। अति लालसा और असंतोष के कारण ही जो कुछ उसने पाया था उसे खोना पड़ा था।

जो मछुवा-मछुवी वर्तमान में संतोष से जी रहे थे, टूटी-फूटी झोपड़ी में भी संतुष्ट थे उनमें असंतोष के भाव पैदा होने के कारण ही राज-वैभव भी उन्हें संतुष्ट नहीं कर पाया। मन की अनंत इच्छाओं का परिणाम ऐसा ही भयानक होता है यही लेखक का कहना है।

साहित्य संबंधी सामान्य ज्ञान

5. जानकारी दीजिए:

प्रश्न अ.
पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी जी के निबंधों की प्रमुख विशेषताएँ –
(१) …………………………………………..
(२) …………………………………………..
उत्तर :
(1) कहानी जैसी मनोरंजकता
(2) जीवन की सच्चाइयों की बड़ी सरलता से अभिव्यक्ति

प्रश्न आ.
अन्य निबंधकारों के नाम –
उत्तर :

  • राँगेय राघव
  • रामधारीसिंह ‘दिनकर’
  • हजारीप्रसाद द्विवेदी
  • गुणाकर मुळे
  • रवींद्रनाथ त्यागी

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6. दी गई शब्द पहेली से सुप्रसिद्ध रचनाकारों के नाम ढूंढकर उनकी सूची तैयार कीजिए :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 10 महत्त्वाकांक्षा और लोभ 1
उत्तर :

  1. महादेवी वर्मा
  2. मीरा
  3. रांगेय राघव
  4. पंत (सुमित्रानंदन)
  5. कमलेश्वर
  6. प्रेमचंद
  7. निराला (सूर्यकांत त्रिपाठी)
  8. नीरज (गोपालदास सक्सेना)
  9. सूरदास
  10. प्रसाद (हरिशंकर)
  11. जैनेंद्र कुमार

Yuvakbharati Hindi 11th Textbook Solutions Chapter 10 महत्त्वाकांक्षा और लोभ Additional Important Questions and Answers

कृतिपत्रिका

(अ) निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

गद्यांश : पर एक दिन एक घटना हो गई …………………………………. मछली उन्हें खाकर उसपर और भी प्रसन्न होती। (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 50-51)

प्रश्न 1.
कारण लिखिए :
(i) मछली ने मछुवे को पुकारा –
(1) ………………………………..
(2) ………………………………..
उत्तर :
(1) नदी के किनारे लता में मछली फँसी थी।
(2) मछली अपने जीवनदान के लिए पुकार रही थी।

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(ii) मछली को आनंद हुआ –
(1) ………………………………..
(2) ………………………………..
उत्तर :
(1) मछुवे ने मछली को पानी में छोड़ा।
(2) आटे की गोलियाँ खिलाई।

प्रश्न 2.
उत्तर लिखिए :
(i) मछली यहाँ फँसी थी – ………………………………..
(ii) नदी के पास था – ………………………………..
(iii) मछलियाँ पकड़ने आया था – ………………………………..
(iv) यहाँ खूब पानी था – ………………………………..
उत्तर :
(i) लताओं में
(ii) एक गड्ढा
(iii) मछुवा
(iv) नदी में

प्रश्न 3.
(i) विलोम शब्द लिखिए :
(1) तैरना : ………………………………
उत्तर :
डूबना

(ii) सुरक्षित शब्द सुरक्षा + इत अर्थात ‘इत’ प्रत्यय लगाकर वना है। ‘इत’ प्रत्यययुक्त अन्य शब्द लिखिए:
(1) …………………………………
(2) …………………………………
उत्तर :
(1) शिक्षा + इत = शिक्षित
(2) सीमा + इत = सीमित

प्रश्न 4.
अभिलाषा पूर्ति के आनंद को अपने अनुभव द्वारा व्यक्त कीजिए।
उत्तर :
हर मनुष्य को सुख की अभिलाषा रहती है। सुख-दुख का संबंध मनुष्य के शरीर से होता है जबकि आनंद का संबंध उसकी आत्मा से होता है। हम जो भी कर्म करते हैं फल की आशा हमें होती ही है और मनोनुकूल फल पाकर हमारा मन आनंदित हो उठता है।

प्रकृति के सौंदर्य का रसपान मेरे लिए सबसे बड़ा आनंद है। दैनंदिन जीवन की चिंताओं से दूर प्रकृति की गोद में बैठकर मौज-मस्ती करने में जो आनंद है वह शायद ही किसी अन्य साधन से मिलता होगा। कामकाज की थकान क्षण में काफूर हो जाती है।

ऋषि-मुनियों की आध्यात्मिक चेतना यहाँ जागृत होती रही और हमारी संस्कृति का विकास हुआ। कवियों के अंत:स्थल से काव्य की अभिव्यक्ति हुई। एक कवि ने क्या खूब लिखा है –

‘पर्वतों की श्रृंखलाओं में ये कौन सा जादू है छिपा,
ऐसा लगा मुझे जीवन का सबसे हँसीन पल मिला।’

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(आ) निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

गद्यांश : मछुवा नदी के तट पर ………………………………… मछली से यही माँगो। (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 51)

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 10 महत्त्वाकांक्षा और लोभ 2
उत्तर :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 10 महत्त्वाकांक्षा और लोभ 3

प्रश्न 2.
कारण लिखिए :
(i) घर होने से लाभ नहीं हुआ क्योंकि …………………………………
उत्तर :
घर होने से लाभ नहीं हुआ क्योंकि खाने-पीने की तकलीफ थी।

(ii) धन प्राप्त होने से लाभ नहीं हुआ क्योंकि …………………………………
उत्तर :
धन प्राप्त होने से लाभ नहीं हुआ क्योंकि मछवी को राजवैभव चाहिए था।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्दों को उपसर्ग लगाकर सही शब्द वनाओ।
(i) दिन :
(ii) घर
(ii) धन
(iv) एक
उत्तर :
(i) दुर्दिन
(ii) बेघर
(iii) निर्धन
(iv) अनेक.

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प्रश्न 4.
‘लालच बुरी वात है’ इस विषय पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
जब कभी इंसान लालच करता है वह अपना ही नुकसान कर बैठता है। लालच के कारण हमारी संपत्ति, रिश्ते-नाते सब बिगड़ जाते हैं। लालच में पड़कर एक भाई अपने भाई को, पति-पत्नी एक दूसरे को धोखा देते हैं। इतना ही नहीं तो कोई गद्दार अपनी मातृभूमि को भी धोखा दे सकता है।

ऐसा करने वाले सभी अंत में स्वयं का ही नुकसान कर बैठते हैं। लालच के चलते गलत काम करके मुसीबत में फंसने वाले कितने ही लोग हमें आस-पास ही देखने मिल जाएँगे। लालच इंसान को इंसान नहीं रहने देती। लालच ऐसी बुरी बला है कि हमें सफलता के रास्ते से दूर ले जाती है।

सत्तालिप्सा, धनलोलुपता, पदलोलुपता के चलते मनुष्य मानवता को भी ताक पर रख देता है। इतिहास इसका गवाह है। अत: लालच से हमेशा दूर रहकर नैतिक पतन से बचना चाहिए और सफलता की ओर अग्रसर होना चाहिए।

(इ) निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

गद्यांश : यदि मैं मछुवा होता तो ……………………………………….. उपकार की भावना नहीं है, क्षमा नहीं, दया नहीं है। (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 52)

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 10 महत्त्वाकांक्षा और लोभ 4
उत्तर :
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प्रश्न 2.
परिणाम लिखिए :

(i) मछुवी को मछली की दैवी शक्ति पर विश्वास हो जाने का परिणाम –
उत्तर :
मछुवी को मछली की दैवी शक्ति पर विश्वास हो जाने का परिणाम यह हुआ कि मछुवी ने ऐसी इच्छा प्रकट कर दी जो पूरी करना असंभव था।

(ii) देवी समझकर याचना करने का परिणाम –
उत्तर :
देवी समझकर याचना करने का परिणाम यह हुआ कि मछुवे की पत्नी के मन में अभिलाषाएँ पैदा हुई।

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प्रश्न 3.
पर्यायवाची शब्द लिखिए :
(i) हृदय : ……………………………………………..
(ii) विश्वास : ……………………………………………..
उत्तर :
(i) हिय, उर, दिल
(ii) यकीन, आस्था, भरोसा

अभिव्यक्ति :
प्रश्न 1.
‘अति से तो अमृत भी जहर वन जाता है’ इस कथन पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
उत्तर :
संत कबीर कहते है,

‘अति का भला न बोलना, अति की भली न चूप।
अति का भला न बरसना, अति की भली न धूप।।’

अर्थात ‘अति’ हर जगह नुकसानदायी ही है। अति लालसा मनुष्य के जीवन में पतन के द्वार खोल देती है। कुछ पाने की आशा में वह अपना सब कुछ गँवा देता है। अपने नैतिक मूल्यों को अनदेखा कर मनुष्य सारी मर्यादाएँ तोड़कर इच्छापूर्ति में लग जाता है। पाठ में दी गई कहानी के मछुवा-मछुवी की तरह ही जो वैभव मिला था उसे फिर से गँवा बैठते हैं।

दुनिया गवाह है प्रकृति के साथ हमने जो ‘अति किया और कर रहे हैं उसका परिणाम आज प्रदूषण के रूप में भुगत रहे हैं। गुड़ के एक छोटे से टुकड़े का सेवन और स्वाद अच्छा होता है परंतु इस छोटे टुकड़े को बड़े टुकड़े में बदलकर उसका सेवन करने से शरीर में विकार ही उत्पन्न होंगे।

एक गुब्बारे में उसकी क्षमता से अधिक हवा भरने की कोशिश की तो परिणाम क्या होगा कहने की आवश्यकता नहीं है। जो दवा उचित अनुपान से ली गई तो अमृत के समान हमारी सेहत ठीक करती है वही दवा अगर अधिक मात्रा में ली गई तो उसके दुष्परिणाम जान लेवा ही सिद्ध होंगे।

अमृत भी जहर बन जाएगा यह बात त्रिकालाबाधित सत्य है। अत: ‘अति सर्वत्र वर्ज येत’ ध्यान में रखना है और ‘अति’ से बचना चाहिए।

महत्त्वाकांक्षा और लोभ Summary in Hindi

महत्त्वाकांक्षा और लोभ लेखक परिचय :

पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी जी का जन्म 27 मई 1894 को खैरागढ़ (छत्तीसगढ़) में हुआ। शिक्षा के उपरांत आप साहित्य के क्षेत्र में आए। साहित्य क्षेत्र में आपकी निबंध, उपन्यास तथा समीक्षात्मक ग्रंथों में अलग पहचान दिखाई देती है। जीवन के कठीन सिद्धांत अर्थात तत्वों को दृष्टांत के सहारे स्पष्ट करने की आपकी शैली अद्वितीय है। आपका साहित्य समाज का दर्पण (mirror) ही नहीं बल्कि दीपक है।

जीवन की सच्चाइयों को बड़ी सरलता से व्यक्त करना तथा कहानी-सी मनोरंजकता के साथ प्रस्तुति आपके साहित्य की विशेष शैली बनी है। साहित्य और समाज सेवा में आपका जीवन बीता और 1971 में आपने इस संसार से बिदा ली।

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महत्त्वाकांक्षा और लोभ प्रमुख कृतियाँ :

‘कथा चक्र’ (उपन्यास), “हिंदी साहित्य विमर्श’ और ‘विश्व साहित्य’ (समीक्षात्मक ग्रंथ), बख्शी ग्रंथावली, ‘पंचपात्र’, ‘पद्यवन’, ‘कुछ’, और कुछ (निबंध संग्रह)

महत्त्वाकांक्षा और लोभ विधा का परिचय :

‘निबंध’ एक गद्य विधा है। किसी विषय का यथार्थ चित्रण जिसमें किया जाता है। निबंध इस गद्य विधा से जीवन के तत्वों को बड़ी सरलता के साथ समाज के सामने रखा जाता है। वर्तमान परिस्थितियों का काफी सूक्ष्म चित्रण निबंध जैसी विधा में किया जाता है।

आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी, आचार्य रामचंद्र शुक्ल, कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ आदि निबंधकारों ने इस विधा को उच्च कोटी पर पहुँचा दिया है।

महत्त्वाकांक्षा और लोभ विषय प्रवेश :

ज्ञात से अज्ञात की ओर इसी शिक्षा प्रणाली की तरह प्रस्तुत निबंध में जीवन के तत्वों को आरंभ में काल्पनिक कथा से जोड़ दिया है। मछुवा और मछुवी की काल्पनिक कहानी हमें सरलता से समझा देती है कि, जीवन की अति महत्त्वाकांक्षा, अति लालसा, सर्वशक्तिमान होने की अभिलाषा जीवन को परास्त (defeated) करती है।

महत्त्वाकांक्षा और लोभ परिणामत:

मछुवा-मछुवी का सामान्य जीवन, मछली का वरदान, अभिलाषाओं का जागृत होना, मानवीय भावों को वश में न रखना, वरदान शाप में परिणत होना – मानवीय भावों के इस खेल में क्या सही, क्या गलत, दोष मछली का या मछुवी का – यही निबंध के चिंतन विषय हैं।

महत्त्वाकांक्षा और लोभ पाठ परिचय :

‘अति से तो अमृत भी जहर बन जाता है’ जीवन के इसी तथ्य को उजागर करने वाले इस निबंध में अति महत्त्वाकांक्षा के साथ असंतोष, अति लालसा, लोभ, स्वयं को सर्वशक्तिमान बना लेने की उत्कट अभिलाषा जीवन को परास्त कर देती है।

जो मिला है, जितना मिला है, उसी में संतुष्ट रहने के बजाय अधिक पाने की अभिलाषा मनुष्य को लोभ के जाल में फँसाती है। मछली के वरदान से मछुवा-मछुवी को घर मिला, धन मिला, राजकीय वैभव मिलने से मछुवी रानी भी बनी।

पर हिरण्यकश्यप की तरह सर्वशक्तिमान होने की अभिलाषा से उन्होंने सूर्य, चंद्र, तथा मेघ को अपनी आज्ञा में रहने का वरदान माँगा। मछली अप्रसन्न होकर शाप देती है – ‘जा-जा, अपनी उसी झोपड़ी में रह।’ वरदान शाप में परिणत होते ही मछुवा-मछुवी झोंपड़ी में रहने लगे।

यहाँ एक तरफ अभिलाषा है। अभिलाषाओं को जगाने वाली मछली है। मानवीय भावों के इस खेल में दोष किसका? यही तो निबंध का सार है।

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महत्त्वाकांक्षा और लोभ पाठ का सारांश :

अप्राप्य की लालसा हमेशा मानव मन को लोभ के जाल में फँसाती रहती है और जीवन को तहस-नहस कर डालती है। जीवन के इसी सिद्धांत को इस निबंध में दृष्टांत द्वारा समझाया है।

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एक कछुवा और कछुवी अपनी टूटी-फूटी झोंपड़ी में अपना जीवन व्यतीत कर रहे थे। मछुवा दिनभर मछलियाँ पकड़ता तो मछुवी दिन भर दूसरा काम करती थी तब कहीं खाने को मिलता था। यही उनका वर्तमान था, उन्हें न आशा थी, न कोई लालसा।

मछुवा एक दिन मछली पकड़ने नदी के किनारे गया। वहाँ नदी के किनारे एक छोटी सी मछली लताओं में फँसी थी। मछली ने मछुवे को देखकर पुकारा और मदद माँगी कि, मुझे पानी में छोड़ दो। मछुवे ने निस्वार्थ भाव से मछली को पानी में छोड़ा।

मछली ने पहले गड्ढे के पानी में, फिर नदी के पानी में छोड़ने की बात की। मछुवे ने वैसा ही किया। फिर मछली ने मछुवे को नदी के किनारे रोज आकर बैठने की बात की ताकि उसका मन बहल जाए। मछुवा वैसा ही करता रहा।

पत्नी के पूछने पर मछुवे ने पूरी घटना बता दी। पत्नी ने कहा तुम कुछ नहीं समझते, वह मछली कोई साधारण नहीं है। मछली के रूप में कोई देवी होगी। उससे कुछ माँग लो।

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पत्नी के कहने पर मछुवे ने मछली से अपने लिए घर माँगा। मछली के वरदान से मछुवे का घर बन गया। मछुवी में लोभ जागा। उसने सोचा घर होने से क्या होगा? धन चाहिए। फिर उसने धन माँगा तो धन मिला पर मछुवी की महत्त्वाकांक्षा बढ़ गई। उसने राजवैभव माँगा। फिर राजवैभव मिल गया।

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उसका लोभ बढ़ा और उसने फिर रानी होने की अभिलाषा रखी। मछुवी राजमहल में रानी बन गई। अति लोभ से मछुवी ने अपने पति से कहलवाकर मछली से – सूर्य, चंद्र, मेघ पर अपने अधिकार में होने की माँग की। मछली ने रुष्ट होकर कहा – “जा – जा अपनी उसी झोपड़ी में रह।”

मछली के इसी शाप से सब समाप्त होकर मछुवा और मछुवी अपनी उसी – टूटी-फूटी झोंपड़ी मे आ गए। कथा समाप्त हो गई।

प्रस्तुत निबंध से लेखक बताना चाहते हैं कि मछुवा और मछुवी की कही कथा सच नहीं थी पर लोगों के मनोरथों की कथा सच है।

महत्त्वाकांक्षा और लोभ शब्दार्थ :

  • रुष्ट = अप्रसन्न, नाराज
  • मनोरथ = इच्छा, कामना
  • व्यग्रता = अधीरता
  • परिणत = रूपांतरित
  • रुष्ट = अप्रसन्न, नाराज (angry),
  • मनोरथ = इच्छा, कामना (desire),
  • व्यग्रता = अधीरता, बैचेनी (anxiety),
  • निर्बुद्धि = अल्पमति, अज्ञानी, नासमझी (ignorance),
  • अप्राप्य = जो प्राप्त नहीं (inaccessible),
  • परिणत = रूपांतरित (converting)

Maharashtra Board Class 11 Hindi परिशिष ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त हिंदी साहित्यकार

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 11th Digest परिशिष ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त हिंदी साहित्यकार Notes, Questions and Answers.

Maharashtra State Board 11th Hindi परिशिष ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त हिंदी साहित्यकार

ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त हिंदी साहित्यकार

साहित्यकार साहित्यिक कृति वर्ष
सुमित्रानंदन पंत चिदंबरा १९६८
रामधारी सिंह ‘दिनकर’ उर्वशी १९७२
‘अज्ञेय’ कितनी नावों में कितनी बार १९७८
महादेवी वर्मा यामा १९८२
नरेश मेहता समग्र साहित्य १९९२
निर्मल वर्मा समग्र साहित्य १९९९
कुँवर नारायण समग्र साहित्य २००५
अमरकांत समग्र साहित्य २००९
श्रीलाल शुक्ल राग दरबारी २००९
केदारनाथ सिंह अकाल में सारस २०१३
कृष्णा सोबती जिंदगीनामा २०१७

Maharashtra Board Class 11 Hindi परिशिष पारिभाषिक शब्दावली

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 11th Digest परिशिष पारिभाषिक शब्दावली Notes, Questions and Answers.

Maharashtra State Board 11th Hindi परिशिष पारिभाषिक शब्दावली

1. बैंक तथा वाणिज्य से संबंधित शब्द

  • Account = लेखा
  • Accountant = लेखापाल
  • Act = अधिनियम Maharashtra Board Class 11 Hindi परिशिष पारिभाषिक शब्दावली
  • Affidavit = शपथपत्र
  • Agreement = अनुबंध/करार
  • Annexure = परिशिष्ट
  • Audit = लेखा परीक्षण
  • Average = औसत
  • Session = सत्र
  • Advocate General = महाधिवक्ता
  • Foreign Exchange = विदेशी विनिमय
  • Fund Sinking = निक्षेप निधि
  • Finance Commissioner = वित्त आयुक्त
  • Deduction = कटौती
  • Dividend = लाभांश
  • Domicile Certificate = अधिवास प्रमाणपत्र
  • Draft = मसौदा/प्रारूप
  • Gazette = राजपत्र
  • Investment = निवेश
  • Management = प्रबंधन
  • Revenue = राजस्व
  • Clearing = समाशोधन
  • Attestation = साक्ष्यांकन
  • Cheque = धनादेश (चैक)
  • Advance = अग्रिम
  • Capital = पूँजी Maharashtra Board Class 11 Hindi परिशिष पारिभाषिक शब्दावली
  • Cashier = रोकड़िया/कोषाध्यक्ष
  • Amount = धनराशि, रकम
  • Custom Duty = सीमा शुल्क
  • Credit Amount = जमा रक्कम
  • Finance Bill = वित्त विधेयक
  • Finance Statement = वित्तीय विवरण
  • Pension = निवृत्ति वेतन
  • Service Charges = सेवा भार
  • Corporation-Tax = नगर निगम कर
  • Trade Mark = व्यापार चिह्न
  • Maharashtra Board Class 11 Hindi परिशिष पारिभाषिक शब्दावली

2. विधि से संबंधित शब्द

  • Bailable Offence = जमानती अपराध
  • Defendent = ufdact
  • Accused = अभियुक्त
  • Bench = न्यायपीठ
  • Show Cause = कारण बताओ
  • Custody (Police) = पुलिस हिरासत
  • Formal Investigation = औपचारिक जाँच
  • Validity = वैधता
  • Advocate General = Halfeta chall
  • Judicial Power = न्यायालयीन अधिकार
  • Ordinance = अध्यादेश

3. प्रशासनिक

  • Chancellor = कुलाधिपति
  • Deputation = प्रतिनियुक्ति
  • Director = निदेशक
  • Surveyor = सर्वेक्षक
  • Supervisor = पर्यवेक्षक
  • Governor = राज्यपाल
  • Secretary = सचिव
  • Eligibility = अर्हता
  • Memorandum = ज्ञापन
  • Notification = अधिसूचना
  • Registrar = कुलसचिव
  • Administration = प्रशासन
  • Commission = आयोग
  • Maharashtra Board Class 11 Hindi परिशिष पारिभाषिक शब्दावली

4. वैज्ञानिक एवं तकनीकी शब्दावली

  • Mechanics = यांत्रिक
  • Gravitation = गुरुत्वाकर्षण
  • Orbit = कक्षा
  • Satellite = उपग्रह
  • Nerve = तंत्रिका
  • Nutrition = पोषण
  • Radiation = विकिरण
  • Tissue = ऊतक
  • Fertility = उर्वरता
  • Genetics = अनुवांशिकी

5. कंप्यूटर (संगणक) विषयक

  • Internet = अंतरजाल
  • Control Section = नियंत्रण अनुभाग
  • Hard Copy = मुद्रित प्रति
  • Storage = भंडार
  • Data = आँकड़ा
  • Software = प्रक्रिया सामग्री
  • Output = निर्गम
  • Screen = प्रपट्ट Maharashtra Board Class 11 Hindi परिशिष पारिभाषिक शब्दावली
  • Network = संजाल
  • Command = समादेश

Maharashtra Board 11th Maths Solutions Chapter 4 Determinants and Matrices Ex 4.6

Balbharti Maharashtra State Board Class 11 Maths Solutions Pdf Chapter 4 Determinants and Matrices Ex 4.6 Questions and Answers.

Maharashtra State Board 11th Maths Solutions Chapter 4 Determinants and Matrices Ex 4.6

Question 1.
Evaluate:
i. \(\left[\begin{array}{l}
3 \\
2 \\
1
\end{array}\right]\left[\begin{array}{lll}
{[2} & -4 & 3
\end{array}\right]\)
ii. \(\left[\begin{array}{lll}
2 & -1 & 3
\end{array}\right]\left[\begin{array}{l}
4 \\
3 \\
1
\end{array}\right]\)
Solution:
i. \(\begin{aligned}
\left[\begin{array}{l}
3 \\
2 \\
1
\end{array}\right]\left[\begin{array}{lll}
2 & -4 & 3
\end{array}\right] &=\left[\begin{array}{lll}
3(2) & 3(-4) & 3(3) \\
2(2) & 2(-4) & 2(3) \\
1(2) & 1(-4) & 1(3)
\end{array}\right] \\
&=\left[\begin{array}{ccc}
6 & -12 & 9 \\
4 & -8 & 6 \\
2 & -4 & 3
\end{array}\right]
\end{aligned}\)

ii. \(\left[\begin{array}{lll}
2 & -1 & 3
\end{array}\right]\left[\begin{array}{l}
4 \\
3 \\
1
\end{array}\right]\)
= [2(4)-1(3)+ 3(1)]
= [8 – 3 + 3] = [8]

Maharashtra Board 11th Maths Solutions Chapter 4 Determinants and Matrices Ex 4.6

Question 2.
If A = \(\left[\begin{array}{cc}
1 & -3 \\
4 & 2
\end{array}\right]\) B = \(\left[\begin{array}{cc}
4 & 1 \\
3 & -2
\end{array}\right]\), = show that AB ≠ BA.
Solution:
Maharashtra Board 11th Maths Solutions Chapter 4 Determinants and Matrices Ex 4.6 1
From (i) and (ii), we get
AB ≠ BA

Question 3.
If A = \(\left[\begin{array}{ccc}
-1 & 1 & 1 \\
2 & 3 & 0 \\
1 & -3 & 1
\end{array}\right]\) ,B = \(\left[\begin{array}{lll}
2 & 1 & 4 \\
3 & 0 & 2 \\
1 & 2 & 1
\end{array}\right]\) state whether AB = BA? Justify your answer.
Solution:
Maharashtra Board 11th Maths Solutions Chapter 4 Determinants and Matrices Ex 4.6 2
Maharashtra Board 11th Maths Solutions Chapter 4 Determinants and Matrices Ex 4.6 3
From (i) and (ii), we get
AB ≠ BA

Question 4.
Show that AB = BA, where
i. A = \(\left[\begin{array}{rrr}
-2 & 3 & -1 \\
-1 & 2 & -1 \\
-6 & 9 & -4
\end{array}\right]\) , B = \(\left[\begin{array}{rrr}
1 & 3 & -1 \\
2 & 2 & -1 \\
3 & 0 & -1
\end{array}\right]\)
ii. A = \(\left[\begin{array}{cc}
\cos \theta & \sin \theta \\
-\sin \theta & \cos \theta
\end{array}\right]\), B = \(\left[\begin{array}{cc}
\cos \theta & -\sin \theta \\
\sin \theta & \cos \theta
\end{array}\right]\)
Solution:
Maharashtra Board 11th Maths Solutions Chapter 4 Determinants and Matrices Ex 4.6 4
From (i) and (ii), we get
AB = BA

Maharashtra Board 11th Maths Solutions Chapter 4 Determinants and Matrices Ex 4.6 5
Maharashtra Board 11th Maths Solutions Chapter 4 Determinants and Matrices Ex 4.6 6
From (i) and (ii), we get
AB = BA
[Note: The question has been modified.]

Maharashtra Board 11th Maths Solutions Chapter 4 Determinants and Matrices Ex 4.6

Question 5.
If A = \(\left[\begin{array}{cc}
4 & 8 \\
-2 & -4
\end{array}\right]\), prove that A2 = 0.
Solution:
A2 = A.A
= \(\left[\begin{array}{cc}
4 & 8 \\
-2 & -4
\end{array}\right]\left[\begin{array}{cc}
4 & 8 \\
-2 & -4
\end{array}\right]\)
= \(\left[\begin{array}{cc}
16-16 & 32-32 \\
-8+8 & -16+16
\end{array}\right] \)
= \(\left[\begin{array}{ll}
0 & 0 \\
0 & 0
\end{array}\right]\) = 0

Question 6.
Verify A(BC) = (AB)C in each of the following cases:
i. A = \(=\left[\begin{array}{cc}
4 & -2 \\
2 & 3
\end{array}\right]\), B = \(\left[\begin{array}{cc}
-1 & 1 \\
3 & -2
\end{array}\right]\) and C = \(\left[\begin{array}{cc}
4 & 1 \\
2 & -1
\end{array}\right]\)
ii. A = \(\left[\begin{array}{ccc}
1 & -1 & 3 \\
2 & 3 & 2
\end{array}\right]\), B = \(\left[\begin{array}{cc}
1 & 0 \\
-2 & 3 \\
4 & 3
\end{array}\right]\) and C = \(\left[\begin{array}{cc}
1 & 2 \\
-2 & 0 \\
4 & -3
\end{array}\right]\)
Solution:
Maharashtra Board 11th Maths Solutions Chapter 4 Determinants and Matrices Ex 4.6 i
Maharashtra Board 11th Maths Solutions Chapter 4 Determinants and Matrices Ex 4.6 7
Maharashtra Board 11th Maths Solutions Chapter 4 Determinants and Matrices Ex 4.6 8
From (i) and (ii), we get
A(BC) = (AB)C.

Maharashtra Board 11th Maths Solutions Chapter 4 Determinants and Matrices Ex 4.6 9

Maharashtra Board 11th Maths Solutions Chapter 4 Determinants and Matrices Ex 4.6

Question 7.
Verify that A(B + C) = AB + AC in each of the following matrices:
i. A = \(\left[\begin{array}{cc}
4 & -2 \\
2 & 3
\end{array}\right]\), B = \(\left[\begin{array}{cc}
-1 & 1 \\
3 & -2
\end{array}\right]\) and C = \(=\left[\begin{array}{cc}
4 & 1 \\
2 & -1
\end{array}\right]\)
ii. A = \(\left[\begin{array}{ccc}
1 & -1 & 3 \\
2 & 3 & 2
\end{array}\right]\), B = \(\left[\begin{array}{cc}
1 & 0 \\
-2 & 3 \\
4 & 3
\end{array}\right]\) and C = \(\left[\begin{array}{cc}
1 & 2 \\
-2 & 0 \\
4 & -3
\end{array}\right]\)
Solution:
Maharashtra Board 11th Maths Solutions Chapter 4 Determinants and Matrices Ex 4.6 10
From (i) and (ii), we get
A(B + C) = AB + AC.
[Note: The question has been modified.]
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Question 8.
If A = \(\left[\begin{array}{cc}
1 & -2 \\
5 & 6
\end{array}\right]\), B = \(\left[\begin{array}{cc}
3 & -1 \\
3 & 7
\end{array}\right]\), find AB – 2I, where I is unit matrix of order 2.
Solution:
Maharashtra Board 11th Maths Solutions Chapter 4 Determinants and Matrices Ex 4.6 13

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Question 9.
If A = \(\left[\begin{array}{ccc}
4 & 3 & 2 \\
-1 & 2 & 0
\end{array}\right]\), B = \(\left[\begin{array}{cc}
1 & 2 \\
-1 & 0 \\
1 & -2
\end{array}\right]\), show that matrix AB is non singular.
Solution:
im
∴ AB is non-singular matrix.

Question 10.
If A = \(\), find the product (A + I)(A – I).
Solution:
Maharashtra Board 11th Maths Solutions Chapter 4 Determinants and Matrices Ex 4.6 14

[Note : Answer given in the textbook is \(\left[\begin{array}{ccc}
9 & 6 & 4 \\
15 & 32 & -2 \\
35 & -7 & 29
\end{array}\right]\)
However, as per our calculation it is \(\left[\begin{array}{ccc}
10 & 10 & 4 \\
25 & 39 & 2 \\
35 & 7 & 22
\end{array}\right]\). ]

Question 11.
If A = \(\left[\begin{array}{ll}
\alpha & 0 \\
1 & 1
\end{array}\right]\), B = \(\left[\begin{array}{ll}
1 & 0 \\
2 & 1
\end{array}\right]\), find α, if A2 = B.
Solution:
A2 = B
Maharashtra Board 11th Maths Solutions Chapter 4 Determinants and Matrices Ex 4.6 15
∴ By equality of matrices, we get
α2 = 1 and α + 1 = 2
∴ α = ± 1 and α = 1
∴ α = 1

Question 12.
If A = \(\left[\begin{array}{lll}
1 & 2 & 2 \\
2 & 1 & 2 \\
2 & 2 & 1
\end{array}\right]\), show that A2 – 4A is scalar matrix.
Solution:
A2 – 4A = A.A – 4A
Maharashtra Board 11th Maths Solutions Chapter 4 Determinants and Matrices Ex 4.6 16

Question 13.
If A = \(\left[\begin{array}{cc}
1 & 0 \\
-1 & 7
\end{array}\right]\), find k so that A2 – 8A – kI = O, where I is a unit matrix and O is a null matrix of order 2.
Solution:
A2 – 8A – kI = O
∴ A.A – 8A – kI = O
Maharashtra Board 11th Maths Solutions Chapter 4 Determinants and Matrices Ex 4.6 17
∴ by equality of matrices, we get
1 – 8 – k = 0
∴ k = -7

Maharashtra Board 11th Maths Solutions Chapter 4 Determinants and Matrices Ex 4.6

Question 14.
If A = \(\left[\begin{array}{cc}
8 & 4 \\
10 & 5
\end{array}\right]\), B = \(\left[\begin{array}{cc}
5 & -4 \\
10 & -8
\end{array}\right]\), show that (A+B)2 = A2 + AB + B2.
Solution:
We have to prove that (A + B)2 = A2 + AB + B2,
i.e., to prove A2 + AB + BA + B2 = A2 + AB + B2,
i.e., to prove BA = 0.
BA = \(\left[\begin{array}{cc}
5 & -4 \\
10 & -8
\end{array}\right]\left[\begin{array}{cc}
8 & 4 \\
10 & 5
\end{array}\right]\)
\(\left[\begin{array}{cc}
40-40 & 20-20 \\
80-80 & 40-40
\end{array}\right]=\left[\begin{array}{ll}
0 & 0 \\
0 & 0
\end{array}\right]\)

Question 15.
If A = \(\left[\begin{array}{cc}
3 & 1 \\
-1 & 2
\end{array}\right]\), prove that A2 – 5A + 7I = 0, where I is unit matrix of order 2.
Solution:
A2 – 5A + 7I = 0 = A.A – 5A + 7I = 0
Maharashtra Board 11th Maths Solutions Chapter 4 Determinants and Matrices Ex 4.6 18

Question 16.
If A = \(\left[\begin{array}{cc}
3 & 4 \\
-4 & 3
\end{array}\right]\) and B = \(\left[\begin{array}{cc}
2 & 1 \\
-1 & 2
\end{array}\right]\), show that (A + B)(A – B) = A2 – B2.
Solution:
We have to prove that (A + B)(A – B) = A2 – B2,
i.e., to prove A2 – AB + BA – B2 = A2 – B2,
i.e., to prove – AB + BA = 0,
i.e., to prove AB – BA.
Maharashtra Board 11th Maths Solutions Chapter 4 Determinants and Matrices Ex 4.6 19
From (i) and (ii), we get AB = BA

Question 17.
If A = \(\left[\begin{array}{cc}
1 & 2 \\
-1 & -2
\end{array}\right]\), B = \(\left[\begin{array}{cc}
2 & a \\
-1 & b
\end{array}\right]\) and (A + B)2 = A2 + B2, find the values of a and b.
Solution:
Given, (A + B)2 = A2 + B2
∴ A2 + AB + BA + B2 = A2 + B2
∴ AB + BA = 0
∴ AB = -BA
Maharashtra Board 11th Maths Solutions Chapter 4 Determinants and Matrices Ex 4.6 20
∴ by equality of matrices, we get
– 2 + a = 0 and 1 + b = 0
a = 2 and b = -1
[Note: The question has been modified.]

Question 18.
Find matrix X such that AX = B,
where A = \(\left[\begin{array}{cc}
1 & -2 \\
-2 & 1
\end{array}\right]\) and B = \(\left[\begin{array}{c}
-3 \\
-1
\end{array}\right]\)
Solution:
Let X = \(\left[\begin{array}{c}
a \\
b
\end{array}\right]\)
But AX = B
∴ \(\left[\begin{array}{cc}
1 & -2 \\
-2 & 1
\end{array}\right]\left[\begin{array}{l}
\mathrm{a} \\
\mathrm{b}
\end{array}\right]=\left[\begin{array}{r}
-3 \\
-1
\end{array}\right]\)
∴ \(\left[\begin{array}{c}
a-2 b \\
-2 a+b
\end{array}\right]=\left[\begin{array}{l}
-3 \\
-1
\end{array}\right]\)
By equality of matrices, we get
a – 2b = -3 …(i)
-2a + b = -l …(ii)
By (i) x 2 + (ii), we get
-3b =-7
∴ b = \(\frac{7}{3}\)
Substituting b = \(\frac{7}{3}\) in (i), we get
a – 2 (\(\frac{7}{3}\)) = -3
∴ a = -3 + \(\frac{14}{3}=\frac{5}{3}\)
∴ X = \(\left[\begin{array}{l}
\frac{5}{3} \\
\frac{7}{3}
\end{array}\right]\)

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Question 19.
Find k, if A = \(\left[\begin{array}{ll}
3 & -2 \\
4 & -2
\end{array}\right]\) and A2 = KA – 2I
Solution:
A2 = kA – 2I
∴ AA + 2I = kA
Maharashtra Board 11th Maths Solutions Chapter 4 Determinants and Matrices Ex 4.6 21
∴ \(\left[\begin{array}{ll}
3 & -2 \\
4 & -2
\end{array}\right]=\left[\begin{array}{ll}
3 k & -2 k \\
4 k & -2 k
\end{array}\right]\)
∴ By equality of matrices, we get
3k = 3
∴ k = 1

Question 20.
Find x, if \(\left[\begin{array}{lll}
1 & x & 1
\end{array}\right]\left[\begin{array}{ccc}
1 & 2 & 3 \\
4 & 5 & 6 \\
3 & 2 & 5
\end{array}\right]\left[\begin{array}{c}
1 \\
-2 \\
3
\end{array}\right]\) = 0
Solution:
Maharashtra Board 11th Maths Solutions Chapter 4 Determinants and Matrices Ex 4.6 22
∴ [6 + 12x + 14] =[0]
∴ By equality of matrices, we get
∴ 12x + 20 = 0
∴ 12x =-20
∴ x = \(\frac{-5}{3}\)

Question 21.
Find x and y, if \(\left\{4\left[\begin{array}{ccc}
2 & -1 & 3 \\
1 & 0 & 2
\end{array}\right]-\left[\begin{array}{ccc}
3 & -3 & 4 \\
2 & 1 & 1
\end{array}\right]\right\}\left[\begin{array}{c}
2 \\
-1 \\
1
\end{array}\right]=\left[\begin{array}{l}
x \\
y
\end{array}\right]\)
Solution:
Maharashtra Board 11th Maths Solutions Chapter 4 Determinants and Matrices Ex 4.6 23
∴ By equality of matrices, we get
x = 19 andy = 12

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Question 22.
Find x, y, z if
\(\left\{3\left[\begin{array}{ll}
2 & 0 \\
0 & 2 \\
2 & 2
\end{array}\right]-4\left[\begin{array}{cc}
1 & 1 \\
-1 & 2 \\
3 & 1
\end{array}\right]\right\}\left[\begin{array}{l}
1 \\
2
\end{array}\right]=\left[\begin{array}{c}
x-3 \\
y-1 \\
2 z
\end{array}\right]\)
Solution:
Maharashtra Board 11th Maths Solutions Chapter 4 Determinants and Matrices Ex 4.6 24
∴ By equality of matrices, we get
x – 3 = -6,y – 1 = 0, 2z = -2
∴ x = – 3, y = 1, z = – 1

Question 23.
If A = \(\left[\begin{array}{cc}
\cos \alpha & \sin \alpha \\
-\sin \alpha & \cos \alpha
\end{array}\right]\) show that A2 = \(=\left[\begin{array}{cc}
\cos 2 \alpha & \sin 2 \alpha \\
-\sin 2 \alpha & \cos 2 \alpha
\end{array}\right]\)
Solution:
Maharashtra Board 11th Maths Solutions Chapter 4 Determinants and Matrices Ex 4.6 25

Question 24.
If A = \(\left[\begin{array}{ll}
1 & 2 \\
3 & 5
\end{array}\right]\), B = \(\left[\begin{array}{cc}
0 & 4 \\
2 & -1
\end{array}\right]\)
show that AB ≠ BA, but |AB| = |A| . |B|.
Solution:
AB = \(\left[\begin{array}{ll}
1 & 2 \\
3 & 5
\end{array}\right]\left[\begin{array}{cc}
0 & 4 \\
2 & -1
\end{array}\right]\)
Maharashtra Board 11th Maths Solutions Chapter 4 Determinants an6d Matrices Ex 4.6 2
Now, |AB| = \(\left|\begin{array}{cc}
4 & 2 \\
10 & 7
\end{array}\right|\) = 28 – 20 = 8
|A| = \(\left|\begin{array}{ll}
1 & 2 \\
3 & 5
\end{array}\right|\) = 5 – 6 = -1
|B| = \(\left|\begin{array}{cc}
0 & 4 \\
2 & -1
\end{array}\right|\) = 0 – 8 = -8
∴ |A| . |B| = (-1).(-8) = 8 = |AB|
∴ AB ≠ BA, but |AB| = |A|.|B|

Maharashtra Board 11th Maths Solutions Chapter 4 Determinants and Matrices Ex 4.6

Question 25.
Jay and Ram are two friends in a class. Jay wanted to buy 4 pens and 8 notebooks, Ram wanted to buy 5 pens and 12 notebooks. Both of them went to a shop. The price of a pen and a notebook which they have selected was 6 and ₹ 10. Using matrix multiplication, find the amount required from each one of them.
Solution:
Let A be the matrix of pens and notebooks and B be the matrix of prices of one pen and one notebook.
Maharashtra Board 11th Maths Solutions Chapter 4 Determinants and Matrices Ex 4.6 27
The total amount required for each one of them is obtained by matrix AB.
Maharashtra Board 11th Maths Solutions Chapter 4 Determinants and Matrices Ex 4.6 28
∴ Jay needs ₹ 104 and Ram needs ₹ 150.

Maharashtra Board Class 11 Hindi परिशिष रेडियो जॉकी और रेडियो संहिता

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 11th Digest परिशिष रेडियो जॉकी और रेडियो संहिता Notes, Questions and Answers.

Maharashtra State Board 11th Hindi परिशिष रेडियो जॉकी और रेडियो संहिता

रेडियो जॉकी

Maharashtra Board Class 12 Hindi परिशिष रेडियो जॉकी और रेडियो संहिता 1

Maharashtra Board Class 11 Hindi परिशिष रेडियो जॉकी और रेडियो संहिता

रेडियो संहिता

रेडियो श्राव्य माध्यम है। इसलिए श्राव्य माध्यम के अनुकूल संहिता होती है। इसमें शब्दों के साथ ध्वनि संकेत, ठहराव, मौन, अंतराल आदि के संकेत भी होने चाहिए। गीत– संगीत के बीच में चलनेवाली आर.जे. की बातचीत कम शब्दों में रोचक, चटपटी और मिठास भरी होनी चाहिए।

भाषा प्रवाहमयी हो। शब्द सरल हों। संहिता लयात्मकता के साथ कार्यक्रम को आगे बढ़ाने में सहायक होनी चाहिए। रेडियो संहिता के तीन हिस्से होते हैं। आरंभ, मध्य और अंत। आरंभ जितना आकर्षक, उतना ही अंत भी आकर्षक होना चाहिए। मध्य में विषयवस्तु कार्यक्रम की लंबाई पर निर्भर है।

हिंदी में रेडियो चैनल के लिए जो संहिता होती है, वह बहुत ही सधी हुई होती है। रेडियो की लोकप्रियता का सबसे बड़ा कारण है – कार्यक्रमों की प्रस्तुति, संयोजन और भाषा का नयापन। संहिता की भाषा गतिशील और अनौपचारिक होनी चाहिए।

Maharashtra Board Class 11 Hindi परिशिष रेडियो जॉकी और रेडियो संहिता

कुछ चैनलों पर जिस हिंदी भाषा का प्रयोग किया जाता है वह ‘प्रोमो’ हिंदी है। ‘प्रोमो’। अर्थात ‘पोस्ट मॉडर्न’ – उत्तर आधुनिक हिंदी। इस हिंदी भाषा में चुलबुलापन, मसखरापन, मस्ती और लय होती है। इसकी अपनी एक अलग पहचान है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 13 नक्कड़ नाटक (अ) मौसम (आ) अनमोल जिंदगी

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 11th Digest Chapter 13 नक्कड़ नाटक (अ) मौसम (आ) अनमोल जिंदगी Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Maharashtra State Board 11th Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 13 नक्कड़ नाटक (अ) मौसम (आ) अनमोल जिंदगी

11th Hindi Digest Chapter 13 नक्कड़ नाटक (अ) मौसम (आ) अनमोल जिंदगी Textbook Questions and Answers

विधा पर आधारित

1.
प्रश्न अ.
सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए –

(a) लिखिए :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 13 नक्कड़ नाटक (अ) मौसम (आ) अनमोल जिंदगी 1
उत्तर :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 13 नक्कड़ नाटक (अ) मौसम (आ) अनमोल जिंदगी 13

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 13 नक्कड़ नाटक (अ) मौसम (आ) अनमोल जिंदगी

(b) नुक्कड़ नाटक के विषय
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 13 नक्कड़ नाटक (अ) मौसम (आ) अनमोल जिंदगी 2
उत्तर :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 13 नक्कड़ नाटक (अ) मौसम (आ) अनमोल जिंदगी 15

(c) नुक्कड़ नाटक के उपयोग
(क) …………………………..
(ख) …………………………..
(ग) …………………………..
उत्तर :
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प्रश्न 2.
नुक्कड़ नाटक की विशेषताएँ तथा स्पष्टीकरण

(1) विशेषता : ………………………………..
स्पष्टीकरण : ………………………………..

(2) विशेषता : ………………………………..
स्पष्टीकरण : ………………………………..

(3) विशेषता : ………………………………..
स्पष्टीकरण : ………………………………..

(4) विशेषता : ………………………………..
स्पष्टीकरण : ………………………………..

(5) विशेषता : ………………………………..
स्पष्टीकरण : ………………………………..

(6) विशेषता : ………………………………..
स्पष्टीकरण : ………………………………..
उत्तर :
(1) विशेषता : तात्कालिकता
स्पष्टीकरण: यह नाटक किसी भी तात्कालिक समस्या को प्रस्तुत करता है।

(2) विशेषता : गतिशीलता
स्पष्टीकरण : नाटक में पात्र, विषय, दर्शक तेजी से गंतव्य की ओर बढ़ते हैं।

(3) विशेषता : अचूक लक्ष्य
स्पष्टीकरण : यह हथियार की तरह समस्या को खत्म करता है।

(4) विशेषता : संक्षिप्तता
स्पष्टीकरण : नाटक में लंबे संवाद, विषय विस्तार नहीं होता है।

(5) विशेषता : सहज भाषा
स्पष्टीकरण : नाटक की भाषा सहज, स्वाभाविक और रोचक होती है।

(6) विशेषता : व्यंग्य शैली
स्पष्टीकरण : समस्या व्यंग्यात्मक शैली में प्रस्तुत की जाती है।

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नाटक पर आधारित
आकलन

प्रश्न आ.
सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए –
(1) कारण लिखिए

(क) किसान ट्यूबवेल नहीं लगा पाता
(a) ………………………………..
(b) ………………………………..
उत्तर :
(a) पानी का स्तर नीचे चला गया है।
(b) बिजली नहीं होती है।

(ख) पूरा शहर स्विमिंग पुल बन जाता है
(a) ………………………………..
(b) ………………………………..
उत्तर :
(a) कूड़ा-कचरा और प्लास्टिक का नालों में अटकना
(b) सीवर की निकासी रुकना।

प्रश्न 2.
लिखिए –
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 13 नक्कड़ नाटक (अ) मौसम (आ) अनमोल जिंदगी 3
उत्तर :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 13 नक्कड़ नाटक (अ) मौसम (आ) अनमोल जिंदगी 19
(ख) विकास के नाम पर किया गया
(1) प्रकृति का – ………………………………..
(2) जमीन को – ………………………………..
(3) हवा को – ………………………………..
उत्तर :
(1) प्रकृति का – दोहन / शोषण
(2) जमीन को – वंजर
(3) हवा को – दूषित

(ग) ए.सी. से निकलने वाली गैस से यह होता है ………………………………..
उत्तर :
ओजोन की परत में छेद होता है।

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प्रश्न 3.
उत्तर लिखिए

(क) माँ अपने बेटे के लिए खून नहीं खरीद सकी
(1) ………………………………..
(2) ………………………………..
उत्तर :
(1) जो पैसे आते हैं, दवाई में खर्च होते हैं।
(2) जो बचते हैं स्कूल की फीस में खर्च होते हैं।

(ख) संजाल पूर्ण कीजिए
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उत्तर :
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अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
बंजर होती जा रही खेती को बचाने के उपाय अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
आज के जमाने में हर किसान खेती में कीटनाशकों का प्रयोग करता है। खेती में यूरिया, रासायनिक खाद, कीटनाशकों के उपयोग से जमीन की तह तक रसायन के फैलने से जमीन बंजर हो रही है। जमीन के अलावा फल, फसल भी रसायनयुक्त होने से बीमारियाँ फैला रहे हैं।

अगर जमीन को बंजर होने से बचाना है तो जरूरी है कि किसान रासायनिक खाद का नहीं, सेंद्रिय खाद का ही उपयोग करें। बार-बार एक ही फसल ना लें। दो-तीन साल बाद एक नई फसल लेने से जमीन को बंजर होने से बचाया जा सकता है। इस दृष्टि से किसानो में जागरूकता निर्माण करनी चाहिए।

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प्रश्न 2.
‘जल संवर्धन आज की आवश्यकता’ इस विषय पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
‘जल है तो कल है’ यह आज सबको ध्यान रखना चाहिए। लोग कूपनलिका द्वारा जमीन के अंदर का पानी खींचते हैं जिससे भूजल समाप्त हो रहा है। जमीन पर नदी, तालाब या कुआँ इनमें जो पानी का संचय है उसे हमने प्रदूषित किया है। अत: दिन-ब-दिन पानी की समस्या सता रही है।

चेन्नई में पानी की कमी के बारे में हमने पढ़ा है। सारे जग में ही पानी की समस्या इतनी है कि तीसरा महायुद्ध पानी के कारण ही हो सकता है। अत: जरूरत है पानी का संचय तथा संवर्धन करने की। बारिश का पानी बचाने के लिए ‘रेन वॉटर हार्वेस्टिंग’ की सख्ती बरतना जरूरी है।

भूजल को सुरक्षित रखने के लिए पानी खिंचाव टालना चाहिए। पानी का मनुष्यों द्वारा होनेवाला प्रदूषण रोकना यह हमारे बस की बात है। जिसके लिए जागरूकता निर्माण करना आवश्यक है। ‘नदी-जोड़ प्रकल्प’ पर भी गंभीरता से विचार जरूरी है। इसप्रकार अनेक प्रकार के उपायों से हम ‘जल-संवर्धन’ कर सकेंगे।

प्रश्न 3.
‘ब्लड बैंक समय की माँग’ इस विषय पर स्वमत लिखिए।
उत्तर :
‘रक्तदान परम दान’ कहा जाता है। अन्न दान, संपत्ति दान करके लोग दुआ प्राप्त करते हैं। किंतु सबसे अधिक दुआएँ तभी मिलेगी जब हम किसी को जीवनदान दे पाएँ। रक्तदान से हम किसी का जीवन बचा सकते हैं। रोज हजारों-लाखों लोगों को रक्तदान की जरूरत होती है।

किसी को दुर्घटना की वजह से, किसी को बीमारी के कारण, किसी को कमजोरी के कारण रक्त की जरूरत पड़ती है। अगर हम अपना खून दान में देते हैं तो उसे ब्लड बैंक में सुरक्षित रखा जाता है और जिसको जिस प्रकार के खून की जरूरत है, उस ब्लड ग्रुप का खून विशिष्ट कीमत लेकर दिया जाता है।

ब्लड बैंक मानो उन लोगों के लिए वरदान साबित होता है। ब्लड बैंक न होने से उनकी-शायद मौत हो जाती। अत: जगह-जगह ब्लड बैंक खुलवाना यही समय की माँग है।

प्रश्न 4.
‘रक्त की कालाबाजारी : एक अभिशाप’ अपना मत लिखिए।
उत्तर :
अनाज, गैस इन जैसी कुछ चीजों की कालाबाजारी का नाम सुना था किंतु रक्त की कालाबाजारी यह नहीं सुना था। दुर्भाग्य से यह सच हैं कि कुछ लोग रक्त की कालाबाजारी करके गरीबों को मृत्यु के मुँह में धकेलते हैं। जिस समाज में किसी की जिंदगी बचाने वाले के लिए बार-बार अपना खून दान देने वाले उदार हृदय लोग हैं, उसी समाज में रक्त की कालाबाजारी करके उसे मुँह माँगे दाम में, अमीरों को बेचने वाले कठोरहृदयी निर्मम लोग भी हैं।

ऐसे लोग खून बेचने का व्यवसाय करते हैं, रैकेट चलाते हैं। इनके एजंट लोग झूठ बोलकर इस रैकेट के लोगों का फायदा करवा देते हैं। जो खून सहजता से नहीं मिलता। उसके लिए गरीबों को उस रक्तगट के रक्त की कमी के नाम पर बहुत इंतजार करना पड़ता है। परंतु पैसा देकर अमीर वर्ग जब चाहे, जैसा चाहे और जितना चाहे खून प्राप्त कर सकता है। यह कालाबाजारी अमीर-गरीब के बीच का फासला बढ़ाती है। सचमुच रक्त की कालाबाजारी एक भयानक अभिशाप है।

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लघूत्तरी

प्रश्न 1.
‘मौसम’ नुक्कड़ नाटक में वर्णित समस्याओं पर प्रकाश डालिए।
उत्तर :
अरविंद गौड़ लिखित ‘मौसम’ इस नुक्कड़ नाटक में मानव जीवन से संबंधित विभिन्न सामयिक समस्याओं पर प्रकाश डाला है। मनुष्य भौतिक विकास के नाम पर प्रकृति से छेड़छाड़ कर रहा है, इससे ऋतु चक्र में अनियमितता आ गई है। कहीं धुआँधार बारिश तो कहीं बारिश की कमी।

मनुष्य पानी की प्लास्टिक बोतलें, प्लास्टिक थालियाँ, अन्य चीजें रास्ते पर फेंकता है जो नाले में अटक जाती हैं। नाले की निकासी रुकने से जरा-सी भी बारिश के बाद पानी भर जाता है। कारखानों का मैला, दूषित पानी नदी में छोड़ने से पानी दूषित हो जाता है।

नदी में रहने वाले जीव जंतुओं का अस्तित्व भी खतरे में है। कीटकनाशकों के उपयोग से जमीन बरबाद हो रही है। इस प्रकार पानी का प्रदूषण, पानी की कमी, जमीन का प्रदूषण, मौसम की अनियमितता, जीव जंतुओं का विनाश, गरीबों पर होने वाला परिणाम इन अनेक समस्याओं का विविध दृश्यों के माध्यम से वर्णन किया गया है।

प्रश्न 2.
‘विकास का सीधा असर पड़ता है लोगों की जिंदगी पर’, इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
आधुनिक युग यंत्र युग कहलाता है। यंत्रयुग में रोज नए यंत्र, मशीन और इन मशीनों को चलाने वाले कारखाने, निर्माण होते हैं। इन कारखानों में काम करने वाले मजदूरों को स्कीन कैंसर जैसी अन्य अनेक बीमारियों से जूझना पड़ता है। कारखानों से निकलने वाला मैला रसायनिक पानी नदी में छोड़ा जाता है। इस कारण नदी में रहने वाली मछलियाँ, अन्य जीवजंतु मर जाते हैं। इन मछलियों को पकड़कर अपना जीवन निर्वाह करने वाले मछुआरों पर मछली न मिलने से भूखा मरने की नौबत आती है।

खेती में कीटकनाशकों के उपयोग से खेती बंजर हो रही है। कीटकनाशकों का उपयोग करके खेती में आई फसल, फल, सब्जियाँ खाकर भी लोगों को रोज नई बीमारी का सामना करना पड़ता है।

वाहन, कारखाने, घर, ऑफिस में लगाए गए ए.सी., फ्रीज आदि से निकलने वाली गैस ओजोन गैस की परत में छेद करता है। इससे बढ़ती ग्लोबल वार्मिंग की समस्या से पूरा जग परेशान है।

किसान, मछुवारे, आदिवासी जैसे सामान्य जन जिनकी जिंदगी प्रकृति पर निर्भर है तथा मजदूर जो यंत्रयुग का शिकार है इन सबकी जिंदगी के विकास पर सीधा बुरा असर पड़ रहा है।

प्रश्न 3.
‘रक्तदान करना हमारा उत्तरदायित्व हैं’, नाटक के आधार पर लिखिए।
उत्तर :
अरविंद गौड़ लिखित नुक्कड़ नाटक ‘अनमोल जिंदगी’ में रक्तदान का महत्त्व बताया है। रक्तदान न करने के पीछे लोगों के मन में जो गलतफहमियाँ हैं उन्हें दूर करते हुए रक्तदान के लिए लोगों को प्रेरित किया है। समाज में हजारों-लाखों मनुष्यों की मृत्यु सिर्फ उन्हें समय पर उचित रक्त न मिलने से होती है।

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रास्ते पर वाहन चलाते समय एक्सीडेंट होता है, किसी को गंभीर बीमारी में खून की जरूरत होती है तो कभी किसी नारी को प्रसव के दौरान खून के अति बहाव के कारण रक्त की जरूरत होती है। इन सभी प्रसंगो में समय पर उचित रक्त प्राप्त हो जाए तो इन लोगों की जिंदगी बचाई जा सकती है। इनकी जिंदगी को बचाने का परम कल्याण का काम हमारे हाथ से हो सकता है अगर हम रक्तदान करेंगे तो।

अन्य किसी भी दान से यह दान महत्त्वपूर्ण है। रक्तदान ही जीवनदान है, अत: रक्तदान करना हमारा उत्तरदायित्व है। हर व्यक्ति अगर रक्तदान करेंगे तो हमें जाने-अनजाने में ही जरूरतमंदों की सेवा का पुण्य मिलेगा। यह हमारा नैतिक कर्तव्य है कि हम रक्तदान करें। रक्तदान ही मानवता की सेवा है।

प्रश्न 4.
रक्तदान के लिए सामाजिक जागृति की आवश्यकता’, नाटक के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
आज हम 21 वीं सदी में जी रहे हैं। हर क्षेत्र में उन्नति कर रहे हैं। पुराने काल में लोग स्कूल-कॉलेज में नहीं जाते थे। अनपढ़ लोगों के मन में कई अंधविश्वास थे। परंतु आज पढ़े-लिखे लोगों में भी काफी अंधविश्वास मौजूद हैं।

रक्तदान को लेकर भी समाज में काफी गलतफहमियाँ फैली हुई हैं। इन्हें दूर करने के लिए सामाजिक जागृति की आवश्यकता है। लोग ऐसा मानते हैं कि रक्तदान करने से कमजोरी बढ़ेगी, हाइट-बॉड़ी कम हो जाएगी।

लड़कियों को तो रक्तदान ही नहीं करना चाहिए। टॅटू निकालने के बाद रक्तदान नहीं करना चाहिए, ये सब गलतफहमियाँ होने से लोग रक्तदान करने से कतराते हैं। कुछ लोगों को अपने खानदान पर इतना गर्व होता है कि वे लोग अपना शाही खून किसी दूसरे को देने का विचार भी नहीं करते।

वास्तविक रूप से खून का शाही खून, सामान्य खून ऐसे कोई प्रकार नहीं होते हैं। खून में कोई खानदान, जातिपाति, धर्म-वंश, देश-विदेश का भेदभाव नहीं होता है। दुनिया के किसी भी कोने का कोई भी आदमी सिर्फ ब्लड ग्रुप मिलने पर रक्त पाकर जीवनदान पा सकता है।

रक्तदान देने से हमारे शरीर पर कोई भी बुरा असर नहीं होता है। ‘रक्तदान ही मानवता का दूसरा नाम है’ यह जागरूकता लोगों में निर्माण करना यह भी एक बड़ा सामाजिक कार्य है।

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Yuvakbharati Hindi 11th Textbook Solutions Chapter 13 नक्कड़ नाटक (अ) मौसम (आ) अनमोल जिंदगी Additional Important Questions and Answers

कृतिपत्रिका
(अ) निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ पूर्ण कीजिए :

गद्यांश : पति : आज भी, एक भी मछली नहीं फँसी। …………………………………… प्रदूषित कर रखा है। (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 71 दृश्य – 7)

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए :
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उत्तर:
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प्रश्न 2.
कारण लिखिए :
(i) मछुआरों के जाल में मछली नहीं फँसी क्योंकि –
(1) ……………………………………………….
(2) ……………………………………………….
उत्तर :
(1) नदी के किनारे वाले प्लांट सारा जहरीला पानी बहा देते हैं उससे मछलियाँ मर गई।
(2) उद्योगों की वजह से मछलियाँ खत्म हो गई हैं।

प्रश्न 3.
पर्यायवाची शब्द गद्यांश से ढूँढकर लिखिए :
उत्तर :
(1) जल – पानी
(2) वृक्ष – पेड़
(3) मीन – मछली
(4) क्षीर – दूध

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प्रश्न 4.
जल प्रदूषण, इस विषय पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
आधुनिक जमाने में मनुष्य विकास के नाम पर प्राकृतिक संसाधनों का विनाश कर रहा है। रोज नए उद्योग या कारखाने निर्माण हो रहे हैं जिनसे निकलता हुआ दूषित पानी बिना किसी प्रक्रिया के नदियों में मिलाया जाता है। इससे होने वाला जल प्रदूषण मनुष्य पर ही नहीं पानी में रहने वाले जीव-जंतुओं पर भी गंभीर परिणाम कर रहा है।

मनुष्य त्योहारों के बाद मूर्तियाँ पानी में विसर्जित करता है, उससे भी पानी प्रदूषित हो जाता है। लोग पानी में कूड़ा-कचरा, प्लास्टिक की चीजें फेंकते हैं। जानवर, वाहन, कपड़े वे धोकर नदी का पानी प्रदूषित कर देते हैं। जो पानी ‘जीवन’ देने वाला है वही पानी प्रदूषण के कारण मृत्यु’ का कारण बन जाता है। अत: पानी की रक्षा करना, उसका प्रदूषण रोकना हमारी जिम्मेदारी है। ‘जल है तो कल है’ यह सभी को याद रखना चाहिए।

(आ) निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ पूर्ण कीजिए :

गद्यांश : प्रश्न 1 : मैडम हमें क्यों बदनाम किया जा …………………………………… लोग बीमार पड़ रहे हैं। (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 73)

प्रश्न 1.
प्रवाह तालिका पूर्ण कीजिए :
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उत्तर :
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प्रश्न 2.
कारण लिखिए :
(i) लोग बीमार पड़ रहे हैं क्योंकि ……………………………………
उत्तर :
लोग बीमार पड़ रहे हैं क्योंकि खेत में यूरिया डालने की वजह से सब्जियों में केमिकल आ रहा है।

(ii) जमीन बंजर हो रही है क्योंकि ……………………………………
उत्तर :
जमीन बंजर हो रही हैं क्योंकि दवा, यूरिया, कीटनाशकों का अच्छी फसल उगाने के लिए धडल्ले से प्रयोग हो रहा है।

प्रश्न 3.
शब्द समूह से मेल न खाने वाले शब्द को ढूँढ़कर लिखिए :
उत्तर :
(i) जहर, विष, अमृत, गरल – अमृत
(ii) हवा, मरूत, समीर, व्योम – व्योम
(iii) पानी, शून्य, तोय, सलिल – शून्य
(iv) आनन, देह, शरीर, गात – आनन

प्रश्न 4.
पर्यावरण की रक्षा हेतु उपाय सुझाइए।
उत्तर :
आज सारी दुनिया प्रदूषण से पीड़ित है। मनुष्य, पेड़, पशु-पक्षी जहरीली हवा में साँस लेने के लिए मजबूर है। हम सबके अस्तित्व पर ही प्रश्न चिह्न लगा है। समय रहते हमें प्रदूषण कम करने के लिए कमर कस लेनी चाहिए और पर्यावरण रक्षा का बेड़ा उठाना चाहिए।

हमें अधिक से अधिक वृक्षारोपण करना चाहिए और उनका संवर्धन करना चाहिए। अंधाधुंध जंगलों की सफाई (वृक्ष काटने से तात्पर्य है) के कारण पर्यावरण संतुलन बिगड़ रहा है। अत: खेती, वन, जंगलों का रखरखाव उचित तरीके से हो इसका ख्याल रखना चाहिए।

पर्यावरण सुरक्षा में पशु-पक्षी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। आज उनकी कई प्रजातियाँ विलुप्त होने की कगार पर हैं। अत: पशु-पक्षियों के जीवन की रक्षा करना हमारा कर्तव्य है। पॉलिथीन से प्रदूषण फैलता है अत: उसका प्रयोग नहीं करना चाहिए।

पर्यावरण रक्षा में जन-जन का साथ मिलें इसके लिए जन जागृति अभियान चलाने चाहिए। हमारी जीवन शैली को पर्यावरण की प्राकृतिक व्यवस्था के अनुरूप बना लेना चाहिए। खेती में रसायनिक कीटनाशकों का उपयोग कम करना चाहिए।

विषैले और खतरनाक अवशिष्टों (remainings) का उचित विस्तारण करना चाहिए। पर्यावरण की गुणवत्ता बढ़े ऐसा हमारा आचरण होना चाहिए।

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(आ) अनमोल जिंदगी कृतिपत्रिका

(अ) निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

गद्यांश : हमारे देश में ब्लड की रोजाना बहुत जरूरत पड़ती है ………………….. तू कैसे खून दे सकती है? (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 76)

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए :
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उत्तर:
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प्रश्न 2.
कारण लिखिए :
(i) खून न देने के कारण
(1) …………………………………..
(2) …………………………………..
(3) …………………………………..
(4) …………………………………..
उत्तर :
(1) खून देने से बॉडी कम हो जाएगी।
(2) खून देने से भयंकर बीमारी लग सकती है।
(3) किसी ऐरे-गैरे को खून न देने की मानसिकता।
(4) हिमोग्लोबिन की कमी।

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प्रश्न 3.
(i) कृदंत शब्द लिखिए :
उत्तर :
(1) मिलना : मिलावट, मिलनसार, मिलन, मिलाप
(2) बनाना : बनावट, बनाने वाला, बना हुआ, बनकर

(ii) गद्यांश से ऐसे दो शब्द ढूँढ़कर लिखिए जिनके वचन बदलने पर भी रूप नहीं बदलते :
उत्तर :
(1) देश
(2) मरीज

प्रश्न 4.
‘रक्तदान : श्रेष्ठ दान’ इस विषय पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
14 जून यह दिन अंतर्रास्ट्रीय स्तर पर ‘रक्तदान दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। आमतौर पर ऐसा माना जाता है कि किसी को कुछ दान देने के लिए अमीर होना बहुत जरूरी होता है। परंतु रक्तदान यह एक ऐसा दान है जो देने के लिए पैसों से आदमी बड़ा नहीं हो तो भी चलेगा लेकिन मन से बड़ा होना जरूरी है। यह दान न जाति-धर्म देखता है, न अमीरी-गरीबी देखता है। यह दान सिर्फ ‘मानवता’ को जगाता है।

हमारे ‘रक्तदान’ से हम किसी को ‘जीवनदान’ दे सकते हैं। ‘रक्तदान’ देने से हमारा कुछ भी नुकसान नहीं होता है। लेकिन लोगों के मन में आज भी ‘रक्तदान’ इस विषय को लेकर काफी गलतफहमियाँ हैं। इन्हें दूर करने के लिए लोगों में जागरूकता निर्माण करने की जरूरत है। ‘रक्तदानं परम दानं’ इसे अगर हम सब ध्यान में रखे तो हम ‘जीवनदाता’ बन जाएंगे। इसलिए,

‘मौका मिला अगर आपको उसे यूँ न गँवाइए।
देकर दान रक्त का नेकी भी कमाइए।।’

(आ) निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

गद्यांश : ब्लड डोनेशन का मतलब ……………………………….. मदद नहीं करनी चाहिए। (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 80)

प्रश्न 1.
नाम लिखिए :
उत्तर :
(i) गद्यांश में उल्लेखित वायु का नाम – ऑक्सीजन
(ii) तीन साल की बच्ची को हुई बीमारी का नाम – कैंसर
(iii) पति को हुई बीमारी का नाम – डेंग्यू
(iv) तीन साल की बच्ची को रक्त देने वाला – एक एथलीट

प्रश्न 2.
परिणाम लिखिए :
(i) रक्तदान करने से डरना – ………………………………………
(ii) डोनर कार्ड मिलना – ………………………………………
उत्तर :
(i) रक्तदान करने से डरने से यही डर हमारी जिंदगी की उम्मीदों की रीढ़ को तोड़ रहा है।
(ii) डोनर कार्ड मिलने से जरूरत पड़ने पर खून आसानी से मिल जाता है।

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प्रश्न 3.
(i) निम्न शब्दों में से सही शब्द चुनकर लिखिए :
उत्तर :
(1) शुरुवात / शुरूआत / शुरूवात / शूरुवात – शुरूआत
(2) रक्तदाण / रक्तदान / रक्तदान / रक्तदाण – रक्तदान

(ii) तद्धित शब्दों के मूल रूप लिखिए :
उत्तर :
(1) इनसानियत – इनसान
(2) खुशी – खुश

प्रश्न 4.
‘दूसरों की मदद करके खुशी और सुकून मिलता है’, इस तथ्य पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
दान देने की परंपरा हमारे यहाँ प्राचीन काल से चली आ रही है। दूसरों को दान देने से आंतरिक खुशी मिलती है। दान केवल धन के रूप में ही नहीं बल्कि रक्त, शरीर के अंग आदि के रूप में भी किया जा सकता है। जरूरतमंदों की मदद करके हमें मानसिक शांति मिलती है।

जब कोई अपना मन, वचन और काया दूसरों की सेवा के लिए उपयोग में लाता है तब उसे एक प्रकार का सुकून मिलता है, आत्मिक सुख मिलता है। मनुष्य सामाजिक प्राणी है और उसका सबसे बड़ा कर्तव्य है एक-दूसरे के सुख-दुख में शामिल होना एवं यथाशक्ति सहायता करना।

तुलसीदास जी ने भी कहा है, ‘परहित सरस धर्म नाहिं भाई’ पुष्प इकट्ठा करने वाले व्यक्ति के हाथ में सुगंध रह जाती है वैसे ही दूसरों की जिंदगी रोशन करने वाले व्यक्ति की जिंदगी खुद रोशन हो ही जाती है।

सड़क पर कराहते व्यक्ति को अस्पताल पहुँचाना हो या भूखे-प्यासे की आह कम करनी हो, अन्याय, शोषण से पीड़ित की सहायता करनी हो या सर्दी में ठिठुरते व्यक्ति को कंबल ओढ़ाना हो, किसी को किड़नी देने का सुख तो किसी को रक्तदान करके जीवन देने का सुख हो ये इंसान को भीतर तक खुशियों से सराबोर कर देते हैं।

नक्कड़ नाटक (अ) मौसम (आ) अनमोल जिंदगी Summary in Hindi

मौसम लेखक परिचय :

लेखक अरविंद गौड़ जी ने ‘नुक्कड़ नाटक’ में अपना एक विशिष्ट स्थान प्राप्त किया है। आपका जन्म 2 फरवरी 1963 को शाहदरा (दिल्ली) में हुआ। इंजीनियरिंग पढ़ते समय नाटकों के प्रति आपकी रुचि बढ़ गई। आप पत्रकारिता तथा थिएटर से जुड़ गए।

मजदूर हो या किसान इनके विविध आंदोलनों में आपने एक बुनियादी भूमिका निभाई है। आपके ‘नुक्कड़ नाटकों’ का मंचन देश-विदेश में हो चुका है। आपने निर्देशित (directed) किया हुआ ‘कोर्ट मार्शल’ इस नाटक का पूरे भारत में 450 से भी अधिक बार मंचन हुआ है।

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मौसम रचनाएँ :

‘नुक्कड़ पर दस्तक’ (नुक्कड़ नाटक संग्रह), अनटाइटल्ड, आई विल नॉट क्राय, अहसास (एकल नाट्य) तथा कुछ पटकथाएँ।

मौसम विधा परिचय :

‘नुक्कड़ नाटक’ आठवें दशक से लोकप्रिय हुआ। नुक्कड़ माने चौक या चौराहा। इस नाटक का प्रस्तुतीकरण (presentation) किसी चौक में, किसी सड़क पर, मैदान, बस्ती या कहीं भी हो सकता है। इन नाटकों का प्रस्तुतीकरण सामाजिक संदेशों के प्रसारण के लिए किया जाता है।

नुक्कड़ नाटक को प्रेक्षक राहों या चौक में खड़े होकर देखते हैं। इन्हें देर तक रोकना संभव नहीं होता इसलिए ये नाटक बेहद सटीक एवं संक्षिप्त होते हैं। जनता से सीधे संवाद करने वाले इस नाटक के लिए वेशभूषा, नेपथ्य, ध्वनि-संयोजन जैसी साज-सज्जा की आवश्यकता नहीं होती।

जन-जन तक समाज हित की बात सहजता से पहुँचाना इसका उद्देश्य है।

मौसम विषय प्रवेश :

अरविंद गौड़ लिखित ‘मौसम’ नामक नुक्कड़ नाटक आधुनिक जीवन की एक प्रखर समस्या को उजागर करता है। पर्यावरण को लेकर एक चेतना निर्माण करने का आपने प्रयास किया है। आज के जमाने में ‘पानी की समस्या’ ने एक विकराल (horrible) रूप धारण किया है।

पानी की कमी, हवा या जमीन का प्रदूषण, लोगों की लापरवाही इन अनेक समस्याओं के प्रति मनुष्य को सचेत बनाने की कोशिश इस नाटक द्वारा हुई है।

मौसम सारांश :
दृश्य – 1 : पानी की कमी : मनुष्य की पानी के प्रति लापरवाही से आज लोगों को पानी की कमी महसूस हो रही है। जो पानी उपलब्ध है उसे भी हमने दूषित किया है। इस कारण आज-कल मनुष्य पीने या नहाने के लिए पानी खरीद रहा है।

दृश्य – 2 : विकास का परिणाम : आज विकास के नाम पर फैक्ट्रियाँ खोली जाती हैं। इसका कूड़ा-कचरा, दूषित पानी नदियों में छोड़ा जाता है, जिससे जल प्रदूषित होता है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 13 नक्कड़ नाटक (अ) मौसम (आ) अनमोल जिंदगी

दृश्य – 3 : पर्यावरण का असंतुलन : आज ऋतुचक्र में नियमितता नहीं रही क्योंकि हमने ही पर्यावरण को असंतुलित किया है। कहीं बाढ़ आती है, तो कहीं बरसात का इंतजार करना पड़ता है। इस असंतुलन के लिए मनुष्य ही जिम्मेदार है।

दृश्य – 4 : वायु प्रदूषण : आज लोग घर में, दफ्तर में हर जगह ए.सी. लगवाते हैं। इस ए.सी. से निकलने वाली गैस से ओजोन परत में छेद हो जाता है।

दृश्य – 5 : लोगों की लापरवाही : लोग खाना खाकर प्लास्टिक की थालियाँ, पानी पीकर प्लास्टिक की बोतल या गिलास रास्ते पर फेंकते हैं। ऐसा विविध प्रकार का सामान कूड़ा-कचरा बनकर नालों में अटक जाता है। बारिश होने पर नाले से पानी की निकासी न होने से पानी रास्ते पर आता है और थोड़ी-सी भी बारिश होने पर रास्ते स्विमिंग पूल बन जाते हैं।

दृश्य – 6 : मृदा का प्रदूषण : आज-कल लोग खेती करते समय कीटनाशकों का प्रयोग करते हैं। इसके केमिकल से जमीन दूषित हो जाती है। ऐसी खेती से निकली हुई फसल, फल, सब्जियाँ खाकर लोगों को अनेक प्रकार की बीमारीयाँ हो रही हैं।

दृश्य – 7 : जल – प्रदूषण : लोग नदी के किनारों पर नए-नए कारखाने खड़े करते हैं। इनमें से निकलनेवाला गंदा, रसायन युक्त पानी नदियों में छोड़ा जाता है। परिणाम स्वरूप पानी में रहने वाली मछलियाँ तथा अन्य जीव-जंतुओं का विनाश हो रहा है।

दृश्य – 8 : गरीबों पर परिणाम : फैक्टरी में काम करने वाले मजदूर बीमारियों से ग्रस्त हैं। अनेकों को स्किन कैंसरं हो रहा है। मछुआरे, आदिवासी इन जैसे प्रकृति पर अवलंबित गरीब लोगों का जीना हराम हो गया है।

दृश्य – 9 : मनुष्य का विनाश : भौतिक विकास के नाम पर मनुष्य आस-पास के प्राकृतिक संसाधन नष्ट कर रहा है। जिससे प्राकृतिक संकट मनुष्य का विनाश कर रहे हैं। कभी बाढ़ तो कभी सूखा, कभी तूफान तो कभी भूचाल, ऐसे संकट मनुष्य के स्वार्थी वृत्ति का परिणाम हैं। ‘ग्लोबल वॉर्मिंग’ भी चिंता का विषय है। इनसे मनुष्य सावधान ना हो तो उसका विनाश अटल है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 13 नक्कड़ नाटक (अ) मौसम (आ) अनमोल जिंदगी

मौसम शब्दार्थ :

  • सीवर = गंदी नाली (sewer),
  • संसार = दुनिया (world),
  • तबाही = बरबादी (destruction),
  • दोहन = शोषण (exploitation),
  • रेगिस्तान = वालुकामय प्रदेश (desert),
  • जिम्मेदारी = कर्तव्य (responsibility),
  • वफादारी = ईमानदारी (loyalty)

अनमोल जिंदगी अरविंद गौड़ विषय प्रवेश :

अरविंद गौड़ जी ने नुक्कड़ नाटक के माध्यम से सामयिक समस्याओं को जनता तक पहुँचाने की कोशिश की है। ‘अनमोल जिंदगी’ इस नाटक द्वारा लेखक ‘रक्तदान’ इस विषय पर सामान्य लोगों को जगाने की कोशिश करते हैं। हजारों-लाखों लोगों की मृत्यु सिर्फ समय पर उचित रक्त न मिलने से होती है। रक्तदान के बारे में लोगों में काफी गलतफहमियाँ भी हैं। इन गलतफहमियों को दूर करते हुए लेखक रक्तदान करने की प्रेरणा देते हैं।

अनमोल जिंदगी सारांश:

दृश्य – 1 : एक्सीडेंट : एक दिन रास्ते पर एक चाचाजी का एक्सीडेंट हुआ। उनको बचाने के लिए ‘ओ निगेटिव’ ब्लड की जरूरत हैं परंतु लोगों की मानसिकता न होने से, उनकी रक्तदान के बारे में गलतफहमियाँ होने के कारण वे तरह-तरह का बहाना बनाकर रक्तदान करना टालते हैं।

दृश्य – 2 : हॉस्पिटल : एक सरकारी अस्पताल में गरीब माँ अपने बच्चे का जीवन बचाना चाहती थी। उसकी कम कमाई के कारण वह रक्त खरीद नहीं सकती। उसे आशा थी कि कोई रक्तदाता मिल जाएगा परंतु यह आशा निराशा में बदलती है और एक माँ अपने बेटे को हमेशा के लिए खो देती है।

दृश्य – 3 : ऑटो : एक बेटा अपनी बीमार माँ को बचाना चाहता था। माँ अस्पताल में थी। बेटा उचित रक्त की तलाश में ‘ऑटो’ से इधर-उधर घूम रहा था। उसकी बेचैनी, उसका प्रयास देखकर एक दयालु ऑटो वाला ही रक्तदान करने के लिए तैयार हो जाता है जिससे एक जिंदगी बचती है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 13 नक्कड़ नाटक (अ) मौसम (आ) अनमोल जिंदगी

अनमोल जिंदगी शब्दार्थ :

  • खून = रक्त (blood),
  • गड्डी = गाड़ी (car),
  • परिजन = रिश्तेदार (relative),
  • उम्मीद = आशा (hope),
  • साजिश = षडयंत्र (conspiracy),
  • सुकून = शांति, समाधान (relax)

Maharashtra Board Class 11 Hindi परिशिष भावार्थ : भक्ति महिमा और बाल लीला

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 11th Digest परिशिष भावार्थ : भक्ति महिमा और बाल लीला Notes, Questions and Answers.

Maharashtra State Board 11th Hindi परिशिष भावार्थ : भक्ति महिमा और बाल लीला

भावार्थ : पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्रमांक २० : पाठ – भक्ति महिमा – संत दादू दयाल

जो माया–मोह का रस पीते रहे, उनका मक्खन–सा हृदय सूखकर पत्थर हो गया किंतु जिन्होंने भक्ति रस का पान किया, उनका पत्थर हृदय गलकर मक्खन हो गया। उनका हृदय प्रेम से भर गया।

Maharashtra Board Class 12 Hindi परिशिष भावार्थ : भक्ति महिमा और बाल लीला

अहंकारी व्यक्ति से प्रभु दूर रहता है। जो व्यक्ति प्रभुमय हो जाता है, फिर उसमें अहंकार नहीं होता। मनुष्य का हृदय एक ऐसा सँकरा महल है, जिसमें प्रभु और अहंकार दोनों साथ–साथ नहीं रह सकते। अहंकार का त्याग करना अनिवार्य है।

दादू मगन होकर प्रभु का कीर्तन कर रहे हैं। उनकी वाणी ऐसे मुखरित हो रही है जैसे ताल बज रहा हो। यह मन प्रेमोन्माद में नाच रहा है। दादू के सम्मुख दीन–दुखियों पर विशेष कृपा करने वाला प्रभु खड़ा है।

जिन लोगों ने भक्ति के सहारे भवसागर पार कर लिया, उन सभी की एक ही बात है कि भक्ति का संबल लेकर ही सागर को पार किया जा सकता है। सभी संतजन भी यही बात कहते हैं। अन्य मार्गदर्शक, जीवन के उद्धार के लिए जो दूसरे अनेक मार्ग बताते हैं, वे भ्रम में डालने वाले हैं। प्रभु स्मरण के सिवा अन्य सभी मार्ग दुर्गम हैं।

प्रेम की पाती (पत्री) कोई विरला ही पढ़ पाता है। वही पढ़ पाता है, जिसका हृदय प्रेम से भरा हुआ है। यदि हृदय में जीवन और जगत के लिए प्रेम भाव नहीं है तो वेद–पुराण की पुस्तकें पढ़ने से क्या लाभ ?

कितने ही लोगों ने वेद–पुराणों का गहन अध्ययन किया और उसकी व्याख्या करने में लिख–लिखकर कागज काले कर दिए लेकिन उन्हें जीवन का सच्चा मार्ग नहीं मिला। वे भटकते ही रहे, जिसने प्रिय प्रभु का एक अक्षर पढ़ लिया, वह सुजान–पंडित हो गया।

Maharashtra Board Class 12 Hindi परिशिष भावार्थ : भक्ति महिमा और बाल लीला

मेरा अहंकार – “मैं’ ही मेरा शत्रु निकला, जिसने मुझे मार डाला, जिसने मुझे पराजित कर दिया। मेरा अहंकार ही मुझे मारने वाला निकला, दूसरा कोई और नहीं।

अब मैं स्वयं इस ‘मैं’ (अहंकार) को मारने जा रहा हूँ। इसके मरते ही मैं मरजीवा हो जाऊँगा। मरा हुआ था फिर से जी उठूगा। एक विजेता बन जाऊँगा।

हे सृष्टिकर्ता ! जिनकी रक्षा तू करता है, वे संसार सागर से पार हो जाते हैं।

और जिनका तू हाथ छोड़ देता है, वे भवसागर में डूब जाते हैं। तेरी कृपा सज्जनों पर ही होती है।

रे नासमझ ! तू क्यों किसी को दुख देता है। प्रभु तो सभी के भीतर हैं। क्यों तू अपने स्वामी का अपमान करता है? सब की आत्मा एक है। आत्मा ही परमात्मा है। परमात्मा के अलावा वहाँ दूसरा कोई नहीं।

इस संसार में केवल ऐसे दो रत्न हैं, जो अनमोल हैं। एक है सबका स्वामी–प्रभु। दूसरा स्वामी का संकीर्तन करने वाला संतजन, जो जीवन और जगत को सुंदर बनाता है।

इन दो रत्नों का न कोई मोल है, न कोई तोल ! न इनका मूल्यांकन हो सकता है, न इन्हें खरीदा जा सकता है, न तौला जा सकता है।

भावार्थ : पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्रमांक २४ : पाठ – बाल लीला – संत सूरदास

1. यशोदा अपने पुत्र को चुप करने के लिए बार–बार समझाती है। वह कहती है – “चंदा आओ ! तुम्हें मेरा लाल बुला रहा है। यह मधु मेवा, पकवान, मिठाई स्वयं खाएगा और तुम्हें भी खिलाएगा। (मेरा लाल) तुम्हें हाथ में रखकर खेलेगा; तुम्हें जरा भी भूमि पर नहीं बिठाएगा।”

Maharashtra Board Class 12 Hindi परिशिष भावार्थ : भक्ति महिमा और बाल लीला

यशोदा हाथ में पानी का बर्तन उठाकर कहती है – “चंद्रमा ! तुम शरीर धारण कर आ जाओ।’ फिर उन्होंने जल का पात्र भूमि पर रख दिया और उसे दिखाने लगी – ‘बेटा देखो ! मैं वह चंद्रमा पकड़ लाई हूँ।’ अब सूरदास के प्रभु श्रीकृष्ण हँस पड़े और मुस्कुराते हुए उस पात्र में बार–बार दोनों हाथ डालने लगे।

2. हे श्याम ! उठो, कलेवा (नाश्ता) कर लो। मैं मनमोहन के मुख को देख–देखकर जीती हूँ। हे लाल ! मैं तुम्हारे लिए छुहारा, दाख, खोपरा, खीरा, केला, आम, ईख का रस, शीरा, मधुर श्रीफल और चिरौंजी लाई हूँ। अमरूद, चिउरा, लाल खुबानी, घेवर–फेनी और सादी पूड़ी खोवा के साथ खाओ।

मैं बलिहारी जाऊँ। गुझिया, लड्डू बनाकर और दही लाई हूँ। तुम्हें पूड़ी और अचार बहुत प्रिय हैं। इसके बाद पान बनाकर खिलाऊँगी। सूरदास कहते हैं कि मुझे पानखिलाई मिले।

Maharashtra Board Class 11 Hindi परिशिष मुहावरे

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 11th Digest परिशिष मुहावरे Notes, Questions and Answers.

Maharashtra State Board 11th Hindi परिशिष मुहावरे

मुहावरा वह वाक्यांश जो सामान्य अर्थ को छोड़कर किसी विशेष अर्थ में प्रयुक्त होता है; मुहावरे में उसके लाक्षणिक और व्यंजनात्मक अर्थ को ही स्वीकार किया जाता है। वाक्य में प्रयुक्त किए जाने पर ही मुहावरा सार्थक प्रतीत होता है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi परिशिष मुहावरे

  • अंकुर जमाना – प्रारंभ करना।
  • अपने पैरों पर खड़ा होना – आत्मनिर्भर होना।
  • आँच न आने देना – संकट न आने देना।
  • आँखों में सैलाब उमड़ना – फूट–फूटकर रोना।
  • आँखें फटी रहना – आश्चर्यचकित रह जाना।
  • आईने में मुँह देखना – अपनी योग्यता जाँचना।
  • आसमान के तारे तोड़ना – असंभव कार्य करना।
  • ईंट का जवाब पत्थर से देना – कड़ा जवाब देना
  • उधेड़ बुन में लगना – सोच–विचार करना।
  • एक आँख से देखना – समान रूप से देखना।
  • एक और एक ग्यारह होना – एकता में बल होना।
  • कदम बढ़ाना – प्रगति करना।
  • कमर कसना – प्रगति करना।
  • कमर सीधी करना – आराम करना, सुस्ताना।
  • कलई खुलना – भेद प्रकट होना।
  • कान देना – ध्यान से सुनना।
  • किस्मत खुलना – भाग्य चमकना।
  • गले का हार होना – अत्यंत प्रिय होना।
  • गागर में सागर भरना – थोड़े में बहुत कहना।
  • घी के दीये जलाना – खुशी मनाना।
  • चिकना घड़ा होना – निर्लज्ज होना।
  • चुटकी लेना – व्यंग्य करना।
  • जबान देना – वचन देना। Maharashtra Board Class 11 Hindi परिशिष मुहावरे
  • झंडे गाड़ना – पूर्ण रूप से प्रभाव जमाना।
  • डंका पीटना – प्रचार करना।
  • तितर–बितर होना – बिखर जाना।
  • हजारों दीप जल उठना – आनंदित हो उठना।
  • रुपये दाँत से पकड़ना – कंजूसी करना।
  • दूध का दूध, पानी का पानी करना – इनसाफ करना, न्याय करना।
  • नाम कमाना – यश प्राप्त करना।
  • पाँचों उंगलियाँ घी में होना – हर तरफ से लाभ होना।
  • फूला न समाना – अत्यधिक प्रसन्न होना।
  • बीड़ा उठाना – किसी काम को करने की ठान लेना।
  • बाँछे खिलना – अत्यधिक प्रसन्न होना।
  • मरजीवा होना – कठोर साधना से लक्ष्य तक पहुँचने वाला होना।
  • मल्हार गाना – आनंद मनाना।
  • राई का पहाड़ बनाना – बात को बढ़ा–चढ़ाकर कहना।
  • लोहा मानना – श्रेष्ठता स्वीकार करना।
  • सफेद झूठ बोलना – पूरी तरह से झूठ बोलना।
  • सिर खपाना – ऐसे काम में समय लगाना जिसमें कोई लाभ नहीं।
  • सिर पर सेहरा बाँधना – अधिक यश प्राप्त करना।
  • सोना उगलना – बहुत अधिक लाभ होना।
  • सौ बात की एक बात – असली बात, निचोड़।
  • हाथ–पैर मारना – बहुत प्रयत्न करना।
  • हौसला बुलंद होना – उत्साह बना रहना।
  • श्रीगणेश करना – कार्य आरंभ करना।
  • दाँतों तले उँगली दबाना – आश्चर्यचकित होना।
  • अंधे की लाठी होना – निराधार का सहारा बनना।
  • आग से खेलना – मुसीबत मोल लेना।
  • मुट्ठी गर्म करना – रिश्वत देना।
  • इतिश्री होना – समाप्त होना। Maharashtra Board Class 11 Hindi परिशिष मुहावरे
  • उड़ती चिड़िया पहचानना – तीक्ष्ण बुद्धि वाला होना।
  • हथेली पर सरसों जमाना – कठिन कार्य करना।
  • कंचन बरसना – धन–दौलत से परिपूर्ण होना।
  • कानों कान खबर न होना – बिल्कुल पता न चलना।
  • गाल बजाना – अपनी प्रशंसा आप करना।
  • घड़ों पानी पड़ना – बहुत लज्जित होना।
  • चिकनी–चुपड़ी बातें करना – चापलूसी करना, मीठी-मीठी बातें बोलना।
  • छाती पर साँप लोटना – ईर्ष्या होना।
  • तूती बोलना – प्रभाव होना।
  • दो टूक जवाब देना – स्पष्ट बोलना।
  • नुक्ताचीनी करना – आलोचना करना।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 17 ई-अध्ययन : नई दृष्टि

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 11th Digest Chapter 17 ई-अध्ययन : नई दृष्टि Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Maharashtra State Board 11th Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 17 ई-अध्ययन : नई दृष्टि

11th Hindi Digest Chapter 17 ई-अध्ययन : नई दृष्टि Textbook Questions and Answers

पाठ पर आधारित

प्रश्न 1.
विद्यार्थी जीवन में ई-अध्ययन का महत्त्व स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
आज तक विद्यार्थी केवल हाथ में पुस्तक लेकर ही ज्ञान प्राप्त कर सकते थे परंतु ई-अध्ययन शिक्षा-क्षेत्र में कई सकारात्मक बदलाव ला सकता है। आज इंटरनेट पर कई सारी वेबसाइट्स से ज्ञान के दरवाजे खुले हैं। एक बटन दबाते ही ज्ञान का भंडार छात्र के सामने बैठे-बिठाए प्रस्तुत हो जाता है।

कंप्यूटर विद्यार्थी के लिए ज्ञान का स्त्रोत है जिसके सहारे पढ़ाई हो सकती है। दृक्-श्राव्य माध्यम से उसकी पढ़ाई रोचक बन जाती है। मनोरंजन और ज्ञान का सुंदर समन्वय ई-अध्ययन में होता है।

आज का युग प्रतियोगिता का युग है। विद्यार्थियों को कई सारी प्रतियोगिताएँ, परीक्षा की तैयारियाँ करनी होती हैं और इनके लिए ई-अध्ययन एक वरदान है। हर विषय का ज्ञान, सामान्य ज्ञान, खेल-कूद, संगीत, राजनीति आदि की जानकारी भी छात्र ई-अध्ययन द्वारा प्राप्त कर स्वयं को अद्यतन रख सकता है।

समय, श्रम और अर्थिक बचत भी बड़े पैमाने पर होती है। ज्ञान के साथ-साथ करियर का अवसर भी प्राप्त हो सकता है। सचमुच ई-अध्ययन का विद्यार्थी जीवन में बड़ा महत्त्व है।

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प्रश्न 2.
ई-ग्रंथालय की जानकारी लिखिए।
उत्तर :
आज इंटरनेट पर ई-ग्रंथालय वेबसाइट उपलब्ध है। यह ग्रंथालय शुल्क सहित तथा नि:शुल्क दोनों तरीके से उपलब्ध है। ऐसे ग्रंथालयों में ई-पुस्तकें, ई-वीडियो, वार्तापट आदि द्वारा ज्ञान उपलब्ध होता है। यह सुविधा हर दिन, हर समय उपलब्ध होती है यानि समय का बंधन नहीं होता।

सबसे बड़ी बात यह है कि यहाँ केवल हमारे देश के लेखकों का ही साहित्य नहीं तो विदेशी लेखकों के साहित्य को पढ़ने का लाभ उठा सकते हैं।

आज कई सारे प्रकाशक पुस्तक बनते ही वेबसाइट पर ई-पुस्तक द्वारा उपलब्ध करवाते हैं। ई-पुस्तक वापस लौटाने की जरूरत नहीं होती। पुस्तक को संभालकर रखने, गुम हो जाने या फट जाने की संभावना भी नहीं होती है।

मनचाहे पुस्तक को अपने कंप्यूटर में, मोबाइल में या टैब में संकलित कर सुरक्षित रख सकते हैं।

प्रश्न 3.
‘आज के विद्यार्थी अध्ययन के लिए कंप्यूटर पर निर्भर हैं –
पाठ के आधार पर इस कथन की पुष्टि कीजिए।
उत्तर :
वर्तमानकालीन विद्यार्थी मोबाइल, इंटरनेट आदि आधुनिक तकनीक के अधीन हो गए हैं। हर क्षेत्र में तंत्रज्ञान के माध्यम से क्रांति हुई है। सूचना एवं तकनीकी क्रांति से शिक्षा क्षेत्र भी प्रभावित हुआ है। अध्ययन-अध्यापन में ई-अध्ययन ने नई दृष्टि प्रदान की है।

आज से पहले विद्यार्थी केवल हाथ में पुस्तक लेकर ज्ञान प्राप्त कर सकते थे, परंतु आज एक बटन दबाते ही ज्ञान का भंडार उसके सामने बैठे-बिठाए प्रस्तुत होता है। आज इंटरनेट की कई सारी वेबसाइट्स से ज्ञान के दरवाजे खुले हैं। कंप्यूटर हमारे जीवन का एक हिस्सा बन गया है।

आज के विद्यार्थी इस ज्ञान देने वाले कंप्यूटर को ज्ञान के स्त्रोत के रूप में देख रहे हैं। उसके सहारे उनकी बहुत सारी पढ़ाई आसानी से हो जाती है।

कठिन से कठिन जानकारी कंप्यूटर द्वारा विद्यार्थी तक पहुंच रही है। परीक्षा की तैयारी करनी हो या प्रतियोगिता के लिए तैयार होना हो कंप्यूटर पर उपलब्ध ज्ञान विद्यार्थी के लिए वरदान सिद्ध हो रहा है।

समय, श्रम और धन की बड़े पैमाने पर बचत होना भी अन्य लाभ है जो विद्यार्थी बखूबी उठाते हैं इसीलिए अपने अध्ययन के लिए कंप्यूटर पर निर्भर होते हैं।

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व्यावहारिक प्रयोग

प्रश्न 1.
अपने महाविद्यालय में मनाए गए हिंदी दिवस का वृत्तांत लेख समाचार पत्र के संपादक को मेल कीजिए।
उत्तर :
प्रति : ggnnbt@gmail.com
विषय : हिंदी दिवस वृत्तांत
श्री. संपादक (editor) महोदय, हमारे महाविद्यालय में मनाए गए हिंदी दिवस का वृत्तांत लेख समाचार पत्र में पब्लिश करने हेतु साथ में भेजा है। कृपया आवश्यक कार्रवाई करें और समाचार पत्र में पब्लिश करके हमें उपकृत (obliged) करें।

धन्यवाद !
भवदीय,
अनघा कुलकर्णी।
(विद्यार्थी प्रतिनिधि, युनिक महाविद्यालय, श्रीवर्धन।)
anghakulkarni2000@gmail.com

युनिक महाविद्यालय में हिंदी दिवस धूमधाम से संपन्न
‘हिंदी है जन-जन की भाषा,
हिंदी हमारे हृदय की भाषा,
हिंदी विश्व की सबसे बड़ी भाषा।’

युनिक महाविद्यालय के सभागार में हिंदी दिवस बड़े उत्साह के साथ प्रधानाचार्य श्री. शिवकुमार की अध्यक्षता में मनाया गया। कार्यक्रम का संचालन 12वीं कक्षा की छात्रा शुभा ने किया। इस कार्यक्रम में हिंदी भाषा के महत्त्व पर अध्यापक तथा छात्रों ने अपने विचार प्रकट किए।

इस अवसर पर दोहों की प्रतियोगिता रखी गई थी जिसकी वजह से कार्यक्रम जोश और उल्लास से सराबोर हो गया। विजेता संघ को सर्टिफिकेट दिए गए। अपने अध्यक्षीय संबोधन में प्रधानाचार्य जी ने उन छात्रों की भूरी-भूरी प्रशंसा की और हिंदी को देश को जोड़ने वाली कड़ी के रूप में गौरवान्वित किया।

उनका मानना है कि हिंदी राष्ट्र भाषा की गंगा से विश्व भाषा का महासागर बन रही है। हिंदी अति उदार, समझ में आने जैसी सरल, सहिष्णु (tolerant) है, साथ ही भारत की राष्ट्रीय चेतना की संवाहिका भी है। प्राचार्य जी के इस उद्बोधन (message) पर तालियों की गूंज आसमान तक पहुँची।

अध्यापक वृंद, कर्मचारी वर्ग तथा विद्यार्थियों ने इस कार्यक्रम को सफल बनाया। इस दिन महाविद्यालय का कामकाज भी हिंदी भाषा में किया गया जिसके कारण महाविद्यालय ‘हिंदीमय’ बन गया था। (विद्यार्थी प्रतिनिधि द्वारा)

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प्रश्न 2.
पर्यावरण दिन’ पर प्रकल्प के लिए नेट से जानकारी प्राप्त करके उसका पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन कक्षा में प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
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  • पर्यावरण परि + आवरण शब्दों के मेल से बना है जिसका अर्थ है आस-पास का वातावरण।
  • पर्यावरण और मानव का बड़ा गहरा नाता है। इसे स्वच्छ और सुंदर रखना हमारा कर्तव्य है।
  • हमारा कर्तव्य है कि हम वन, झील, नदी, वन्य जीव, पेड़-पौधे, पशु-पक्षी आदि का संरक्षण करें।
  • हम अपने आस-पास के वातावरण को जितना सहेजकर रखेंगे हमारा जीवन उतना ही उत्कृष्ट, आनंदमय एवं सुखमय होगा।
  • प्रकृति के विभिन्न अंग नदी, पर्वत, वृक्ष, जीव, प्राणी, भूमि आदि की पूजा हमारी प्राचीन परंपरा रही है।
  • पर्यावरण का अपमान बाढ़, भूकंप, त्सुनामी, अतिवृष्टि या सूखा जैसे अभिशापों को दावत देना है।
  • प्रदूषण के दुष्परिणाम, ग्लोबल वॉर्मिंग, जलवायु बदलाव के खतरे लगातार दस्तक दे रहे हैं।
  • बेतहर कल के लिए पर्यावरण संरक्षण एक ही विकल्प है।
  • आओ वन-उपवन विकसित करें और प्रकृति के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करें।

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Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 17 ई-अध्ययन : नई दृष्टि

ई-अध्ययन : नई दृष्टि Summary in Hindi

ई-अध्ययन : नई दृष्टि पाठ परिचय :

प्रस्तुत पाठ एक आलेख है। जिसमें ई-अध्ययन की संकल्पना, संसाधन, उसके प्रयोग की विधियाँ, प्रयोग करते समय बरती जाने वाली सावधानियाँ आदि के बारे में महत्त्वपूर्ण जानकारी दी है। साथ ही भविष्य में ई-अध्ययन की आवश्यकता को भी स्पष्ट किया है।

आज ई-संसाधनों का उपयोग हर-जगह, हर क्षेत्र में हो रहा है। शिक्षा क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं है। इंटरनेट, मोबाइल, टैब, कंप्यूटर आदि का प्रयोग कर विद्यार्थी ज्ञान अर्जित कर रहे हैं और स्मार्ट बन रहे हैं यही बात स्पष्ट करने की कोशिश पाठ में की गई है।

ई-अध्ययन : नई दृष्टि पाठ का सारांश :

हर चीज के सकारात्मक और नकारात्मक पहलू होते हैं। मोबाइल तथा आधुनिक तकनीक भी इससे अछूती नहीं है। विद्यार्थी को उसके सकारात्मक पहलू का सदुपयोग करके ज्ञानार्जन का लाभ उठाना चाहिए। एक बटन दबाते ही ज्ञान का भंडार उसके सामने प्रस्तुत हो जाता है।

आज इंटरनेट की कई सारी वेबसाइट्स से ज्ञान के दरवाजे खुले हैं।

‘कम समय में बहुत सारा काम’ यह कंप्यूटर की विशेषता है। विद्यार्थी को इसे ज्ञान के स्त्रोत के रूप में देखकर पढ़ाई के लिए उपयोग में लाना चाहिए।

इंटरनेट (अंतरजाल) एक ऐसी व्यवस्था है जो सारे संसार के सरकारी, निजी, व्यावसायिक संस्था, विश्वविद्यालय के लाखों कंप्यूटर को व्यक्तिगत कंप्यूटर से जोड़ती है। डाटा और सूचनाओं का आदान-प्रदान तुरंत करती है।

भारत में अनेक राज्य और अनेक भाषाएँ है इसीलिए इंटरनेट संचालन के लिए अंग्रेजी के साथ-साथ हिंदी तथा अन्य प्रादेशिक भाषाओं के सॉफ्टवेअर तैयार किए गए हैं। ‘डिजिटल इंडिया’ के लिए वाकई में सुखद स्थिति है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 17 ई-अध्ययन : नई दृष्टि

ई-लर्निंग तथा ई-अध्ययन में विद्यार्थी रुचि रखते हैं। दृक्-श्राव्य माध्यम से पढ़ाई रोचक बनती है। मनोरंजन और ज्ञान का सुंदर समन्वय देखने मिलता है। ई-बुक, ई-मैगजिन की सहायता से जहाँ चाहे, जब चाहे वहाँ पढ़ना संभव हो जाता है।

पुस्तक सँभालना नहीं पड़ता, फटने या गुम होने की संभावना नहीं रहती। ई-अध्ययन से शिक्षा की तरफ देखने की नई दृष्टि मिल गई है। आज ई-ग्रंथालय भी इंटरनेट पर उपलब्ध हैं जहाँ नि:शुल्क या शुल्क देकर देश-विदेश के लेखकों का साहित्य पढ़ा जा सकता है।

ई-ग्रंथालयों में ई-पुस्तकें, ई-वीडियो, वार्तापट आदि द्वारा ज्ञान उपलब्ध होता है।

आज का युग प्रतियोगिता का युग है और इसमें टिके रहने के लिए ई-अध्ययन एक वरदान है। हर विषय का ज्ञान, सामान्य ज्ञान, खेल-कूद पर्यावरण आदि की जानकारी ई-अध्ययन से हम ले सकते हैं। ऐसा एक भी क्षेत्र नहीं जिसकी जानकारी हमें ना मिलती हो।

कभी-कभी कुछ वेबसाइट में हमें अकाउंट खोलना पड़ता है और लॉग इन करके अध्ययन करना पड़ता है। ज्ञानमनोरंजन-करियर का त्रिवेणी संगम ई-अध्ययन है जो हमारा ज्ञान अद्यतन रखता है। समय, श्रम और आर्थिक बचत भी बड़े पैमाने पर होती है। बस निम्न सावधानियाँ हमें बरतनी चाहिए :

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 17 ई-अध्ययन नई दृष्टि 1

ई-अध्ययन : नई दृष्टि शब्दार्थ :

  • तंत्रज्ञान = तकनिकी (technical knowledge),
  • अंतर जाल = (internet),
  • प्रतिष्ठान = संस्था (foundation),
  • दृक-श्राव्य = एक साथ देखा और सुना जा सकने वाला (audio-visual),
  • वार्तापट = बातचीत (chat),
  • विवरण = विस्तृत जानकारी (description),
  • पंजीकरण = शासन या सरकार द्वारा किया जाने वाला प्रमाणीकरण, मान्यीकरण (Registration),
  • अद्यतन = नवीनतम विचारों और मान्यताओं के अनुकूल (up to date),
  • प्रतियोगिता = होड़ (competition), Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 17 ई-अध्ययन : नई दृष्टि
  • पर्यावरण = जैव मंडल, वातावरण (environment),
  • विवादास्पद = विवादग्रस्त (controversial),
  • प्रतिबंधित = जिसपर प्रतिबंध लगा हो (restricted),
  • संबोधन = पुकारना, बोध कराना (exhortation),
  • गौरवान्वित = सम्मानित, महिमायुक्त (glorified),
  • स्त्रोत = उद्गम स्थान, उत्पत्ति स्थान, आगार (source)

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 5.1 मध्ययुगीन काव्य (अ) भक्ति महिमा

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 11th Digest Chapter 5.1 मध्ययुगीन काव्य (अ) भक्ति महिमा Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Maharashtra State Board 11th Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 5.1 मध्ययुगीन काव्य (अ) भक्ति महिमा

11th Hindi Digest Chapter 5.1 मध्ययुगीन काव्य (अ) भक्ति महिमा Textbook Questions and Answers

आकलन

1. सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ पूर्ण कीजिए :

प्रश्न अ.
(a) अंतर स्पष्ट कीजिए –
माया रस – रामरस
……………………… – ………………………
उत्तर :
माया रस – राम रस
पत्थर जैसा हृदय – मक्खन जैसा हृदय

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 5.1 मध्ययुगीन काव्य (अ) भक्ति महिमा

प्रश्न 2.
लिखिए –

‘मैं ही मुझको मारता’ से तात्पर्य ………………………
उत्तर :
मनुष्य स्वयं ही स्वयं का शत्रु है। अगर वह इस मैं (अहंकार) रूपी शत्रु को मार देता है तो वह इस संसार में विजेता हो जाता है।

प्रश्न आ.
सहसंबंध जोड़कर अर्थपूर्ण वाक्य बनाइए –
(1) पाती प्रेम की (2) साईं
(1) काहै को दुख दीजिए (2) बिरला
उत्तर :
(1) प्रेम की पाती कोई बिरला ही पढ़ पाता है।
(2) मूर्ख ! तू क्यों किसी को दुःख देता है, प्रभु तो सभी प्राणियों में निवास करता है।

काव्य सौंदर्य

2.
प्रश्न अ.
“जिनकी रख्या तूं करै ते उबरे करतार”, इस पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
हे परमात्मा जिस पर आपकी कृपा होती है वही इस भवसागर से पार हो पाता है। अन्य तो इस संसार के मायाजाल में फँसकर रह जाते हैं। अर्थात् मनुष्य जन्म दुर्लभ है और परमात्मा प्राप्ति मंजिल। सदैव मनुष्य को इस सत्य का ध्यान रखना चाहिए।

प्रश्न आ.
‘संत दादू के मतानुसार ईश्वर सबमें है’, इस आशय को व्यक्त करने वाली पंक्तियाँ ढूँढ़कर उनका भावार्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
“काहै कौं दुख दीजिए, साईं है सब माहिं।
दादू एकै आत्मा, दूजा कोई नाहिं।।”

किसी भी प्राणी को किसी भी तरह का कष्ट, दुख, पीड़ा नहीं पहुँचानी चाहिए क्योंकि सभी प्राणी में वही परमात्मा निवास करता है जो हमारे मनुष्य जीवन का लक्ष्य है। हे जीव ! उस परमात्मा के अलावा वहाँ दूसरा कोई नहीं है। सबकी आत्मा एक है। कबीर दास जी भी यही कहते हैं –

“घट – घट में वही साईं रमता
कटुक वचन मत बोल रे”

अभिव्यक्ति

3.
प्रश्न अ.
‘अहंकार मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु हैं, इस उक्ति पर अपने विचार स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
अहंकार मनुष्य के लिए एक घातक बीमारी के समान है। यह ऐसा रोग है कि व्यक्ति को मेले में भी अकेला कर देता है। जिसके पास रहता है उसी का विनाश करता है। यह अहंकार मनुष्य के जीवन का लक्ष्य भटका देता है। इस लिए मनुष्य को सदा इससे सतर्क रहना चाहिए।

प्रश्न आ.
‘प्रेम और स्नेह मनुष्य जीवन का आधार हैं’, इस संदर्भ में अपना मत लिखिए।
उत्तर :
प्रेम ही जीव-जगत का सार है। अध्यात्मिक और भौतिक दोनों ही क्षेत्र में प्रेम और स्नेह दो ऐसे स्तंभ हैं जिनके सहारे मनुष्य अपना जीवन सार्थक कर सकता है। वेद-पुराण, इतिहास, श्रेष्ठ समाज यही कहता है कि जिसने प्रेम और स्नेह प्राप्त कर लिया उसने इस धरती पर ही अमृत का पान कर लिया।

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रसास्वादन

प्रश्न 4.
ईश्वर भक्ति तथा प्रेम के आधार पर साखी के प्रथम छह पदों का रसास्वादन कीजिए।
उत्तर :
(i) शीर्षक : भक्ति महिमा
(ii) रचनाकार : संत दादू दयाल

(iii) केंद्रीय कल्पना : इन साखियों में कवि संत दादू दयाल जी ने ईश्वर भक्ति का मार्ग बताया है। ईश्वर को पूजने के लिए कहीं बाहर जाने की आवश्यकता नहीं है। ईश्वर मन के भीतर ही है। नामस्मरण करने से हमें मोक्ष प्राप्त होगा। वेद-पुराण पढ़ने से जीवन का सच्चा मार्ग नहीं मिलता बल्कि हृदय में जीवन और जगत के लिए प्रेम होना चाहिए यही कल्पना यहाँ कवि ने हमारे सामने रखी है।

(iv) रस-अलंकार : प्रस्तुत कविता नीति और ज्ञानोपदेश देने वाली साखियाँ हैं जो दोहा छंद में लिखी गई हैं।
(v) प्रतीक विधान : ईश्वर भक्ति, नामस्मरण, जीवन और जगत से प्रेम, अहंकार का त्याग करने से मोक्ष मिलेगा यही विधान कवि ने अपने दोहों में किया है।

(vi) कल्पना : संत दादू दयाल जी ने हृदय एक सँकरा महल है, ऐसी कल्पना की है और प्रभु और अहंकार दोनों उसमें एक साथ नहीं रह सकते ऐसा बताया है। अहंकार को त्यागने का संदेश देने के लिए कवि ने यह कल्पना की है।

(vii) पसंद की पंक्तियाँ तथा प्रभाव : इन साखियों में मेरी पसंदीदा साखी है –
‘जहाँ राम तहँ मैं नहीं, मैं तहँ नाहीं राम।
दादू महल बारीक है, वै कूँ नाही ठाम।।’

साखी का भाव दिल को छू लेता है और अहंकार को त्यागने का संदेश देता है। क्योंकि राम अर्थात ईश्वर और ‘मैं’ अर्थात अहंकार दोनों एक साथ नहीं रह सकते। मनुष्य का हृदय एक सँकरा महल है जहाँ अहंकार और ईश्वर एक साथ नहीं रह सकते। अहंकारी व्यक्ति ईश्वर से दूर हो जाता है। अत: अहंकार का त्याग कर के ही मनुष्य प्रभुमय हो सकता है। मनुष्य का बैरी उसका अहंकार है। है जो उसे प्रभु से मिलने नहीं देता। इसीलिए अहंकार का त्याग करना अनिवार्य है।

(viii) कविता पसंद आने के कारण : नीति ज्ञानोपदेश और संसार का व्यावहारिक ज्ञान देने वाली ये साखियाँ हैं जो हमें अहंकार को त्यागकर सभी को एक समान मानने की प्रेरणा देती हैं। इसीलिए मुझे यह कविता पसंद है। इनकी गेयता भी मुझे अच्छी लगती है।

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साहित्य संबंधी सामान्य ज्ञान

5. जानकारी दीजिए :

प्रश्न अ.
निर्गुण शाखा के संत कवि –
उत्तर :
संत कबीर, कमाल, रैदास, धर्मदास, गुरुनानक, दादू दयाल, सुंदरदास, रज्जब, मलूकदास।

प्रश्न आ.
संत दादू के साहित्यिक जीवन का मुख्य लक्ष्य
उत्तर :
संत परंपरा के अनुसार दादू दयाल की रचनाओं में जात-पाँत का निराकरण, छोटा-बड़ा, अमीर-गरीब, हिंदु-मुसलमानों की एकता आदि विषयों पर विचार मिलते हैं। संत दादू के साहित्यिक पद तर्क-प्रेरित न होकर हृदय-प्रेरित हैं।

6. निम्नलिखित वाक्य शुद्ध करके फिर से लिखिए –

प्रश्न 1.
बाबु साहब ईश्वर के लिए मुझ पे दया कीजिए।
उत्तर :
बाबू साहब ईश्वर के लिए मुझपर दया कीजिए।

प्रश्न 2.
उसे तो मछुवे पर दया करना चाहिए था।
उत्तर :
उसे तो मछुवे पर दया करनी चाहिए थी।

प्रश्न 3.
उसे तुम्हारे शक्ती पर विश्वास हो गया।
उत्तर :
उसे तुम्हारी शक्ति पर विश्वास हो गया।

प्रश्न 4.
वह निर्भीक व्यक्ती देश में सुधार करता घूमता था।
उत्तर :
वह निर्भीक व्यक्ति देश में सुधार करते घूमता था।

प्रश्न 5.
मल्लिका ने देखी तो आँखें फटी रह गया।
उत्तर :
मल्लिका ने देखा तो आँखें फटी रह गई।

प्रश्न 6.
यहाँ तक पहुँचते-पहुँचते मार्च पर भारा अप्रैल लग जायेगी।
उत्तर :
यहाँ तक पहुँचते-पहुँचते मार्च तो क्या बारह अप्रैल लग जाएगा।

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प्रश्न 7.
हमारा तो सबसे प्रीती है।
उत्तर :
हमारी तो सबसे प्रीति है।

प्रश्न 8.
तुम जूठे साबित होगा।
उत्तर :
तुम झूठे साबित होंगे।

प्रश्न 9.
तूम ने दीपक जेब में क्यों रख लिया?
उत्तर :
तुमने दीपक जेब में क्यों रख लिए?

प्रश्न 10.
इसकी काम आएगा।
उत्तर :
इसके काम आएगा।

Yuvakbharati Hindi 11th Textbook Solutions Chapter 5.1 मध्ययुगीन काव्य (अ) भक्ति महिमा Additional Important Questions and Answers

कृतिपत्रिका

(अ) निम्नलिखित पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

पद्यांश : माखण मन ……………………………………………….. प्रेम बिना क्या होइ। (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 20)

प्रश्न 1.
(i) चौखट में उत्तर लिखिए :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 5.1 मध्ययुगीन काव्य (अ) भक्ति महिमा 1
उत्तर :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 5.1 मध्ययुगीन काव्य (अ) भक्ति महिमा 2

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 5.1 मध्ययुगीन काव्य (अ) भक्ति महिमा 3
उत्तर :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 5.1 मध्ययुगीन काव्य (अ) भक्ति महिमा 4

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प्रश्न 2.
कारण लिखिए :

(i) अहंकार का त्याग करना अनिवार्य है –
उत्तर :
अहंकार का त्याग करना अनिवार्य है क्योंकि हृदय रूपी सँकरे (narrow) महल में प्रभु और अहंकार का एक साथ वास नहीं हो सकता।

(ii) प्रभु स्मरण के सिवा अन्य मार्ग दुगर्म हैं –
उत्तर :
प्रभु स्मरण के सिवा अन्य मार्ग दुर्गम हैं क्योंकि भक्ति का संबल (support) लेकर ही भवसागर आसानी से पार किया जा सकता है और अन्य मार्ग डूबो देते हैं।

प्रश्न 3.
प्रस्तुत पद्यांश का भावार्थ अपने शब्दों में लिखिए :
उत्तर :
मनुष्य जीवन में एक रामरस ही सार्थक होता है।

अन्य तो भवसागर में डुबोने वाला ही होता है। राम की प्राप्ति केवल प्रेम की नाव पर ही बैठकर प्राप्त हो सकती है। अहंकार मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है। भक्ति के सहारे ही भवसागर पार किया जा सकता है। जीवन के उद्धार के लिए अन्य सभी मार्ग दुर्गम हैं।

प्रेम की पत्री वही पढ़ सकता है जिसके हृदय में प्रेम है। यदि हृदय में जीवन और जगत के लिए प्रेम नहीं तो वेद-पुराण आदि पुस्तकें पढ़ने से क्या लाभ?

(आ) निम्नलिखित पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

पद्यांश : कागद काले करि मुए, ……………………………………………….. इनका मोल न तोल।। (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 20)

प्रश्न 1.
परिणाम लिखिए :

(i) प्रभु का एक अक्षर पढ़ने का परिणाम –
उत्तर :
प्रभु का एक अक्षर पढ़ने का परिणाम – वह सुजान हो गया।

(ii) वेद-पुराण का गहन अध्ययन करने का परिणाम –
उत्तर :
वेद-पुराण का गहन अध्ययन करने का परिणाम – कागज़ काले हुए लेकिन जीवन का सच्चा मार्ग नहीं मिला।

प्रश्न 2.
लिखिए :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 5.1 मध्ययुगीन काव्य (अ) भक्ति महिमा 5
उत्तर :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 5.1 मध्ययुगीन काव्य (अ) भक्ति महिमा 6

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 5.1 मध्ययुगीन काव्य (अ) भक्ति महिमा

(आ) उत्तर लिखिए :
(i) मेरा बैरी – …………………………………
(ii) सब में बसा है – …………………………………
उत्तर :
(i) अहंकार
(ii) साईं / ईश्वर / परमात्मा

प्रश्न 3.
पद्यांश की प्रथम दो साखियों का भावार्थ लिखिए :
उत्तर :
संत दादू दयाल जी अपनी साखियों में प्रभु के नामस्मरण का महत्त्व समझा रहे हैं। वे कहते हैं कि कितने ही लोगों ने वेद-पुरानों का गहन अध्ययन किया और उनकी व्याख्या करते हुए कागज काले किए, ग्रंथ लिख दिए। परंतु उन्हें जीवन का सच्चा मार्ग नहीं मिला। वे भवसागर में भटकते रहे।

जिसने प्रिय प्रभु का एक अक्षर ही पढ़ लिया, वह सुजान पंडित हो गया। मनुष्य को उसका अहंकार ही मारता है, दूसरा कोई नहीं। अहंकार का त्याग करने पर ही ईश्वर की प्राप्ति होती है। अपने अहंकार को मारकर ही मनुष्य मरजीवा हो सकता है अर्थात वैरागी बन सकता है।

अपने लौकिक बंधन तोड़कर स्वयं पर जीत पा सकता है। अहंकार के आवरण से बाहर निकलकर ही जीवन की सार्थकता मनुष्य समझ पाएगा।

मध्ययुगीन काव्य (अ) भक्ति महिमा Summary in Hindi

मध्ययुगीन काव्य (अ) भक्ति महिमा कवि परिचय :

संत दादू दयाल का जन्म 1544 को अहमदाबाद (गुजरात) में हुआ। आपके गुरु का नाम बुड्ढन था। आपने जिस संप्रदाय की स्थापना की वह ‘दादू पंथ’ के नाम से विख्यात हुआ संत परंपरा के अनुसार आपका दृष्टिकोण भी – “सर्वे भवंतु सुखिन:’ का रहा है।

समाज में व्याप्त सामाजिक कुरीतियाँ, अंधविश्वास और जातिगत ऊँच-नीच के विरोध में आपकी साखियाँ (एक काव्य प्रकार) एवं पद प्रस्तुत हैं।

आपके पद समाज, समता एवं एकता के पक्ष में हैं। आपने कबीर की भाँति अपने उपास्य को निर्गुण और निराकार (formless) माना है। संत दादू दयाल की मृत्यु-1603 में हुई।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 5.1 मध्ययुगीन काव्य (अ) भक्ति महिमा

प्रमुख रचनाएँ :

‘अनभैवाणी’, ‘कायाबेलि’ आदि।

मध्ययुगीन काव्य (अ) भक्ति महिमा काव्य विधा :

‘साखी’ साक्षी का अपभ्रंश है जो वस्तुतः दोहा छंद में ही लिखी जाती है। साखी का अर्थ है – साक्ष्य, प्रत्यक्ष ज्ञान। निर्गुण संत संप्रदाय का अधिकांश साहित्य साखी में ही लिखा गया है। जिसमें गुरुभक्ति और ज्ञान उपदेशों का समावेश है।

मध्ययुगीन काव्य (अ) भक्ति महिमा विषय प्रवेश :

प्रस्तुत साखी में संत कवि ने गुरु महिमा का वर्णन किया है। ईश्वर पूजन के लिए बाह्य संसाधन (exterior resources) की आवश्यकता नहीं है। ईश्वर के अलावा सांसारिक अंधकार को दूर करने वाला अन्य कोई नहीं है। नाम स्मरण से पत्थर हृदय भी मक्खन सा मुलायम हो जाता है।

अंहकार मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है। बिना इसका त्याग किए ईश्वर की प्राप्ति नहीं हो सकती। जिसकी रक्षा ईश्वर करता है, वही इस भवसागर से पार हो सकता है। ईश्वर एक ही है और वही एक ईश्वर सभी प्राणियों में समान रूप से निवास करता है अर्थात् सभी को एक समान मानना चाहिए।

मध्ययुगीन काव्य (अ) भक्ति महिमा सारांश (कविता का भावार्थ) :

मायामोह में रहने वाले व्यक्ति का हृदय पत्थर के समान हो जाता है। ईश्वर भक्ति में लीन रहने वाले मनुष्य का हृदय ईश्वर प्रेम से भरा रहता है। मनुष्य को सदा अहंकार से दूर रहना चाहिए। प्रभु प्राप्ति में अहंकार बहुत बड़ी बाधा है। ईश्वर कीर्तन में दादू मग्न हो जाते हैं। उनको ऐसा लगता है कि उनके मुँह से ताल (rhythm) बजने की आवाज आ रही है, उनके प्रभु उनके समक्ष प्रस्तुत है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 5.1 मध्ययुगीन काव्य (अ) भक्ति महिमा 7

भक्ति के सहारे ही संसार को पार किया जा सकता है। प्रभु स्मरण के अतिरिक्त संसार पार के अन्य मार्ग केवल भ्रम है। प्रेम ही जीवन और संसार का सार है। प्रेम नहीं तो संपूर्ण वेद वेदांत का अध्ययन निर्रथक है। वेद पुराण की व्याख्या करने वाले जाने कितने लोगों ने कितने कागज़ भर डाले पर प्रभु का सानिध्य (nearness) नहीं मिल पाया। जिसने प्रभु प्रेम का अक्षर आत्मसात कर लिया वह पंडित हो गया। अहंकार ही मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 5.1 मध्ययुगीन काव्य (अ) भक्ति महिमा

जिसने अहंकार पर विजय प्राप्त कर लिया वह विजेता हो जाता है। परमात्मा जिसका हाथ पकड़ लेता है वही इस संसार रूपी सागर से पार हो सकता है। शेष तो भवसागर में डूब ही मरते हैं। सज्जन व्यक्ति ही प्रभु कृपा का पात्र होता है।

आत्मा में ही परमात्मा का निवास होता है इसलिए किसी को भी किसी तरह का कष्ट, दुःख मत पहुँचाना।

इस संसार में दो ही ऐसे रत्न हैं जिनकी किसी से भी कोई तुलना नहीं है। पहला रत्न है – सबका मालिक, स्वामी, प्रभु, परमात्मा और दूसरा रत्न है – संकीर्तन करने वाला संतजन। इन्हीं दो रत्नों के बल पर, सामर्थ्य पर जीवन और जगत सुंदर बन जाता है। ये दोनों ही रत्न ऐसे हैं जिनका मोल-तोल नहीं हो सकता।

मध्ययुगीन काव्य (अ) भक्ति महिमा शब्दार्थ :

  • माखण = मक्खन (butter),
  • पाहण = पत्थर (stone),
  • मैं = अहंकार (ego),
  • बारीक = सँकरा (narrow),
  • द्वै = दोनों (माया और राम) (both),
  • ठाम = स्थान, जगह (place),
  • सुरति = याद, स्मरण (memory),
  • दीनदयाल = परमात्मा (god),
  • बाँचे = पढ़ना (to read),
  • केते = कितने, बहुत (many),
  • एकै = एक ही (only one),
  • आखर = अक्षर (letter),
  • सुजान = चतुर, विद्वान (clever),
  • बैरी = शत्रु (enemy), Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 5.1 मध्ययुगीन काव्य (अ) भक्ति महिमा
  • मरजीवा = जीवित होते हुए भी मरा हुआ, वैरागी (hermit),
  • रढया = रक्षा करना (protect, save),
  • करतार = सृष्टिकर्ता (god),
  • संसार = माया, मोह (world),
  • अमोल = जिसका कोई मोल न हो, अनमोल, अमूल्य। (priceless)
  • पाहण = पत्थर
  • सुरति = याद, स्मरण
  • बाँचे = पढ़ना
  • मरजीवा = जीवित होते हुए भी मरा हुआ, वैरागी
  • करतार = सृष्टिकर्ता
  • रख्या = रक्षा करना