Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना वृत्तांत लेखन

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 11th Digest रचना वृत्तांत लेखन Notes, Questions and Answers.

Maharashtra State Board 11th Hindi रचना वृत्तांत लेखन

वृत्तांत लेखन : किसी भी सभा, बैठक, कार्यक्रम आदि को लिखित रूप में प्रस्तुत करना ही वृत्तांत लेखन है।

  • वृत्तांत संक्षिप्त होना चाहिए और क्रमबद्धता का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
  • वृत्तांत लेखन में उत्तम पुरुष वाचक सर्वनाम (मैं, हम) का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
  • वृत्तांत में घटना, समय, स्थान आदि का स्पष्ट उल्लेख होना चाहिए।
  • यह सत्य घटना पर आधारित लेखन होता है।

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1. हिंदी दिवस का वृत्तांत लिखिए।

एक शानदार हिंदी दिवम

15 सितंबर मुंबई : स्वामी विवेकानंद ज्युनियर कॉलेज आफॅ आर्ट्स एंड कॉमर्स के सभागार में दोपहर तीन बजे प्रधानाचार्य महोदय की अध्यक्षता में एक शानदार कार्यक्रम संपन्न हुआ। हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. किशोर सिंह ने राष्ट्रभाषा के रूप में हिंदी तथा बारहवीं कक्षा की छात्रा शिवानी और रुही में हिंदी की आज की स्थिति पर अपने विचार रखे। ग्यारहवी कक्षा के छात्रों ने राष्ट्रभक्ति पर गीत प्रस्तुत किए।

इस अवसर पर दोहों की प्रतियोगिता रखी गई जिसकी वजह से कार्यक्रम में जान आ गई थी। रमा राणे इस प्रतियोगिता में विजयी हुई जिसे पाँच सौ रुपए का पुरस्कार और सर्टीफिकेट प्रदान किया गया।

प्रधानाचार्य ने इस कार्यक्रम में घोषणा की, कि इस वर्ष हिंदी में सर्वाधिक अंक प्राप्त करने वाले ग्यारहवीं तथा बारहवीं के छात्र को एक हजार रूपए का नकद पुरस्कार दिया जाएगा। सभी उपस्थित लोगों को अध्यक्ष महोदय ने धन्यवाद दिया और सभा विसर्जित हुई।

(कार्यालय प्रतिनिधि द्वारा)

2. महाविद्यालय में आयोजित वृक्षारोपण समारोह का वृत्तांत लिखीए।

अध्यापक और छात्रों द्वारा वृक्षारोपण

17 जुलाई, दिल्ली: आज 16 जुलाई को विकास महाविद्यालय हरिनगर, दिल्ली के महाविद्यालय परिसर में वृक्षारोपण समारोह अत्यंत हर्षोल्लास एवं उत्साहपूर्वक मनाया गया। इस कार्यक्रम में शिक्षा निदेशक मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। उन्हें पुष्पगुच्छ एवं एक पौधा देकर स्वागत किया गया।

इसके पश्चात छात्र-छात्राओं ने एक स्वर में, ‘नंगी धरती करे पुकार, वृक्ष लगाकर करो शृंगार’ गीत का समूहगान प्रस्तुत किया। अतिथि महोदय ने अपने भाषण में वृक्षों के महत्त्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने स्वयं एक पौधा लगाकर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।

फिर प्रधानाचार्य, उपप्रधानाचार्य तथा अध्यापकों ने वृक्षारोपण किया। छात्रों ने भी वृक्षारोपण करते हुए उनके देखभाल की जिम्मेदारी ली। पौधों के चारों ओर जाली लगाकर इनकी सिंचाई का प्रबंध किया गया ताकि पौधे फलें- फूलें और वृक्ष बन सकें। अंत में छात्रों में मिठाई वितरण करते हुए इस समारोह का समापन किया गया।

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(कार्यालय प्रतिनिधि द्वारा)

3. समता विद्यालय में पुरस्कार वितरण समारोह संपन्न

(कार्यालय प्रतिनिधि द्वारा)

पुणे, 12 फरवरी: कल 11 फरवरी, को समता विद्यालय में वार्षिक पुरस्कार वितरण समारोह संपन्न हुआ। समारोह की अध्यक्षता मशहूर अभिनेता शेखर सेन ने की थी।

ईश – स्तवन और गणेश वंदना से कार्यक्रम आरंभ हुआ। पाँचवी कक्षा के छात्रों ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया। तत्पश्चात विद्यालय के निरीक्षक श्री. अशोक कर्वे ने अध्यक्ष महोदय का परिचय और विद्यालय की विभिन्न गतिविधियों का विवरण प्रस्तुत किया।

अध्यक्ष महोदय के करकमलों से आदर्श विद्यार्थी, सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी, अभिनेता, नर्तक, गायक आदि पुरस्कार दिए गए। शालांत परीक्षा में विशेष योग्यता दिखलाने वाले मेधावी छात्रों को सम्मानित किया गया। अध्यक्ष महोदय ने अपने मार्गदर्शन पर भाषण में विद्यार्थियों को अनुशासन का पाठ पढ़ाया और उज्ज्वल भविष्य की कामना की। तत्पश्चात विद्यालय की ज्येष्ठ शिक्षिका श्रीमती चौधरी जी ने धन्यवाद यापन किया और राष्ट्रगीत के साथ समारोह का समापन हुआ।

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नासिक, 7 फरवरी : विवेक महाविद्यालय के प्रांगण में बारहवीं कक्षा के छात्रों का बिदाई समारोह 6 फरवरी को संपन्न हुआ। अपने महाविद्यालय से विदा लेते समय विद्यार्थियों की आँखें छलक आईं। समारोह की अध्यक्षता महाविद्यालय के प्रधानाचार्य ने की।

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ग्यारहवीं कक्षा के छात्रों ने बिदाई समारोह के आयोजन में अहं भूमिका निभाई। ठीक तीन बजे छात्र और शिक्षक प्रांगण में उपस्थित हुए थे। महाविद्यालय को रंगीन कागजों से सजाया गया था। एक छोटा सा वृक्ष का चित्र दीवार पर बना था और छात्र उस पर अपनी भावनाओं सरस्वती वंदना से कार्यक्रम की शुरुआत हुई। बारहवीं कक्षा के छात्रों ने अपने महाविद्यालय की यादें बताते हुए अपने शिक्षिकों का आभार प्रकट किया।

प्रधानाचार्य और वर्गशिक्षकों तथा ज्येष्ठ शिक्षकों ने विद्यार्थियों को मार्गदर्शन पर दो शब्द कहे। ग्यारहवीं कक्षा के छात्रों ने नृत्य एवं नाटिका प्रस्तुत कर सबका मनोरंजन किया। प्रधानाचार्य के करकमलों द्वारा आदर्श छात्र एवं छात्रा को पुरस्कृत किया गया। उसके बाद अल्पाहार दिया गया। छात्र अपने प्रिय शिक्षकों के साथ तस्वीरें लेते हुए देखे गए। बड़ा ही भावपूर्ण प्रसंग था यह, जो शाम सात बजे खत्म हुआ।

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Maharashtra State Board 11th Hindi रचना संभाषण लेखन

रोजमर्रा के जीवन में हम जो बातचीत या वार्तालाप करते हैं उसके लिखित रूप को संवाद-लेखन कहते हैं। वार्तालाप जितना चतुराई से किया गया है, उतना ही वह प्रभावशाली होता है। संवाद-लेखन करते समय ध्यान रहे –

  • संवाद की भाषा सरल एवं प्रभावशाली हो।
  • संवाद संक्षिप्त होने चाहिए।
  • संवाद विषय और पात्र के अनुकूल होने चाहिए।
  • संवाद लेखन में उचित विराम चिह्नों का प्रयोग किया जाना चाहिए।

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प्रश्न 1.
निम्नलिखित जानकारी के आधार पर संवाद-लेखन कीजिए :
Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना संभाषण लेखन 1
उत्तर :
अनन्या : हे रक्षिता! आज कितने दिनों बाद दिखाई दे रही हो; कहाँ थी?
रक्षिता : माँ के साथ दुर्घटना हो गई थी, इसलिए इधर आना नहीं हुआ।

अनन्या : ओह! क्या हुआ था?
रक्षिता : किसी बदमाश ने राह चलते उनके गले का मंगलसूत्र खींच लिया था। उनके गले पर जख्म हो गया था।

अनन्या : ओह! यह तो बहुत बुरा हुआ। आजकल दिनदहाड़े ऐसी वारदातें होने लगी हैं।
रक्षिता : काश! पुलिस अपनी जिम्मेदारियाँ ठीक से निभा पाते, तो बदमाशों की ऐसी हिम्मत नहीं होती।

अनन्या : (क्रोधित स्वर में) और हमारी पब्लिक तमाश-बिन की तरह केवल भीड़ इकट्ठा करती है।
रक्षिता : (सहमति प्रकट करते हुए) और नहीं तो क्या! हम लोग कब जिम्मेदार नागरिक बनेंगे?

अनन्या : क्या, बदमाश पकडा गया?
रक्षिता : नहीं तो! वह तो बाइक पर था, झपट्टा मारा और भाग गया।

अनन्या : खैर, तुम अपनी माँ का ख्याल रखो। मुझसे कोई सहायता चाहिए तो बिना हिचकिचाए बताना।
रक्षिता : अवश्य! चलती हूँ। अलविदा!

अनन्या : अलविदा !

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प्रश्न 2.
निम्नलिखित जानकारी के आधार पर संवाद-लेखन कीजिए :
Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना संभाषण लेखन 2
उत्तर :
पिताजी : बेटा, यहाँ आओ; बैठो। पढ़ाई के क्या हाल है? परीक्षा कब से है?
पुत्र : (घबराते हुए) परीक्षा नजदीक आई है और पढ़ाई अभी चल रही है, पूरी नहीं हुई।

पिताजी : पूरी होगी कैसे? मैं यह नहीं कहता कि दूरदर्शन मत देखो, लेकिन अपने अध्ययन के प्रति लापरवाही उचित नहीं। पूरा दिन दूरदर्शन के सामने बैठोगे तो पढ़ाई होगी ही नहीं।
पुत्र : लेकिन मैं अकेला थोड़े ही देखता हूँ, पापा? घर में सभी दूरदर्शन देखते हैं और आप मुझे ही डाँटते हो।

पिताजी : मैं तुम्हें समझा रहा हूँ। तुम्हारी दीदी को देखो, कक्षा में अव्वल आती है और तुम मात्र 50% अंक ला पाए हो।
पुत्र : (अँगूठे से जमीन कुरेदते हुए) मुझे दीदी अपने साथ पढ़ने को मना करती है।

पिताजी : मैंने दीदी को समझा दिया है, जाओ अब उसके साथ बैठकर पढ़ाई करो।
पुत्र : जी, पापा। अब मैं भी दीदी जैसे अंक लाकर दिखाऊँगा।

पिताजी : बहुत अच्छा! देर आए दुरुस्त आए। मुझे तुम पर विश्वास है। तुम जरूर अच्छे अंक ला पाओगे। भगवान तुम्हें सद्बुद्धि दें।

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प्रश्न 3.
निम्नलिखित जानकारी के आधार पर संवाद-लेखन कीजिए :
Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना संभाषण लेखन 3
उत्तर :
राम : नमस्ते श्याम! कैसे हो?
श्याम : नमस्ते! मैं ठीक हूँ। तुम कैसे हो? क्या कर रहे हो आजकल?

राम : मैं ठीक हूँ। आजकल मैं डाक टिकट इकट्ठा कर रहा हूँ।
श्याम : बहुत खूब! क्या तुम इन्हें अलबम में चिपकाओगे?

राम : हाँ! मैंने एक अलबम बना लिया है और टिकट चिपका भी दिए हैं।
श्याम : वाह! क्या, तुम्हारे पास सभी देशों के टिकट हैं?

राम : हाँ! ज्यादातर सभी देशों के टिकट मेरे पास हैं।
श्याम : (जिज्ञासा से) तो क्या इनमें, महँगी टिकटें भी हैं?

राम : मेरे पास बहुत सारी टिकटें है जिनमें कुछ टिकटें महँगी भी है।
श्याम : मेरे दोस्त, यह तो बता इस संग्रह से तुझे क्या लाभ होता है?

राम : यह मेरा शौक है जो मुझे बेहद सुख प्राप्त कराता है और हाँ, मुझे भूगोल पढ़ने में इनकी मदद मिलती है।
श्याम : बहुत अच्छा।

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राम : तुम्हारा भी कोई शौक है?
श्याम : है न! मुझे जंगली फूल जमा करने का शौक है।

राम : तुम उनसे क्या करते हो?
श्याम : मैं उन्हें कागज पर चिपकाता हूँ और फिर उनका नाम लिखता हूँ।

राम : इस शौक से तुम्हें क्या लाभ होता है?
श्याम : मेरा शौक मेरा वनस्पति विज्ञान का ज्ञान बढ़ाता है।

राम : तुमसे मिलकर आज बहुत अच्छा लगा। फिर मिलेंगे, अलविदा!
श्याम : अच्छा! अलविदा!

प्रश्न 4.
निम्नलिखित जानकारी के आधार पर संवाद-लेखन कीजिए।
Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना संभाषण लेखन 4
उत्तर :
साक्षात्कार कर्ता : जय हिंद, मेरे भाई, मेरे दोस्त!
सैनिक : जय हिंद! कहो कैसे आना हुआ?

साक्षात्कार कर्ता : आप हाल ही में सीमा पर दुश्मनों को लोहे के चने चबवाकर आए हो इसलिए मैं आपसे मिलना चाहता हूँ। आपके बारे में जानना चाहता हूँ।
सैनिक : भाई, मैंने तो सिर्फ अपना कर्तव्य निभाया है।

साक्षात्कार कर्ता : सीमा पर अपने परिवार से दूर आप कैसे रह लेते हो? क्या आपका उनके प्रति कर्तव्य नहीं है?
सैनिक : ऐसा तो नहीं। परिवार अपनी जगह है, देश अपनी जगह और देश की खातिर जो कर्तव्य है उसके आगे हमें निजी सुख-दुख बहुत छोटे नजर आते हैं।

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साक्षात्कार कर्ता : धन्य हैं आप! सुना है आपका बेटा छह वर्ष का है!
सैनिक : सही सुना है आपने। मेरा छह वर्ष का बेटा है जो अभी से सैनिक बनने का सपना देख रहा है और हाँ मेरी तीन साल की बेटी भी, शत्रु के साथ युद्ध करने की बातें करती है।

साक्षात्कार कर्ता : बहुत अच्छा लगा सुनकर। आपका पूरापरिवार ही राष्ट्रभक्ति से ओत-प्रोत है। हम देशवासियों को और देश के बालकों को (जोर देते हुए) कुछ संदेश देना चाहेंगे?
सैनिक : जरूर! देश के बालकों आप देश का भविष्य हो। हर काम को सच्चाई, ईमानदारी और खुशी से करो। अपने सपनों को हकीकत में बदलो। ईश्वर तुम्हें सदबुद्धि दे। वंदे मातरम्! जय हिंद!

साक्षात्कार कर्ता : वंदे मातरम्! जय हिंद!

Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना गद्य आकलन

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Maharashtra State Board 11th Hindi रचना गद्य आकलन

अपठित अर्थात जो पहले से पढ़ा / पढ़ाया न गया हो ऐसा परिच्छेद परीक्षा में दिया जाता है। इसे पढ़कर इसका आशय समझना होता है। कोई शब्द परिचित न हो और अर्थ समझ में नहीं आ रहा हो तो उसके अर्थ को वाक्य के प्रसंगानुसार ग्रहण करना चाहिए और सब कुछ समझ में आ जाने पर प्रश्न बनाना आसान हो जाएगा।

Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना गद्य आकलन

महत्त्वपूर्ण : छात्रों से अपठित गद्यांश पर आकलन हेतु मात्र प्रश्न निर्माण अपेक्षित है और प्रश्न भी ऐसे बनाने हैं जिनके उत्तर एक वाक्य में हों। हो सके उतना गद्यांश के लिए शीर्षक के बारे में प्रश्न न पूछे। आगे कुछ उदाहरण दिए हैं –

प्रश्न 1.
निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर पाँच ऐसे प्रश्न तैयार कीजिए जिनके उत्तर एक-एक वाक्य में हों।

पंडित जवाहरलाल नेहरूजी की अंतिम इच्छा यह थी कि मैं जब मरूँ तब मैं चाहूँगा कि मेरा दाह-संस्कार हो। अगर मैं विदेश में मरूँ तो मुझे वहीं जलाया जाए पर मेरी अस्थियाँ इलाहाबाद लाई जाएँ। मुठ्ठीभर भस्म इलाहबाद की गंगा में प्रवाहित करने की मेरी इच्छा है, किंतु उसके पीछे कुछ धार्मिक भावना नहीं है, क्योंकि गंगा हमारी सदियों से पुरानी सभ्यता और संस्कृति की प्रतीक रही है।

वह मुझे हिमालय के हिमाच्छादित शिखरों और नदियों की याद दिलाती है, जिनमें मेरा लगाव और प्यार बहुत ज्यादा रहा है। गंगा मुझे शस्य-श्यामल फैले हुए मैदानों की याद दिलाती है, यहाँ मेरी जिंदगी और काम ढले हैं। गंगा में कहीं समुद्र जैसी विनाश की भी शक्ति मुझे लगती है और उसकी यह शक्ति मेरे लिए अतीत की प्रतीक व स्मृति है, जो वर्तमान में प्रवाहित है और भविष्य के महासमुद्र में आगे बढ़ते रहने की है।
उत्तर:

  1. मुठ्ठीभर भस्म का विसर्जन लेखक ने कहाँ करने के लिए कहा है?
  2. गंगा की कौन-सी शक्ति लेखक के लिए अतीत की प्रतीक व स्मृति है?
  3. लेखक की जिंदगी और काम कहाँ ढले हैं?
  4. पंडित जवाहरलाल नेहरू जी को गंगा नदी किसकी याद दिलाती है?
  5. विदेश में मरने पर पंडित जवाहरलाल नेहरू जी क्या चाहते हैं?

प्रश्न 2.
निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर पाँच ऐसे प्रश्न तैयार कीजिए जिनके उत्तर एक-एक वाक्य में हों।
वर्तमान शासन प्रणालियों में जनतंत्र से बढ़कर उत्तम कोई प्रणाली नहीं हैं, क्योंकि उसमें जनता को स्वयं यह अधिकार प्राप्त रहता है कि वह अपने प्रतिनिधियों को चुनकर विधान सभाओं और संसद में भेजें। ऐसे प्रत्यक्ष चुनाव में प्राय: वही व्यक्ति चुना जाता है, जिसका सार्वजनिक जीवन अच्छा हो और जो जनता की सेवा करता हो। इस प्रणाली में जनता को यह अधिकार है कि यदि वह किसी दल या किसी व्यक्ति के कार्यों से संतुष्ट नहीं है तो दूसरी बार उस दल या व्यक्ति को अपना मत न दें।

निर्वाचन में विरोधी दलों के भी कुछ व्यक्ति चुने जाते हैं, जो अपनी आलोचना से शासक दल के स्वेच्छाचार पर अंकुश रखते हैं। इस प्रकार देश की शासन प्रणाली में विरोधी दलों का भी महत्त्वपूर्ण स्थान होता है।
उत्तर:

  1. जनता अपने प्रतिनिधियों को चुनकर कहाँ भेजती है?
  2. चुनाव में कैसा व्यक्ति चुना जाता है?
  3. विरोधी दल अपनी आलोचना से क्या कर सकता है?
  4. जनतंत्र में जनता को किस बात का अधिकार होता है?
  5. सबसे उत्तम शासन प्रणाली कौन-सी है?

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प्रश्न 3.
निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर पाँच ऐसे प्रश्न तैयार कीजिए जिनके उत्तर एक-एक वाक्य में हों।
दान देने की परिपाटी प्राचीन काल से चली आ रही है। अन्नदान, गोदान, वस्त्रदान, स्वर्णदान, भूमिदान करना भारतीय अपना परम धर्म मानते हैं। धर्म से स्वर्ग की प्राप्ति होती है, ऐसा माना जाता है। प्राचीन काल में विद्यादान को सर्वश्रेष्ठ दान माना जाता था। वर्तमान काल में कुछ नए प्रकार के दान प्रचलित हुए है – नेत्रदान, रक्तदान, किडनीदान । रक्त तो हर व्यक्ति के लिए जरूरी है। पचास वर्ष तक के निरोगी स्त्री-पुरुष रक्त दान कर सकते हैं। दुर्घटनाओं से परिपूर्ण वैज्ञानिक युग में रक्तदान, सर्वश्रेष्ठ दान माना जा रहा है। नेत्रदान करने से घबराना नहीं चाहिए क्योंकि मरणोपरांत ही आँखें निकालकर, अंधों को दी जाती हैं और वे देखने लगते हैं। बीमार के प्राण बचाने के लिए हम अपनी किडनी दान दे सकते हैं।
उत्तर :

  1. प्राचीन काल से लेकर अब तक कौन-कौन से दान प्रचलित हैं?
  2. किन लोगों को रक्तदान करना चाहिए?
  3. वैज्ञानिक युग में कौन-सा दान श्रेष्ठ है?
  4. दान करना भारतीय अपना परम धर्म क्यों मानते हैं?
  5. नेत्रदान करने से घबराने की जरूरत क्यों नहीं?

प्रश्न 4.
निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर पाँच ऐसे प्रश्न तैयार कीजिए जिनके उत्तर एक-एक वाक्य में हों।

भारत में प्राचीन काल से दहेज प्रथा चली आ रही है। कन्या के माता-पिता अपनी क्षमता के अनुसार शादी के समय दहेज देते चले आए हैं। वर एवं कन्या के परिवारवालों में आपसी प्रेम था इसलिए वरवाले कन्यावालों से किसी प्रकार की माँग करने में संकोच करते थे।

परंतु पिछले 50 वर्षों से विवाह एक व्यापार बन गया है। इससे समाज दुखी है। लड़कीवाला लड़के की योग्यता के स्थान पर धन को ही सर्वस्व मानता है और वह बड़े अमीर परिवार में अपनी लड़की को देना चाहता है। लड़का लड़कियों को देखता है।

जिस लड़की के पास धन अधिक होता है, उसे चुन लेता है। उसकी योग्यता को नहीं देखता। आज लड़की के विवाह का मूल आधार धन बन गया है। जिस दिन लड़की का जन्म होता है, उसी दिन से माता-पिता को उसके विवाह की चिंता लग जाती है।

इस बुराई को दूर करने के लिए हमें मिलकर इस प्रथा का विरोध करना चाहिए। जो दहेज लेता है, उसके लिए ऐसा कानून बनना चाहिए कि दहेज लेनेवाले को चोरी, जुआ एवं हत्या आदि अपराध करनेवालों के समान देखा जाए और सामाजिक मंच पर उसे बेइज्जत किया जाए।

इस विषय पर मात्र बोलने एवं लिखने से अब काम नहीं चलेगा। हमें एक होकर इस प्रकार के विरोध में कदम बढ़ाने होंगे।

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प्रश्न :
(1) भारत में प्राचीन काल में दहेज प्रथा का स्वरूप कैसा था?
(2) माता-पिता को लड़की के विवाह की चिंता कब से लग जाती है?
(3) आज लड़की के विवाह का मूल आधार क्या बन गया है?
(4) दहेज लेने वाले के साथ कैसा व्यवहार किया जाना चाहिए?
(5) लड़की के विवाह का मूल आधार क्या बन गया है?

प्रश्न 5.
निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर पाँच ऐसे प्रश्न तैयार कीजिए जिनके उत्तर एक-एक वाक्य में हों।
पवन पुत्र हनुमान, भीष्म पितामह, स्वामी दयानंद सरस्वती, स्वामी विवेकानंद जैसे बाल ब्रह्मचारियों ने भारत-भूमि को पावन किया है। संसार के प्राचीन ग्रंथ वेदों में लिखा है: “ब्रह्मचारी मृत्यु को जीत लेते हैं।” ‘ब्रह्म’ शब्द के अर्थ हैं ‘परमेश्वर, विद्या और शरीर-रक्षण। ब्रह्मचर्य के पालन से शरीर स्वस्थ होता है।

जिसका शरीर स्वस्थ उसीका मन स्वस्थ, जिसका मन स्वस्थ उसकी स्मरण-शक्ति बहुत होती है। स्मरण-शक्ति से आकलन शक्ति बढ़ती है । विद्यार्थी जीवन में आकलनशक्ति का अपना विशेष महत्त्व है। ब्रह्मचर्य विद्यार्थी जीवन की कमियाँ पूरी करता है।

प्राचीन भारतीय साहित्य में ब्रह्मचर्य की महिमा लिखी है। इसका पालन करनेवाला विद्यार्थी निरोगी, बुद्धिमान, संपत्तिशाली, महान बनता है। ब्रह्मचर्य की महिमा अपार है।

प्रश्न:
(1) कौन-कौन बाल ब्रह्मचारी थे?
(2) मृत्यु को कौन जीत सकते हैं?
(3) ‘ब्रह्म’ शब्द के कितने और कौन-कौन से अर्थ हैं?
(4) विद्यार्थी जीवन में किसका विशेष महत्त्व है?
(5) ब्रह्मचर्य पालन करने वाला विद्यार्थी कैसा होता है?

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स्वाध्याय

निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर पाँच ऐसे प्रश्न तैयार कीजिए जिनके उत्तर एक वाक्य में हों –

(1) हँसने का एक सामाजिक पक्ष भी होता है। हँसकर हम लोगों को अपने निकट ला सकते हैं और व्यंग्य उन्हें दूरस्थ बना देते हैं। जिसको भगाना हो उसकी थोड़ी देर हँसी खिल्ली उड़ाइए, वह तुरंत बोरिया-बिस्तर गोल कर पलायन करेगा। जितनी मुक्त हँसी होगी, उतना समीप व्यक्ति खींचेगा इसीलिए तो श्रोताओं की सहानुभूति अपनी ओर खींचने के लिए चतुर वक्ता अपना भाषण किसी रोचक कहानी या घटना से आरंभ करते हैं।

जनता यदि हँसी तो चंगुल में फँसी। सामाजिक मूल्यों और नियमों को मान्यता दिलाने और रूढ़ियों को निष्कासित करने में पुलिस या कानून सहायता नहीं करता, किन्तु वहाँ हास्य का चाबुक अचूक बैठता है। हास्य के कोड़े, उपहास-डंक और व्यंग्य-बाण मारकर आदमी को रास्ते पर लाया जा सकता है। इस प्रकार गुमराह बने समाज की रक्षा की जा सकती है।

(2) किसी भी देश या काल के लिए जवान तथा शिक्षक दोनों ही महत्त्वपूर्ण हैं। किसी एक के बिना समाज सुरक्षित नहीं रह सकता। दोनों ही समाज के रक्षक हैं, किन्तु कार्यों में भिन्नता दिखाई पड़ती है। एक शत्रु से रक्षा करता है तो दूसरा उसे (देश को) समृद्ध बनाता है।

फिर भी शिक्षक का उत्तरदायित्व जवान से कहीं बढ़कर है। भावी नागरिक निर्माण करने की जिम्मेदारी शिक्षक के ऊपर है। वह उसके शारीरिक, मानसिक तथा नैतिक विकास का जनक है, जिस पर व्यक्ति, समाज तथा राष्ट्र निर्भर है। शिक्षक के ही द्वारा कोई योग्य सैनिक बन सकता है।

आज शिक्षक ने सैनिक धाराओं में क्रांति पैदा कर दी है। हमारे अहिंसक आंदोलन ने दुनिया को दिखा दिया है कि शिक्षक सैनिक से श्रेष्ठ है। इसे बनावटी-शस्त्रों की जरूरत नहीं है। इसका आत्मिक बल सब शस्त्रों से बड़ा है।

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अगर आनेवाली दुनिया इसका अनुसरण करे तो शस्त्रीकरण का नामोनिशान भू-पृष्ठ से उठ जाएगा। नैतिक शक्ति का बोल-बाला होगा, सारी दुनिया में एकात्मता की लहर फैलेगी और तब ज्ञान-विज्ञान का निर्माण विकास के लिए होगा, न कि विनाश के लिए।

(3) समाजसुधार आंदोलन को निर्भीक संन्यासी स्वामी श्रद्धानंद से नई दिशा मिली। हरिजन समस्या के समाधान में कई स्थानों पर संघर्ष का भी सामना करना पड़ा। गुरुकुल काँगड़ी के छात्रवासों और भोजनालयों में बिना किसी भेदभाव के हर जाति के विद्यार्थी रहते और खाते-पीते थे।

स्वामी जी का कहना था – मनों से छुआछूत की भावना मिटाने में आवासीय शिक्षण संस्थाओं का अच्छा योगदान हो सकता है। चौबीसों घंटे एक साथ मिलकर जब रहेंगे, खेलेंगे, कूदेंगे और पढ़ेंगे, लिखेंगे तो कहाँ तक छूत-अछूत की दीवार खड़ी रह पाएगी।

आजादी के बाद भी यदि इसी रास्ते को पकड़ा गया होता तो मंजिल बहुत पहले तय हो जाती। आवासीय पद्धति पर आश्रित ऐसे गुरुकुल उन्होंने हरियाणा में झज्जर, इंद्रप्रस्थ और कुरूक्षेत्र, गुजरात में सोनगढ़ और सूपा में भी खोले। देहरादून का कन्या गुरुकुल भी उसी श्रृंखला की कड़ी है।

(4) यश और कीर्ति पैतृक संपत्ति नहीं है। जिसका सुख-भोग संतान कर सके। वास्तविक सम्मान और यश धन के द्वारा भी प्राप्त नहीं हो सकता। ये वे पदार्थ है जो घोर परिश्रम और स्वावलंबन द्वारा ही प्राप्त हो सकते हैं। ईश्वर का वरद हस्त भी उसी के शीश पर है जो स्वत: अपनी सहायता करता है।

यदि तुम अपना जीवन धन्य बनाना चाहते हो तो खड़े हो जाओ अपने पैरों पर और संसार में एक बार शक्ति से अपने कार्यो से सुख और शांति की धारा प्रवाहित कर दो। भाग्य की भाषा पढ़ने के फेरे में जो भी डूबा वह कभी भी ऊपर नहीं आ सकता। अत: यह निश्चित है कि तुम ही अपने भाग्य विधाता हो और जीवन निर्माण करने का संपूर्ण अधिकार भी तुम ही को है।

(5) संसार में कुछ भी असाध्य नहीं है। कुछ भी असम्भव नहीं है। असम्भव, असाध्य, कठिन आदि शब्द कायरों के लिए हैं।

नेपोलियन के लिए ये शब्द उसके कोष में नहीं थे। साहसी पतले बापू ने विश्व को चकित कर दिया। क्या बापू शरीर से शक्तिशाली थे? नहीं। वह तो पतली-सी एक लंगोटी पहने लकड़ी के सहारे चलते थे, परंतु विचार सशक्त थे, भावनाएँ शक्तिशाली थीं, उनके साहस को देखकर करोड़ो भारतीय उनके पीछे थे। ब्रिटिश साम्राज्य उनसे काँप गया। अहिंसा के सहारे बिना रक्त-पात के उन्होंने भारत को स्वतंत्र कराया। यह विश्व का एक अद्वितीय उदाहरण है।

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जब महात्मा गांधीजी ने अहिंसा का नारा लगाया तो लोग हँसते थे, कहते थे अहिंसा से कहीं ब्रिटिश साम्राज्य से टक्कर ली जा सकती है? परंतु वे डटे रहे, साहस नहीं छोड़ा, अंत में अहिंसा की ही विजय हुई। कहते हैं, अकेला चना क्या भाड़ फोड़ सकता है? हाँ, यदि उसमें साहस हो तो! साहसहीन के लिए सब कुछ असम्भव है। उससे अगर कहा जाए कि भाई जरा वह काम कर देना; तो वह तुरंत कहेगा, अरे! इतनी दूर!

पैदल, एक दिन में! नहीं भाई, मुझसे नहीं हो सकेगा, किसी और से करा लो। भला वह इस काम को कैसे करेगा? करने वाला दूरी और पैदल नहीं देखता! उसके मार्ग में चाहे पर्वत आकर खड़े हो जाएँ, आँधी आए या तूफान, उसको उनसे क्या वास्ता? उसको तो अपने लक्ष्य तक पहुँचना है, उसे कोई नहीं रोक सकता है। वह अपने लक्ष्य तक अवश्य पहुँच जाएगा। साहसी पुरुष दिन-रात नहीं देखा करते, आँधी तूफान, नदी-नाले, पहाड़-समुद्र नहीं देखा करते; वे तो केवल एक ही चीज देखा करते हैं कि उन्हें अपने लक्ष्य तक पहुँचना है।

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Maharashtra State Board 11th Hindi रचना अनुवाद लेखन

अनुवाद लेखन : किसी भाषा में कही या लिखी गई बात का किसी दूसरी भाषा में सार्थक परिवर्तन अनुवाद कहलाता है। अनुवाद एक कला है। अनुवाद करते समय शब्दों का ही केवल अनुवाद नहीं करना है वाक्य में जो भाव है उसके अनुसार शब्दों का चयन और क्रम रखकर मौलिक भाव को प्रस्तुत करना होता है। आपको अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद करने के लिए पूछा जाएगा।

Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना अनुवाद लेखन

उदा.
His dreams became true
अनुवाद – उसके सपने सच हुए।

निम्नलिखित वाक्यों का हिंदी में अनुवाद कीजिए

प्रश्न 1.
Mistakes are always forgivable, if one has the courage to admit them.
उत्तर:
गलतियाँ हमेशा क्षमा की जा सकती हैं, यदि आपके पास उन्हें स्वीकारने का साहस हो।

प्रश्न 2.
As you think, so shall you become.
उत्तर:
जैसा आप सोचते हैं, वैसा आप बन जाएँगे।

प्रश्न 3.
A quick temper will make a fool of you soon enough
उत्तर:
जल्दी गुस्सा करना जल्द ही आपको मूर्ख साबित कर देगा।

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प्रश्न 4.
A man is great by deeds, not by birth.
उत्तर:
व्यक्ति जन्म से नहीं कर्म से महान होता है।

प्रश्न 5.
Success and failure are both part of life and both are not permanent.
उत्तर:
सफलता और असफलता दोनों जीवन के हिस्से हैं और दोनों स्थायी नहीं होते।

प्रश्न 6.
A person who never made a mistake never tried anything new.
उत्तर:
जिस व्यक्ति ने कभी गलती नहीं की उसने कभी कुछ नया करने की कोशिश नहीं की।

प्रश्न 7.
Life should be great rather than long.
उत्तर:
जीवन लंबा होने की बजाय महान होना चाहिए।

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प्रश्न 8.
Failure comes only when we forget our ideals and objectives and principles.
उत्तर:
असफलता तभी आती है जब हम अपने आदर्श, उद्देश्य और सिद्धांत भूल जाते हैं।

प्रश्न 9.
Health is the greatest gift, contentment the greatest wealth, faithfulness the best relationship.
उत्तर.
स्वास्थ्य सबसे बड़ा उपहार है, संतोष सबसे बड़ा धन है, वफादारी सबसे बड़ा संबंध है।

प्रश्न 10.
Never stop believing in hope because miracles happen everyday.
उत्तर:
उम्मीद पर विश्वास करना न छोड़ें क्योंकि चमत्कार हर दिन होते हैं।

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Maharashtra State Board 11th Hindi रचना विज्ञापन लेखन

विज्ञापन का सामान्य अर्थ है सूचना या विशिष्ट ज्ञापन वास्तव में आज की उपभोक्तावादी संस्कृति में यह विशेष महत्त्वपूर्ण है। इसका प्रभाव उपभोक्ता, विक्रेता तथा समाज के सभी वर्गों पर गहरा पड़ता है।

विज्ञापन का मुख्य उद्देश्य है –

  • उत्पाद की बिक्री बढ़ाना।
  • सामाजिक अथवा राजनीतिक अभियान को गति देना।
  • विद्यालयों / महाविद्यालयों में प्रवेश हेतु आवेदन-पत्र की जानकारी प्राप्त करना।
  • नाटक, संवाद, कहानी, सिनेमा आदि की जानकारी देना।
  • नौकरी देने / लेने हेतु जानकारी देना।

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विज्ञापन के नमूने :

प्रश्न 1.
निम्नलिखित जानकारी के आधार पर विज्ञापन तैयार कीजिए।
Maharashtra Board Class 11 Hindi रचना विज्ञापन लेखन 1
उत्तर:
“घर किराए पर देना है”
500 वर्गफीट, वन बी-एच्.के का फ्लैट गोरेगाँव रेल स्थानक से पाँच मिनट की दूरी पर उपलब्ध है। स्कूल और अस्पताल निकट। जॉगर्स पार्क के बगल/पास में। 24 घंटे पानी की सुविधा।
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संपर्क : अभय पांडेय।
मोबाईल : 98xxxxxxx
समय : सुबह 11 से शाम 6
पता : 203 / गजानन कॉलनी, गोरेगाँव (प.), मुंबई।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित जानकारी के आधार पर विज्ञापन तैयार कीजिए।
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उत्तर:
आवश्यकता है

रामानंद विद्यालय, चेंबूर नाका, चेंबूर, मुंबई 71 के लिए खुले प्रवर्ग के लिए एक हिंदी-मराठी विषय के शिक्षक सेवक की आवश्यकता है। प्रार्थी का प्रशिक्षित एवं हिंदी-मराठी विषय में स्नातक होना अनिवार्य है। अपने शैक्षणिक अनुभव एवं प्रमाणपत्रों की प्रतियों के साथ प्रधानाचार्य से मिले।

दिनांक : 7 और 8 अक्टूबर 2017.
समय : सुबह 10.00 से 3.00 बजे तक
भ्रमणध्वनि : 98xxxxx

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प्रश्न 3.
निम्नलिखित जानकारी के आधार पर विज्ञापन तैयार कीजिए।
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उत्तर :
आवश्यकता है ….
सोसायटी के बगीचे की देखभाल करने हेतु अनुभवी माली की आवश्यकता है।

  • पेड़- पौधों की जानकारी आवश्यक
  • सोसायटी कंपाऊंड में रहने की व्यवस्था
  • 10000 से 15000 प्रतिमाह तनख्वाह
  • निर्व्यसनी, ईमानदार माली अपने दो फोटो और आधार कार्ड के साथ संपर्क करें।

सेक्रेटरी.
हरगोविंद सोसायटी
रामनगर, वरली।
भ्रमणध्वनि: 90xxxxxx
केवल इतवार के दिन शाम 4 से 7 के बीच ही संपर्क कर सकते हैं।

प्रश्न 4.
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Maharashtra Board Class 11 Biology Solutions Chapter 13 Respiration and Energy Transfer

Balbharti Maharashtra State Board 11th Biology Textbook Solutions Chapter 13 Respiration and Energy Transfer Textbook Exercise Questions and Answers.

Maharashtra State Board 11th Biology Solutions Chapter 13 Respiration and Energy Transfer

1. Choose the Correct option.

Question (A)
The reactions of the TCA cycle occur in
(A) ribosomes
(B) grana
(C) mitochondria
(D) endoplasmic reticulum
Answer:
(C) mitochondria

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Question (B)
In eukaryotes the complete oxidation of a molecule of glucose results in the net gain of
(A) 2 molecules of ATP
(B) 36 molecules of ATP
(C) 4 molecules of ATP
(D) 38 molecules of ATP
Answer:
(D) 38 molecules of ATP

Question (C)
Which step of Krebs cycle operates substrate-level phosphorylation?
(A) ∝-ketoglutarate → succinyl CoA.
(B) Succinyl CoA → succinate
(C) Succinate → fumarate
(D) Fumarate → malate
Answer:
(B) Succinyl CoA → succinate

2. Fill in the blanks with suitable words.

Question 1.
A. Acetyl CoA is formed from __________ and co-enzyme A.
B. In the prokaryotes ________ molecules of ATP are formed per molecule of glucose oxidised.
C. Glycolysis takes place in ________ .
D. F1 – F0 particles participate in the synthesis of _________ .
E. During glycolysis _________ molecules of NADH+H+ are formed.
Answer:
A. pyruvic acid
B. 2/38
C. cytoplasm
D. ATP
E. 2
[Note: ii. In prokaryotes, during anaerobic respiration 2 ATPs are formed per glucose and 38 ATPs are formed during aerobic respiration.]

3. Answer the following questions

Question (A)
When and where does anaerobic respiration occur in man and yeast?
Answer:
1. In absence of oxygen, anaerobic respiration takes place in skeletal muscles of man during vigorous exercise.
2. Anaerobic respiration occurs in the cytoplasm of the yeast cell.

Question (B)
Why is less energy produced during anaerobic respiration than in aerobic respiration?
Answer:
Anaerobic respiration produces less energy because:

  1. Incomplete breakdown of respiratory substrate takes place.
  2. Some of the products of anaerobic respiration can be oxidised further to release energy which shows that anaerobic respiration does not liberate the whole energy contained in the respiratory substrate.
  3. NADH2 does not produce ATP, as electron transport is absent.
  4. Only 2 ATP molecules are generated from one molecule of glucose during anaerobic respiration.

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Question (C)
Which is the site for ETS in mitochondrial respiration?
Answer:
The inner mitochondrial membrane is the site for ETS in mitochondrial respiration.

Question (D)
Which compound is the terminal electron acceptor in aerobic respiration?
Answer:
Molecular oxygen is the terminal electron acceptor in aerobic respiration.

Question (E)
What is RQ.? What is its value for fats?
Answer:
1. Respiratory quotient (R.Q.) or respiratory ratio is the ratio of volume of CO2 released to the volume of O2 consumed in respiration.
2. R.Q. = Volume of CO2 released / Volume of O2 consumed

Question (F)
What are respiratory substrates? Name the most common respiratory substrate.
Answer:
Respiratory substrates are the molecules that are oxidized during respiration to release energy which can be used for ATP synthesis. Carbohydrates, fats and proteins are the common respiratory substrate. Glucose is the most common respiratory substrate.

Question (G)
Write explanatory notes on:

Question (i)
Glycolysis
Answer:
Glycolysis is a process where glucose is broken down into two molecules of pyruvic acid, hence called glycolysis (glucose-breaking). It is common to both aerobic and anaerobic respiration. It occurs in the cytoplasm of the cell. It involves ten steps.
Glycolysis consists of two major phases:
1. Preparatory phase (1-5 steps).
2. Payoff phase (6-10 steps).
1. Preparatory phase:
a. In this phase, glucose is phosphorylated twice by using two ATP molecules and a molecule of fructose 1,6-bisphosphate is formed.
b. It is then cleaved into two molecules of glyceraldehyde-3-phosphate and dihydroxy acetone phosphate. These two molecules are 3-carbon carbohydrates (trioses) and are isomers of each other.
c. Dihydroxy acetone phosphate is isomerised to second molecule of glyceraldehyde-3-phosphate.
d. Therefore, two molecules of glyceraldehyde-3- phosphate are formed.
e. Preparatory phase of glycolysis ends.

2. Payoff phase:
a. In this phase, both molecules of glyceraldehyde-3-phosphate are converted to two molecules of 1,3- bisphoglycerate by oxidation and phosphorylation. Here, the phosphorylation is brought about by inorganic phosphate instead of ATP.
b. Both molecules of 1, 3-bisphosphoglycerate are converted into two molecules of pyruvic acid through series of reactions accompanied with release of energy. This released energy is used to produce ATP (4 molecules) by substrate-level phosphorylation.

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Question (ii)
Write explanatory notes on: Fermentation by yeast
Answer:
Alcoholic fermentation is a type of anaerobic respiration where the pyruvate is decarboxylated to acetaldehyde. The acetaldehyde is then reduced by NADH+H+ to ethanol and Carbon dioxide. Since ethanol is produced during the process, it is termed alcoholic fermentation.

Question (iii)
Write explanatory notes on: Electron transport chain
Answer:

  1. NADH2 and FADH2 produced during glycolysis, connecting link reaction and Krebs cycle are oxidized with the help of various electron carriers and enzymes.
  2. These carriers and enzymes are arranged on inner mitochondrial membrane in the form of various complexes as complex I, II, III, VI and V.
  3. NADH+H+ is oxidised by NADH dehydrogenase (complex I) and it’s electrons are transferred to ubiquinone (coenzyme Q-CoQ) present on inner membrane of mitochondria. Reduced ubiquinone is called as ubiqunol.
  4. FADH2 is oxidised by complex II (Succinate dehydrogenase) and these electrons are also transferred to CoQ.
  5. During oxidation of NADH+H+ and FADH2 , electrons and protons are released but only electrons are canned forward whereas protons are released into outer chamber of mitochondria (intermembrane space).
  6. Ubiquinol is oxidised by complex-III (Cytochrome bcl complex) and it’s electrons are transferred to cytochrome C. Cytochrome C is a small, iron-containing protein, loosely associated with inner membrane. It acts as a mobile electron carrier, transferring the electrons between complex III and IV.
  7. Cytochrome C is oxidised by complex IV or cytochrome C oxidase consisting of cytochrome a and a3. Electrons are transferred by this complex to the molecular oxygen. This is terminal oxidation.
  8. Reduced molecular oxygen reacts with protons to form water molecule called as metabolic water.
  9. Protons necessary for this are channelled from outer chamber of mitochondria into inner chamber by F0 part of oxysome (complex V) present in inner mitochondrial membrane.
  10. This proton channelling by F0 is coupled to catalytic site of F1 which catalyses the synthesis of ATP from ADP and inorganic phosphate. This is oxidative phosphorylation.
  11. As transfer of protons is accompanied with synthesis of ATP, this process is named as ‘Chemiosmosis’ by Peter Mitchell.

Significance of ETS:

  1. Major amount of energy is generated through ETS or terminal oxidation in the form of ATP molecules.
  2. Per glucose molecule 38 ATP molecules are formed, out of which 34 ATP molecules are produced through ETS.
  3. Oxidized coenzymes such as NAD and FAD are regenerated from their reduced forms (NADH+H+ and FADH2) for recycling.
  4. In this process, energy is released in a controlled and stepwise manner to prevent any damage to the cell.
  5. ETS produces water molecules.

Question (H)
How are glycolysis, TCA cycle and electron transport chain-linked? Explain.
Answer:
Glycolysis, TCA cycle and electron transport chain are linked in the following manner:

  1. The coenzymes are initially present in the form of NAD+ and FAD+ which latter get reduced to NADH+H+ and FADH+H+ by accepting the hydrogen from organic substrate during glycolysis, link reaction and Krebs cycle.
  2. During glycolysis, glucose is oxidised to two molecules of pyruvic acid with net gain 2 molecules of NADH+H+.
  3. This pyruvic acid undergoes link reaction to form two molecules of acetyl CoA and two molecules of NADH+H+.
  4. Acetyl CoA, thus formed enters into the Krebs cycle and it gets completely oxidised to C02 and H20; with a net gain of 6 NADH+H+ and 2 FADH+H+ are formed.
  5. During ETS, reduced coenzymes are reoxidized to NAD+ and FAD+ with a net gain of 34 ATPs. The ATPs thus formed are used during glycolysis.
  6. The oxidized NAD+ and FAD+ will again accept the hydrogen from organic substrate. Thus, reduced coenzymes are converted back to their oxidized forms by dehydrogenation to keep the process going.

Maharashtra Board Class 11 Biology Solutions Chapter 13 Respiration and Energy Transfer

Question (I)
How would you demonstrate that yeast can respire both aerobically and anaerobically?
Answer:
Respiration in yeast can be demonstrated with the help of an experiment.
Anaerobic respiration in yeast:

  1. A pinch of dry baker’s yeast suspended in water containing 10ml of 10% glucose in a test tube (test tube A).
  2. The surface of the liquid is covered with oil to prevent entry of air and the test tube is closed tightly with rubber stopper to prevent leakage.
  3. One end of a short-bent glass tube is inserted through it to reach the air inside the tube.
  4. Other end of the glass tube is connected by a polyethylene or rubber tubing to another bent glass tube fitted into a stopper.
  5. The open end of the glass tube (delivery tube) is dipped into lime water containing in a test tube
    (Tube B).
  6. Stoppers of both the tubes are fitted tightly to prevent leakage of gases. First test tube is placed in warm water (37° C-38° C) in a beaker.
  7. Lime water gradually turns milky, indicating the evolution of carbon dioxide from the yeast preparation.
  8. Level of the lime water in the delivery tube does not rise, showing that there is no decline in volume of gas in test tube A and consequently no utilization of oxygen by yeast. Preparation is stored for a day or two.
  9. When we open the stopper of tube A we will notice a smell of alcohol indicating the formation of ethanol.
  10. From this activity it may be inferred that yeast respires anaerobically to ferment glucose to ethanol and carbon dioxide.

Aerobic respiration in yeast: Experiment explained can be carried out for demonstrating aerobic respiration in yeast.

  1. If the level of the lime water in the test tube B rises, indicating intake of oxygen, hence the level of volume of gas rises.
  2. The preparation tube is stored for a day or two, if no smell of alcohol is noticed it indicates that the yeast respires aerobically.

Question (J)
What is the advantage of step wise energy release in respiration?
Answer:
In ETS energy is released in step wise manner to prevent damage of cells.

  1. A stepwise release of the chemical bond energy facilitates the utilization of a relatively higher proportion of that energy in ATP synthesis.
  2. Activities of enzymes for the different steps may be enhanced or inhibited by specific compounds. This provides a means of controlling the rate of the pathway and the energy output according to need of the cell.
  3. The same pathway may be utilized for forming intermediates used in the synthesis of other biomolecules like amino acids.

Question (K)
Explain ETS.
Answer:

  1. NADH2 and FADH2 produced during glycolysis, connecting link reaction and Krebs cycle are oxidized with the help of various electron carriers and enzymes.
  2. These carriers and enzymes are arranged on inner mitochondrial membrane in the form of various complexes as complex I, II, III, VI and V.
  3. NADH+H+ is oxidised by NADH dehydrogenase (complex I) and it’s electrons are transferred to ubiquinone (coenzyme Q-CoQ) present on inner membrane of mitochondria. Reduced ubiquinone is called as ubiqunol.
  4. FADH2 is oxidised by complex II (Succinate dehydrogenase) and these electrons are also transferred to CoQ.
  5. During oxidation of NADH+H+ and FADH2 , electrons and protons are released but only electrons are canned forward whereas protons are released into outer chamber of mitochondria (intermembrane space).
  6. Ubiquinol is oxidised by complex-III (Cytochrome bcl complex) and it’s electrons are transferred to cytochrome C. Cytochrome C is a small, iron-containing protein, loosely associated with inner membrane. It acts as a mobile electron carrier, transferring the electrons between complex III and IV.
  7. Cytochrome C is oxidised by complex IV or cytochrome C oxidase consisting of cytochrome a and a3. Electrons are transferred by this complex to the molecular oxygen. This is terminal oxidation.
  8. Reduced molecular oxygen reacts with protons to form water molecule called as metabolic water.
  9. Protons necessary for this are channelled from outer chamber of mitochondria into inner chamber by F0 part of oxysome (complex V) present in inner mitochondrial membrane.
  10. This proton channelling by F0 is coupled to catalytic site of F1 which catalyses the synthesis of ATP from ADP and inorganic phosphate. This is oxidative phosphorylation.
  11. As transfer of protons is accompanied with synthesis of ATP, this process is named as ‘Chemiosmosis’ by Peter Mitchell.

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Question (L)
Discuss “The respiratory pathway is an amphibolic pathway”.
OR
Question (M)
Why is Krebs cycle referred as amphibolic pathway?
Answer:

  1. Respiration is considered as a catabolic process; however, it is not entirely correct in case of Krebs cycle.
  2. Many reactions of Krebs cycle involve oxidation of acetyl CoA to release energy and C02.
  3. However, the breakdown of respiratory substrates provides intermediates like a-ketoglutarate, oxaloacetate are used as precursors for synthesis of fatty acids, glutamic acid and aspartic acid respectively.
  4. Thus, as the same respiratory process acts as catabolic as well as anabolic pathway for synthesis of various intermediate metabolic products, it is called amphibolic pathway.

Question (N)
The common pathway for both aerobic and anaerobic respiration is
(A) Krebs cycle
(B) Glycolysis
(C) ETS
(D) Terminal oxidation
Answer:
(B) Glycolysis

4. Compare

Question (A)
Photosynthesis and respiration.
Answer:

Photosynthesis Respiration
(a) It takes place in the cells containing chlomplasts. It takes place in all living cells of higher organisms.
(b) It occurs in chloroplast. It occurs in cytoplasm and mitochondria.
(c) It is an energc trapping process. It is an energy releasing process.
(d) It is an anabolic process. It is a catabolic process.
(e) This process requires C02 and FLO. This process requires sugar and 02.
(f) Light is necessary for photosynthesis. Light is not necessary for aerobic respiration.
(g) End products are carbohydrates and oxygen. End products can be C02 and H20 or ethanol or lactic acid and energy.

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Question (B)
Aerobic respiration and Anaerobic respiration
Answer:

Aerobic respiration Anaerobic respiration
(a) It takes place in higher organisms. It takes place in lower organisms.
(b) It takes place in cytoplasm and mitochondria. It takes place in cytoplasm.
(c) It involves the participation of free molecular oxygen. It does not involve participation of free molecular oxygen.
(d) Oxidation of food is complete. Oxidation of food is incomplete.
(e) It produces C02 and H20. It produces C02 and C2H5OH.
(f) It releases more energy, i.e. 38 ATP. It releases less energy, i.e. 2 ATP.
(g) Overall equation:
C6H1206 + 602 → 6C02 + 6H20 + Energy
Overall equation:
C6H1206 → 2C2H5 OH + 2C02 + Energy

5. Differentiate between

Question (A)
Respiration and combustion.
Answer:

Respiration Combustion
(a) It is a biochemical and stepwise process. It is physiochemical and spontaneous process.
(b) It occurs inside the cells. It is a non-cellular process.
(c) Energy is released in steps. Large amount of energy is released at a time.
(d) No light is produced in respiration. Light may be produced in combustion.
(e) It is controlled by enzymes. It is not controlled by enzymes.
(f) A number of intermediates are produced. No intermediates are produced.

Question (B)
Distinguish between Glycolysis and Krebs cycle.
Answer:

Glycolysis/EMP pathway Krebs cycle/TCA cycle/ Citric acid cycle
1. Glycolysis is common in both aerobic and anaerobic respiration. Krebs cycle occurs only in aerobic respiration.
2. It takes place in the cytoplasm. It takes place in the mitochondria.
3. C02 is not released. C02 is released.
4. Total amount of energy produced = 8 ATP. Total amount of energy produced = 24 ATP.
5. It is linear pathway. It is cyclic pathway.
6. Pyruvic acid is the end product. C02 and H2Q are the end products.

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Question (C)
Aerobic respiration and fermentation.
Answer:

Aerobic respiration Fermentation
1. It takes place in higher organisms. It takes place in both higher and lower organisms.
2. It takes place in cytoplasm and mitochondria It takes place in cytoplasm.
3. It involves the participation of free molecular oxygen. It does not involve participation of free molecular oxygen.
4. It involves many steps – glycolysis, link reaction, Krebs cycle and ETS. It involves only glycolysis, decarboxylation and reduction, (alcoholic fermentation)
5. Oxidation of food is complete. Oxidation of food is incomplete.
6. It produces C02 and H20. It produces either ethanol or lactic acid and C02 depending upon the type of fermentation.
7. It releases more energy, i.e. 38 ATP. It releases less energy, i.e. 2 ATP.

Question 6.
Identify the cycle given below. Correct it and fill in the blanks and write description of it in your own
Maharashtra Board Class 11 Biology Solutions Chapter 13 Respiration and Energy Transfer 1Answer:

  1. Krebs cycle or citric acid cycle is the second phase of aerobic respiration which takes place in the matrix of the mitochondria.
  2. The acetyl CoA formed during the link reaction undergoes aerobic oxidation.
  3. This cycle serves a common oxidative pathway for carbohydrates, fats and proteins.
  4. In mitochondria pyruvic acid is decarboxylated and the remaining 2-carbon fragment is combined with a molecule of coenzyme A to form acetyl-CoA.
  5. This reaction is an oxidative decarboxylation process and produces H+ ions and electrons along with carbon dioxide. During the process NAD+ is reduced to NADH+H+.
  6. P-oxidation of fatty acids also produces acetyl-CoA as the end product.
  7. Acetyl-CoA from both sources is condensed with oxaloacetic acid to form citric acid. Citric acid is oxidized step-wise by mitochondrial enzymes, releasing carbon dioxide.
  8. Regeneration of oxaloacetic acid occurs to complete the cycle.
  9. There are four steps of oxidation in this cycle, catalyzed by dehydrogenases (oxidoreductases) using NAD+ or FAD+ as the coenzyme.
  10. The coenzymes are consequently reduced to NADH+H+ and FADH2 respectively. These transfer their electrons to the mitochondrial respiratory chain to get reoxidised.
  11. One molecule of GTP (ATP) is also generated for every molecule of citric acid oxidized.

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Practical / Project:

Question 1.
Make Powerpoint Presentation on Glycolysis, Krebs Cycle and Conduct the group discussion on it in classroom.
[Note: Students are expected to perform above activity on their own.]

11th Biology Digest Chapter 13 Respiration and Energy Transfer Intext Questions and Answers

Can you recall? (Textbook Page No. 151)

(i) Which nutrients are used for energy production?
Answer:
Nutrients like carbohydrates, fats and proteins are used for energy production.

(ii) Why do organisms take up oxygen and release carbon dioxide?
Answer:
a. At cellular level, organisms require energy to carry out different metabolic activities.
b. The energy is made available by oxidizing/breaking the food.
Therefore, oxygen is required by aerobic organisms for breaking the food and carbon dioxide is released as a byproduct of oxidation.

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Use your brainpower (Textbook Page No. 152)

Why is glycolysis considered as biochemical proof of evolution?
Answer:

  1. Glycolysis does not require oxygen. Hence it might have been used by earlier organisms for energy production, as there was no free oxygen in atmosphere of primitive earth.
  2. Glycolysis is the first metabolic pathway, an ancient pathway which is common to both aerobic and anaerobic organisms.
  3. All cells have glycolysis in their metabolic pathway.
  4. Upto pyruvate the pathway is similar to all aerobic and anaerobic organisms. Later, the fate of pyruvic acid can be either C02 or ethanol or lactic acid depending upon the type of organism.
  5. Hence it is considered as a biochemical proof of evolution.

Use your brainpower (Textbook Page No. 152)

(i) What is role of Mg++, Zn++ in various steps of glycolysis?
Answer:
a. Mg++ and Zn++ are the cofactors that are tightly bound to enzymes and helps the enzymes to perform their functions.
b. They regulate the activity of the most important enzymes like Hexokinase, Phosphoffuctokinase, Triose phosphate dehydrogenase, Phosphoglycerate kinase, Enolase, Pyruvate kinase.

(ii) Why some reactions of glycolysis are reversible and some irreversible?
Answer:
Irreversible chemical reactions:
Some chemical reactions can occur in only one direction i.e. these reactions are irreversible reactions. The reactants can change to the products, but the products cannot change back to the reactants.

Reversible chemical reactions:

  1. Some chemical reactions can occur in both directions i.e. these reactions are reversible reactions. In this case the reactants change to the products and the products can change back to the reactants, atleast under specific conditions.
  2. Out of ten, four are irreversible reactions which involves the enzyme kinase that is required for phosphorylation reactions, these reactions involve large negative energy AG, hence the reactions are irreversible.
  3. Other reversible reactions do not involve high negative energy hence are reversible.

Maharashtra Board Class 11 Biology Solutions Chapter 13 Respiration and Energy Transfer

Use your brainpower (Textbook Page No. 152)

Why do athletes like sprinters have higher proportion of white muscle fibers?
Answer:
1. The white muscle fibres produce energy in a very short period of time that is required for fast and severe work. Thus, the energy becomes immediately available to the athletes.
2. On the other hand, the red muscle produce energy over a prolonged period of time, hence athletes have higher proportion of white muscle fibers.

Can you recall? (Textbook Page No. 151)

Which steps are involved in aerobic respiration?
Answer:
It involves glycolysis, acetyl CoA formation (connecting link reaction), Krebs cycle, electron transfer chain reaction and terminal oxidation.

Can you recall? (Textbook Page No. 151)

What is aerobic and anaerobic respiration?
Answer:
For anaerobic respiration: Anaerobic respiration is the cellular respiration that does not involve the atmospheric oxygen. It is also called as fermentation. It involves glycolysis where the product of glycolysis i.e. pyruvate is converted to either lactic acid or ethanol and for aerobic respiration.
1. Aerobic respiration occurs in the presence of free molecular oxygen during oxidation of glucose.
2. In this type of respiration, the glucose is completely oxidized to C02 and H20 with release of large amount of energy. It involves glycolysis, acetyl CoA formation (connecting link reaction), Krebs cycle, electron transfer chain reaction and terminal oxidation.

Use your brainpower (Textbook Page No. 157)

Do the plants breath like animals? If yes, how and why?
Answer:

  1. Yes, plants breath like animals because they also require energy to carry out different metabolic activities. Hence, plants take up oxygen required for respiration and they also give out C02.
  2. Plants take care of their gas exchange needs. The stomata and lenticels are important for this purpose.
  3. Leaves are well adapted for gaseous exchange during photosynthesis.
  4. Large amount of gases is exchanged. In plants, each living cell is located quite close to the surface of the plants.

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Internet my friend (Textbook Page No. 155)

What is effect of carbon monoxide poisoning on cytochromes?
Answer:

  1. At sub-cellular level, carbon monoxide is toxic for mitochondria.
  2. It alters the mitochondrial respiratory chain at the cytochrome c oxidase level (complex IV of the mitochondrial respiratory chain) and causes inhibition of ETS.
  3. This inhibition leads to the development of symptoms observed in acute CO poisoning, and in some diseases related to smoking.
  4. These symptoms include headache, nausea, vomiting, dizziness, weakness, difficulty in concentration or confusion, visual changes, syncope, seizures, abdominal pain and muscle cramping.

Can you recall? (Textbook Page No. 151)

Which is most preferred nutrient among carbohydrate, protein and fat for energy production? Why?
Answer:

  1. The preferred nutrient is carbohydrate because it quickly supplies energy as compared to other nutrients.
  2. Carbohydrates are easy to digest as compared to fats.
  3. The RQ of carbohydrate is 1. Hence allows complete oxidation of food. Thus, the preferred nutrient is carbohydrate.

Internet my friend (Textbook Page No. 158)

Calculate the RQ for different respiratory substrates using appropriate formula.
Answer:
The RQ for different respiratory substrates are:
1. Carbohydrates (R.Q. is 1)
When carbohydrates are used as substrate, equal volumes of C02 and 02 are released and consumed respectively, thus its R.Q. is 1.
C6 H12 O6 + 6O2 → 6 C02 + 6H20
R.Q. = 6C02 / 602 = 1.0

2. Fats (R.Q. is less than 1)
Substrates like fats are poorer in oxygen than carbohydrates. Thus, more oxygen is utilized for its complete oxidation.
2(C51 H98 O6) + 145O2 → 102CO2 + 98H2O + Energy
R.Q. = C02 / 02 = 102 / 145 = 0.7

3. Protein respiration (R.Q. is less than 1)

  1. When proteins serve as respiratory substrate, they are first degraded to amino acids.
  2. Then, amino acids are converted into various intermediates of carbohydrates.
  3. However, amino acids have low proportion of O2 as compared to carbohydrates.
  4. Thus, they require more O2 during their complete oxidation and value of R.Q. becomes less than 1.
  5. In case of proteins, the R.Q. is approximately 0.9.

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 12 सहर्ष स्वीकारा है

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 11th Digest Chapter 12 सहर्ष स्वीकारा है Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Maharashtra State Board 11th Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 12 सहर्ष स्वीकारा है

11th Hindi Digest Chapter 12 सहर्ष स्वीकारा है Textbook Questions and Answers

आकलन

1. सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

प्रश्न अ.
घटनाक्रम के अनुसार लिखिए –
(1) कवि दंड पाना चाहता है।
(2) विधाता का सहारा पाना चाहता है।
(3) कवि का मानना है कि जो होता-सा लगता है, वह विधाता के कारण होता है।
उत्तर :
(1) कवि दंड पाना चाहता है।
उत्तर :
कवि दंड पाना चाहता है।

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(2) विधाता का सहारा पाना चाहता है
उत्तर :
विधाता का सहारा पाना चाहता है।

(3) कवि का मानना है कि जो होता-सा लगता है, वह विधाता के कारण होता है।
उत्तर :
कवि मानता है कि जो होता-सा लगता है, वह विधाता के कारण होता है।

प्रश्न आ.
निम्नलिखित असत्य कथनों को कविता के आधार पर सही करके लिखिए –
(a) जो कुछ निद्रित अपलक है, वह तुम्हारा असंवेदन है।
उत्तर :
जो कुछ भी जाग्रत है, अपलक है वह तुम्हारा संवेदन है।

(b) अब यह आत्मा बलवान और सक्षम हो गई है और छटपटाती छाती को वर्तमान में सताती है।
उत्तर :
अब यह आत्मा कमजोर और अक्षम हो गई है और छटपटाती छाती को भवितव्यता सताती है।

काव्य सौंदर्य

2.
प्रश्न अ.
‘जो कुछ भी मेरा है वह तुम्हें प्यारा हैं’, इस पंक्ति से कवि का मंतव्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
कवि के जीवन में जो कुछ भी है या जो कारण है उसकी सत्ता स्थितियाँ भविष्य की उन्नति या अवनति की सभी संभावनाएँ प्रियतमा के कारण हैं। कवि का हर्ष-विषाद, उन्नति-अवनति सदा उससे ही संबंधित है। कवि ने हर सुख-दुःख सफलताअसफलता को प्रसन्नतापूर्वक इसलिए स्वीकार किया है क्योंकि प्रियतमा ने उन सबको अपना माना है। वे कवि के जीवन से पूरी तरह जुड़ी हुई हैं।

प्रश्न आ.
‘जाने क्या रिश्ता है, जाने क्या नाता है जितना भी उँडेलता हूँ, भर-भर फिर आता है’, इन पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
कवि कहता है कि तुम्हारे हृदय के साथ न जाने कौन-सा संबंध है या न जाने कैसा नाता है कि मैं अपने भीतर समाए हुए तुम्हारे स्नेह रूपी जल को जितना बाहर निकालता हूँ, वह पुन: अंत:करण में चारों ओर से सिमटकर चला आता है। ऐसा लगता है मानो हृदय में कोई झरना बह रहा है।

अभिव्यक्ति

3.
प्रश्न अ.
‘अपनी जिंदगी को सहर्ष स्वीकारना चाहिए’, इस कथन पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
जीवन सुख-दुःख का चक्र है। यही जीवन का सत्य है। अनुकूल समय में हमें इस पर विचार करने की आवश्यकता नहीं होती। जब कभी हमारे समक्ष विपरीत परिस्थितियाँ आती हैं तो हम किंकर्तव्यविमूढ़ हो जाते हैं। दुःख के प्रमुख कारण बाहरी परिस्थितियाँ, आसपास के व्यक्तियों का व्यवहार, महत्त्वाकांक्षाएँ एवं कामनाएँ हैं। जीवन में आई प्रतिकूल परिस्थितियाँ एवं समस्याओं के लिए कोई दूसरा व्यक्ति या भाग्य दोषी नहीं है।

उसके लिए हम स्वयं ही जिम्मेदार है, हमारे कर्मों और व्यवहार की वजह से ही परिस्थितियाँ निर्मित होती हैं। हमारी ऊर्जा का उपयोग काम में हो परिणाम में नहीं। जो बदला नहीं जा सकता, उसको सहर्ष स्वीकार करें, यही उपाय है।

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प्रश्न आ.
‘जीवन में अत्यधिक मोह से अलग होने की आवश्यकता है, इस वाक्य में व्यक्त भाव प्रकट कीजिए।
उत्तर :
आज अगर दुनिया में किसी भी रिश्ते में मोह है, तो वह रिश्ता ज्यादा समय तक नहीं चल पाता। हमें मोह को त्याग देना चाहिए।

जब भी कोई इंसान मोह करता है, तो कहीं ना कहीं उसका ही नुकसान होता है। मोह के कारण हमारी संपत्ति, रिश्ते-नाते सभी बिगड़ जाते हैं इसलिए हमें मोह को अपनी जिंदगी से बिल्कुल पूरी तरह से निकाल देना चाहिए।

एक इंसान अपनी जिंदगी में अगर मोह करता है तो कुछ समय के लिए ही फायदा होगा, बाद में उसका नुकसान होता है। आज हमारे देश में, परिवार में झगड़े होते हैं इसका सबसे बड़ा कारण मोह है। मोह के कारण एक-दूसरे को धोखा देते हैं और उससे हमारे रिश्ते खराब होते हैं। मोह करने से हमें जो कुछ हासिल होता है, वह हमारे रिश्ते-नातों से कीमती नहीं होता इसलिए लालच (मोह) बुरी बला है।

रसास्वादन

4. प्रस्तुत नई कविता का भाव तथा भाषाई विशेषताओं के आधार पर रसास्वादन कीजिए।
उत्तर :
(i) शीर्षक : सहर्ष स्वीकारा है।
(ii) रचनाकार : गजानन माधव मुक्तिबोध’।।
(iii) केंद्रीय कल्पना : प्रस्तुत नई कविता में कवि ने जिंदगी में जो कुछ भी (दुख, संघर्ष, गरीबी, अभाव, अवसाद) मिलें उसे सानंद स्वीकार करने की बात कही है। प्रकृति को जो कुछ भी प्यारा है वह उसने हमें सौंपा है। इसीलिए जो कुछ भी मिला है या मिलने की संभावना है उसे सहजता से अपनाना चाहिए।
(iv) रस / अलंकार : मुक्त छंद में लिखी गई इस कविता में गरबीली गरीबी, विचार-वैभव में अनुप्रास अलंकार की छटा है।
(v) प्रतीक विधान : अंधकार, अमावस्या निराशा के प्रतीक है।

(vi) कल्पना : ‘दिल में क्या झरना है?’ पंक्ति में कवि कल्पना करते हैं कि झरने में जैसे चारों तरफ की पहाड़ियों से पानी इकट्ठा होता है और कभी खाली नहीं होता वैसे ही कवि के हृदय में अपनी प्रियतमा के प्रति प्रेम उमड़ता है और बार बार व्यक्त करने पर भी कम नहीं होता।

(vii) पसंद की पंक्तियाँ तथा प्रभाव : अब तक तो जिंदगी में जो कुछ था, जो कुछ है सहर्ष स्वीकारा है; इसलिए कि जो कुछ भी मेरा है वह तुम्हें प्यारा है।’ ये पंक्तियाँ प्रभावी सिद्ध होती हैं क्योंकि जिसे हम प्यार करते हैं उस प्रिय व्यक्ति को जो कुछ भी अच्छा लगता है वह अस्वीकार करना असंभव होता है।

(viii) कविता पसंद आने के कारण : कविता द्वारा हमें जीवन के सुख-दुख, संघर्ष, अवसाद आदि को सहर्ष स्वीकार करने की प्रेरणा मिलती है। अपने प्रिय व्यक्ति का प्रभाव अँधेरी गुफाओं में भी सहारा बनता है। उसका स्नेह हमें कभी कमजोर भी बनाता है। भविष्य में अनहोनी हो जाने का डर भी इसीलिए अत्यधिक प्रेम के कारण ही सताता है। कविता के ऐसे भाव दिल को छू जाते हैं।

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साहित्य संबंधी सामान्य ज्ञान

5. जानकारी दीजिए :

प्रश्न अ.
मुक्तिबोध जी की कविताओं की विशेषताएँ –
…………………………………………………
…………………………………………………
उत्तर :

  • प्रगतिवादी दृष्टिकोण
  • जीवन से जुड़ी कविता के सर्जक
  • शोषितों से गहरा लगाव
  • प्रतीक विधान में नयापन

प्रश्न आ.
मुक्तिबोध जी का साहित्य –
उत्तर :
काव्य कृतियाँ :

  • चाँद का मुँह टेढ़ा है।
  • भूरी – भूरी खाक धूल

आलोचना :

  • तार सप्तक के कवि
  • कामायनी – एक पुनर्विचार
  • भारतीय इतिहास और संस्कृति
  • नई कविता का आत्मसंघर्ष और अन्य निबंध
  • नए साहित्य का सौंदर्य शास्त्र

कहानी संग्रह :

  • विपात्र
  • सतह से उठता आदमी

6.
प्रश्न अ.
निम्नलिखित काव्यांश (पंक्तियों) में उद्धृत अलंकार पहचानकर लिखिए –

(a) कूलन में केलिन में, कछारन में, कुंजों में
क्यारियों में, कलि-कलीन में बगरो बसंत है।
उत्तर :
(‘क’ आवृत्ति) – अनुप्रास अलंकार

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(b) केकी-रख की नुपूर-ध्वनि सुन।
जगती-जगती की मूक प्यास।
उत्तर :
यमक अलंकार – जगती – जगती,
(1) जगती – जागना,
(2) जगती – जगत

प्रश्न आ.
निम्नलिखित अलंकारों से युक्त पंक्तियाँ लिखिए –
(a) वक्रोक्ति
…………………………………………………….
…………………………………………………….
उत्तर :
(i) मैं सुकमारिनाथ बन जोगू।
(ii) कौं तुम? है घनश्याम हम।

(b) श्लेष
…………………………………………………….
…………………………………………………….
उत्तर :
(i) रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून। – शब्द श्लेष
पानी गए न ऊबरें, मोती मानुष चून।
पानी शब्द का प्रयोग तीन बार लिया गया है। दूसरी पंक्ति में पानी का अर्थ मोती के संदर्भ में चमक या कांति है तो मनुष्य के संदर्भ में इज्जत और ‘चून’ के संदर्भ में जल है।

(ii) जो रहीम गति दीप की कुल कपूत गति सोय।
बारे उजियारे करै, बढे अँधेरा होय – अर्थ श्लेष
बारे का अर्थ – जलाना और बचपन
बढ़े का अर्थ – बुझने पर और बड़े होने पर

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कृतिपत्रिका
(अ) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

पद्यांश : जिंदगी में जो कुछ है, ………………… खिलता वह चेहरा है ! (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 61)

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 12 सहर्ष स्वीकारा है 1
उत्तर:
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 12 सहर्ष स्वीकारा है 2

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प्रश्न 2.
आकृति पूर्ण कीजिए :
आकृति पूर्ण कीजिए :
(i) गरीबी के लिए प्रयुक्त विशेषण है :
(ii) कवि अपने उस प्रिय के साथ अपने संबंध इस तरह बताता है :
(iii) कवि अपने दिल की तुलना इससे करता है :
(iv) कवि ने अपने प्रिय की तुलना इससे की है :
उत्तर:
(i) गरवीली
(ii) गहरा
(iii) मीठे पानी के झरने से
(iv) चाँद से

प्रश्न 3.
पद्यांश का भावार्थ अपने शब्दों मे लिखिए।
उत्तर :
कवि कहता है कि मेरे इस जीवन में जो कुछ भी है, जैसा भी है, उसे मैंने पूरी प्रसन्नता के साथ स्वीकार किया है। वह इस कारण से, कि जो कुछ भी मेरा है, चाहे वह अभाव हो या संघर्ष ही क्यों न हो, वह सब तुम्हें प्यारा है और जो तुम्हे प्रिय लगता है, वही मेरे लिए प्रसन्नता का सबसे बड़ा कारण बन गया है।

कवि के जीवन में ऐसी निर्धनता है, जिस पर गर्व किया जा सके। गर्व इसलिए कि स्वाभिमान के साथ जीने का सुख इस में निहित (include) है। अभावों के चलते मिलने वाले जीवन के जो गंभीर अनुभव है, विचारों की जो संपन्नता है, विचारों की संपन्नता के कारण उससे मिली हुई जो आंतरिक मजबूती है और हृदय में उमड़ने वाली प्रेम की जो अविरल नदी है, ये सभी हमारे अपने निजी है।

हमारे जीवन के प्रत्येक क्षण में जो सत्य है, हर दिन हमारे साथ जो घटित होता है, लगातार घटता रहता हैं, उन सब में तुम्हारी ही तरल संवेदना बसी हुई है। तुम मेरे हर सुख-दुःख में आत्मा से सहभागिनी हो इसलिए इन सब चीजों को प्रसन्नता के साथ स्वीकारने की चाहत है।

कवि कहते हैं कि तुम्हारे साथ मेरा न जाने कैसा रिश्ता नाता है कि मैं अपने भीतर समाए हुए तुम्हारे प्रेममय जल को जितना बाहर निकालता हूँ, वह पुन: अंत:करण में भर आता है। ऐसा प्रतीत होता है कि वहाँ पर प्रेम का सतत बहने वाला कोई झरना ही है या मीठे और शीतल जल का कोई स्त्रोत ही बसा हुआ है। वह कभी रीता नहीं होता है। इधर मेरे अंदर तो प्रेम का ऐसा अटूट प्रवाह है और उधर आकाश में जैसे चंद्रमा रातभर अपनी चाँदनी बरसाता रहता है, ठीक वैसे ही तुम्हारा चेहरा मुझपर स्नेह की अखंड वर्षा करता रहता है।

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(आ) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

पद्यांश : सचमुच मुझे दंड दो कि भूलूँ मैं, …………… आत्मीयता बरदाश्त नहीं होती है !! (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 62)

प्रश्न 1.
कृति पूर्ण कीजिए :
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उत्तर :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 12 सहर्ष स्वीकारा है 4

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उत्तर :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 12 सहर्ष स्वीकारा है 6

प्रश्न 2.
कारण लिखिए :
कवि स्वयं के लिए दंड माँग रहा है क्योंकि
(i) …………………………………….
(ii) …………………………………….
उत्तर :
(i) अपनी प्रियतमा को भूलने का दंड उसे सहर्ष स्वीकार है।
(ii) ममता के भीतर छिपी कोमलता उसे अंदर ही अंदर पीड़ा पहुँचाती है।

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प्रश्न 3.
प्रस्तुत पद्यांश का भावार्थ अपने शब्दों में लिखिए:
उत्तर:
प्रस्तुत पद्यांश कवि श्री. गजानन माधव मुक्तिबोध’ द्वारा लिखित कविता ‘सहर्ष स्वीकारा है’ से लिया गया है।

कवि अपने प्रिय स्वरूपा को भूलना चाहता है। आप मुझे सजा दीजिए, श्राप दीजिए कि मैं आपको भूल जाऊँ। अनंत अंधकार वाली अमावस्या में डूब जाऊँ। वह उस अंधकार को अपने शरीर व हृदय पर झेलना चाहता है। इसका कारण यह है कि प्रिय के स्नेह के उजाले ने उसे घेर लिया है।

ममता रूपी बादलों की कोमलता ही अब उनके लिए दर्द बन गई है। मेरे अंतरमन में चुभने लगी है। इसके कारण मेरी अंतरात्मा कमजोर और क्षमताहीन हो गई है। जब मैं भविष्य के बारे में सोचता हूँ तो मुझे डर लगने लगता है कि कभी उनके प्रभाव से अलग होना पड़ा तो वह अपना अस्तित्व कैसे बचाए रख सकेगा। अब उसे उसका बहलाना-सहलाना सहन नहीं होता।

कवि कहता है कि मैं अपनी प्रियतमा के स्नेह से दूर होना चाहता हूँ। वह उसी से दंड की याचना करता है।

वह ऐसा दंड चाहता है कि प्रियतमा के न होने से वह पाताल की अँधेरी गुफाओं व सुरंगों में खो जाए। कवि दोहराते हैं कि मेरे लापता हो जाने पर भी तुम्हारा ही सहारा मेरे पास रहेगा। विस्मृति में भी स्मृति का अंश रहता ही है। वे कहते है कि जो कुछ भी मेरा है, या जो ऐसा प्रतीत होता है कि वह मेरे जैसा ही है। मेरे जैसा होता हुआ संभव लगता है। वह सब तुम्हारे ही कारण है। तुम्हारे कार्यों के घेरे में है। तुम्हारे कार्यों की समृद्धि का फल है।

अब तक जीवन में जो कुछ था और जो कुछ भी है वह सब मैंने प्रसन्नतापूर्वक स्वीकार किया है क्योंकि जो कुछ भी मेरा है, वह तुम्हें प्यारा है।

(इ) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

पद्यांश : सचमुच मुझे दंड दो कि हो जाऊँ …………… वह तुम्हें प्यारा है। (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 62)

प्रश्न 1.
लिखिए :
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उत्तर :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 12 सहर्ष स्वीकारा है 8

(ii) लापता होने पर भी कवि को यह आशा है –
उत्तर :
लापता होने पर भी कवि को यह आशा है कि उसकी प्रियतमा का सहारा उसे मिलेगा।

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प्रश्न 2.
निम्न गलत विधान पद्यांश के आधार पर सही करके लिखिए :
(i) कवि अपनी प्रियतमा को दंड देना चाहता है।
उत्तर :
कवि अपनी प्रियतमा से दंड पाना चाहता है।

(ii) कवि ने जीवन में वही स्वीकारा जो उसे प्रिय था।
उत्तर :
कवि ने जीवन में उसे स्वीकारा जो उसकी प्रियतमा को प्रिय था।

प्रश्न 3.
पद्यांश का भावार्थ अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तरः
प्रस्तुत पद्यांश कवि श्री. गजानन माधव मुक्तिबोध’ द्वारा लिखी कविता ‘सहर्ष स्वीकारा है’ से लिया गया है। कवि कहता है कि मैं अपनी प्रियतमा के स्नेह से दूर होना चाहता हूँ। वह उसी से दंड की याचना करता है। वह ऐसा दंड चाहता है कि प्रियतमा के न होने से वह पाताल की अँधेरी गुफाओं व सुरंगों में खो जाए। कवि दोहराते हैं कि मेरे लापता हो जाने पर भी तुम्हारा ही सहारा मेरे पास रहेगा।

विस्मृति में भी स्मृति का अंश रहता ही है। वे कहते हैं कि जो कुछ भी मेरा है, या जो ऐसा प्रतीत होता है कि वह मेरे जैसा ही है, मेरे जैसा होता हुआ संभव लगता है; वह सब तुम्हारे ही कारण है। तुम्हारे कार्यों के घेरे में है। तुम्हारे कार्यों की समृद्धि का फल है। अब तक जीवन में जो कुछ था और जो कुछ भी है वह सब मैंने प्रसन्नतापूर्वक स्वीकार किया है क्योंकि जो कुछ भी मेरा है, वह तुम्हें प्यारा है।

सहर्ष स्वीकारा है Summary in Hindi

सहर्ष स्वीकारा है कवि परिचय :

गजानन माधव मुक्तिबोध’ जी का जन्म 13 नवंबर 1917 को शिवपुरी जिला मुरैना ग्वालियर (मध्य प्रदेश) में हुआ था। आपकी प्रारंभिक शिक्षा उज्जैन में हुई। 1938 में बी.ए. पास करने के पश्चात आप उज्जैन के मॉडर्न स्कूल में अध्यापक हो गए।

1954 में एम.ए. करने पर राजनाँद गाँव के दिग्विजय कॉलेज में प्राध्यापक पद पर नियुक्त हुए। यहाँ रहते हुए उन्होंने अंग्रेजी, फ्रेंच, तथा रुसी उपन्यासों के साथ जासूसी उपन्यासों, वैज्ञानिक उपन्यासों, विभिन्न देशों के इतिहास तथा विज्ञान विषयक साहित्य का गहन अध्ययन किया।

आप नई कविता के सर्वाधिक चर्चित कवि रहे हैं। प्रकृति प्रेम, सौंदर्य, कल्पनाप्रियता के साथ सर्वहारा वर्ग के आक्रोश तथा विद्रोह के विविध रूपों का यथार्थ चित्रण आपके काव्य की विशेषता है। 1962 में उनकी अंतिम रचना ‘भारत : इतिहास और संस्कृति’ प्रकाशित हुई। मुक्तिबोध जी की मृत्यु 1964 में हुई।

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प्रमुख रचनाएँ : कविता संग्रह : ‘चाँद का मुँह टेढ़ा है’, ‘भूरी-भूरी खाक धूल’ तथा तारसप्तक में प्रकाशित रचनाएँ।
कहानी संग्रह : काठ का सपना, सतह से उठता आदमी
उपन्यास : विपात्र
आलोचना : कामायनी – एक पुनर्विचार, नई कविता का आत्मसंघर्ष, नए साहित्य का सौंदर्यशास्त्र, समीक्षा की समस्याएँ।
इतिहास : भारत : इतिहास और संस्कृति
रचनावली : मुक्तिबोध रचनावली (सात खंड)

सहर्ष स्वीकारा है काव्य परिचय :

प्रस्तुत नई कविता ‘प्रतिनिधि कविताएँ’ काव्य-संग्रह से ली गई है। एक होता है – स्वीकारना और दूसरा होता है – सहर्ष स्वीकारना यानी खुशी-खुशी स्वीकार करना। यह कविता जीवन के सब सुख-दु:ख, संघर्ष-अवसाद, उठा-पटक को सम्यक भाव से स्वीकार करने की प्रेरणा देती है। कवि को जहाँ से यह प्रेरणा मिली कविता प्रेरणा के उस उत्स (spring) तक भी हमको ले जाती है।

उस विशिष्ट व्यक्ति या सत्ता के इसी ‘सहजता’ के चलते उसको स्वीकार किया था। कुछ इस तरह स्वीकार किया था कि आज तक सामने नहीं भी है तो भी आस-पास उसके होने का एहसास है।

सहर्ष स्वीकारा है सारांश :

कवि कहता है कि मेरे इस जीवन में जो कुछ भी है, उसे मैं खुशी से स्वीकार करता हूँ। इसलिए मेरा जो कुछ भी है, वह उसको (माँ या प्रिया) अच्छा लगता है। मेरी स्वाभिमानयुक्त गरीबी, जीवन के गंभीर अनुभव, विचारों का वैभव, व्यक्तित्व की दृढ़ता, मन में बहती भावनाओं की नदी – ये सब मौलिक हैं तथा नए हैं। इनकी मौलिकता का कारण यह है कि मेरे जीवन में हर क्षण जो कुछ घटता है, जो कुछ जाग्रत है, उपलब्धि है, वह सब कुछ तुम्हारी प्रेरणा से हुआ है।

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कवि कहता है कि तुम्हारे हृदय के साथ न जाने कौन सा संबंध है या न जाने कैसा नाता है कि मैं अपने भीतर समाए हुए तुम्हारे प्रेममय जल को जितना बाहर निकालता हूँ, वह पुन: अंत:करण में भर आता है। ऐसा लगता है मानो दिल में कोई झरना बह रहा है।

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वह स्नेह मीठे पानी के स्रोत के समान है जो मेरे अंतर्मन को तृप्त करता रहता है। इधर मन में प्रेम है और ऊपर से तुम्हारा चाँद जैसा मुस्कराता हुआ सुंदर चेहरा अपने अद्भुत सौंदर्य के प्रकाश से मुझे नहलाता रहता है। यह स्थिति उसी प्रकार की है जिस प्रकार आकाश में मुस्कराता हुआ चंद्रमा पृथ्वी को अपने प्रकाश से नहलाता रहता है।

कवि अपने प्रिय स्वरूपा को भूलना चाहता है। वह चाहता है कि प्रिय उसे भूलने का दंड दे। वह इस दंड को भी सहर्ष स्वीकार करने के लिए तैयार है। प्रिय को भूलने का अंधकार कवि के लिए दक्षिणी ध्रुव पर होने वाली छह मास की रात्रि के समान होगा। वह उस अंधकार में लीन हो जाना चाहता है।

वह उस अंधकार को अपने शरीर व हृदय पर झेलना चाहता है। इसका कारण यह है कि प्रिय के स्नेह के उजाले ने उसे घेर लिया है। प्रिय की ममता या स्नेह रूपी बादल की कोमलता सदैव मेरे मन को अंदर ही – अंदर पीड़ा पहुँचाती है। इसके कारण मेरी अंतरात्मा कमजोर और क्षमताहीन हो गई है।

जब मैं भविष्य के बारे में सोचता हूँ तो मुझे डर लगने लगता है कि कभी उसे अपनी प्रियतमा (माँ या प्रिया) के प्रभाव से अलग होना पड़ा तो वह अपना अस्तित्व कैसे बचाए रख सकेगा। अब उसे उसका बहलाना-सहलाना और रह-रहकर अपनापन जताना सहन नहीं होता। वह आत्मनिर्भर बनना चाहता है। कवि कहता है कि मैं अपनी प्रियतमा (सबसे प्यारी स्त्री) के स्नेह से दूर होना चाहता हूँ। वह उसी से दंड की याचना करता है।

वह ऐसा दंड चाहता है कि प्रियतमा के न होने से वह पाताल की अँधेरी गुफाओं व सुरंगो में खो जाए। ऐसी जगहों पर स्वयं का अस्तित्व भी अनुभव नहीं होता या फिर वह धुएँ के बादलों के समान गहन अंधकार में लापता हो जाए जो उसके न होने से बना हो। ऐसी जगहों पर भी उसे अपनी प्रियतमा का ही सहारा है।

उसके जीवन में जो कुछ भी है या जो कुछ उसे अपना-सा लगता है, वह सब उसके कारण है। उसकी सत्ता, स्थितियाँ भविष्य की उन्नति या अवनति की सभी संभावनाएँ प्रियतमा के कारण है। कवि का हर्ष-विषाद, उन्नति-अवनति सदा उससे ही संबंधित है। कवि ने हर सुख-दु:ख, सफलता-असफलता को प्रसन्नतापूर्वक इसलिए स्वीकार किया है क्योंकि प्रियतमा ने उन सबको अपना माना है। वे कवि के जीवन से पूरी तरह जुड़ी हुई है।

सहर्ष स्वीकारा है शब्दार्थ :

  • सहर्ष = खुशी – खुशी (readily),
  • स्वीकारा = मन से मानना (accept),
  • गरवीली = स्वाभिमानी (self-respect),
  • गंभीर = गहरा (grave),
  • अनुभव = व्यावहारिक ज्ञान (experience),
  • विचार वैभव = अच्छे विचार, विचारों की संपन्नता (glorious thought),
  • दृढ़ता = मजबूती (solidity),
  • सरिता = नदी (river),
  • अभिनव = नया (new),
  • मौलिक = वास्तविक, मूलभूत (basic),
  • जाग्रत = जागा हुआ (awake),
  • अपलक = निरंतर, एकटक (unwinking),
  • संवेदन = अनुभूति (perception),
  • उँडेलना = बाहर निकालना (to outpour),
  • सोता = झरना (spring), Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 12 सहर्ष स्वीकारा है
  • दंड = सजा (punishment),
  • दक्षिण ध्रुवी अंधकार = दक्षिण ध्रुव पर ढकने से घिरा हुआ (south pole darkness),
  • आच्छादित = छाया हुआ, ढका हुआ (clad),
  • रमणीय = मनोरम (delightful),
  • उजेला = प्रकाश (light),
  • ममता = अपनापन, स्नेह (motherly love),
  • मँडराती = आसपास घूमना (move around),
  • पिराता = दर्द करना (painful),
  • अक्षम = अशक्त (weak),
  • भवितव्यता = भविष्य में घटने वाली घटनाएँ (future),
  • बहलाती = मन को प्रसन्न करती (recreate),
  • सहलाती = दर्द को कम करती हुई (stroke),
  • पाताली अँधेरा = धरती की गहराई में पाई जाने वाली धुंध, गुहा = गुफा (cave),
  • विवर = बिल, गड्ढा (centesis),
  • लापता = गायब (missing),
  • कारण = मूल प्रेरणा (reason),
  • घेरा = फैलाव (enclosure),
  • वैभव = समृद्ध (splendour)
  • गरबीली = स्वाभिमानी
  • मौलिक = मूलभूत
  • अपलक = एकटक
  • संवेदन = अनुभूति
  • सोता = झरना Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 12 सहर्ष स्वीकारा है
  • परिवेष्टित = चारों ओर से घिरा हुआ, ढका हुआ
  • पाताली अंधेरा = धरती की गहराई में पाई जाने वाली धुंध
  • विवर = बिल, गड्ढा

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 11 भारती का सपूत

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 11th Digest Chapter 11 भारती का सपूत Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

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11th Hindi Digest Chapter 11 भारती का सपूत Textbook Questions and Answers

आकलन

1.
प्रश्न अ.
‘आप क्यों ऐसों के लिए सिर खपाते हैं…’ वाक्य में ऐसों’ का प्रयोग इनके लिए किया गया है…
(a) …………………………………………
(b) …………………………………………
(c) …………………………………………
उत्तर :
(a) विश्वेश्वर प्रसाद
(b) वेणीप्रसाद
(c) शत्रु

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प्रश्न आ.
लिखिए –
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 11 भारती का सपूत 3
उत्तर :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 11 भारती का सपूत 12

प्रश्न इ.
अंतर लिखिए –
मिशन के स्कूल – भारतीय स्कूल
(a) …………………………. (a) ………………………….
(b) …………………………. (b) ………………………….
उत्तर :

मिशन के स्कूल  भारतीय स्कूल
(1) जहाँ अंग्रेजी पढ़ाई जाती है पर भारतीय संस्कृति नहीं पढ़ाई जाती।  (1) भारतीय भाषा पढ़ाकर भारतीय संस्कृति से अवगत कराया जाता है।
(2) अंग्रेजी पढाकर हिंदओं को काले साहब बनाया जाता है।  (2) भारतीय एकता और अखंडता का निर्माण किया जाता है।

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शब्द संपदा

2. निम्नलिखित शब्दों के भिन्नार्थक अर्थ लिखकर उनसे अर्थपूर्ण वाक्य तैयार कीजिए :

(1) दिया : ……………………………………………..
उत्तर :
देना : भारतेंदु ने समाज को भारतीय संस्कृति का संदेश दिया है।

दीया : ……………………………………………..
उत्तर :
दीप : दीया जलते ही आलोक (प्रकाश) होता है।

(2) सदेह : ……………………………………………..
उत्तर :
देह के साथ, सशरीर : कहा जाता है संत तुकाराम का सदेह वैकुंठ गमन हुआ था।

संदेह : ……………………………………………..
उत्तर :
शंका : अच्छे इन्सान पर संदेह करना बुरी बात है।

(3) जलज : ……………………………………………..
उत्तर :
जल में जन्मा कमल : कीचड़ में जलज खिलते हैं।

जलद : ……………………………………………..
उत्तर :
बादल : आकाश में जलद छाए हुए थे।

(4) अपत्य : ……………………………………………..
उत्तर :
संतान : दो अपत्य के बजाय आज एक अपत्य ही पर्याप्त है।

अपथ्य : ……………………………………………..
उत्तर :
अहितकर : अपथ्य भोजन से दूर रहना चाहिए।

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(5) उद्दाम : ……………………………………………..
उत्तर :
निरंकुश : आज की पीढ़ी उद्दाम हो रही है।

उद्यम : ……………………………………………..
उत्तर :
उद्योग, पुरुषार्थ : उद्यम से वर्तमान और भविष्य दोनों में अच्छा परिवर्तन आता है।

अभिव्यक्ति

3.
प्रश्न अ.
‘भाषा राष्ट्र के विकास में सहायक होती है’, इसपर अपना मत लिखिए।
उत्तर :
किसी भी राष्ट्र का विकास उस देश की एकता और अखंडता पर निर्भर करता है। एकता और अखंडता देश की भाषा पर निर्भर होती है। जिस देश में एक राष्ट्रभाषा होती है, देश के सभी लोग एक भाषा में बोलते हैं और अपना व्यवहार एक ही भाषा में करते हैं। परिणाम स्वरूप देश के अनेक प्रश्न अपने आप हल हो जाते हैं। आज भारत देश का विचार किया जाय तो भारत देश से अंग्रेज चले गए, पर अंग्रेजी भाषा की हुकूमत नहीं गई।

अंग्रेजी एक वैज्ञानिक भाषा है, उसे बिल्कुल विरोध नहीं है। परंतु वह भाषा देश की एकता को नहीं बना सकती। देश के सभी लोग इसे बोल नहीं पाते, नाही समझ सकते हैं। हिंदी भारत की बोलचाल की भाषा है, देश के अधिक से अधिक लोग जिसे बोलते हैं, समझते हैं, अपना सारा व्यवहार जिसमें कर सकते हैं। इसलिए देश के विकास में भाषा का महत्वपूर्ण स्थान है। भारत के अनेक प्रश्न केवल भाषा से दूर हो सकते हैं।

भाषानिहाय प्रांतरचना करने से अनेक राज्यों में संघर्ष दिखाई देता है। राज्यों के लोगों में राज्य विभाजन के साथ स्वतंत्र राज्य निर्मिति का विचार पनपता है। क्षेत्रीय स्वार्थ को तिलांजली देकर पृथकता की भावना का अंतिम संस्कार कर देना चाहिए। एक देश-एक भाषा का होना देश की एकता और अखंडता के लिए बहुत जरूरी है। देश की राष्ट्रीयता को बनाए रखने के लिए भी देश में एक ही राष्ट्रभाषा होना जरूरी है।

आज भारत में राष्ट्रीय एकता, अखंडता, सीमा, स्वतंत्र राष्ट्र निर्माण का प्रयास आदि सारे प्रश्नों का मूल भाषा ही है। इसलिए राष्ट्र का विकास करना है तो देश में एक राष्ट्रभाषा का होना जरूरी है और वही भाषा होनी चाहिए जिसमें हमारी संस्कृति छिपी है जिसे हम बोल पाते हैं, समझ सकते हैं।।

प्रश्न आ.
‘व्यक्ति की करनी और कथनी में अंतर होता है’, इस उक्ति पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर :
आज समाज में ऐसे अनेक लोग हैं, जो होते कुछ हैं, और दिखाते कुछ हैं। ऐसे बहुरुपियों की संख्या बढ़ रही है। ऐसे ही लोग समाज को धोखा देते हैं। कथनी और करनी एक होना, आदर्श व्यक्ति की निशानी है। ‘जान जाए पर वचन न जाए’ भारत की यही संस्कृति है। आज राजनीति में इसके विपरीत नजर आता है। चुनाव जब आता है तब हमारे नेता कहते कुछ हैं और चुनाव समाप्त होते ही करते कुछ हैं।

इनकी कथनी और करनी कभी एक नहीं होती, हमेशा कथनी और करनी में अंतर होता है। समाज को शिक्षा देने वाला चाहे वह नेता हो, या अध्यापक, वह पत्रकार हो, या समाज-सुधारक हो, या फिर प्रशासकीय अधिकारी हो इन सब पर देश का भविष्य निर्भर है।

व्यसनाधिनता को दूर करने के लिए उपदेश देने वाला अध्यापक छात्रों को व्यसन के दोष बताता है और वह खुद सिगरेट पीता है तो गलत है। आपपर आने वाली पीढ़ी का भविष्य निर्भर है। आप खुद आदर्श पर कायम रहो। समाज को आदर्श देने वालों में अगर करनी और कथनी में अंतर है तो समाज पर इसका कोई असर नहीं होता।

आज अनेक दोष है, जिसे दूर करने के लिए अनेक लोग उपदेश देते हैं, सलाह देते हैं, पर वह खुद उन दोषों से दूर नहीं हटे हैं। करनी और कथनी में अंतर यह आज की विडंबना है।

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4. पाठ पर आधारित लघूत्तरी प्रश्न

प्रश्न अ.
भारतेंदु ने कुल के गर्व को दुहराने के बजाय देश के गर्व को दुहराया….’ पाठ के आधार पर बताइए।
उत्तर :
भारतेंदु जी हरिश्चंद्र जी का जन्म उच्च कुल में हुआ था। भारतेंदु जी के जन्म के समय उच्च वर्गों का समाज पर बहुत बड़ा असर था। उच्च कुलों का ही सम्मान था। यहाँ तक की देश की सामाजिक सत्ता उस वक्त देश के उच्च कुल के ही हाथ में थी।

परिस्थिति यह थी कि उस वक्त समाज वर्गों में बँट गया था। निम्न वर्ग के लोगों के लिए किसी प्रकार के कोई भी अधिकार नहीं थे। वे शिक्षा से काफी दूर थे, परिणामवश निम्न वर्ग के लोगों में अज्ञान, अंधविश्वास, कुरीति, कुपरंपरा, जिससे निर्माण होनेवाला दारिद्र्य काफी बड़ी मात्रा में नजर आता था।

भारतेंदु जी का जन्म भले ही उच्च कुल में क्यों न हुआ पर बचपन से उनके मन में निम्नवर्ग के प्रति आदर था। सामाजिक विषमता को दूर करने के लिए भारतेंदु जी ने हिंदी स्कूलों का निर्माण किया जिसमें उन्होंने भारतीय संस्कृति, संस्कार, भारतीय भाषा को सिखाने का प्रयास किया।

भारतेंदु जी अपने कुल से सम्मानित न होकर उनके पास जो प्रतिभा थी उनसे सम्मानित व्यक्ति बने थे। साथ ही साथ निम्न वर्ग के लिए उन्होंने जो काम किया यह उसका परिचायक है।

भारतेंदु जी का साहित्य, उनकी सामाजिक सेवा का कार्य, पत्रकारिता के माध्यम से लोगों को जगाने का काम, अंग्रेजी स्कूलों से निर्माण होने वाले कालेसाहब जो अपनों पर ही हुकूमत करते थे, इनका विरोध किया। उनके कार्य इस बात का परिचय देते हैं कि भारतेंदु जी ने कुल के गर्व को दुहराने के बजाय देश के गर्व को दुहराया है।

देश, धर्म, साहित्य, दारिद्र्य मोचन, अपमानिता नारी के उद्धार के लिए उन्होंने अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया था।

प्रश्न आ.
‘भारती का सपूत के आधार पर भारतेंदु की उदार प्रवृत्ति का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
‘भारती का सपूत’ जीवनीपरक उपन्यास है। भारतेंदु जी के जीवन और कार्य को आने वाली पीढ़ी के सामने रखना लेखक का उद्देश्य है। प्रस्तुत पाठ से भारतेंदु जी की उदार प्रवृत्ति स्पष्ट नजर आती है। भारतेंदु जी भले ही उच्च कुल में पैदा हुए हो पर उन्होंने अपना पूर्ण जीवन सामान्य लोगों के लिए बिताया है। साहित्य के क्षेत्र में हिंदी गद्य का निर्माण करके हिंदी भाषा को जनमानस की भाषा बनाने का काम किया।

अंग्रेजी और हिंदी स्कूल खोलकर भारतेंदु जी ने निम्न वर्ग के अज्ञान, अंधश्रद्धा और कुरीतियों को दूर करने का प्रयास किया। स्कूल में आने वाले छात्रों के लिए वह बिना शुल्क लिए पढ़ाते थे। साथ-ही-साथ छात्रों को किताबें और कलम मुफ्त में देते थे। इतना ही नहीं छात्रों के लिए खाना भी देते थे।

यह उनकी उदार प्रवृत्ति का उदाहरण है। अनेक प्रकार की पत्रिकाओं से समाज को जगाकर लोगों का दारिद्र्य दूर किया। शिक्षा, साहित्य, समाजसेवा, पत्रकारिता आदि सभी क्षेत्रों से भारतेंदु जी ने जन मानस के लिए जो कार्य किया है वह सब उनकी उदार प्रवृत्ति का परिचायक है।

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साहित्य संबंधी सामान्य ज्ञान

5. जानकारी दीजिए:

प्रश्न अ.
रांगेय राघव जी की रचनाओं के नाम –
…………………………………………………………………
…………………………………………………………………
उत्तर :
उपन्यास – विषाद मठ, उबाल, राह न रुकी, देवकी का बेटा, घरौंदा, कब तक पुकारूँ, आखिरी आवाज आदि कहानी संग्रह – पंच परमेश्वर, अवसाद का छल, गूंगे, प्रवासी, घिसटता कंबल, नारी का विक्षोभ, देवदासी आदि।

प्रश्न आ.
भारतेंदु द्वारा रचित साहित्य –
…………………………………………………………………
…………………………………………………………………
उत्तर :
काव्य कृतियाँ – भक्त सर्वस्व, प्रेममालिका, प्रेम-तरंग, वर्षा-विनोद, कष्ण – चरित्र प्रमुख निबंध – कालचक्र, कश्मीर, कुसुम, जातिय संगीत, स्वर्ग में विचार सभा नाटक – सत्य हरिश्चंद्र, श्री चंद्रावली, भारत दुर्दशा अँधेर नगरी, प्रेमजोगिनी आत्मकथा – ‘एक कहानी – कुछ आप बीती, कुछ जग बीती’ उपन्यास – पूर्णप्रकाश, चंद्रप्रभा यात्रा वृत्तांत – सरयू पार की यात्रा, लखनऊ

Yuvakbharati Hindi 11th Textbook Solutions Chapter 11 भारती का सपूत Additional Important Questions and Answers

कृतिपत्रिका
(अ) निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

गद्यांश : भारतेंदु के जन्म के समय उच्च वर्गों का बहुत बड़ा ………… मुफ्त दवा बँटती थी। (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 56)

प्रश्न 1.
तालिका पूर्ण कीजिए :

भारतेंदु जी के जीवन की महत्त्वपूर्ण घटनाएँ भारतेंदु जी की उम्र
(i) कविताएँ रचना शुरू किया ………………………………….
(ii) मन्नोदेवी से विवाह ………………………………….
(iii) नौजवानों का संघ बनाना ………………………………….
(iv) वाद-विवाद सभा की स्थापना ………………………………….

उत्तर :

भारतेंदु जी के जीवन की महत्त्वपूर्ण घटनाएँ भारतेंदु जी की उम्र
(i) कविताएँ रचना शुरू किया पाँच वर्ष
(ii) मन्नोदेवी से विवाह तेरह वर्ष
(iii) नौजवानों का संघ बनाना सत्रह वर्ष
(iv) वाद-विवाद सभा की स्थापना अठारह वर्ष

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प्रश्न 2.
कारण लिखिए :
(i) भारतेंदु जी को महत्त्व दिया गया ………………………………
उत्तर :
भारतेंदु जी को महत्त्व दिया गया उसका कारण उच्च कुल नहीं बल्कि उनकी प्रतिभा थी।

(ii) भारतेंदु जी ने वाद-विवाद सभा स्थापित की ………………………………
उत्तर :
भाततेंदु जी ने वाद-विवाद सभा स्थापित की क्योंकि वे भाषा और समाज का सुधार करना चाहते थे।

प्रश्न 3.
निम्न समोच्चारित भिन्नार्थक शब्दों के अर्थ लिखिए :
(i) प्रधान / प्रदान
(ii) दिन / दीन
उत्तर :
प्रधान : मुख्य
प्रदान : देने की क्रिया या भाव
दिन : दिवस
दीन : गरीब

प्रश्न 4.
‘दीन-दुखियों की सेवा ही ईश्वर सेवा है’, स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
जो मनुष्य स्वयं के सुख हेतु जीता है वह स्वार्थी होता है परंतु जो परोपकार करता है, दीन-दुखियों की सेवा करता है वह महात्मा होता है। जरूरत मंदों की सेवा ही ईश्वर की सच्ची इबादत है। कर्म ही एक व्यक्ति की पहचान है। गरीबों का मित्र बनकर सेवा करना या बीमार व्यक्तियों की देखभाल करना, समाज का कल्याण करने में जीवन बिताना एक अर्थ में ईश्वर की पूजा करना ही है। क्योंकि इन्हीं दीन-दुखियारों की बस्ती में ईश्वर का वास होता है।

मानव सेवा ही ‘माधव’ सेवा है। दीनों की सेवा करके एक व्यक्ति ईश्वर को प्रसन्न कर पाता है और ईश्वर का अनुग्रह प्राप्त कर लेता है। इसीलिए तो कहा गया है कि,

भलाई बाँटने वाले कभी मोहताज नहीं होते,
हर दुख की दवा उनके पास होती है।’

जो ईश्वर सेवा करना चाहते हैं उन्हें हर समय दूसरे की भलाई के बारे में सोचना चाहिए बेसहारा लोगों को सहारा देना चाहिए। दूसरों का दुख बाँटने वाले का जीवन कभी व्यर्थ नहीं जाता।

(आ) निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

गद्यांश : क्योंकि हम लोगों के पास धन है ………… मुफ्त खाना भी बँटवाने लगे। (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 57)

प्रश्न 1.
प्रवाह तालिका पूर्ण कीजिए :
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उत्तर :
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प्रश्न 2.
कृति पूर्ण कीजिए :
(i) भारतेंदु द्वारा खोले स्कूल में दी गई सुविधाएँ –
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 11 भारती का सपूत 6
उत्तर :
भारतेंदु द्वारा खोले स्कूल में दी गई सुविधाएँ –
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 11 भारती का सपूत 7

(ii) मदरसे में अध्यापन करने वाले व्यक्ति –
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 11 भारती का सपूत 8
उत्तर :
मदरसे में अध्यापन करने वाले व्यक्ति –
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 11 भारती का सपूत 9

प्रश्न 3.
(i) लिंग बदलकर लिखिए :
उत्तर :
(1) देवर – ……………………………………
(2) अध्यापक – ……………………………………
उत्तर :
(1) देवर – देवरानी
(2) अध्यापक – अध्यापिका

(ii) वचन वदलिए :
(1) लड़के – ……………………………………
(2) फसल – ……………………………………
उत्तर :
(1) लड़के – लड़का
(2) फसल – फसलें

प्रश्न 4.
‘भारतीय संस्कृति’ इस विषय पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
भारतीय संस्कृति विश्व की सर्वाधिक प्राचीन संस्कृति है। वह सर्वाधिक संपन्न और समृद्ध है। ‘अनेकता में एकता’ इसकी सबसे बड़ी विशेषता है। इसमें सहस्त्रो धर्म ग्रंथ, सैकंड़ों आचार ग्रंथ, वेद, पुराण, देवी-देवता, गुरु, महंत और उनकी विभिन्न मान्यताएँ हैं; परंतु हम एक ही परमेश्वर को मानते हैं।

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इसकी अन्य विशेषता है इसका लचीलापन। इसमें समन्वय का एक अनोखा गुण विद्यमान है। इसीलिए आस्तिक-नास्तिक, मूर्तिपूजक व विरोधी, मंदिर, मस्जिद, गिरिजाघर, अलग-अलग भाषाएँ, पितृसत्तात्मक व मातृसत्तात्मक परिवार सभी को सुंदर पुष्पों के रूप में मानकर भारतीय संस्कृति सुगंध से भरपूर उपवन बनी है। वह हमें एक-दूसरे का आदर करना सिखाती है। सत्य, नैतिकता, ईमानदारी जैसे जीवन मूल्यों को महत्त्व देती है।

यह विश्व की एकमात्र ऐसी संस्कृति है जो विश्वशांति एवं विश्वबंधुत्व का संदेश देती है। यह एक ऐसा गुलदस्ता है जो विभिन्न विचारों के फूलों से सुसज्जित और स्नेह की डोरी में बँधा हुआ है।

(इ) निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

गद्यांश : मल्लिका ने देखा तो आँखें फटी रह ………… क्या वह मनुष्य था! (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 58)

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए :
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उत्तर :
Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 11 भारती का सपूत 11

प्रश्न 2.
सह-संबंध लिखिए :
(1) कुलीन – याचक को ना नहीं कर सकता था।
(2) धनी – देश में सुधार करता घूमता रहा।
(3) निर्भीक – जो मनुष्यों से प्रेम करना जानता था।
(4) दानी – उन्मुक्त हाथों से लोगों की मदद करता था।
उत्तर :
(1) कुलीन – जो मनुष्यों से प्रेम करना जानता था।
(2) धनी – उन्मुक्त हाथों से लोगों की मदद करता था।
(3) निर्भीक – देश में सुधार करता घूमता रहा।
(4) दानी – याचक को ना नहीं कर सकता था।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्दों को प्रत्यय लगाकर नया शब्द बनाइए
(1) कुल – ………………………………….
(2) धर्म – ………………………………….
(3) देश – ………………………………….
(4) भारत – ………………………………….
उत्तर :
(1) कुलीन
(2) धार्मिक
(3) देशी
(4) भारतीय

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प्रश्न 4.
‘देश के प्रति मेरा कर्तव्य’ अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर :
देश के प्रति हम सब की कुछ जिम्मेदारियाँ और कर्तव्य हैं जो हमें निभाने चाहिए। हमें हमारे राष्ट्र को, राष्ट्र ध्वज को तथा राष्ट्र गान को सम्मान देना चाहिए। देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने के लिए प्रयत्नशील रहना चाहिए। देश के कानून का कठोरता से पालन करना चाहिए।

हमारी राष्ट्रीय थाती एवं सार्वजनिक संपत्ति की सुरक्षा करनी चाहिए। पर्यावरण को साफसुथरा रखना हमारा कर्तव्य है। हमारी प्राकृतिक संपदा की सुरक्षा करना भी हमारा कर्तव्य है। अपनी योग्यता, रुचि, अभिरुचि के अनुरूप देश के विकास में योगदान देना चाहिए। हमें बुद्धिमानी से मतदान कर नेता चुनना चाहिए। हमें अपने करों का भुगतान समय पर करना चाहिए।

देश का उज्ज्वल भविष्य हमारे हाथ में है इस बात को सदैव याद रखकर अपने कर्तव्य ईमानदारी से निभाना ही देशभक्ति है। हमारी सोच सकारात्मक हो। हमें शिक्षा का प्रचार-प्रसार करके श्रम शक्ति का बेहतर उपयोग करना चाहिए और वैज्ञानिक सोच अपनाकर अग्रसर होना चाहिए।

भारती का सपूत Summary in Hindi

भारती का सपूत लेखक परिचय :

रांगेय राघव जी का जन्म 17 जनवरी 1923 को श्री रंगाचार्य के घर उत्तर प्रदेश में हुआ। आपकी पूर्ण शिक्षा आगरा में हुई। वहीं से आपने पी.एच.डी की उपाधि प्राप्त की। आंचलिक ऐतिहासिक तथा जीवनीपरक उपन्यास लिखने वाले रांगेय राघव जी के उपन्यासों में भारतीय समाज का यथार्थ (actual) चित्रण प्राप्त है। आपने साहित्य की लगभग सभी विधाओं में सृजनात्मक (creative) लेखन करके हिंदी साहित्य को समृद्धि (prosperity) प्रदान की है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 11 भारती का सपूत1

आपने मातृभाषा हिंदी से ही देशवासियों के मन में देश के प्रति निष्ठा और स्वतंत्रता का संकल्प जगाया। सबसे पहले कविता के क्षेत्र में कदम रखा पर महानता मिली गद्य लेखक के रूप में। 1946 में प्रकाशित ‘घरौंदा’ उपन्यास के जरिए आप प्रगतिशील कथाकार के रूप में चर्चित हुए।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 11 भारती का सपूत

1962 में आपको कैंसर रोग पीड़ित बताया गया। उसी वर्ष 12 सिंतबर को आप मुंबई में देह त्यागी। पुरस्कार : हिंदुस्तान अकादमी, डालमिया पुरस्कार, मरणोपरांत (1966) महात्मा गांधी पुरस्कार।

भारती का सपूत प्रमख कतियाँ :

उपन्यास – विषाद मठ, उबाल, राह न रुकी, बारी बरणा खोल दो, देवकी का बेटा, रत्ना की बात, भारती का सपूत, यशोधरा जीत गई, घरौंदा, लोई का ताना, कब तक पुकारूँ, राई और पर्वत, आखिरी आवाज आदि। कहानी संग्रह – पंच परमेश्वर, अवसाद का छल, गूंगे, प्रवासी, घिसटता कंबल, नारी का विक्षोभ, देवदासी, जाति और पेशा आदि

भारती का सपूत विधा का परिचय :

‘उपन्यास’ वह गद्य कथानक है जिस के द्वारा जीवन तथा समाज की व्यापक व्याख्या की जा सकती है। उपन्यास को आधुनिक युग की देन कहना अधिक समुचित होगा। साहित्य में गद्य का प्रयोग जीवन के यथार्थ चित्रण का द्योतक है। साधारण बोलचाल की भाषा द्वारा लेखक के लिए अपने पात्रों, उनकी समस्याओं तथा उनके जीवन की व्यापक पृष्ठभूमि से प्रत्यक्ष संबंध स्थापित करना आसान हो गया है।

उपन्यास हमारे जीवन का प्रतिबिंब होता है, जिसको प्रस्तुत करने में कल्पना का प्रयोग आवश्यक है। मानव जीवन का सजीव चित्रण उपन्यास है। उपन्यास महान सत्यों और नैतिक आदर्शों का एक अत्यंत मूल्यवान साधन है।

भारती का सपूत विषय प्रवेश :

जीवन में अनेक ऐसी महान विभूतियाँ होती है, जिनका स्मरण करके हम आने वाली पीढ़ी के सामने उनका आदर्श रख सकते हैं। प्रस्तुत जीवनपरक उपन्यास में हिंदी गद्य के जनक तथा पिता भारतेंदु हरिश्चंद्र जी के जन्मदिन के अवसर पर अध्यापक रत्नहास ने लोगों को निमंत्रित करके एक तरफ उनके प्रति श्रद्धा जताई तो दूसरी तरफ निमंत्रित लोगों के सामने भारतेंदु जी के जीवन के अनेक पहलुओं को उजागर किया।

भारतीय भाषा और संस्कृति, अंग्रेजी स्कूलों का दुष्परिणाम, हिंदी अंग्रेजी पाठशाला निर्माण, बचपन से ही साहित्य के प्रति रुझान, पिता का आदर्श, आदि कार्यों का लेखा-जोखा रखकर श्रद्धा प्रकट करना और जीवन में प्रेरणा लेना पाठ का उद्देश्य है। केवल 34 वर्ष 4 महीने जिंदगी जीने वाले भारतेंदु जी का जीवन आदर्शवत (idealizing) है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 11 भारती का सपूत

भारती का सपूत पाठ का परिचय :

‘भारती का सपूत’ रांगेय राघव लिखित जीवनीपरक उपन्यास का अंश है। प्रस्तुत जीवनी परक उपन्यास में हिंदी गद्य भाषा के जनक भारतेंदु हरिश्चंद्र जी के जीवन को आधार बनाकर, उनके जीवन के कुछ पहलुओं को उजागर किया गया है। बचपन से ही साहित्य एवं शिक्षा के प्रति रुझान ने भारतेंदु जी को हिंदी साहित्य जगत का देदीप्यमान इंदु अर्थात चंद्रमा बना दिया।

अंग्रेजों की नीतियाँ, सामाजिक कुरीतियाँ, एवं अशिक्षा के खिलाफ भारतेंदु जी द्वारा जगाई अलख को उपन्यासकार ने अपनी लेखनी से और भी प्रज्वलित किया है।

भारती का सपूत सारांश :

‘भारती का सपूत’ जीवनीपरक उपन्यास है। इसमें भारतेंदु जी के जीवन के अनेक पहलुओं का वर्णन किया है। भारतेंदु जी का जीवन आने वाली पीढ़ी के लिए एक प्रेरणा है। इसलिए अध्यापक रत्नहार जी ने भारतेंदु जी के जन्मदिन के अवसर पर लोगों को बुलाकर उनके प्रति श्रद्धा जताई तो दूसरी तरफ उनके जीवन का बखान करके लोगों में प्रेरणा निर्माण की।

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भारतेंदु जी के पिता कवि थे, उसका असर बचपन में ही भारतेंदु जी पर पड़ा और 5 वर्ष की उम्र में ही भारतेंदु जी कविता लिखने लगे। उनका जन्म उच्च कुल में हुआ था, जिसका प्रभाव समाज पर था। परंतु भारतेंदु जी कुल के कारण महान नहीं बने बल्कि उनके कार्य से महान बने थे।

भारतेंदु जी की शादी 13 वर्ष की उम्र में मन्नो देवी से हुई। 17 वर्ष की उम्र में उन्होंने नौजवानों का संघ बनाया था। उसके बाद वाद-विवाद सभा का निर्माण किया। इस सभा का उद्देश्य भाषा और समाज का सुधार करना था। 18 वर्ष की आयु में बनारस इन्स्टिट्युट और ब्रह्मामृत वार्षिक सभा के प्रधान सहायक रहे। कविवचन-सुधा नामक पत्रिका का निर्माण किया। होम्योपैथिक चिकित्सालय निर्माण करके लोगों को मुफ्त इलाज किया और दवाएँ दीं।

भारतेंदु जी के काल में अंग्रेजी स्कूल थे, जिसका परिणाम – लोग काले साहेब बनकर अपनों पर ही हुकूमत करते थे इसलिए भारतेंदु जी ने हिंदी तथा अंग्रेजी पाठशालाओं का निर्माण किया, जिससे भारतीय संस्कृति तथा भाषा का विकास हो सकें।

Maharashtra Board Class 11 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 11 भारती का सपूत

केवल 34 वर्ष 4 महीने की आयु में भारतेंदु जी आखरी दिनों में बिस्तर पर पड़े थे, परंतु फिर भी देश के प्रति उनकी निष्ठा बनी थी। उन्होंने साहित्य, देश, धर्म, दारिद्र्यमोचन, कला और अपमानित नारी के उद्धार के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया था।

भारती का सपूत शब्दार्थ :

  • कौतूहल = जिज्ञासा
  • तारतम्य = सामंजस्य
  • तादात्म्य = अभिन्नता, एकरूपता
  • क्षीणकाय = दुर्बल, जर्जर शरीर
  • कौतुहल = जिज्ञासा (curiosity),
  • तारतम्य = सांमजस्य (sequence),
  • तादात्म्य = एकरूपता (equability),
  • क्षीणकाय = दुर्बल, जर्जर शरीर (weak body),
  • हुकूमत = अधिकार, सत्ता (regime),
  • पुरखों = पूर्वज (ancestor),
  • उन्मुक्त = स्वच्छंद, स्वतंत्र (freelance),
  • न्यौछावर = कुरबान (sacrifice),
  • दोगलो = नाजायज, (जो विवाहेतर संबंध से उत्पन्न) (illegitimate)

Maharashtra Board 11th Maths Solutions Chapter 4 Determinants and Matrices Ex 4.7

Balbharti Maharashtra State Board Class 11 Maths Solutions Pdf Chapter 4 Determinants and Matrices Ex 4.7 Questions and Answers.

Maharashtra State Board 11th Maths Solutions Chapter 4 Determinants and Matrices Ex 4.7

Question 1.
Find AT, if
i. A = \(\left[\begin{array}{cc}
1 & 3 \\
-4 & 5
\end{array}\right]\)
ii. A = \(\left[\begin{array}{ccc}
2 & -6 & 1 \\
-4 & 0 & 5
\end{array}\right]\)
Solution:
i. A = \(\left[\begin{array}{cc}
1 & 3 \\
-4 & 5
\end{array}\right]\)
∴ AT = \(\left[\begin{array}{rr}
1 & -4 \\
3 & 5
\end{array}\right]\)

Maharashtra Board 11th Maths Solutions Chapter 4 Determinants and Matrices Ex 4.7

ii. A = \(\left[\begin{array}{ccc}
-4 & 0 & 5
2 & -6 & 1 \\
\end{array}\right]\)
∴ AT = \(\left[\begin{array}{cc}
2 & -4 \\
-6 & 0 \\
1 & 5
\end{array}\right]\)

[Note: Answer given in the textbook is AT = \(\left[\begin{array}{cc}
2 & -4 \\
6 & 0 \\
1 & 5
\end{array}\right]\). However, as per our calculation it is AT = \(\left[\begin{array}{cc}
2 & -4 \\
-6 & 0 \\
1 & 5
\end{array}\right]\). ]

Question 2.
If [aij]3×3 where aij = 2(i – j), find A and
AT. State whether A and AT are symmetric or skew-symmetric matrices?
Solution:
A = [aij]3×3 = \(\left[\begin{array}{lll}
a_{11} & a_{12} & a_{13} \\
a_{21} & a_{22} & a_{23} \\
a_{31} & a_{32} & a_{33}
\end{array}\right]\)
Given aij = 2 (i — j)
∴ a11 = 2(1-1) = 0,
a12 = 2(1-2) = -2,
a13 = 2(1-3) = -4,
a21 = 2(2-1) = 2,
a22 = 2(2-2) = 0,
a23=2(2-3) = -2,
a31 = 2(3-1) = 4,
a32 = 2(3-2) = 2,
a33=2(3-3) = 0
Maharashtra Board 11th Maths Solutions Chapter 4 Determinants and Matrices Ex 4.7 1
∴ AT = -A and A = -AT
∴ A and AT both are skew-symmetric matrices.

Questionn 3.
If A = \(\left[\begin{array}{cc}
5 & -3 \\
4 & -3 \\
-2 & 1
\end{array}\right]\), prove that (2A)T = 2AT.
Solution:
Maharashtra Board 11th Maths Solutions Chapter 4 Determinants and Matrices Ex 4.7 2
From (i) and (ii), we get
(2A)T = 2AT

Maharashtra Board 11th Maths Solutions Chapter 4 Determinants and Matrices Ex 4.7

Question 4.
If A = \(\left[\begin{array}{ccc}
1 & 2 & -5 \\
2 & -3 & 4 \\
-5 & 4 & 9
\end{array}\right]\), prove that (3A)T = 3AT.
Solution:
Maharashtra Board 11th Maths Solutions Chapter 4 Determinants and Matrices Ex 4.7 3
From (i) and (ii), we get
(3A)T = 3AT

Question 5.
If A = \(\left[\begin{array}{ccc}
0 & 1+2 i & 1-2 \\
-1-2 i & 0 & -7 \\
2-i & 7 & 0
\end{array}\right]\),
where i = \(\sqrt{-1}\), prove that AT = – A.
Solution:
Maharashtra Board 11th Maths Solutions Chapter 4 Determinants and Matrices Ex 4.7 4

Question 6.
If A = \(\left[\begin{array}{cc}
2 & -3 \\
5 & -4 \\
-6 & 1
\end{array}\right]\) , B = \(\left[\begin{array}{cc}
2 & 1 \\
4 & -1 \\
-3 & 3
\end{array}\right]\) and C = \(\left[\begin{array}{cc}
1 & 2 \\
-1 & 4 \\
-2 & 3
\end{array}\right]\) then show that
i. (A + B)T = AT + BT
ii. (A – C)T = AT – CT
Solution:
Maharashtra Board 11th Maths Solutions Chapter 4 Determinants and Matrices Ex 4.7 5
From (i) and (ii), we get
(A + B)T = AT + BT
[Note: The question has been modified.]

Maharashtra Board 11th Maths Solutions Chapter 4 Determinants and Matrices Ex 4.7 6
From (i) and (ii), we get
(A – C)T = AT – CT</sup

Maharashtra Board 11th Maths Solutions Chapter 4 Determinants and Matrices Ex 4.7

Question 7.
If A = \(\left[\begin{array}{cc}
5 & 4 \\
-2 & 3
\end{array}\right]\) and \(\left[\begin{array}{cc}
-1 & 3 \\
4 & -1
\end{array}\right]\) then find CT, such that 3A – 2B + C = I, where I is the unit matrix of order 2.
Solution:
3A – 2B + C = I
∴ C = I + 2B – 3A
Maharashtra Board 11th Maths Solutions Chapter 4 Determinants and Matrices Ex 4.7 7

Question 8.
If A = \(\left[\begin{array}{ccc}
7 & 3 & 0 \\
0 & 4 & -2
\end{array}\right]\), B = \(\left[\begin{array}{ccc}
0 & -2 & 3 \\
2 & 1 & -4
\end{array}\right]\), then find
i. AT + 4BT
ii. 5AT – 5BT
Solution:
Maharashtra Board 11th Maths Solutions Chapter 4 Determinants and Matrices Ex 4.7 8

ii. ii. 5AT – 5BT = 5(AT – BT)
Maharashtra Board 11th Maths Solutions Chapter 4 Determinants and Matrices Ex 4.7 9

Question 9.
If A = \(\left[\begin{array}{lll}
1 & 0 & 1 \\
3 & 1 & 2
\end{array}\right]\), B = \(\left[\begin{array}{rrr}
2 & 1 & -4 \\
3 & 5 & -2
\end{array}\right]\) and C = \(\left[\begin{array}{ccc}
0 & 2 & 3 \\
-1 & -1 & 0
\end{array}\right]\), verify that (A + 2B + 3C)T = AT + 2BT + 3CT.
Solution:
A + 2B + 3C
Maharashtra Board 11th Maths Solutions Chapter 4 Determinants and Matrices Ex 4.7 10
∴ AT + 2BT + 3CT = \(\left[\begin{array}{cc}
5 & 6 \\
8 & 8 \\
2 & -2
\end{array}\right]\)
From (i) and (ii), we get
(A + 2B + 3C)T = AT + 2BT + 3CT

Maharashtra Board 11th Maths Solutions Chapter 4 Determinants and Matrices Ex 4.7

Question 10.
If A = \(\left[\begin{array}{ccc}
-1 & 2 & 1 \\
-3 & 2 & -3
\end{array}\right]\) and B = \(\left[\begin{array}{cc}
2 & 1 \\
-3 & 2 \\
-1 & 3
\end{array}\right]\), prove that (A + BT)T = AT + B.
prove that (A + BT)T = AT + B
Solution:
Maharashtra Board 11th Maths Solutions Chapter 4 Determinants and Matrices Ex 4.7 11
Maharashtra Board 11th Maths Solutions Chapter 4 Determinants and Matrices Ex 4.7 12
From (i) and (ii), we get
(A + BT)T = AT + B

Question 11.
Prove that A + AT is a symmetric and A – AT is a skew symmetric matrix, where
i. A = \(\left[\begin{array}{ccc}
1 & 2 & 4 \\
3 & 2 & 1 \\
-2 & -3 & 2
\end{array}\right]\)
ii. A = \(\left[\begin{array}{ccc}
5 & 2 & -4 \\
3 & -7 & 2 \\
4 & -5 & -3
\end{array}\right]\)
Solution:
Maharashtra Board 11th Maths Solutions Chapter 4 Determinants and Matrices Ex 4.7 13
∴ (A + AT)T = A + AT, i.e., A + AT = (A + AT)T
∴ A + AT is a symmetric matrix.
Maharashtra Board 11th Maths Solutions Chapter 4 Determinants and Matrices Ex 4.7 14
Maharashtra Board 11th Maths Solutions Chapter 4 Determinants and Matrices Ex 4.7 15
∴ (A – AT)T = – (A – AT),
i.e., A – AT = -(A – AT)T
∴ A – AT is skew symmetric matrix.

Maharashtra Board 11th Maths Solutions Chapter 4 Determinants and Matrices Ex 4.7 16
∴ (A + AT)T = A + AT, i.e., A + AT = (A + AT)T
∴ A + AT is a symmetric matrix.
Maharashtra Board 11th Maths Solutions Chapter 4 Determinants and Matrices Ex 4.7 17
∴ (A – AT)T = – (A – AT),
i.e., A – AT = -(A – AT)T
∴ A – AT is skew symmetric matrix.

Maharashtra Board 11th Maths Solutions Chapter 4 Determinants and Matrices Ex 4.7

Question 12.
Express the following matrices as the sum of a symmetric and a skew symmetric matrix.
i. \(\left[\begin{array}{cc}
4 & -2 \\
3 & -5
\end{array}\right]\)
ii. \(\left[\begin{array}{ccc}
3 & 3 & -1 \\
-2 & -2 & 1 \\
-4 & -5 & 2
\end{array}\right]\)
Solution:
A square matrix A can be expressed as the sum of a symmetric and a skew symmetric matrix as
A = \(\frac{1}{2}\) (A + AT) + \(\frac{1}{2}\) (A – AT)
Maharashtra Board 11th Maths Solutions Chapter 4 Determinants and Matrices Ex 4.7 18
P is symmetric matrix …[∵ aij = aji]
and Q is a skew symmetric matrix [∵ -aij = -aji]
A = P + Q
A = \(\left[\begin{array}{cc}
4 & \frac{1}{2} \\
\frac{1}{2} & -5
\end{array}\right]+\left[\begin{array}{ll}
0 & \frac{-5}{2} \\
\frac{5}{2} & 0
\end{array}\right]\)
Maharashtra Board 11th Maths Solutions Chapter 4 Determinants and Matrices Ex 4.7 19

Maharashtra Board 11th Maths Solutions Chapter 4 Determinants and Matrices Ex 4.7 20
∴ P is symmetric matrix …[∵ aij = aji]
and Q is a skew symmetric matrix [∵ -aij = -aji]
∴ A = P + Q
∴ A = \(\left[\begin{array}{cc}
4 & \frac{1}{2} \\
\frac{1}{2} & -5
\end{array}\right]+\left[\begin{array}{ll}
0 & \frac{-5}{2} \\
\frac{5}{2} & 0
\end{array}\right]\)

Question 13.
If A = \(\left[\begin{array}{cc}
2 & -1 \\
3 & -2 \\
4 & 1
\end{array}\right]\) and B = \(\left[\begin{array}{ccc}
0 & 3 & -4 \\
2 & -1 & 1
\end{array}\right]\), verify that
i. (AB)T = BTAT
ii. (BA)T = ATBT
Solution:
Maharashtra Board 11th Maths Solutions Chapter 4 Determinants and Matrices Ex 4.7 21
Maharashtra Board 11th Maths Solutions Chapter 4 Determinants and Matrices Ex 4.7 22
From (i) and (ii), we get
(AB)T = BTAT
Maharashtra Board 11th Maths Solutions Chapter 4 Determinants and Matrices Ex 4.7 23
From (i) and (ii) we get
(BA)T = ATBT

Maharashtra Board 11th Maths Solutions Chapter 4 Determinants and Matrices Ex 4.7

Question 14.
If A = \(\left[\begin{array}{cc}
\cos \alpha & \sin \alpha \\
-\sin \alpha & \cos \alpha
\end{array}\right]\), show that ATA = I, where I is the unit matrix of order 2.
Solution:
Maharashtra Board 11th Maths Solutions Chapter 4 Determinants and Matrices Ex 4.7 24
Maharashtra Board 11th Maths Solutions Chapter 4 Determinants and Matrices Ex 4.7 25
∴ ATA = I, where I is the unit matrix of order 2.

Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण शब्द संपदा

Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 11th Digest व्याकरण शब्द संपदा Notes, Questions and Answers.

Maharashtra State Board 11th Hindi व्याकरण शब्द संपदा

(1) लिंग : जिस शब्द से संज्ञा के स्त्री या पुरुष होने का बोध होता है, उसे ‘लिंग’ कहते हैं। लिंग के मुख्यत: दो भेद माने गए हैं :

  • पुल्लिंग
  • स्त्रीलिंग

Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण शब्द संपदा

पुल्लिंग : पुल्लिंग संज्ञा के उस रूप को कहते हैं जिससे उसके पुरुष होने का बोध होता है। जैसे – राजेश, राकेश, प्रभाकर, चाँद, सूर्य, बैल, घोड़ा आदि।

स्त्रीलिंग : जिस शब्द से स्त्री होने का बोध होता है उसे स्त्रीलिंग कहते हैं। जैसे – राधा, शीला, घोड़ी, बकरी, मछली, मैना, तितली, कोयल आदि।

लिंग निर्णय : अंग्रेजी, मराठी, संस्कृत की अपेक्षा हिंदी में लिंग निर्णय की प्रक्रिया थोड़ी जटिल है। जहाँ तक प्राणिवाचक संज्ञा शब्दों का प्रश्न है उसमें कोई परेशानी नहीं है, लेकिन जहाँ अप्राणिवाचक संज्ञा शब्दों की बात आती है वहाँ कठिनाई बढ़ जाती है क्योंकि इसके लिए कोई विशेष नियम नहीं है। एक ही शब्द के अलग अर्थ होने से या अलग-अलग शब्दों के एक ही अर्थ होने से भी लिंग बदल जाते हैं। जैसे –

भिन्नार्थक शब्द : अप्राणिवाचक बहुत से शब्दों के समरूपी होने पर लिंग भेद होता है। जैसै :

शब्द  अर्थ  लिंग
कलम  लेखनी  स्त्रीलिंग
कलम  वृक्ष शाखा का कलम  पुल्लिंग
ओर  छोर  पुल्लिंग
ओर  तरफ  स्त्रीलिंग
सरकार  स्वामी  पुल्लिंग
सरकार  शासन चलानेवाली  स्त्रीलिंग
विधि  ब्रहमा  पुल्लिंग
विधि  प्रणाली  स्त्रीलिंग
हार  पराजय के अर्थ में  स्त्रीलिंग
हार  माला के अर्थ में  पुल्लिंग
सविता  सूर्य  पुल्लिंग
सविता  किसी लड़की का नाम  स्त्रीलिंग
तारा  नक्षत्र  पुल्लिंग
तारा  लड़की का नाम  स्त्रीलिंग

Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण शब्द संपदा

कुछ प्राणियों में लिंग का निर्णय व्यवहार से होता है। जैसे – बंदर, तीतर, चीता, बैल पुल्लिंग है जबकि – मछली, कोयल, मैना, गौरैया स्त्रीलिंग है।

अप्राणिवाचक में द्रवों के नाम, धातुओं, ग्रहों, वनस्पतियों, अनाजों, रत्नों, दिनों, स्थल भागों के नाम पुल्लिंग होते हैं। जब कि – भाववाचक संज्ञा (ट, ट, हट) कृदंत, नदियों के नाम, नक्षत्रों के नाम, तिथियों के नाम, पक्वानों के नाम आदि स्त्रीलिंग होते हैं।

लिंग परिवर्तन कर वाक्य फिर से लिखिए :

(1) बेटे ने काका से बातचीत की।
बेटी ने काकी से बातचीत की।

(2) शेर ने बकरे पर आक्रमण किया।
शेरनी ने बकरी पर आक्रमण किया।।

(3) बैल घास चर रहा है।
गाय घास चर रही है।

(4) पंडित का भाई पूजा कर रहा है।
पंडिताइन की बहन पूजा कर रही है।

(5) नायक अभिनय कर रहा है।
नायिका अभिनय कर रही है।

(6) कुत्ता भौंक रहा है।
कुतिया भौंक रही है।

(7) चाचा जी देव जैसे हैं।
चाची जी देवी जैसी हैं।

Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण शब्द संपदा

(2) वचन : संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण और क्रिया के जिस रूप से संख्या का बोध होता हैं, उसे वचन कहते हैं। हिंदी में दो वचन होते हैं।

  1. एकवचन
  2. बहुवचन

एकवचन : संज्ञा के अथवा शब्द के जिस रूप से एक ही व्यक्ति या वस्तु होने का ज्ञान हो उसे एकवचन कहते हैं। जैसे – बिल्ली, बिजली, लड़का, नदी, पुस्तक, घर आदि.

बहुवचन : संज्ञा अथवा शब्द के जिस रूप से उसके एक से अधिक होने का बोध होता है उसे बहुवचन कहते हैं। जैसे – बिल्लियाँ, लड़कियाँ, लड़के, घोड़े, बहुएँ आदि।

अपवाद : कुछ शब्दों में दोनों रूप समान होते है। जैसे – मामा, नाना, बाबा, पिता, योद्धा, युवा, आत्मा, देवता, जमाता।

सूचनानुसार – परिवर्तन

अधोरेखांकित शब्द का वचन परिवर्तित कर वाक्य फिर से लिखिए :

(1) उदा. लड़के विद्यालय जाते हैं।
उत्तर :
लड़का विद्यालय जाता है।

(2) नदी ने फसल को डुवो दिया।
उत्तर :
नदियों ने फसल को डुबो दिया।

(3) आप कहाँ जा रहे हैं?
उत्तर :
तुम कहाँ जा रहे हो?

(4) बकरी घास चर रही है।
उत्तर :
बकरियाँ घास चर रही हैं।

(5) नदियों ने फसलों को हरा-भरा कर दिया।
उत्तर :
नदी ने फसल को हरा-भरा कर दिया।

Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण शब्द संपदा

(3) विलोम विरुद्धार्थी शब्द : जो शब्द अर्थ की दृष्टि से एक-दूसरे के विरोधी होते हैं उन्हें विलोम, विपरीतार्थी या विरुद्धार्थी शब्द कहते हैं।

  • निम्न x उच्च
  • धनी x निर्धन
  • विष x अमृत
  • अर्थ x अनर्थ
  • उदय x अस्त
  • प्रात: x सायं
  • सजीव x निर्जीव
  • सदाचार x दुराचार
  • आय x व्यय
  • आदान x प्रदान
  • स्वर्ग x नरक
  • मान x अपमान
  • सत्य x असत्य
  • सज्जन x दुर्जन
  • गुण x अवगुण
  • शुभ x अशुभ
  • उचित x अनुचित
  • अनुकूल x प्रतिकूल
  • पक्ष x विपक्ष
  • उपस्थित x अनुपस्थित
  • एक x अनेक
  • आस्तिक x नास्तिक
  • आदर x निरादर
  • उन्नति x अवनति
  • सफलता र असफलता
  • सौभाग्य x दुर्भाग्य
  • आदि x अंत
  • नवीन x प्राचीन
  • उदार x अनुदार
  • लौकिक x अलौकिक
  • स्मृति – विस्मृति
  • आयात x निर्यात
  • शिक्षित x अशिक्षित
  • उत्तीर्ण x अनुत्तीर्ण
  • यश x अपयश
  • सुलभ x दुर्लभ Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण शब्द संपदा
  • प्रत्यक्ष x परोक्ष
  • खुशबू x बदबू
  • सार्थक x निरर्थक
  • मुख्य x गौण
  • समर्थन x विरोध
  • उत्थान x पतन
  • पंडित x मूर्ख
  • निर्माण x विनाश
  • संयोग x वियोग
  • उपकार x अपकार
  • साक्षर x निरक्षर
  • सूक्ष्म x स्थूल
  • बंजर x उपजाऊ
  • कृतज्ञ x कृतघ्न
  • आलस्य x उद्यम
  • साकार x निराकार
  • बुराई x भलाई
  • क्रोध x शांति
  • रक्षक x भक्षक
  • स्तुति x निंदा
  • वीर x कायर
  • वरदान – अभिशाप
  • रुग्ण x स्वस्थ
  • मानव x दानव
  • महान x क्षुद्र
  • सम x विषम
  • मधुर x कटु
  • महात्मा x दुरात्मा
  • कनिष्ठ x ज्येष्ठ
  • आकाश x पाताल

Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण शब्द संपदा

(4) पर्यायवाची शब्द :

  • असभ्य – अशिष्ट, गँवार, उजड्ड
  • कहानी – कथा, अख्यायिका, किस्सा
  • बुद्धि – मति, मेधा, प्रज्ञा, अक्ल
  • बारिश – वर्षा, बरसात, वृष्टि
  • पति – कांत, स्वामी, वर, भर्ता
  • वसंत – मधुऋतु, ऋतुराज, पिकमित्र
  • अनोखा – अनूठा, अनुपम, अलौकिक
  • थोड़ा – अल्प, रंच, कम
  • मृत्यु – निधन, देहांत, मौत
  • सुंदर – चारु, रम्य, ललाम
  • पत्नी – कांता, वधू, भार्या

(5) अनेक शब्दों के लिए एक शब्द :

  • जिस पर विश्वास किया जा सके – विश्वसनीय
  • जिसकी उपमा न दी जा सके – अनुपम
  • सब कुछ जाननेवाला – सर्वज्ञ
  • जो कभी बूढ़ा न हो – अजर
  • जो नियम के अनुसार न हो – अनियमित
  • जिसका कोई अंत न हो – अनंत
  • जो देखने योग्य हो – दर्शनीय
  • जो दूर की सोचता हो – दूरदर्शी
  • जो मीठा बोलता हो – मृदुभाषी
  • अनुकरण करने योग्य – अनुकरणीय
  • किए हुए उपकार को न माननेवाला – कृतघ्न
  • काम में लगा रहने वाला – कर्मठ
  • जिसे कहा न जा सके – अकथनीय
  • जो कम बोलता हो – मितभाषी
  • जिसे पाना कठिन हो – दुर्लभ

Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण शब्द संपदा

(6) भिन्नार्थक शब्द : कुछ शब्दों के प्रयोग कई अर्थों में होते हैं। उनका अर्थ वाक्य में प्रयोग से ही निश्चित हो सकता है।

  • अंबर – आकाश, कपड़ा
  • अंतर – हृदय, फर्क
  • आदि – आरंभ, इत्यादि
  • अली – सखी, पंक्ति
  • काल – समय, मृत्यु
  • कनक – सोना, धतूरा
  • तीर – बाण, तट
  • पट – कपड़ा, दरवाजा
  • पृष्ठ – (किताब का) पन्ना, पीठ
  • भेद – प्रकार, रहस्य
  • हरि – ईश्वर, सिंह
  • हार – फूलों की माला, हारना
  • गति – दशा, चाल
  • मित्र – साथी, सूर्य
  • हल – खेत जोतने का औजार, समाधान
  • स्नेह – तेल, प्रेम

(7) शब्द-युग्म : शब्दों का वह जोड़ा होता है जो देखने और सुनने में एक जैसे होते हैं अथवा मिलते-जुलते हैं लेकिन वर्तनी में कहीं न कहीं कोई अंतर अवश्य होता है। इस प्रकार वर्तनी की भिन्नता अथवा उसमें थोड़ा-सा परिवर्तन अर्थ में बहुत बड़ा अंतर उत्पन्न कर देते हैं। अत: इन्हें जानना व समझना जरूरी हो जाता है। यहाँ कुछ शब्द-युग्म दिए गए हैं।

अँगना : आँगन।
वाक्य: गाँव के घर में अँगना/आँगन का बहुत महत्त्व हैं।

अंगना : रमणी या सुंदर स्त्री।
वाक्य: अँगना में अंगना के पायल को छम-छम सुनाई दे रही थी।

अन्न : अनाज, खाद्य पदार्थ।।
वाक्यः किसान खेतों में अन्न उपजाते हैं।

अन्य : दूसरा या पराया।
वाक्य: इस काम को कोई अन्य व्यक्ति नहीं करेगा।

अगम : कठिन, दुर्गम।
वाक्यः ईश्वर को संतों ने अगम बताया है।

आगम : प्राप्ति, आय:
वाक्यः उसके पास अब कोई आगम नहीं है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण शब्द संपदा

अवलंब : आश्रय, सहारा।
वाक्य: उसके पति की मृत्यु के साथ ही उसका अवलंब टूट गया।

अविलंब : तुरंत, शीघ्र।
वाक्यः इस कार्य को अविलंब करना है।

अंत : समाप्ति।
वाक्य: बादशाह औरंगजेब की मृत्यु के साथ ही मुगल राज्य का अंत हो गया।

अंत्य : अंतिम।
वाक्यः हिंदुओं की अंत्य विधि श्मशान में होती है।

अनल : आग।
वाक्यः अनल सब कुछ जला देता है।

अनिल : हवा।
वाक्य: ऊँचाई पर अनिल का दबाव कम हो जाता है।

अश्व : घोड़ा।
वाक्य: चेतक एक महान अश्व था।

अश्म : पत्थर।
वाक्य: अश्म से ठोकर खाकर वह गिर पड़ा।

अमित : बहुत, असीम।
वाक्य: लैला का मजनू से अमित प्रेम था।

अमीत : अमित्र, शत्रु।
वाक्य: इंसानियत के पुजारी अमीत को भी गले लगाते हैं।

आदि : आरंभ, शुरू या इत्यादि।
वाक्य: आदिकाल से ही भारतीय संस्कृति संसार में श्रेष्ठ रही है।

आदी : अभ्यस्त।
वाक्य: वह सुबह जल्दी उठने का आदी है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण शब्द संपदा

आसन : बैठने की छोटी चटाई। वाक्य: यह पिता जी का आसन है।
आसन्न : निकट आया हुआ, तुरंत। वाक्य: उसका परीक्षा-काल आसन्न है।

इति : समाप्ति, अंत।
वाक्य: इसकी यही इति है।

ईति : विपत्ति, बाधा।
वाक्यः बेचारे मोहन के पिता की मौत होते ही उसके ईती का आरंभ हो गया।

उन : ‘उस’ सर्वनाम का बहुवचन।
वाक्य: उन लोगों को शादी में जाना है।

ऊन : भेड़ आदि के बाल।
वाक्य: शीत से बचने के लिए ऊनी वस्त्रों का प्रयोग होता है।

उपकार : भलाई।
वाक्य: यह उपकार का जमाना नहीं है।

अपकार : बुराई।
वाक्यः किसी का अपकार करके तुम्हें क्या मिलने वाला है ?

कंगाल : गरीब।
वाक्यः भूकंप आने से भुज के लोग कंगाल हो गए।

कंकाल : हड्डियों का ढाँचा।
वाक्य: बीमारी से वह कंकाल बन चुका है।

कलि : युग, कलह, झगड़ा।
वाक्यः कलियुग में सब कुछ उल्टा होता है।

Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण शब्द संपदा

कली : अधखिला फूल।
वाक्यः फूल बनने से पहले कली नहीं मसलनी चाहिए।

कहा : कहना का भूतकाल।। वाक्यः उसने कहा था।
कहाँ : स्थान बोधक अव्यय। वाक्यः आप कहाँ जा रहे हैं?

कुल : वंश, परिवार, पूर्ण।
वाक्यः (अ) दो संख्याओं को जोड़ने पर हमें कुलयोग ज्ञात होता है।
(ब) भगवान राम रघुकुल में जन्में थे।

कूल : तट, किनारा।
वाक्यः श्याम यमुना के कूल पर बंसी बजाते थे।

कुजन : बुरे लोग।
वाक्यः कुजनों के साथ रहने से नुकसान होता है।

कूजन : पक्षियों की मधुर ध्वनि या कलरव।
वाक्यः पक्षियों के कूजन से सवेरा होने का आभास हुआ।

किला : गढ़।
वाक्यः सिंहगढ़ का किला छत्रपति शिवाजी महाराज ने जीत लिया।

कीला : छूटा, बड़ी कील।
वाक्य: मैंने यह कीला अपनी जमीन में गाड़ा है।

ग्रह : सूर्य, चंद्र आदि।
वाक्य: हमारी संस्कृति में नौ ग्रह पूजे जाते हैं।

गृह : घर।
वाक्य: सोमवार को मेरा गृह प्रवेश हुआ।

कि : समुच्चयबोधक अव्यय।
वाक्यः राम के पिता ने कहा कि वह आलस्य छोड़ दें।

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की : करना क्रिया का भूतकाल। संबंध कारक चिह्न।
वाक्य : मैंने पढ़ाई पूरी की। गाँव की नदियाँ बलखाती हुई बह रही है।

चिर : दीर्घ – बड़ा या हमेशा/शाश्वत।
वाक्यः चिरकाल से चली आई भारतीय संस्कृति महान है।

चीर : वस्त्र / कपड़ा।
वाक्य: द्रौपदी का चीर हरण किया गया था।

तरणी : नौका।
वाक्यः रामजी ने केवट की तरि से गंगा नदी पार की।

तरणि : सूर्य
वाक्य: सब्जियों में तरी ज्यादा होने से स्वाद बिगड़ गया।

तरंग : लहर।
वाक्य: समंदर की तरंगें भयानक होती जा रही थीं।

तुरंग : घोड़ा।
वाक्यः तुरंग पर सवार सैनिक जंग में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करते थे।

नित : रोज, प्रतिदिन।
वाक्य: नित प्रात:काल उठकर टहलना स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है।

नीत : प्राप्त, लाया हुआ।
वाक्य: हमारे देश में पर्दा प्रथा मुगलों द्वारा नीत है।

नियत : तय, निश्चित।
वाक्य: तुम्हें नियत समय पर ही वहाँ पहुँचना है।

नीयत : इच्छा, इरादा, मंशा।
वाक्यः इस मामले में तुम्हारी नीयत में खोट नजर आ रही है।

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दिन : दिवस।
वाक्यः बुरे दिन में कोई मदद नहीं करता।

दीन : गरीब।
वाक्यः मुझ दीन के रक्षक दीनानाथ हैं।

देव : देवता, सुर।
वाक्य: भारत में अनेक देव पूजे जाते हैं।

दैव : भाग्य, नसीब।
वाक्य: आलसी हमेशा दैव-दैव पुकारता है।

प्रसाद : ईश्वरीय कृपा। वाक्य: मैं भगवान का प्रसाद पाकर धन्य हो गया। प्रासाद : महल।
वाक्यः राजा भव्य प्रासाद में रहता था।

परिणाम : फल, नतीजा।
वाक्यः चोरी का परिणाम हमेशा बुरा होता है।

परिमाण : मात्रा, माप।
वाक्य: यह दवा किस परिमाण में लेनी है?

पुर : नगर, शहर।
वाक्यः रघुवीर जी की बहू सीतापुर गई।

पूर : पूर्णत्व, बाढ़, अधिकता।
वाक्य : मोहन की थोड़ी-सी कमाई से घर-खर्च पूरा नहीं पड़ता था।

प्रणाम : नमस्कार, सलाम।
वाक्य : हमें बड़ों को प्रणाम करना चाहिए।

प्रमाण : सबूत।
वाक्य : इस समय मेरे पास अपनी बात का कोई प्रमाण नहीं है।

प्रहर : याम, पहर (तीन घंटे का समय)।
वाक्य : रात्रि के तीसरे प्रहर में पूरी तरह सन्नाटा छा जाता है।

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प्रहार : आघात या चोट।
वाक्य: महाराणाप्रताप के प्रहार से मुगल सेना तितर-बितर हो गई।

पर : पंख, परंतु।
वाक्यः मोर के पर रखना शुभकारी होता है।

पार : किनारा, मंजिल तक पहुँचना।
वाक्यः मेरा घर नदी के उस पार है।

फुट : बारह इंच की माप।
वाक्य: इसकी लंबाई छ: फुट है।

फूट : मतभेद, बैर, अलगाव।
वाक्य: इस चुनाव में प्रत्येक दल में फूट पड़ी और बागी उम्मीदवार निर्दलीय चुनाव लड़े।

बलि : बलिदान, नैवेद्य।
वाक्य: बकरी ईद में बकरे की बलि दी जाती है।

बली : बलवान, वीर।
वाक्यः तन के साथ-साथ मन का भी बली होना जरूरी है।

बट : रास्ता।
वाक्यः पत्नी अपने पति की बाट जोह रही थी।

बाँट : भाग, हिस्सा।
वाक्य: मक्खन बाँट में बिल्लियों का नुकसान तय है।

बहु : बहुत, अधिक।
वाक्यः मेरा बहु प्रतीक्षित सपना पूरा हुआ।

बहू : पुत्रवधू, विवाहिता ली।
वाक्यः सास और बहू को टक्कर जगत प्रसिद्ध है।

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भिड़ : ततैया, लड़ना।
वाक्य: दोनों पक्षों के सैनिक आपस में भिड़ गए।

भीड़ : मजमा, जनसमूह।
वाक्य: मेले की भीड़ में खो जाने का अंदेशा रहता है।

बास : गंध।
वाक्य: कचरे के डिब्बे से बहुत ही बास आ रही थी।

बाँस : एक वनस्पती
वाक्य: बाँस बहुत ही उपयोगी वनस्पती है।

भवन : घर, महल।
वाक्य: जयपुर में शानदार भवन है।

भुवन : संसार, जग।
वाक्यः सारे भुवन में महँगाई की मार है।

मूल : जड़, नींव।
वाक्य: दोनों परिवारों के विवाद के मूल में एक-दूसरे के प्रति नफरत है।

मूल्य : कीमत।
वाक्य: यह घड़ी काफी मूल्यवान है।

राज : राज्य, शासन।
वाक्य: महात्मा गांधीजी देश में रामराज लाना चाहते थे।

राज़ : भेद, रहस्य।
वाक्यः इस खंडहर में गहरा राज़ छिपा हुआ है।

शिला : पत्थर, पाषाण।
वाक्य: सम्राट अशोक के जमाने में शिलालेखों का विशेष महत्त्व था।

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शीला : सुशील।
वाक्य: यह बड़ी सुशीला पुत्री है।

सास : पति या पत्नी की माँ।।
वाक्यः सास-बहू में झगड़े होते रहते हैं।

साँस : श्वास।
वाक्य: जब तक साँस चल रही है तब तक हमें संघर्ष करना है।

सुर : देवता, लय।
वाक्यः (अ) सुर में गाना एक साधना है।
(ब) बृहस्पतिजी सुरों के गुरु हैं।

सूर : सूर्य, अंधा।
वाक्यः मोहन सूर है लेकिन उसकी आवाज में जादू है।

सर्ग : काव्य का अध्याय।
वाक्यः कामायनी को सर्गों में विभक्त किया गया है।

स्वर्ग : देवताओं का निवास, जन्नत।
वाक्य : अच्छे लोग मृत्यु के बाद सीधे स्वर्ग जाते हैं।

शुक्ति : सीप।
वाक्यः शुक्ति में मोती बनता है।

सूक्ति : अच्छी उक्ति।
वाक्य: संतों की सूक्ति हमेशा प्रेरक होती है।

सुधि : स्मरण, याद।
वाक्य: परदेश जाने के बाद पति ने पत्नी की सुधि नहीं ली।

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सुधी : विद्वान।
वाक्य: सुधी जनों की संगत में हमेशा सुख मिलता है।

सकल : सब, संपूर्ण।
वाक्य: गेहूँ की सकल उत्पाद का पच्चीस प्रतिशत पंजाब में होता है।

शक्ल : सूरत, चेहरा टुकड़ा।
वाक्य: तेजाब फेंककर उसकी शक्ल को बिगाड़ दिया गया।

शुल्क : फीस, चंदा।
वाक्यः रमा विद्यालय में बच्चे का शुल्क जमा करने गई है।

शुक्ल : उज्ज्वल, शुद्ध पक्ष।
वाक्यः शुक्ल पक्ष के अंतिम दिन पूर्णिमा होती है।

(8) उपसर्ग : जो शब्दांश किसी शब्द के प्रारंभ में जुड़कर शब्द के अर्थ को प्रभावित करते हैं उन्हें उपसर्ग कहा जाता है।
उदा. देश – स्वदेश, परदेश, उपदेश

हिंदी में प्रयुक्त होने वाले कुछ, उपसर्ग इस प्रकार है :
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Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण शब्द संपदा 3
Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण शब्द संपदा 4

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(9) प्रत्यय : कुछ शब्दांश शब्दों के अंत में जुड़कर उनके अर्थ में परिवर्तन लाते हैं उन्हें प्रत्यय कहते हैं।
उदा. – जल + ज = जलज, जल + द = जलद
Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण शब्द संपदा 5
Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण शब्द संपदा 6

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(10) कृदंत : धातु में कृत प्रत्यय लगने से बनने वाला शब्द कृदंत कहलाता है।
जैसे-
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तद्धित : संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण अथवा अव्यय के अंत में प्रत्यय लगाकर बने शब्द तद्धित शब्द कहलाते हैं।
जैसे –
संज्ञा शब्द – तद्धित शब्द
सोना – सुनार, सुनहरा
मुख – मुखिया, मौखिक …. आदि

सर्वनाम शब्द – तद्धित शब्द
अपना – अपनापन, अपनत्व
निज – निजत्व …. आदि

विशेषण शब्द – तद्धित शब्द
मीठा – मिठाई, मिठास
एक – एकता, इकहरा …… आदि

अव्यय शब्द – तद्धित शब्द
पीछे – पिछला
अवश्य – आवश्यक
बहुत – बहुतायत …… आनि

(11) तत्सम शब्द : जो शब्द हिंदी में संस्कृत भाषा से बिना किसी परिवर्तन के ले लिए गए है उन्हें ‘तत्सम शब्द’ कहा जाता है।
उदा. : नित्य, विद्वान, प्रात:, शनैः शनैः, ज्ञान, अक्षर, सूर्य, गृह, ग्राम …… आदि।

(12) तद्भव शब्द : समय और परिस्थिति के कारण संस्कृत के शब्दों में परिवर्तन आता गया और आज व्यवहार में प्रयुक्त हैं ऐसे शब्द तद्भव शब्द कहलाते हैं।
जैसे –

तत्सम शब्द  तद्भव शब्द
अंगुली  उंगली
अश्रु  आँसू
काक  कौआ
गृह  घर
पुत्र  पुत
कोकिल  कोयल
हस्ती  हाथी
जिह्वा  जीभ
दुग्ध  दूध
भ्राता  भाई
श्राप  शाप
मुख  पूँह
अग्नि  आग
अग्र  आगे
गर्दभ  गधा
चंद्र  चाँद
पितृ  पिता
कृष्ण Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण शब्द संपदा  किशन
हस्त  हाथ
बिंदु  बूंद
भगिनी  बहन
क्षेत्र  खेत
सप्त  सात
मेघ  मेह
रात्रि  रात
श्वास  साँस
शय्या  सेज
मूल्य  मोल
धैर्य  धीरज
कृषक  किसान
छिद्र  छेद
ज्येष्ठ  जेठ
दूर्वा  दूब
दु:ख  दुख
पद  पैर
पीत  पीला
पुच्छ Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण शब्द संपदा  पूँछ
भिक्षा  भीख
भद्र  भला
सूत्र  सूत
लक्ष्मण  लखन
वर्ष  बरस
सूर्य  सूरज
शर्करा  शक्कर
श्वसुर  ससुर
श्वश्रू  सास
निष्ठ  मीठा
रत्न  रतन
घट  घड़ा
चौत्र  चत
तृण  तिनका
दीप  दीया
पक्षी  पंछी
पुष्प  फूल
पुष्कर  पोखर
मयुर  मोर
मृतिका  मिट्टी
रक्षा Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण शब्द संपदा  राखी
लौह  लोहा
व्याघ्र  बाघ
बक  बगुला
खीर  क्षीर

विदेशी शब्द : अरबी, फारसी, अंग्रेजी या अन्य किसी भी दूसरे देश की भाषा के शब्द जिनका हिंदी में प्रयोग किया जाता है उन्हें विदेशी शब्द कहते हैं।

जैसे : डॉक्टर, राज़, इलाज, रेल्वे, सिग्नल, इशारा, दीदार, आरमान, शक्ल …. आदि।

मानक वर्तनी :

किसी भी भाषा के दो प्रमुख तत्त्व होते हैं।

  • व्याकरण
  • लिपि

लिपि का एक पक्ष है सामान्य और विभिन्न ध्वनियों के पृथक-पृथक, प्रतीक -वर्णों की वृद्धि, उनका परस्पर आकार भेद, लिखावट में सरलता, स्थान लघुता स्वं प्रयत्नलाघव, जिससे भाषा दुरूहता समाप्त होती है। लिपि का दूसरा पक्ष है वर्तनी (Spelling) एक शब्द को प्रकट करने के लिए अलग-अलग अक्षरों का प्रयोग वर्तनी को कठिन बना देता है। देवनागरी लिपि में यह दोष सबसे कम है, फिर भी कुछ विशेष कठिनाइयाँ हैं।

इन सभी कठिनाइयों को दूर कर हिंदी की वर्तनी में एकरूपता लाने के लिए भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय ने 1961 में एक विशेषज्ञ समिति नियुक्त की थी।

समिति ने अप्रैल 1962 में अपनी अंतिम सिफारिशें प्रस्तुत की, जिन्हें सरकार ने स्वीकृत किया। यह सुधार प्रायः टंकण लिपि और संगणक की सुविधानुसार किया गया। 1967 में “हिंदी वर्तनी मानकीकरण” नामक पुस्तिका में इसकी व्याख्या और उदाहरण विस्तार से प्रकाशित किया गया है।

वर्तनी संबंधी कुछ नियम इस प्रकार है।

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(1) संयुक्त वर्ण

(क) खड़ी पाई वाले व्यंजन:

खड़ी पाई वाले व्यंजनों (म्दहेदहाहू) का संयुक्त रूप खड़ी को हटाकर ही बनाया जाना चाहिए,

जैसे – ख्याति, लग्न, विघ्न, कच्चा, छज्जा, सज्जा, नगण्य उल्लेख, कुत्ता, पथ्य, ध्वनि, प्यास, न्यास, डिब्बा, सभ्य, रम्य, शय्या, राष्ट्रीय, त्र्यंबक, व्यास, स्वीकृत श्लोक, यक्ष्मा, प्रज्ञा।

(ख) अन्य व्यंजन:

(अ) क और फ के संयुक्ताक्षर : पक्का, दफ्तर, रफ्तार, चक्का आदि की तरह बनाए जाएँ, न कि पक्का, दफ्तर की तरह। इसमें फ और क की बाहों को गोला न कर सीधा कर दिया जाता है। (आ) ङ्, ट, ठ, ड, ढ, द और ह के संयुक्ताक्षर हलंत ( ) चिह्न लगाकर ही बताए जाए। वाङ्मय लट्टू, बुड्ढा, विद्या, चिह्न, ब्रह्मा, ब्राह्मण, उद्यम लट्ठा आदि।

(इ) श्र का प्रचलित रूप ही मान्य होगा। इसे श के रूप में नहीं लिखा जाएगा। त + र के संयुक्त रूप के लिए त्र और र दोनों रूपों के प्रयोग की छूट हैं। किंतु क्र को कर के रूप में नहीं लिखा जाएगा।

(ई) हलंत चिह्नयुक्त वर्ण से बनने वाले संयुक्ताक्षर के द्वितीय व्यंजन के साथ इ की मात्रा का प्रयोग संबंधित व्यंजन के तत्काल पूर्व ही किया जाएगा, न कि पूरे युग्म से पूर्व जैसे कुट्टिम द्वितीय, को कुटिम, द्वितीय, बुद्धिमान, चिह्नित आदि को स्वीकारा जाएगा।

(उ) संस्कृत में संयुक्ताक्षर पुरानी शैली में भी लिखे जा सकेंगे, जैसे – संयुक्त, चिह्न, विद्या, विद्वान, वृद्ध, अट्ट, द्वितीय, बुद्धि, शुद्धि आदि।
(नियम 2) क और फ के बाहों की गोलाई अंग को काटकर या हटाकर)
क – मुक्त, पक्का, चक्कर, टक्कर, शक्कर।
फ- मुफ्त, दफ्तर, रफ्तार।
(नियम 3) ट, ड, द, ह को हलंत करके) लट्टू, चट्टान, इकट्ठा, पट्ठा, बुड्ढा, लड्डू, शुद्ध, वृद्ध, बुद्धिमान, उद्योग, गद्य, पद्य, खाद्य, प्रसिद्ध अद्भुत, ब्रह्म, चिह्न, ब्राह्मण।
(नियम 4) संयुक्त वर्णाक्षर के साथ ‘इ’ की मात्रा का प्रयोग हलंत चिह्नयुक्त वर्ण से बननेवाले संयुक्ताक्षर के द्वितीय वर्ण के तत्काल पूर्व किया जाता है। जैसे – बुद्धि, शुद्धि, चिह्नित, द्वितीय, द्विगुणित, चिट्ठियाँ, छुट्टियाँ, सिद्धि, वृद्धि आदि।
(नियम 5) खड़ी पाई को हटाकरः

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खड़ी पाई वाले व्यंजन के संयुक्ताक्षर :

  • ख : ख्याति
  • ण : नगण्य प : प्यार
  • ल : उल्लेख ग : मग्न
  • त : पत्ता ब : ब्यौरा,
  • ष : राष्ट्र ग : नग्न
  • थ : पथ्य
  • भ : सभ्य स : स्वाद
  • घ : विघ्न ध : ध्यान
  • म : रम्य य : त्र्यंबक
  • च : अच्छा न : न्याय
  • म : गम्य श : श्लोक
  • ज : लज्जान : अन्न
  • य : शय्या क्ष : लक्ष्य

(2) विभक्ति चिह्न : (कारक चिह्न)

(क) हिंदी के विभक्ति चिह्न सभी प्रकार के संज्ञा शब्दों में प्रतिपदिक से पृथक लिखे जाय,
जैसे – राम ने, राम को, राम से, सभी ने, सभी को, सभी से आदि। सर्वनाम शब्दों में विभक्ति चिह्न मिलाकर लिखे जाते हैं।
जैसे -उसने, उसको, उसपर आदि।

(ख) सर्वनामों के साथ यदि दो विभक्ति चिह्न है उसमें पहला मिलाकर और दूसरा अलग से लिखा जाय।
जैसे – उसके लिए- इसमें से, आदि।

(ग) सर्वनाम और विभक्ति ‘ही’ ‘तक’ आदि का प्रयोग हो तो विभक्ति को अलग लिखा जाए।
जैसे – आप ही के लिए, मुझ तक को।

(3) क्रियापद : संयुक्त क्रियाओं में सभी अंगभूत क्रियाएँ पृथक लिखी जाएँ। जैसे- पढ़ा करता है, आ सकता है, खेला करेगा, नाचता रहेगा, चढ़ते ही जा रहे हैं, बढ़ते चले आ रहे हैं इत्यादि।

(4) हाइफन (-) हाइफन का विधान स्पष्टता के लिए किया जाता है।

(क) द्वंद्व समास में पदों के बीच हाइफन रखा जाए यथाः
राम-लक्ष्मण, माता-पिता, शिव-पार्वती, देख-रेख, चाल-चलन, हँसी-मजाक, पढ़ना लिखना, खाना-पीना, खेलना-कूदना, स्त्री-पुरुष इत्यादि।

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(ख) ‘सा’ ‘जैसा’ आदि से पूर्व हाइफन रखा जाये। जैसे -तुम-सा, राम-जैसा, चाकू-से तीखे, चलने। जैसे – आदि.

(ग) तत्पुरुष समास में हाइफन का प्रयोग तभी किया जाय जहाँ पर हाइफन के बिना भ्रम होने की संभावना हो। अन्यथा हाइफन का प्रयोग नहीं होगा।
जैसे – भू-तत्व.
सामान्यत: तत्पुरुष समास में हाइफन के प्रयोग की आवश्यकता नहीं होती जैसे – रामराज्य, राजकुमार, गंगाजल, ग्रामवासी, आत्महत्या, राजमाता, आदि। इसी तरह अ-नख (बिना नख का) में हाइफन न लगाने से इसका अर्थ बदल कर क्रोध हो जाएगा। अ-नति (नम्रता की कमी), अनति (थोड़ा) अ-परस (जिसे किसीने छुआ न हो) – अपरस – (एक चर्मरोग), भू-तत्व (पृथ्वी का तत्त्व) भूतत्त्व (भूत होने का भाव) आदि समस्त पदों की स्थिति विशेष होती है जहाँ हाइफन का प्रयोग किया जाता है।
(घ) कठिन संधियों से बचने के लिए भी हाइफन का प्रयोग किया जाता है। जैसे -द्वि-अक्षर, द्वि-अर्थक आदि।
(च) स्पष्टीकरण के लिए भी हाइफन का प्रयोग किया जाता है। जैसे – उदाहरणार्थ – यथा-आदि

विशेष अभ्यास हेतु

(क) हाइफन वाले शब्द : उषा-सा, एक-सा, घबराया-सा, छोटा-सा, जरा-सा, थोड़ा-सा, फूल-सा, रात-सा, साधारण-सा, हल्का सा, धक-सा आदि।

(ख) दवदव समास : आठ-दस, इधर-उधर, एक- दूसरा करता-धोती, खान पान, खेल-कद, नाच-गाना, रात-दिन, गोरा-चिट्टा, घर-परिवार, माता-पिता, जेठानी-देवरानी, भाई-बहन, दिन-रात, टूटा-फूटा, नहाना-धोना, बोल-चाल, हाथ-पैर, लाभ -हानि, भैया-भाभी, काका-काकी, रूप -रेखा आदि।

(ग) द्विरुक्त शब्द : आगे-आगे, कच-कच, खी-खी, जगह – जगह, तरह -तरह, धीरे-धीरे, नन्हा-नन्हा, बड़े-बड़े, भिन्न-भिन्न, रोज-रोज, शिव-शिव, सच-सच, हिला -हिला, बीच- बीच , गरम- गरम, छोटी-छोटी, मोटी-मोटी, सर-सर इत्यादी।

(घ) अन्य : जैसे-ही, भू-स्वामित्व, भू-सर्वेक्षण, भू-दान, मन-ही-मन, आदि।

(5) अव्यय : तक, साथ, आदि अव्यय सदा अलग लिखे जाएँ।।

जैसे – आपके साथ, यहाँ तक । हिंदी में आह, ओह ऐ, ही, तो, सो, भी न, जब, कब यहाँ, वहाँ, कहाँ, सदा, क्या, पड़ी, जी, तक, भर, मात्र, केवल, किंतु, परंतु, लेकिन, मगर, चाहे, या अथवा तथा आदि अनेक प्रकार के भावों को बोध करानेवाले अव्यय हैं। कुछ अव्ययों के आगे विभक्ति चिह्न भी आते है।

जैसे – अब से, तब से, यहाँ से, वहाँ से, कहाँ से, सदा से आदि। नियमानुसार अव्यय हमेशा अलग लिखे जाने चाहिए। जैसे – आप ही के लिए, मुझ तक को, आप के साथ, गज भर, रात भर. वह इतना, भर कर दे, मुझे जाने तो दो, काम भी नहीं बना, पचास रुपए मात्र है।

सम्मानार्थक श्री और जी अव्यय भी पृथक लिखे जाए। जैसे – श्री राम, महात्मा जी, माता जी, पिता जी, आदि। समस्त पदों में प्रति, मात्र, यथा, आदि अलग न लिखकर एक साथ लिखना चाहिए। जैसे – प्रतिदिन, प्रतिक्षण, प्रतिशत, मानवमात्र, निमित्तमात्र, यथासमय, यथायोग्य, यथोचित, यथासंभव आदि।

यह नियम है कि समास होने पर समस्त पद एक ही माना जाता है अत: उसे पृथक न लिखकर एक साथ ही लिखा जाना चाहिए।

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(6) श्रुतिमूलक :

(क) श्रुतिमूलक ‘य’ ‘व’ का प्रयोग विकल्प से होता है, वहाँ न किया जाए अर्थात किए – किये, नई – नयी, हुआ-हुवा, आदि में पहले वाले सकारात्मक रूप को ही स्वीकारा जाना चाहिए। यह नियम विशेषण, क्रियाविशेषण अव्यय आदि के सभी रूपों और स्थितियों में लागू माना जाए। जैसे – दिखाए गए, राम के लिए, पुस्तक लिए हुए, नई दिल्ली आदि।

(ख) जहाँ ‘य’ श्रुतिमूलक शब्द का मूल रूप होता है वहाँ वैकल्पिक, श्रुतिमूलक स्वरात्मक परिवर्तन की आवश्यकता नहीं होती । यहाँ व्याकरण के अनुसार परिवर्तन नहीं होना चाहिए। जैसे – स्थायी, अव्ययी भाव, दायित्व आदि को स्थाई, अव्यई भाव, दाइत्व नहीं लिखा जा सकता।

(7) अनुस्वार या अनुनासिकता के चिह्न (चंद्र बिंदु)

अनुस्वार ()और अनुनासिकता चिह्न (*) दोनो प्रचलित रहेंगे।

(क) संयुक्त व्यंजन के लय में जहाँ पंचमाक्षर के बाद सवर्गीय शेष चार वर्ण में से कोई वर्ण हो तो एकरूपता और मुद्रण/ लेखन की सुविधा के लिए अनुस्वार का ही प्रयोग किया जाना चाहिए। जैसे – गंगा, चंचल, ठंडा, संपादक आदि में पंचमाक्षर के बाद स्थान पर अनुस्वार का प्रयोग किया जाना चाहिए।

(गड्गा, ठण्डा, सन्ध्या, सम्पादक, नहीं। यदि पंचमाक्षर के बाद किसी अन्य वर्ग का कोई वर्ण आए अथवा वहीं पंचमाक्षर दुबारा आए तो पंचमाक्षर अनुस्वार के रूप में परिवर्तित नहीं होगा। जैसे – वाड्:मय, अन्न, सम्मेलन, सम्मति, सम्मान, चिन्मय, उन्मुख आदि। अत: वांमय, अंन, संमेलन, संमति, संमान, चिंमय आदि रूप ग्राह्य नहीं हैं। और स्पष्ट करने के लिए भिन्न रूप को देखें।

Maharashtra Board Class 11 Hindi व्याकरण शब्द संपदा 1

एक से चार वर्ण के साथ अनुस्वार (.) का प्रयोग होगा और पाँचवे वर्ण के अनुस्वार आनेपर आधे ड., म, ण, न, म का प्रयोग ( हलंत) होगा।

(ख) चंद्रबिंदु (*) के बिना प्राय: अर्थ से में संदेह की गुंजाइश रहती है। जैसे – हंस-हँस, अंगना-अंगना आदि में। इसलिए, ऐसे संदेह को दूर करने के लिए चंद्रबिंदु (*) का प्रयोग अवश्य किया जाना चाहिए।

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लेकिन जहाँ (विशेषकर शिरोरेखा के ऊपर जुड़ने वाली मात्रा के साथ) चंद्रबिंदु (*) के प्रयोग से छपाई आदि में बहुत कठिनाई हो और चंद्रबिंदु के स्थान पर बिंदु (अनुस्वार चिह्न) का प्रयोग किसी प्रकार का संदेह उत्पन्न न करे, वहाँ उसका प्रयोग यथा स्थान अवश्य करना चाहिए।

इसी प्रकार छोटे बच्चों की प्रवेशिकाओं में जहाँ चंद्रबिंदु का उच्चारण दिखाना अभीष्ट हो, वहाँ उसका यथा स्थान प्रयोग किया जाना चाहिए। जैसे – कहाँ, हँसना, अँगना, वहाँ, यहाँ, सँवरना, आदि।