Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 11th Digest Chapter 2 लघु कथाएँ Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.
Maharashtra State Board 11th Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 2 लघु कथाएँ
11th Hindi Digest Chapter 2 लघु कथाएँ Textbook Questions and Answers
आकलन
1. लिखिए :
प्रश्न अ.
दावत में होने वाली अन्न की बरबादी पर उषा की प्रतिक्रिया –
उत्तर :
उषा की आँखों में आँसू आ गए।
प्रश्न आ.
संवादों का उचित घटनाक्रम –
(i) “रुपये खर्च हो गए मालिक।”
(ii) “स्कूल नहीं जाता तू? अजीब है….!”
(iii) “अरे क्या हुआ ! जाता क्यों नहीं?”
(iv) “माँ, बाल-मजदूरी अपराध है न?’
उत्तर :
(i) “स्कूल नहीं जाता तू? अजीब है….!”
(ii) “माँ, बाल-मजदूरी अपराध है न?’
(iii) “अरे क्या हुआ ! जाता क्यों नहीं?”
(iv) “रुपये खर्च हो गए मालिक।”
शब्द संपदा
2.
प्रश्न अ.
समूह में से विसंगति दर्शानेवाला कृदंत/तद्धित शब्द चुनकर लिखिए –
(i) मानवता, हिंदुस्तानी, ईमानदारी, पढ़ाई
(ii) थकान, लिखावट, सरकारी, मुस्कुराहट
(iii) बुढ़ापा, पितृत्व, हँसी, आतिथ्य
(iv) कमाई, अच्छाई, सिलाई, चढ़ाई
उत्तर :
(i) पढ़ाई, (कृदंत शब्द)
(ii) सरकारी – (तद्धित शब्द)
(iii) हँसी – (कृदंत शब्द)
(iv) अच्छाई – (तद्धित शब्द)
प्रश्न आ.
निम्नलिखित वाक्यों में आए हुए शब्दों के वचन परिवर्तन करके वाक्य फिर से लिखिए –
(i) पेड़ पर सुंदर फूल खिला है।
उत्तर :
पेड़ों पर सुंदर फूल खिले हैं।
(ii) कला के बारे में उनकी भावना उदात्त थी।
उत्तर :
कलाओं के बारे में उनकी भावनाएँ उदात्त थीं।
(iii) दीवारों पर टँगे हुए विशाल चित्र देखे।
उत्तर :
दीवार पर टँगा हुआ विशाल चित्र देखा।
(iv) वे बहुत प्रसन्न हो जाते थे।
उत्तर :
वह बहुत प्रसन्न हो जाता था।
(v) हमारी-तुम्हारी तरह इनमें जड़ें नहीं होती।
उत्तर :
हमारी-तुम्हारी तरह इसमें जड़ नहीं होती।
उत्तर :
(vi) ये आदमी किसी भयानक वन की बात कर रहे थे।
उत्तर :
यह आदमी किसी भयानक वन की बात कर रहा था।
(vii) वह कोई बनावटी सतह की चीज है।
उत्तर :
वे कोई बनावटी सतह की चीजें हैं।
(इ) निम्नलिखित शब्दों का लिंग परिवर्तन करके प्रत्येक का वाक्य में प्रयोग कीजिए –
अध्यापक, रानी, नायिका, देवर, पंडित, यक्ष, बुद्धिमान, श्रीमती, दुखियारा, विद्वान
परिवर्तित शब्द | वाक्य में प्रयोग |
(1) ………………………………………. | (1) ………………………………………. |
(2) ………………………………………. | (2) ………………………………………. |
(3) ………………………………………. | (3) ………………………………………. |
(4) ………………………………………. | (4) ………………………………………. |
(5) ………………………………………. | (5) ………………………………………. |
(6) ………………………………………. | (6) ………………………………………. |
(7) ………………………………………. | (7) ………………………………………. |
(8) ………………………………………. | (8) ………………………………………. |
(9) ………………………………………. | (9) ………………………………………. |
(10) ………………………………………. | (10) ………………………………………. |
उत्तर :
परिवर्तित शब्द | वाक्य में प्रयोग |
अध्यापिका | मेरा सपना था कि एक दिन अध्यापिका बन जाऊँ। |
राजा | राजा प्रजाहित दक्ष था। |
नायक | वह उस चित्रपट का नायक था। |
देवरानी | देवरानी ने चूड़ियाँ पहनी। |
पंडिताइन | पंडिताइन मौसी ने मुझे पुकारा। |
यक्षिनी | यक्षिणी और अप्सराएँ विहार कर रही थीं। |
बुद्धिमती | वह एक बुद्धिमती नारी है। |
श्रीमान | आइए, श्रीमान जी थोड़ा आराम कीजिए। |
दुखियारी | बुढ़िया बेचारी दुखियारी लग रही है। |
विदुषी | उस विदुषी नारी ने सभा में तात्विक चर्चा की। |
अभिव्यक्ति
3.
प्रश्न अ.
‘अन्न बैंक की आवश्यकता’, इसपर अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
‘वित्त बैंक’, ‘ब्लड बैंक’ यह शब्द हम सुनते हैं किंतु ‘अन्न बैंक’ शब्द कभी सुना नहीं है। सचमुच ऐसा बैंक अगर खुल जाए तो गरीबों के जीवन में भूखा सोने की नौबत नहीं आएगी। आज अमीरों के घरों का बहुत सारा खाना कूड़े-कचरे के हवाले हो जाता है।
होटलों का, शादी-ब्याह में लोगों के प्लेटों का बचा-खुचा खाना अगर जरूरतमंदों को मिल जाए तो बेचारों की जिंदगी खुशी से भर जाएगी। अत: ‘अन्न बैंक’ खुलवाकर वहाँ अगर ऐसा अन्न दिया जाए तो इस अन्न को सुरक्षित रखने की व्यवस्था हो जाएगी और आवश्यकता के अनुसार यह अन्न गरीबों को दे दिया जाए तो देश की भूख की समस्या हल हो पाएगी।
प्रश्न आ.
‘शिक्षा से वंचित बालकों की समस्याएँ’, इस विषय पर अपना मत लिखिए।
उत्तर :
भारत सरकार ने सर्व शिक्षा अभियान के अंतर्गत 06 से 14 साल तक के बच्चों के लिए मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का कानून बनाया है। फिर भी आज तक अनेक बालक हशिये पर हैं। निरक्षरता सभी समस्याओं की नींव है। इसी कारण सरकार ने शिक्षा अभियान का प्रारंभ किया है।
बंजारे, आदिवासी, गड़रिया, भटकते मजदूरों की टोलियाँ इन लोगों के बच्चे शिक्षा से वंचित रहते हैं। झुग्गी-झोपड़ियों में रहनेवाले गरीबों के बच्चे भी पेट के पीछे दौड़ते स्कूल से वंचित रहते हैं। इन समस्याओं पर सरकार के साथ हम सबका योगदान भी आवश्यक है।
आज सरकार मुक्त विद्यालय की स्थापना कर चुकी है। जिसके माध्यम से नियमित स्कूल न जानेवाले बच्चे भी शिक्षा से जुड़े रह सकते हैं। हर पढ़े-लिखे व्यक्ति ने स्कूल से वंचित बच्चों को पढ़ाने के लिए दिल से प्रयास किया तो संभव है कि समस्या कुछ हद तक मिट पाएगी।
पाठ पर आधारित लघूत्तरी प्रश्न
4.
प्रश्न अ.
‘उषा की दीपावली लघुकथा द्वारा प्राप्त संदेश लिखिए।
उत्तर :
‘उषा की दीपावली’ यह श्रीमती संतोष श्रीवास्तव जी द्वारा लिखित एक सुंदर मर्मस्पर्शी (heart touching) लघुकथा है।
इस पाठ की छोटी उषा एक संवेदनशील (sensitive) लड़की है। दीपावली के अवसर पर वह देखती है कि सफाई का काम करने वाला बबन ‘नरक चौदस’ पर जलाए हुए आटे के दीपक कूड़े-कचरे के डिब्बे में न फेंकते हुए अपनी जेब में रख रहा है। बबन इतना गरीब था कि ये दीपक सेंककर खाना चाहता था। ये आटे के दीप जिसे लोग कचरे में फेंकते हैं वे किसी का पेट भरने के भी काम आते हैं। यह सुनकर उषा को तकलीफ होती है।
शादी-ब्याह में लोग प्लेटों में जरूरत से ज्यादा खाना लेकर बाद में बचा हुआ खाना फेंकते हैं। यह दृश्य उषा को याद आया और उषा दीपावली के पकवान बबन को देकर सच्ची खुशी महसूस करती है। इस कहानी से अन्न की बरबादी टालकर बचा-खुचा अन्न गरीबों तक पहुँचाने का संदेश मिलता है। ‘देने की खुशी महसूस करने का अनोखा संदेश इस कहानी से मिलता है।
प्रश्न आ.
‘मुस्कुराती चोट’ शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
‘मुस्कुराती चोट’ एक प्रेरणादायी लघुकथा है। इस कथा का बबलू अभाव में जीता है। ‘पिता की बीमारी’ माँ का संघर्ष देखकर खुद भी घर-घर जाकर रद्दी इकट्ठा करता है। किताबें न मिलने से उसकी पढ़ाई रुक गई है। बबूल एक दिन एक घर में रद्दी लेने के लिए जाता है तो उसकी बाल-मजदूरी पर बिना वजह उसके माँ-बाप को दोष देकर मालकिन ताने मारती है।
मालकिन की लड़की जब रद्दी की किताबें उसकी पढ़ाई के लिए मुफ्त में देना चाहती है, तब मालकिन विरोध करती है। किताबें लेकर वह पढ़ाई करेगा इस पर अविश्वास प्रकट करती है। ये बातें बबलू के मन को चोट पहुँचाती हैं। परंतु बाद में जब मालकिन को पता चलता है कि उन किताबों को रद्दी में बेचने के बजाय उसने खुद की पढ़ाई के लिए किताबें अलग रखी हैं तो उसे अपने अपशब्दों पर पछतावा होता है और वह बबलू की आगे की पढ़ाई का सारा खर्चा स्वयं उठाने का निश्चय करती है। इससे बबलू की चोट मुस्कुराहट में परिवर्तित होती है।
दिल की चोट अब खुशी में बदलती है। अत: सुखांत वाली इस लघुकथा को ‘मुस्कुराती चोट’ यह शीर्षक अत्यंत सार्थक लगता है।
साहित्य संबंधी सामान्य ज्ञान
5. जानकारी दीजिए:
प्रश्न अ.
संतोष श्रीवास्तव जी लिखित साहित्यिक विधाएँ –
……………………………………………………………………………………….
……………………………………………………………………………………….
उत्तर :
कहानी, उपन्यास, लघुकथा, ललित निबंध तथा यात्रा संस्मरण इन अनेक गद्य विधाओं में संतोष जी का संचार हुआ
प्रश्न आ.
अन्य लघुकथाकारों के नाम –
……………………………………………………………………………………….
……………………………………………………………………………………….
उत्तर :
डॉ. कमल किशोर गोयनका, डॉ. सतीश दुबे, संतोष सुपेकर, कमल चोपड़ा आदि।
Yuvakbharati Hindi 11th Textbook Solutions Chapter 2 लघु कथाएँ Additional Important Questions and Answers
कृतिपत्रिका
(अ) निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :
गद्यांश : आटे के दीपक कंपाउंड की मुंडेर पर जलकर ……………………………………….. आँसू छलक आए। (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 5) |
प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए :
उत्तर :
उत्तर लिखिए :
प्रश्न 1.
उषा की आँखों के सामने दावतों में दिखाई देनेवाला यह दृश्य आया …………………………………………..
उत्तर :
जरा-सा ट्रॅगने वाले मेहमान भरी प्लेटें कचरे के हवाले करते हैं।
प्रश्न 2.
उषा ने बबन को यह दे दी …………………………………………..
उत्तर :
दीपावली के लिए बने पकवानों की थैली।
प्रश्न 4.
कोष्ठक में दिए गए शब्द उचित स्थान पर लिखिए : (दीपक, जेब, आँखें, पटाखा)
उत्तर :
पुल्लिंग शब्द – स्त्रीलिंग शब्द
दीपक – आँखें
पटाखा – जेब
प्रश्न 5.
‘शादी में अन्न की बरबादी’ इस विषय पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
आज समाज में अमीर और गरीब के बीच एक बड़ी खाई है। आज-कल शादी मतलब बड़प्पन दिखाने का एक जरिया बन गया है। शादी में होने वाला खर्चा एक अलग चिंता का विषय है। बड़े लोग शादी में जो भोजन खिलाते हैं, उनमें इतनी विविधता होती है कि खाने वाला परेशान होता है कि क्या खाया जाए और क्या न खाया जाए। खड़खाना (बुफे पद्धति) आज काफी लोकप्रिय है।
इसमें लोग कतार में खड़े होने से बचने के लिए प्लेटों में एक ही बार ढेर सारा खाना ले लेते हैं। इतना ज्यादा खाना खा नहीं पाने से आखिर जूठा फेंका जाता है। यह सारा अन्न कूड़े-कचरे में जाकर बरबाद होता है। दूसरी ओर दिन-रात परिश्रम करके भी गरीबों को पेटभर खाना नसीब नहीं होता। एक वक्त की रोटी पाने के लिए वे तरसते हैं। यह बरबाद होने वाला अन्न गरीबों तक पहुँचाने की सुविधा हो तो शादी में दुल्हा-दुल्हन को सच्ची दुआएँ मिलेंगी।
(आ) निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :
गद्यांश : घर में बाबा बीमार थे ……………………………………….. इसलिए पढ़ाई रुक गई। (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 6) |
प्रश्न 1.
तालिका पूर्ण कीजिए :
उत्तर :
बबलू की जानकारी –
पिता – बीमार
माता – चौका-बर्तन का काम करना
पढ़ाई – वीच में ही छूटना
कार्य – बाल मजदूरी / रद्दी इकट्ठा करना
प्रश्न 2.
कारण लिखिए :
(i) बबलू की पढ़ाई रुक गई थी क्योंकि
उत्तर :
किताबों के लिए पैसे नहीं थे।
(ii) रद्दी तौलते समय बबलू की नजर स्कूल की किताबों पर थीं क्योंकि ….
उत्तर :
वह चाह रहा था कि वे किताबें उसे मिल जाएँ।
प्रश्न 3.
(क) गद्यांश से शव्दयुग्म ढूँढ़कर लिखिए :
(i) ……………………………
उत्तर :
(i) चौका-बर्तन
(ii) ……………………………
उत्तर :
(ii) घर-घर
उदा. –
माँ-बाप
(ख) निम्न शब्दों के लिए हिंदी मानक शब्द लिखिए :
(i) स्कूल –
उत्तर :
(i) स्कूल – पाठशाला (विद्यालय)
(ii) कॉलेज – …………………………………………
उत्तर :
(ii) कॉलेज – महाविद्यालय
प्रश्न 4.
‘वाल-मजदूरी : कारण और उपाय’ इस विषय पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
भारत में ‘बाल-मजदूरी’ करवाना एक गुनाह मान लिया जाता है, किंतु दुकान हो या खेती, होटल हो या ठेला अनेक जगहों पर छोटी उम्र के बच्चे काम करते हुए दिखाई देते हैं। बाल-मजदूरी कानूनन अपराध होने पर भी इसपर रोक नहीं लगा पा रहे हैं।
इसके पीछे अनेक कारण हैं। गरीबी, व्यसनी पिता, बीमार माता-पिता, माँ-बाप का अभाव। विपन्नावस्था (poverty) के कारण जिस उम्र में बच्चे को स्कूल जाना जरूरी है उस उम्र में उन्हें परिवार के लिए काम करना पड़ता है। इसमें न माँबाप को खुशी मिलती है न बच्चों को, परंतु दोनों ओर मजबूरी होती है।
इस समस्या को मिटाने के लिए देश में बढ़ रही अमीरी और गरीबी की खाई का मिटना बहुत जरूरी है। यह संभव नहीं तो हर अमीर परिवार द्वारा कुछ बच्चों का खर्चा चलाकर उनकी पढ़ाई का बोझ उठाने पर उनका भविष्य सुधर जाएगा।
(इ) निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :
गद्यांश : बबलू ने रद्दी के पैसे ……………………………………………… बबलू की खुशी का ठिकाना न था। (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 6) |
प्रश्न 1.
घटनाक्रम के अनुसार वाक्यों का उचित क्रम लगाइए :
(i) डाँट खाने के बावजूद बबलू मुस्कुरा रहा था।
(ii) बबलू ने बोरे में से किताबें निकालकर अलग रख दीं।
(iii) रास्ते में बबलू को मालकिन और उनकी लड़की मिल गई।
(iv) दुकानदार बबलू पर झल्ला उठा।
उत्तर :
(i) बबलू ने बोरे में से किताबें निकालकर अलग रख दीं।
(ii) दुकानदार बबलू पर झल्ला उठा।
(iii) डाँट खाने के बावजूद बबलू मुस्कुरा रहा था।
(iv) रास्ते में बबलू को मालकिन और उनकी लड़की मिल गई।
प्रश्न 2.
कारण लिखिए :
(i) मालकिन ने बबलू की आगे की पढ़ाई का खर्चा उठाने का निश्चय किया ……………………………………
उत्तर :
मालकिन ने बबलू की आगे की पढ़ाई का खर्चा उठाने का निश्चय किया क्योंकि उसने बबलू की पढ़ाई के प्रति लालसा को देखा।
(ii) बबलू अब स्कूल जा सकेगा ……………………………………
उत्तर :
बबलू अब स्कूल जा सकेगा क्योंकि उसके पास किताबें थीं।
प्रश्न 3.
(क) कृदंत रूप लिखिए :
(i) मुस्कुराना – ……………………………………
उत्तर :
मुस्कुराहट
(ii) झुकना – ……………………………………
उत्तर :
(ii) झुकाव
(ख) अपशब्द शब्द में ‘अप’ उपसर्ग लगा है, ‘अप’ उपसर्ग लगाकर नए शब्द बनाकर लिखिए :
(i) …………………………………..
(ii) …………………………………..
उत्तर :
(i) अपहरण
(iii) अपयश
उदा. – अपमान
प्रश्न 4.
शिक्षा से वंचित वालकों की सहायता हेतु उपाय मुझाइए।
उत्तर :
यह बात सत्य है कि आज शिक्षा प्राप्ति के प्रति समाज के सभी वर्गों में जागरुकता आई है लेकिन आज भी कुछ बच्चे शिक्षा से वंचित रह जाते हैं। अनुसूचित जाति जनजाति के बच्चों तक सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं की जानकारी पहुँचाना हमारा कर्तव्य है।
अध्ययनरत विद्यार्थियों के लिए छात्रावास तथा छात्रवृत्ति का प्रावधान सरकारी तथा निजी संस्थाओं द्वारा, एन्.जी.ओ. द्वारा होना चाहिए। विशिष्ट आवश्यकता वाले बच्चों के लिए जो शारीरिक रूप से अक्षम है उनके लिए विशिष्ट शिक्षा की व्यवस्था होनी चाहिए और उनके लिए विशेष अध्यापकों की नियुक्ति सरकार द्वारा होनी चाहिए। सर्वशिक्षा अभियान के साथ-साथ ‘समावेशन’ भी आवश्यक है ताकि शिक्षा से कोई भी बालक वंचित न रहें।
लघु कथाएँ Summary in Hindi
लघु कथाएँ लेखक परिचय :
श्रीमती संतोष श्रीवास्तव जी का जन्म मध्यप्रदेश के मंडला नामक गाँव में 23 नवंबर 1952 को हुआ। आधुनिक नारी जीवन के विविध आयाम तथा सामाजिक जीवन की विसंगतियाँ (discrepancy) आपके साहित्य द्वारा चित्रित है।
लघु कथाएँ रचनाएँ :
आपकी बहुविध रचनाएँ प्रकाशित हैं : जैसे ‘दबे पाँव प्यार’ ‘टेम्स की सरगम’ ‘ख्वाबों के पैरहन (उपन्यास)’ ‘बहके बसंत तुम’, ‘बहते ग्लेशियर’ (कहानी संग्रह), ‘फागुन का मन’ (ललित निबंध संग्रह) ‘नीली पत्तियों का शायराना हरारत’ (यात्रा संस्मरण)
लघु कथाएँ विधा परिचय :
‘लघुकथा’ यह एक गद्य विधा है। कथा तत्त्वों से परिपूर्ण किंतु आकार से लघुता यह उसकी विशेषता है। अत्यंत कम शब्दों में जीवन की पीड़ा, संवेदना, आनंद की गहराई को प्रकट करने की क्षमता लघुकथा में होती है। कोई भी छोटी घटना, प्रसंग, परिस्थिति का आधार लेकर लघुकथा लिखी जाती है। हिंदी साहित्य में डॉ. कमल किशोर गोयनका, डॉ. सतीश दुबे, संतोष सुपेकर, कमल चोपड़ा आदि को प्रमुख लघुकथाकार के रूप में पहचाना जाता है।
लघु कथाएँ विषय प्रवेश :
(अ) उषा की दीपावली : ‘उषा की दीपावली’ यह एक मर्मस्पर्शी (touching) लघुकथा है। अनाज की बरबादी पर बालमन की संवेदनशील प्रतिक्रिया का सुंदर चित्रण है। एक ओर शादी-ब्याह में थालियों में जरूरत से ज्यादा खाना लेकर उसे जूठा छोड़ने वाले श्रीमान लोग तो दूसरी ओर एक वक्त की रूखी-सूखी रोटी के लिए भी तरसने वाले लोग, इस सामाजिक विरोधाभास (paradox) का चित्रण इस लघुकथा में है।
(आ) ‘मुस्कुराती चोट’ : ‘मुस्कुराती चोट’ इस दूसरी लघुकथा में गरीबी के कारण इच्छा होकर भी पढ़ाई जारी न रख पानेवाला एक छोटा लड़का ‘बबलू’ की उथल-पुथल भरी जिंदगी है। बबलू की पढ़ाई की अदम्य (indomitable) इच्छा, उसकी बाधाएँ, छोटी-छोटी चोटें और अंत में मुस्कुराहट फैलानेवाली सुखद बात पाठकों को लुभाती है। दोनों लघुकथाएँ ‘आशावाद’ को जगाती है।
लघु कथाएँ महावरा :
टस से मस न होना – बिल्कुल प्रभाव न पड़ना, कुछ परिणाम न होना।
लघु कथाएँ सारांश :
(अ) उषा की दीपावली : दीपावली का त्योहार : दीपावली का त्योहार था। नरक-चौदस के दिन लोगों ने कंपाउंड के मुंडेर पर आटे के दीप जलाए थे। सुबह तक वे दीप बुझ गए थे।
बबन की गरीबी : सुबह बबन सफाई के लिए आया था, जो एक गरीब इन्सान था। बुझे दीप उठाकर कूड़े में फेंकने के बजाय वह जेब में रख रहा था। दस साल की उषा ने यह दृश्य देखा। उसे पूछने पर पता चला कि बबन वे आटे के दीपक सेंककर खाना चाहता है।
उषा की संवेदना : उषा की आँखों के सामने वह दृश्य घूमने लगा, जो उसने अनेक बार देखा था। अमीर लोग शादी-ब्याह में ढेर सारा खाना प्लेटों में लेकर बचा-खुचा फेंक देते हैं। उषा की आँखें भर आईं। घर में जाकर उसने दीपावली के मौके पर बनाए हुए पकवान लाकर बबन को दे दिए जिसकी वजह से बबन की आँखों में खुशी के हजारों दीप जगमगा उठे। उषा की दीपावली भी इससे खुशहाल हो गई।
(आ) मुस्कुराती चोट : ‘बबलू की गरीबी’ – इस लघुकथा का बबलू, गरीब परिवार का लड़का है। माँ चौका-बर्तन करके कुछ पैसे कमाती है। पिता जी बीमार है। माँ का हाथ बँटाने के लिए बबलू घर-घर जाकर रद्दी इकट्ठा करके रद्दी वाले को बेचता है। बबलू के पास किताबें खरीदने के लिए पैसे न होने से उसका स्कूल छूट गया था।
अविश्वास की चोट : एक दिन वह एक घर में रद्दी लेने गया था। उस रददी में किताबें थीं। घर मालकिन की बेटी वे किताबें बबलू को पढ़ने के लिए मुफ्त में देना चाहती थी। परंतु घर मालकिन का बबलू पर भरोसा नहीं था। वह किताबें बेचकर चैन करेगा ऐसा उसे शक था। बबलू ने रद्दी में से किताबें अलग रखवा दीं। रद्दी वाले को किताबों के पैसे खर्च करने की झूठ बात बताकर उससे डाँट सुनकर भी चुप रहा।
पछतावा : बबलू किताबें लेकर वापस आ रहा था। मालकिन ने उसे देखा तो अपने अपशब्दों पर उसे पछतावा हुआ। उसे पता चला कि बबलू पढ़ने की अदम्य इच्छा रखता है। बबलू की आगे की सारी पढ़ाई का खर्चा उठाने का उसने निश्चय किया। सुखद अंत वाली यह कहानी आशावादी है।
लघु कथाएँ शब्दार्थ :
- सैलाब = बाढ़ (Flood),
- देहरी = दहलीज (threshold),
- तरबतर = भीगा हुआ, गीला (wet),
- लालसा = इच्छा (desire),
- मुंडेर = दीवार का ऊपरी भाग जो छत के चारों ओर कुछ उठा होता है। (parapet),
- झल्लाना = परेशान होना (irritated)
- देहरी = दहलीज
- तरबतर = गीला, भीगा
- कृशकाय = दुबला-पतला शरीर
- बेरहमी = निर्दयता, दयाहीनता