Balbharti Maharashtra State Board Hindi Yuvakbharati 11th Digest Chapter 16 रेडियो जॉकी Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.
Maharashtra State Board 11th Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 16 रेडियो जॉकी
11th Hindi Digest Chapter 16 रेडियो जॉकी Textbook Questions and Answers
पाठ पर आधारित
प्रश्न 1.
आर.जे. के लिए आवश्यक गुण लिखिए।
उत्तर :
स्नातक पदवी प्राप्त होने पर वह स्टाफ सिलेक्शन कमिशन तथा ऑल इंडिया रेडियो द्वारा ली जाने वाली परीक्षा दे सकता है।
और उसमें उत्तीर्ण होने पर प्रत्यक्ष साक्षात्कार द्वारा उम्मीद्वार का चयन होता है। उसका भाषा पर प्रभुत्व होना चाहिए। उसे देश-विदेश की जानकारी रखनी चाहिए। उसमें नित नई रची जाने वाली रचनाओं को पढ़ने की ललक होनी चाहिए। आवाज में उतार-चढ़ाव, वाणी में नम्रता तथा समय की पाबंदी आदि गुण उसमें होने चाहिए। उसे अनुवाद करने का ज्ञान भी होना चाहिए। उसे अपने कान और आँखें निरंतर खुली रखनी चाहिए।
उसे अपने उच्चारण पर विशेष ध्यान रखना चाहिए। अपने क्षेत्र का सांस्कृतिक, भौगोलिक तथा ऐतिहासिक ज्ञान भी उसे अवश्य होना चाहिए। साक्षात्कार लेने की कुशलता भी उसमें अवश्य होनी चाहिए। श्रोता द्वारा पूछे जाने वाले प्रश्नों के उत्तर उसके पास होने चाहिए।
निराश श्रोता का मनोबल बढ़ाने की कला उसे अवगत होनी चाहिए। उसकी भाषा सहज, सरल, संतुलित, रोचक तथा प्रवाहमयी होनी चाहिए जो श्रोताओं की समझ में सानी से आए और श्रोताओं को ज्ञान भी मिले और श्रोताओं का मनोरंजन भी हो।
प्रश्न 2.
सामाजिक सजगता निर्माण करने में आर.जे. का योगदान अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
सामाजिक जागरूकता फैलाने में आर. जे. महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। क्योंकि आर. जे. का काम समाज के हर घटक से जुड़ा हुआ है। कार्यक्रम के दौरान वह पर्यावरण दिवस, पोलियो अभियान, जल साक्षरता, बाल मजदूरी, दहेज समस्या, कन्या साक्षरता, विश्व पुस्तक दिवस, किसान और खेती का महत्त्व, व्यसन से मुक्ति, मतदान जनजागृति आदि विषयों पर चर्चा करते हुए मनोरंजनात्मक ढंग से लोगों के बीच में जागरूकता फैलाने का काम करता है।
उदाहरण के लिए आर. जे. अनुराग पांडेय जी की बातों को सुनकर कितने ही युवाओं ने उत्साह से मतदान किया था और कितने ही लोग व्यसनमुक्त भी हुए। इस प्रकार आर. जे. समाज में परिवर्तन लाने की क्षमता रखता है।
प्रश्न 3.
आर.जे. के महत्त्वपूर्ण कार्य पर प्रकाश डालिए।
उत्तर :
रेडियो जन-जन का माध्यम है जो लोगों के मन को छूता है। आर. जे. अपने कार्यक्रम की प्रस्तुति द्वारा जनमानस को हौसला देता है, नई-नई बातें बताता है। वह टेलीफोन के माध्यम से श्रोताओं से बातचीत करता है। श्रोताओं द्वारा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर देता है तो कभी निराश श्रोता का मनोबल बढ़ाने का कार्य करता है। कभी मेहमानों या अतिथियों का परिचय कराता है, किसी परिचर्चा में हिस्सा लेता है।
खास लोगों का विशेष अवसर पर साक्षात्कार लेते हुए कार्यक्रम की प्रस्तुति करता है। अपने कार्यक्रम के दौरान पर्यावरण दिवस, पोलियो अभियान, जल साक्षरता जैसे कई विषयों पर चर्चा करते हुए मनोरंजनात्मक ढंग से जनजागृति लाता है।
अपने कार्यक्रम के दौरान दो गीतों के बीच कड़ी बनाने का कार्य करता है। वह श्रोताओं से संवाद करता है। समाज में जागरूकता फैलाता है और परिवर्तन लाता है।
व्यावहारिक प्रयोग
प्रश्न 1.
‘जलसंवर्धन’ के किसी कार्यकर्ता के साक्षात्कार हेतु संहिता तैयार कीजिए।
उत्तर :
नमस्कार! दोस्तो मैं हूँ आर. जे. रवि शर्मा और आज की इस मुलाकात में हमारे स्टुडियो में पधारे विशेष अतिथि हैं जलपुरुष डॉ. राजेंद्र सिंह जी। उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में जन्मे राजेंद्र जी को 2001 में रेमन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित किया गया क्योंकि उनके भगीरथ प्रयत्नों से राजस्थान के अलवर में सात नदियाँ फिर से जीवित हुईं और बहने लगी हैं। 2009 में आप नेशनल गंगा रिवर बेसिन एथॉरिटी के मुख्य सदस्य भी रहे हैं।
रवि शर्मा : बहुत बहुत स्वागत है आपका।
राजेंद्र सिंह : धन्यवाद !
रवि शर्मा : सबसे पहले हम जानना चाहेंगे राजेंद्र जी कि देश में पानी की स्थिति कैसी है?
राजेंद्र सिंह : देखिए, इस वक्त भारत बेपानी हो रहा है। हमारी धरती के गर्भ में जो वॉटर टैंक थे वे खाली हो गए हैं। धरती के ऊपर बुंदेल खंड हो, मराठवाडा हो या विदर्भ हो, लोग बेपानी होकर आत्महत्याएँ कर रहे हैं। धरती को बुखार चढ़ रहा है। मौसम का मिजाज बदल चुका है। बिगड़े मौसम ने भारत को बेपानी कर दिया है। धरती को कहीं बाढ़ तो कहीं सूखे की चपेट में ला रहा है।
रवि शर्मा : राजेंद्र सिंह जी आप एक आयुर्वेदिक डॉक्टर थे।
राजेंद्र सिंह : जी।
रवि शर्मा : उस काम को आपने छोड़ दिया और इस काम में लग गए?
राजेंद्र सिंह : पेड़ों और प्रकृति से तो मुझे बचपन से ही प्यार था। 1980 में राजस्थान के जयपुर में नौकरी करने लगा। परंतु चार साल बाद त्यागपत्र देकर समाजसेवा करने अलवर चला आया और बीमार लोगों का इलाज करने लगा। तब एक बूढ़े ने कहा डॉक्टर तो बहुत हैं जो इलाज करने आ जाएँगे।
हमें पानी चाहिए। पानी का काम करने वाला कोई नहीं है। मेरे लिए यह बहुत चुनौतिपूर्ण था। परंतु उस बूढ़े ने मुझे रियलाइज कराया कि मैं वह काम कर सकता हूँ और उचित समय पर मैंने पानी संरक्षण का निर्णय ले लिया जो मेरे जीवन का सबसे अच्छा निर्णय था और मैं पानी के काम में लग गया।
रवि शर्मा : राजेंद्र जी आपने यह करिश्मा कैसे किया?
राजेंद्र सिंह : उस बूढ़े किसान ने मुझे कहा हमारे यहाँ हर साल बादल पानी लेके आता है और उसको सूरज चोरी कर लेता है। हमारे लिए पानी बचता ही नहीं। तू सूरज की चोरी रोक दें। तब मैंने समझा कि, ‘पानी जहाँ दौड़ता है वहाँ उसे चलना सिखाना है।
जब वह चलने लगे तो उसे रेंगना और धरती माँ के पेट में बिठाना है। तब सूरज उसको चुरा नहीं सकेगा और उससे जीवन चलेगा।’ काम 1985 में शुरू हुआ और उसके अच्छे नतीजे सामने आए।
रवि शर्मा : बहुत बढ़िया। महाराष्ट्र में पानी की किल्लत पर आप क्या मशवरा दे सकते हैं?
राजेंद्र सिंह : देखा जाए तो महाराष्ट्र में पानी की कमी होनी ही नहीं चाहिए। पानी प्रबंधन के काम की आवश्यकता है। समाज और सरकार दोनों संकल्प करें तो महाराष्ट्र पानीदार बन सकता है।
रवि शर्मा : अच्छा, कैसे?
राजेंद्र सिंह : यहाँ का फसल चक्र वर्षा चक्र को जोड़कर तैयार करना चाहिए।
रवि शर्मा : बराबर।
राजेंद्र सिंह : महाराष्ट्र में जल साक्षरता अभियान शुरू करके पानी का सदुपयोग किया जा सकता है। जल नायक, जल योद्धा, जल प्रेमी, जल दूत और जल सेवकों की सहायता से यह अभियान आगे बढ़ेगा। समाज में लोग जल का सम्मान करें ताकि पानी व्यर्थ भी नहीं जाएगा और प्रदूषण से भी बचेगा। महाराष्ट्र में जलयुक्त शिवार बनेंगे।
रवि शर्मा : बिलकुल और महाराष्ट्र हरा-भरा हो जाएगा। इस बात पर एक गीत याद आ गया। हरी-हरी वसुंधरा है, नीला-नीला ये गगन.. (गीत का मुखडा और दो अंतरे बजाए जाएँगे।)
राजेंद्र सिंह : सच, अगर जज़्बा हो तो महाराष्ट्र सूखा मुक्त हो सकता है। बस अनुशासन और मिलजुलकर सही दिशा में काम करने की आवश्यकता है।
रवि शर्मा : बहुत बहुत धन्यवाद राजेंद्र जी। आज आपने हमारे श्रोताओं को जल संरक्षण संबंध में बहुत ही बढ़िया जानकारी दी है और आपकी बातें सुनकर जल प्रेमी, जल दूत सामने आने की संभावना बढ़ गई है।
राजेंद्र सिंह : तब तो मैं कहूँगा मेरा यहाँ आना सार्थक हो गया।
प्रश्न 2.
रेडियो जॉकी के रूप में ‘होली’ के अवसर पर काव्य वाचन प्रस्तुति के लिए कार्यक्रम तैयार कीजिए।
उत्तर :
नमस्कार! मैं हूँ आर. जे. सीमा राय और 93.65 रेडियो धमाचौकड़ी पर आप सबके लिए ले आई हूँ होली धमाका! सर्वप्रथम आप सबको होली की बहुत, बहुत, बहुत शुभकामनाएँ। आपकी होली सुरक्षित रहे, रंगों से और खुशियों से सराबोर रहे। इस होली को और भी खास बनाएँगे धमाकेदार, जोरदार सुप्रसिद्ध कवियों के काव्य गायन से।
होली है, होली है, बुरा न मानो, होली है।
इस कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए मैं कवि जगत के प्रसिद्ध कवियों से परिचय कराती हूँ। हमारे साथ स्टुडियो में प्रसिद्ध कवि सुनील जोगी जी मौजूद हैं जिनका परिचय देने की जरूरत ही नहीं है। देश के जाने-माने कवि का परिचय देना सूरज को दीए की रोशनी दिखाने जैसा होगा। कविवर्य सुनील जी आपका हमारे चैनल पर स्वागत है।
सुनील : आप सबको और पूरे देश वासियों को होली की हार्दिक शुभकामनाएँ। होली रंगों का त्योहार है, उमंगो का त्योहार है, खुशियों का त्योहार है।
हमारे देश की होली ऐसी मनाई जाए,
होली हमारे देश की पहचान बन जाए,
आन, बान और शान बन जाए,
भरे पिचकारियाँ ऐसे तीन रंगों की
जो कपड़ों पर गिरे तो पूरा देश बन जाए।
सभी दाद देते हैं : वाह! वाह!
सीमा : सुनील जी आप होली के रंग को देश का रंग बनाना चाहते हो। बहुत खूब।
सुनील : जी, जी, मेरी कविता मैंने देश की अखंडता, एकता, भाईचारा और मोहब्बत को व्यक्त करते हुए लिखी है। पेश है वह कविता –
हमारे मोहल्ले में हम इस तरह होली मनाते हैं –
जुम्मन चाचा हरा, राधेश्याम जी नारंगी और करतार जोसेफ सफेद रंग लाते हैं।
सब मिलकर एक दूसरे को खूब रंग लगाते हैं। थोड़ी ही देर में माहोल बदल जाता है..
सबके चेहरे पर सिर्फ तिरंगा नजर आता है।
तब लगता है होली सार्थक हुई क्योंकि इन रंगों में राधेश्याम जी के साथ, जुम्मन चाचा और करतार जोसेफ के रंगों की महक मिली हुई है।
सीमा : बहुत खूब सुनील जी। आपने और आपकी कविता ने सचमुच देश प्रेम में श्रोताओं को भिगो दिया है। अब जरा हँसी ठिठोली भी हो जाए।
दीपक : मैं हूँ दीपक गुप्ता और मेरा तो यही मानना है कि होली हँसी-खुशी, ठिठोली और सद्भावना का त्योहार है। होली की शुभकामनाएँ देते हुए एक ठिठोली सुनाता हूँ।
मुफ्त पिचकारी का ऑफर पाकर
बच्चे और माँ-बाप दौड़े चले आए
विक्रेता ने दी मुफ्त पिचकारी और कहा
कृपया इसमें भरे पानी की कीमत चुकाएँ
सभी : क्या बात है।
सीमा : सही बात है दीपक जी। आज पानी महँगा हो गया है, मुफ्त में बरबाद नहीं किया जा सकता। वेद प्रकाश जी आप भी सुनाइए और इस माहोल को रंगीन बना दीजिए।
वेद प्रकाश : जी बिलकुल अभी-अभी यहाँ ही स्टुडियो में बैठे-बैठे एक कविता जहन में आई जो सुनाता हूँ –
होली के दिन भाई
दीपक दीपक नहीं रहते,
सुनील सुनील नहीं रहते,
वेद वेद नहीं रहता,
कम-से-कम होली के दिन
ये भेद नहीं रहता कि,
इनकी कमीज से मेरी कमीज का रंग
ज्यादा सफेद नहीं है।
सीमा : बहुत बढ़िया, वेद प्रकाश जी होली भेदभाव को मिटा देती है। यह एकता और अखंडता का प्रतीक है।
सीमा : सुनील जी, दीपक जी और वेद प्रकाश जी हमारे साथ जुड़कर होली को खास और खुशनुमा बनाने के लिए तहे दिल से शुक्रिया। श्रोताओं को जरूर मजा आया होगा। किसी की भावनाओं को अनजाने में ठेस पहुँची हो तो कह देती हूँ, ‘बुरा न मानो होली है, भाई होली है।’
रेडियो जॉकी Summary in Hindi
रेडियो जॉकी लेखक परिचय :
आवाज की दुनिया के बेताज बादशाह अनुराग पांडेय जी ने रेडियो के लिए पच्चीस से अधिक नाटकों का लेखन कार्य किया है। पिक्चर पांडेय शो से वे घर-घर में लोकप्रिय हो गए। रेडियो की दुनिया में पिछले 26 साल से सक्रिय है। अद्भुत और कलात्मक रेडियो जॉकिंग करने के कारण श्रोता वर्ग इनकी ओर आकर्षित होता है। मूलत: इंदौर के रहने वाले अनुराग पांडेय जी के रोजाना साढ़े पाँच करोड़ श्रोता है।
रेडियो जॉकी पाठ परिचय :
प्रस्तुत पाठ एक साक्षात्कार है जिसमें आर. जे. अनुराग पांडेय जी ने रेडियो जॉकी के क्षेत्र में रोजगार के विपुल अवसरों की जानकारी दी है। इस क्षेत्र में करिअर बनाने के लिए आवश्यक योग्यताएँ तथा सामजिक जिम्मेदारियों पर प्रकाश डाला
रेडियो जॉकी पाठ का सारांश :
‘रेडियो जॉकी’ शब्द ‘रेडियो’ और ‘जॉकी’ इन दो शब्दों के मेल से बना है जिसका अर्थ है ऐसा कार्यक्रम संचालक जो कुशलतापूर्वक अपने चैनल को और प्रसारित कार्यक्रम को सबसे आगे रखे। एक जमाने में रेडियो जॉकी केवल उद्घोषक (अनाउंसर) होते थे परंतु अब रेडियो इन्फर्मेशन विथ एंटरटेनमेंट हो गया है।
रेडियो जॉकी बनने के लिए स्टाफ सिलेक्शन कमिशन तथा ऑल इंडिया रेडियो द्वारा ली जाने वाली परीक्षा उत्तीर्ण होनी पड़ती है और इस परीक्षा के लिए स्नातक की उपाधि आवश्यक है। उसके बाद साक्षात्कार करके उम्मीदवार का चयन होता है। आज इस क्षेत्र में रोजगार के विपुल अवसर उपलब्ध हैं।
योग्यता, भाषा पर प्रभुत्व, देश-विदेश की जानकारी, आवाज में उतारचढ़ाव, वाणी में नम्रता आदि गुण, क्षेत्रीय रेडियो स्टेशन पर अनुभव लेकर बड़े रेडियो स्टेशन पर काम करने का अवसर मिल जाता है। रेडियो स्टेशन सिर्फ कला, ज्ञान और प्रस्तुतीकरण की शैली देखकर चयन करते हैं।
रेडियो जॉकी को अपने कान, आँखें निरंतर खुली रखने की जरूरत है। साहित्य और सचामार पत्र पढ़ने चाहिए; सांस्कृतिक, भौगोलिक तथा ऐतिहासिक ज्ञान चाहिए, साक्षात्कार लेने की कुशलता चाहिए। श्रोता द्वारा पूछे गए प्रश्नों के उत्तरों का ज्ञान उसके पास चाहिए। किसी निराश श्रोता को प्रोत्साहित करने के लिए मनोविश्लेषणात्मक ज्ञान चाहिए जिससे श्रोता का मनोबल वह बढ़ा सके।
रेडियो जॉकी की भाषा सहज, सरल, संतुलित, रोचक तथा प्रवाहमयी होनी चाहिए। उसमें वाक्पटुता का गुण हो। उसे तकनीकी चीजों की जानकारी होनी चाहिए। मनोरंजनात्मक ढंग से लोगों के बीच जागरूकता फैलाने का काम भी उसे करना चाहिए क्योंकि प्रसारण के माध्यमों में रेडियो सबसे तेज प्रसारित और प्रेषित करने का सशक्त माध्यम है।
रेडियो का भविष्य उज्ज्वल है और युवा वर्ग को मनोरंजन, जोश से भरपूर इसके विस्तृत क्षेत्र में अपना उज्ज्वल भविष्य बनाने के लिए अपने कदम अवश्य बढ़ाने चाहिए।
रेडियो जॉकी शब्दार्थ :
- संचालक = परिचालक, निदेशक, गति देनेवाला (director),
- इंफोटेनमेंट = मनोरंजन और सूचनाओं का साथ-साथ संप्रेषण (information with entertainment),
- साक्षात्कार = भेंटवार्ता (interview),
- क्षेत्रीय = जनपदीय (Regional),
- आजीविका = रोजगार, रोजी-रोटी (job, income source),
- मापदंड = मानक, मापने का पैमाना (criteria),
- निकष = कसौटी (criteria),
- निराकरण = निवारण, समाधान (solution),
- स्वाभाविक = प्राकृतिक (Natural),
- विचलित = अस्थिर, चंचल, व्याकुल (distracted, restless),
- वाक्पटुता = बातें करने में चतुर होना (Eloquence oratory),
- सुदृढ = मजबूत (very strong),
- शालीन = नम्र (decent),
- कीर्तिमान = सफलता, यश का सूचक (Record),
- ध्वनिमुद्रित = अभिलेखन बद्ध, सी.डी., टेप आदि तैयार करना (recording),
- चुनिंदा = चुना हुआ, श्रेष्ठ, उत्तम, बढ़िया (selected),
- आयाम = विस्तार (dimension),
- प्रेरक = प्रेरित करने वाल (motivator)